Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BR बागमसुधा विभाग : 1/3 संपादकःसंशोधकच प.पळ्यास श्रीजिनेन्द्रविजयजी गणिवर Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-६६ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकपूरसूरिगुरुभ्योः नमः हालारवेशोदारक-पूज्याचार्यदेवधीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / पञ्चम–गणधर श्रीमत्सुधर्मस्वामि-निर्मितं श्रीमत्स्थानांग-सूत्रम् तृतीयमङ्गम (मूलम्) MSKOSEKSEEKKERS NEKHKARVEENA संपावकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयक' रसूरीश्वर पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक.. कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः / पंन्यास-श्री--जिनेन्द्रविजय-गणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) XX Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिंकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल शांतिपुरी (सौराष्ट्र ) गुजरात - बोर सं० 2501 विक्रम सं० 2031 सन् 1975 ॐ अनुक्रमः पृष्ठांक 255 259 Sto 386 क्रमः अध्ययन नाम 1 एकस्थान है आ आगमना अधिकारी योगवाहीगुरुकुल- है 2 द्विस्थान (उद्देशा-४). वासी सुविहित मुनिराजो छे.. 3 त्रिस्थान (उद्देशा-४) 4 चतुःस्थान (उद्देशा-४) 5 पश्चस्थान (उद्देशा-३) मूल्य रु. 30-00 6 पटस्थान 7 सप्तस्थान 8 अष्टस्थान 9 नवस्थान 10 दशस्थान मुद्रकज्ञानोदय प्रिन्टिंग प्रेस पिण्डवाडा (राजस्थान) (वाया-सिरोहीरोड) 368 413 427 436 गौतम पार्ट प्रिन्टर्स न्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्रकाशकीय निवेदन . . अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ स्थानांग सूत्र मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए / हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करतां आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू० आचार्यदेव श्रीमद्विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू० पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागळ छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे. मोटा टाइपमां मुद्रित करातां पेज वधारे थाय छ / परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे. आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छ. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वाचनादिमां अनुकूलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. श्री आनाराङ्ग सूत्र, श्री सूत्रकृताङ्ग सूत्र, श्री स्थानाङ्ग सूत्र, श्री समवायाङ्ग सूत्र ए चार अंग सूत्र श्रीमदागमसुधासिन्धु प्रथम विभागमाथी जुदा बाइन्डींग करावेल छे. लि: वीर संवत् 2501 वि० सं० 2031 वैशाख सुद३ बुधवार ता.१४-५-७५ नेमचंद वाघजी गुढका नवीनचंद्र बावुलाल शाह Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगे मणे // शुद्धिपत्रकम् // पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं . शुद्धम् | पृष्ठं पक्तिः / भयुद्धं शुद्धम् 255 5 एवमक्खाये एवमक्खायं 360 14 पगति पगरेंति 255 12 एगमने 363 3 जोहाऽविऽय जोहाऽविय 255 23 ०बीरियपुकार० बीरियपुरिसकार० . कडुयभासिणो महरभासिणी 264 11 पमत्त पन्नत्ते 364 22 जिम्भमयातो जिम्भामयातो 265 14 दुवि दुविहे 367 10 मणुस्स- मणुस्स० 265 20 अछिगिज्झ अभिगिज्म 371 8 सम्मणणुप्प. सम्ममणुप्प. 283 18 पुप्फबते पुष्पदंते वातित्ता .. वातित्ता. 285 1 त्रिकस्थानकाध्यनम् त्रिस्थानकाध्ययनम् 374 17 2,2 . . 5,2 290 10 धम्मायरिस्स धम्मायरियस्स 385 22 भास भासा 290 11 उध्वद्वित्ता उट्टित्ता 391 23 अत्तवता अत्तवतो 213 1 मरहंतवसे अरहंतवंसे 394 6 ओसलवइत्ता ओसवात्ता 293 11 . उस्सप्णिीए 0 उस्सप्पिणीए 403 17 पंज्ञमं पंचम 296 16.21 पूरिस- पुरिस 414 14 उपयवाए उववाए 297 6 अलमित्ता अलंभित्ता 418 3 अवादथे। अवादाणे 298 12 अविमतिमा अविभातिमा 426 4 केवली. . केवलि. 307 13 16 427 10 कूल कुल० 311 1 केसंमंसु० केसमंसु. 135 22 सागरमखोमे सागरमखोमे 315 21 गंगा कंगो 441 2 चालेज्जा चलेखा 316 11 दिट्ठा 441 22. आदिनादाण अविनावाण३३१ 9 (उज्गूमणे) (उज्जूमणे) 334 13 पन्नत्ते पन्नत्ता 448 21 सिद्धिगई सिडिगह 344 11 तंजह- तंजहा 451 13 सेच्छती 'लेच्छती 349 17 कलुसमावन्ने कलुससमावन्ने 452 11 बवती ववत्ती 356 13. (सूचना-शुद्धिपत्रकनो उपयोग करी अध्ययन 14-15 0 क्वट्ठे को करव' बारी छे.) विट्ठी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // // गणधरदेव श्रीमत्सुधर्मस्वामिनिर्मितम् // // श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् // . // अथ प्रथममेकस्थानाख्यमध्ययनम् / / सुयं मे पाउस ! तेणं भगवता (वमक्खाये ॥सू० 1 // एगे पाया ॥सू. 2 // एगे दंडे ॥सू० 3 // एगा किरिया ॥सू० 4 // एगे लोए ॥सू० 5 // एगे थलोए ॥सू० 6 // एगे धम्मे ॥सू० 7 // एगे अधम्मे ॥सू. 8 // एगे बंधे ॥सू० 1 // एगे मोक्खे ॥सू० 10 // एगे पुराणे ॥सू० 11 // एगे पावे ॥सू० 12 // एगे पासवे ।।सू० 13 // एगे संवरे ॥सू० 14 // एगा वेयणा ॥सू० 15 // एगा निजरा ॥सू० 16 // // 1 // एगे जीवे पाडिकएणं (पडिक्खएण) सरीरएणं ॥सू० 17 // एगा जीवाणं अपरिपाइत्ता विगुव्वणा ॥सू. 18 // एग मणे ॥सू० 11 // एगा वई ॥सू० 20 // एगे कायवायामे ॥सू० 21 // एगा उप्पा ॥सू० 22 // एगा वियती ।।सू० 23 / / एगा वियचा ॥सू. 24 // एगा गती ॥सू. 25 // एगा भागती॥सू० 26 // एगे चयणे ॥सू० 27 // एगे उववाए ॥सू० 28 // एगा तका ॥सू० 21 // एगा सन्ना ॥सू० 30 // एगा मन्ना ॥सू० 31 // एगा विन्नू ॥सू० 32 // एगा वेयणा ॥सू० 33 // एगा छेयणा ॥सू० 34 // एगा भेयणा ॥सू० 35 // एगे मरणे अंतिमसारीरियाणं ॥सू० 36 // एगे संसुद्धे यहाभूए पत्ते ॥सू० 37 // एगेरगे)दुक्खे (एगहवखे) जीवाणं एग(गे)भूए सू० 38 // एगा अहम्मपडिमा जं से, (जंसि) पाया परिकिलेसति ॥सू० 36 // एगा धम्मपडिमा जं से श्रायापजवजाए ॥सू० 40 // एगे मणे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि एगावइ एगे कायवायामे ॥सू० 41 // एगे उट्ठाणकम्मबलवीरियपुकारपर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 256 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः कमे देवासुरमणुयाणं तसि 2 समयंसि ॥सू० 42 // एगे नाणे, एगे दंसणे, एगे चरिते॥सू० 43 // एगे समए॥सू. 44 // एगे पएसे एगे परमाणू॥सू० 45 // एगा सिद्धी / एगे सिद्धे / एगे परिनिव्वाणे / एगे परिनिव्वुए ॥सू० 46 // एगे सद्दे / एगे रूवे / एगे गंधे। एगे रसे / एगे फासे / एगे सुब्भिसद्दे / एगे दुभिसद्दे / एगे सुरूवे / एगे दुरूवे। एगे दोहे / एगे हस्से (रहस्से) / एगे वट्टे / एगे तसे / एगे चउरंसे / एगे पिहुले / एगे परिमंडले / एगे किरहे। एगे णीले / एगे लोहिए। एगे हलिद्दे / एगे सुकिले। एगे सुभिगंधे। एगे दुन्भिगंधे / एगे तित्ते / एगे कडुए। एगे कसाए। एगे अंबिले। एगे महुरे। एगे कक्खडे जाव लुक्खे ॥सू० 47 // एगे पाणातिवाए जाव एगे परिग्गहे / एगे कोधे जाव लोभे / एगे पेज्जे एगे दोसे जाव एगे परपरिवाए / एगा अरतिरती / एगे मायामोसे / एगे मिच्छादसणसल्ले ॥सू० 48 // एगे पाणावायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे / एगे कोहविवेगे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे॥सू० ४१॥एगायोसप्पिणी / एगा सुसमसुसमा जाव एगा दूसमदूसमा। एगा उस्सप्पिणी एगा दुस्समदुस्समा जाव एगा सुसमसुसमा। ॥सू० 50 // एगा नेरइयाणं वग्गणा एगा असुरकुमारांणं वग्गणा चवीसदंडयो जाव वेमाणियाणं वग्गणा / एगा भवसिद्धीयाणं वगणा एगा अभवसिद्धीयाणं वग्गणा एगा भवसिद्धिनेरझ्याणं वग्गणा एगा अभवसिद्धियाणं णेरतियाणं वग्गणा, एवं जाव एगा भवसिद्धियाणं वेमाणियाणां वग्गणा। एगा अभवसिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा / एगा सम्मदिट्ठियाणां वग्गणा एगा मिच्छदिट्ठियाणां वग्गणा एगा सम्मामिच्छदिट्ठियाणां वग्गणा / एगा सम्मदिट्ठियाणां णेरइयाणां वग्गणा एगा मिच्छद्दिट्ठियाणां णेरइयाणां वग्गणा एगा सम्ममिच्छद्दिट्ठियाणां णेरइयाणां वग्गणा, एवं जाव थणियकुमारागां वग्गणा / एगा मिच्छादिट्ठियागां पुढविकाइयाणां वग्गणा एवं जाव वणस्सइकाइयागां / एगा सम्मदिट्ठियाणा Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् / " श्रुतस्कंधः 1 अध्ययनं 1 ] [ 257 बेइंदियागां वग्गणा एगा मिच्छद्दिट्ठियाणां बेइंदियागां वग्गणा, एवं तेइंदियाणांपि चरिदियाणवि / सेसा जहा नेरझ्या जाव एगा सम्ममिच्छद्दिट्टि. याणां वेमाणियाणां वग्गणा // एगा कराहपक्खियाणां वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणां वग्गणा, एगा कराहपविखयागां गेरइयागां वग्गणा, एगा सुक्कपक्खियाणां णेरइयागां वग्गणा, एवं चउवीस(मा)दंडयो भाणियब्यो / एगा कराहलेसाणं वग्गणा एगा नीललेसाणं वग्गणा एवं जाव सुक्कलेसाणं वग्गणा, एगा कराहलेसाणं नेरझ्याणं वग्गणा जाव काउलेसागां गोरइयाणं वग्गणा, एवं जस्स जइ लेसायो, भवणवइयाणमंतरपुढवियाउवणस्सइकाइयाणां च चत्तारि लेसायो तेउवाउबेइंदियतिइंदियचउरिदियाणं तिन्नि लेसायो, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणां मणुस्साणं छल्लेसायो, जोतिसियाणं एगा तेऊलेसा, वेमाणियाणं तिन्नि उपरिम.लेसायो। एगा कराहलेसाणां भवसिद्धियाणं वग्गणा, एगा कराहलेसाणं अभवसिद्धियाणं वग्गणा एवं छसुवि लेसासु दो दो पयाणि भाणियव्वाणि / एगा कराहलेसागां भवसिद्धियाणां गोरइयागां वग्गणा एगा कराहलेसाणं श्रभवसिद्धि प्राणं गोरइयाणं वग्गणा एवं जस्स जत्ति लेसायो तस्स ततियायो भाणियव्यायो जाव वेमाणियागां। एगा कराहलेसाणां सम्मदिट्ठियाणां वग्गणा, एगा कराहलेसा मिच्छदिट्ठियाणां वग्गणा, एगा कराहलेसाणां सम्मामिच्छहिट्ठियाणां वग्गणा, एवं सुवि लेसासु जाव वेमाणियागां जेसि जदि दिट्ठीयो / एगा कराहलेसाणां कराहपविखयाणां वग्गणा, एगा कराहलेसागां सुकपविखयागां वग्गणा, जाव वेमाणियाणां जस्स जति लेसायो एए अट्ठ चवीसदंडया // एगा तित्थसिद्धाणं वग्गणा, एवं जाव एगा एक्क. सिद्धाणं वग्गणा एगा यणिकसिद्धाणं वग्गणा एगा पदमसमयसिद्धाणं (अपढमसमयसिद्धागां) वग्गणा एवं जाव यणंतसमयसिद्धाणं वग्गणा॥ एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा एवं जाव एगा अगांतपएसियागां खंधाणं Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागा वग्गणा। एगा एगपएसोगाढाणां पोग्गलाणां वग्गणा जाव एगा असंखेजपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा / एगा एगसमयठितियाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव असंखेजसमयठितियाणं पोग्गलाण वग्गणा / एगा एगगुणकालगायां पोग्गलाणं वग्गणा, जाव एगा असंखेज. एगा श्रणंतगुण. कालगाणां पोग्गलाणां वग्गणा / एवं वराणा गंधा रसा फासा भाणियव्वा जाव एगा अांतगुणलुक्खाणां पोग्गलाणां वग्गणा / एगा जहन्नपएसियाणां खंधाणं वग्गणा एगा उक्कस्सपएसियाणां खंधागां वग्गणा एगा अजहन्नुक्कस्सपएसियाणां खंधाणां वग्गणा एवं जहन्नोगाहणयाणं उकोसोगाहणगाणं अजहन्नुकोसोगाहणगाणं जहन्नलितियाणं उकस्सठितियाणं अजहन्तुक्कोसठितियाणं जहणगुणकालगाणं उकस्सगुणकालयाणं अजहन्नु. कस्सगुणकालगाणं एवं वरणगंधरसफासाणं वग्गणा भाणियव्वा, जाव एगा अजहन्नुक्कस्सगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा ॥सू. 51 // एगे जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुदाणं जाव श्रद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं ॥सू. 52 // एगे समणे भगवं महावीरे इमीसे श्रोसप्पिणीए चउव्वीसाए तित्थगराणं चरमतित्थयरे सिद्धे बुद्धे मुत्ते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥सू० 53 // श्रणुत्तरोववाइयाणं देवाणं एगा रयणी उदंउच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥सू० 54 // अदाणक्खत्ते एगतारे पन्नत्ते चित्ताणवखते एगतारे पं० सातीणक्खत्ते एगतारे पं० // 55 // एगपदेसोगादा. पोग्गला अणंता पन्नत्ता, एवमेगसमपठितिया एगगुणकालगा पोग्गला अणंता पन्नत्ता, जाव एगगु. णलुक्खा पोग्गला अर्णता पन्नत्ता // सू० 56 // एगहाणं समत्तं // 1 // Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 256 // अथ द्वितीयं द्विस्थानकाख्यमध्ययनम् // जदत्थि (जहित्थं) णं लोगे तं सबंदुपयोग्रारं (दुपडीयारं) तंजहाजीवच्चेव अजीवच्चेव / तसे चेव थावरे चेव 1, सजोणियच्चेव अजोणियच्चेव 2, साउयच्चेव अणाउयच्चेव 3, सइंदियच्चेव, अणिदिए चेव 4, मवेयगा चेव अवेयगा चेव 5, सरूवि चेव अरूवि चेव 6, सपोग्गला चेव योग्गला चेव 7, संसारसमावन्नगा चेव असंसारसमावन्नगा चेव 8, सासया चेव असासया चेव 1, // सू० 57 // श्रागासा चेव नोया. गासा चेव / धम्मे चेव अधम्मे चेत् // सू० 58 // बंधे चेव मोक्खे चेव 1 पुन्ने चेत्र पावे चेव 2 पासवे चेव संवरे चे 3 वेयणा चेव निजरा चेव 4 // सू० 56 // दो किरियायो पनत्तायो, तंजहा—जीवकिरिया चेव यजीवकिरिया चेव (चिय) 1, जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहामम्मत्तकिरिया चेव, मिच्छत्तकिरिया चेव 2, अजीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इरियावहिया चेव संपराइगा व 3, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा—काइया चेव अहिगरणिया चेव 4, काइया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा–अणुवरयकायकिरिया चेव, दुप्पउत्तकायकिरिया चेव 5, अहिकरणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–संजोयणाधिकरणिया चेव णिञ्चत्तणाधिकरणिया चेव 6, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-- पाउसिया चेव पारियावणिया चेव 7, पाउसिया किरिया दुविहा पन्नत्तायो तंजहा--जीवपाउसिया चेव अजीवपाउसिया चेव 8, पारियावणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा--सहत्थपारियावणिया चेव परहत्थपारियावणिया चेव 1, दो किरियायो पत्नत्ता तंजहा-पाणातिवायकिरिया चेव अपञ्चक्खाणकिरिया चेव 10, पाणातिवायकिरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहासहत्थपाणातिवायकिरिया चेव परहत्थपाणातिवायकिरिया चेव 11, अप Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागा चक्खाणकिरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा--जीवथपञ्चवखाणकिरिया चेव श्रजीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव 12, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहाथारंभिया चे परिग्गहिया चेव 13, प्रारंभिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-जीवारंभिया चे श्रजीवारंभिया चेव 14, एवं परिगहि. यावि 15, दो किरियायो पनत्तायो तंजहा-मायावत्तिया चेव मिच्छादसणवत्तिया चेव 16, मायावत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-बायभाववंकणता चेव परभाववंकगता चैव 17, मिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-ऊणाइरित्नमिच्छादसणवत्तिया चेव तव्वइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव 18, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा -दिट्ठिया चेव पुट्टिया चेव, 11, दिट्टिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-जीवदिट्टिया चेव अजीवदिट्ठिया चेव 20, एवं पुट्ठियावि 21, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-पाडुचिया चेव सामंतोवणिवाइया चेव 22, पाडचिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-जीवपाडच्चिया चेव यजीवपाडुच्चिया चेव 23, एवं सामंतोवणिवाइयावि 24, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-साहस्थिया चेव णेसत्थिया चेव 25, साहत्थियाकिरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-जीवसाहत्थिया चेव अजीवसाहत्थिया चेव 26, एवं गोसत्थियावि 27, दो किरियायो पनत्तायो तंजहा-पाणवणिया चेव वेयारणिया चेव 28, जहेव णेसस्थि. यायो 21-30, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-यणाभोगवत्तिया चेव अणवकंखवत्तिया चेव 31, अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-श्रणाउत्तयाइयणता चेव अणाउत्तपमजणता चेव 32, अणवखवत्तिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-यायसरोरयणव खवत्तिया चेव परसरीरप्रणवकखवत्तिया चेव 33, दो किरियायो पन्नत्तायो तंजहापिजवत्तिया चेव दोसवत्तिया चेव 34, पेजवनिया किरिया दुविहा पन्नत्ता तंजहा-मायावत्तिया चेव लोभवत्तिया चेव 35, दोसवत्तिया किरिया दुविहा Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्सूत्रकृताङ्गम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 261 पन्नत्ता तंजहा- कोहे चेव माणे चेव 36, ॥सू. 60 // दुविहा गरिहा पन्नत्ता तंजहा-मणमा वेगे (मणसावेगे) गरहति / वयसा वेगे गरहति / ग्रहवा गरहा दुविहा पनत्ता तंजहा-दीहं वेगे पद्धं गरहति, रहस्सं वेगे श्रद्धं गरहति ॥सू० 61 // दुविहे पञ्चवखाणे पन्नते तंजहा-मणसा वेगे पञ्चक्खाति वयसा वेगे पचवखाति. ग्रहवा पञ्चवखाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-दीहं वेगे श्रद्धं पञ्चक्खाति रहस्सं वेगे श्रद्धं पञ्चक्खाति ।।सू० 62 // दोहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे यणादीयं अणवयग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं वीतिवतेजा, तंजहाविजाए चेव चरणेण चेव ॥सू. 63 // दो ठाणाई अपरियाणित्ता पाया णो केवलिपनत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा-यारंभे चेव परिग्गह चेव 1, दो गणाई अपरियादित्ता याया णो केवलं बोधिं बुज्झेजा जहा-यारंभे व परिग्गहे चेव 2, दो ठाणाई अपरियाइत्ता बाया नो केवलं मुडे भवित्ता प्रागारायो अणगारियं पवइजा तंजहा-यारंभे चेव परिग्गहे चेर 3, एवं णो केवलं बंभचेरवासमावसेन्जा 4, णो केवलेणं संजमेणं संजमेजा 5, नो केवलेणं संवरेणं संवरेजा 6, नो केवलमाभिणिबाहियणाणं उप्पाडेजा 7, एवं सुयनाणं 8 अोहिनाणं 1 मणपजवनाणं 10 केवलनाणं 11 ॥सू० 64 // दो ठाणाइं परियादित्ता पाया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तंजहा-थारंभे वेव परिग्गहे चेव, एवं जाव केवलनाणमुप्पाडेजा ॥सू० 65 // दोहिं ठाणेहिं पाया केवलिपन्नतं धम्मं लभेज सवणयाए तंजहामोच्च च्चेव अभिसमेच व्चेव जार केवलनाणं उप्पाडेजा ॥सू० ६६॥दो समायो पन्नत्तायो, तंजहा-योसप्पिणी समा चेव उस्सप्पिणी समा चेव ।।सू० 67 // दुविहे उम्मार पन्नताए तंजहा-जवखावसे चेव मोहणिजस्स चेव कम्मस्स उदएणं, तत्थ णं जे से जवखावेसे से णं सुहवेयतराए चेव सुहविमोयतराए वेव, तत्थ णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं से णं दुहवेयतराए चेव दुहविमोययराए चेव ॥सू. 68 // दो दंडा पनत्ता तंजहा-अट्ठादंडे Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः चेव. अणद्वादंडे चेव, नेरइयाणं दो दंडा पन्नत्ता तंजहा-अट्ठादंडे य, अणट्ठादंडे य, एवं चउवीसा दंडयो जाव वेमाणियाणं ॥सू० 61 // दुरिह दंसणे पन्नते तंजहा–सम्मसणे चेव मिच्छादंसणे चेव 1, सम्मसणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-णिसग्गसम्मइसणे चेव अभिगमसम्मइंसणे चेव 2, णिसग्गसम्मदसणे दुविहे पन्नत्त तंजहा-पडिवाई चेव अपडिवाई चेव 3, अभिगममम्मदंसणे दुविहं पन्नते तंजहा-पडिवाई चेव अप्पडिबाई चेव 4, मिच्छादसणे दुविहे पंन्नने तंजहा-अभिग्गहियमिच्छा. दंसणे चेव अणभिगहियमिच्छादसणे चेव 5, अभिग्गहियमिच्छादंसणे दुविहे पन्नत्त तंजहा-सपजवसिते चेव अपजवसिते चेव 6, एवमणभिगहितमिच्छादसणेऽवि 7 ॥सू० 70 // दुविहे नाणे पनत्ते तंजहा-पच्चवखे चेव परोक्खे चेव 1, पच्चक्खे नाणे दुविहे पनते तंजहा-केवलनाणे चेव णोकेवलनाणे चेव 2, केवलणाणे दुविह पनत्ते तंजहा-भवत्थकेवलनाणे चेव सिद्धकेवलणाणे चेव 3, भवत्थकेवलणाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा–सजो. गिभवत्थकेवलणाणे चेव, अजोगिभवत्थकेवलणाणे चेव 4, सजोगिभवस्थकेवलणाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-पढमसमयमजोगिभवत्थकेवलणाणे चेव अपढमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणे चेव 5, ग्रहवा चरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलणाणे चेव अचरिमसमयसजोगिभवत्थकेवलनाणे चे 6, एवं अजोगिभवत्थकेवलनाणेऽवि 7-8, सिद्धकेवलणाणे दुविहे पनत्ते तंजहाश्रणंतरसिद्धकेवलणाणे चेव परंपरसिद्धकेवलनाणे चेव 1, अणांतरसिद्धकेवलनाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-एकागांतरसिद्धकेवलणाणे चेव अणेकाणंतरसिद्धकेवलणाणे चेव 10, परंपरसिद्धकेवलनाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहाएकपरंपरसिद्धकेवलणाणे चेव अणेकपरंपरसिद्धकेवलणाणे चेव 11, णोकेवलणाणे दुविहे पन्नने तंजहा-श्रोहिणागो चेव मणपजवणाणे चे 12, श्रोहिणाणे दुविहे मन्नत्ते तंजहा-भवपञ्चइए चेव खग्रोवसमिए चेव 13, Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 263 दोराहं भवपञ्चइए पन्नत्ते तंजहा-देवाणां चेव नेरइयागां चेव 14, दोगहं खयोवसमिए पन्नते तंजहा-मणुस्साणां चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणां चेव 15, मणपजवणाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-उज्जुमति चेव विउलमति चेव 16, परोक्खे णाणे दुविह पन्न, तंजहा-याभिणिवोहियणाणे व सुयनाणे चेव१७, श्राभिणिबोहियणाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-सुयनिस्सिए चेव असुयनिस्सिए चेव 18, सुयनिस्सिए दुविहे पनत्ते तंजहा-यत्थोग्गहे चेव पंजणोग्गहे चेव 11, असुयनिस्सितेऽवि एमेव 20, सुयनागो दुविहे पन्नत्ते जहा–अंगपविठे चेव यंगवाहिरे चेव 21, अंगवाहिरे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-यावस्सए चेव श्रावस्सयवइरित्ते चेव 22, श्रावस्सयव तिरित्ते दुविहे पन्नत्ते तंजहा–कालिए चेव उक्वालिए चेव 23 ॥सू० 71 // दुविहे धम्मे पन्नते तंजहा-सुक्धन्मे चेव चरित्तधम्मे चेव, सुयधम्मे दुविहे पनते तंजहा. सुत्त नुय धम्मे चेव, अत्थसुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे दुविहे पनत्ते तंजहा-यगारचरित्तधम्मे चेव अणगारचरित्तधम्मे चेव, दुविहे संजमे पन्नते जहा-सरागसंजमे चेव वीतरागसंजमे चेव, सरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा- सुहुमसंपरायसरागमंजमे चेव बादरसंपरायमरागतंजमे चेव, सुहुममंपरायसरागसंजमे दुविहे पन्नते, तंजहा-पढमसमयसुहुमसंपरार सरागसंजमे चेव अपढमसमयसु०, अथवा चरमसमयसु० अचरिमसमयसु०, ग्रहवा सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पत्नत्ते तंजहा-संकिलेसमाणए चेव विसुज्ममाणए चेव, बादरसंपराय. सरागसंजमे दुविहे पन्नते तंजहा-पढमसमयबादर० अपढमसमयबादरसं०, ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, ग्रहवा बायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-पडियाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा--उवसंतकमायवीयरागसंजमे चेव खीणकसायवीयरागसंजमे चैव, उव. संतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तं जहा--पढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे चेव यादमसमयउब०, यहवा चरिमसमयउव. अचरिमसमयउव०, Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागा खीणकसायवीतरागसंजमे दु बहे पन्नत्ते तंजहा-छउमत्थखीणकमायवीयरागसंजमे चेव केवलिखीणकसायवीयरागमंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवीपरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-सयंबुद्धछउपस्थखीणकसाय० बु. हियछउमत्थ०, सयंबुद्रछउमस्थ० दुविहे पंन्नते तंजहा-पढमसमय० अपत्मसमय. ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, बुद्धबोहियछउमथखीण० दुविर पन्नत्ते तंजहा-पढमसमय. अपढमसमय०, ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, केवलिखीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पंन्नत्ते तंजहा-सजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे अजोगिकेवलि खीणकसायवीयराग०, सजोगिकेवलिखीणकसायसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-पढमसमय० अपढमसमय०, ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, अजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुविहे पन्नत्त तंजहा--पढमसमय. अपढमसमय. अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय० ॥सू. 72 // दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहा-सुहमा चेव बायरा चेव 1, एवं जाव दुविहा वणस्सइकाइया पन्नत्ता तंजहा-सुहुमा चेव बायरा चेव 5, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहा-पज्जत्तगा चेव अपज्जत्तगा चेव 1, एवं जाव वणस्मइकाइया 10, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहापरिणया चेव अपरिणया चेव 11, एवं जाव वणस्सइकाइया 15, दुविहा दवा पन्नत्ना तंजहा-परिणता चेव अपरिणता चेव 16, दुविहा पुढवि. काझ्या पत्नत्ता तंजहा-गतिसमावन्नगा घेव अगइसमावन्नगा चेव 17, एवं जाव वणस्सइकाइया 21, दुविहा दवा पन्नत्ता तंजहा-गतिसमावन्नगा चेव श्रगतिसमावन्नगा चेव 22, दुविहा पुढविकाइया पत्नत्ता तंजहा-यगांतगे. गाढा चेव परंपरोगाढा चेव 23, जाव दुविहा दव्वा पन्नत्ता जहा-अगांतरोगाढा चेव परंपरोगाढा चेव 28 ॥सू० 73|| दुविहे काले पन्नत्ते तंजहा-योसप्पिणीकाले चे उस्सप्पिणीकाले चेच, दुविहे यागासे पन्नत्ते तंजहा-लोगागासे चेव अलोगागासे चेव, ॥सू० 7 // णेरड्यासां दो Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 2] [ 265 सरीरगा पन्नत्ता तंजहा-यभंतरगे चेव बाहिरगे चेव, अभंतरए कम्मए बाहिरए वेउन्धिए, एवं देवाणां भाणियव्वं, पुढवीकाइयाणं, दो सरीरगा पन्नत्ता तंजहा-यभंतरगे चेव बाहिरगे चेव अभंतरगे कम्मए बाहिरगे थोरालियगे, जाव वणस्लइकाइयाणां. बेइंदियागां दो सरीरा पनत्ता तंजहा-यभंतरए चेव बाहिरए चेव, अभंतरगे कम्मए, ट्ठिमंसमोणितबद्धे बाहिरए योरालिए, जाव चरिंदियागां, पंबिंदियतिरिक्खजोणियाणां दो सरीरगा पन्नत्ता तंजहा-यभंतरगे चेव बाहिरगे चेव, अभंतरगे कम्मए, यटिमंससोणियबहारुछिरावद्धे वाहिरए योरालिए, मणुस्साणवि एवं- चेव / विग्गहगइसमावन्नगाणां नेरइयाणां दो सरीरगा पन्नत्ता तंजहा-तेयए चेव कम्मए चेत्र, निरन्तरं जाव वेमाणियाणां, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरारुप्पत्ती सिया, तंजहा-रागेण चेत्र दोसेण चेत्र, जाव वेमाणियाणं, नेरइयाणं दुट्ठागानिधतिए सरीरगे पन्नत्ते तंजहा-रागनिव्वत्तिए चेव, दोसनिव्वत्तिए चेव जाव वेमाणियाणं, दो काया पन्नत्ता तंजहा-तसकाए चेव थावरकाए चेव, तसकाए दुवि. पन्नते तंजहा-भवसिद्धिए चेव अभवसिद्धिए चेव, एवं थावरकाएऽवि ॥सू० ७॥दो दिमायो अभिगिज्म कप्पति णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा पव्वा वित्तर-पाईणं चेव उदीणं चेव, एवं मुंडावित्तए सिक्खावित्तए उवठ्ठावित्तए भुजित्तए संवसित्तए सज्झायमुद्दिसित्तए सज्झायं समुद्दिसित्तए सज्झायमणुजाणित्तए बालोइत्तए पडिक्कमित्तए निंदित्तए गरहित्तए विउट्टित्तए विसोहित्तए अकरणयाए अभुट्टित्तए श्राहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवजित्तए, दो दिसातो अछिगिज्झ कप्पति णिग्गंथाण वा गिग्गंथीण वा अपच्छिममार. णंतियसलेहणाजूसणाजूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खिताणं पायोवगताणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तए, तंजहा-पाईणं चेव उदीणं चेव ॥सू० 76 // // विद्वाणस्स पढमो सभी समत्तो 2-1 // Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // द्विस्थानकाध्ययने-२ :: उद्देशकः 2 // जे देवा उड्डोववनगा कप्पोक्वन्नगा विमाणोववन्नगा चारोववनगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावन्नगा, तेसिणं देवाणं सता समितं जे पावे कम्मे कजति तत्थगतावि एगतिया वेयणं वेदेति अन्नत्थगतावि एगतिया वेत्रणं वेदेति, गरइयाणं सता समियं जे पावे कम्मे कजति तत्थगतावि एगतिया वेयणं वेदेति अन्नत्थगतावि एगतिया वेयणं वेदेति, जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं सता समितं जे पावे कम्मे कजति इहगतावि एगतिता वेषणं वेयंति अन्नत्थगतावि एगतिया वेयणं वेयंति, मणुस्सवजा सेसा एकगमा ॥सू० 77 // नेरतिता दुगतिया दुयागतिया पन्नत्ता तंजहा-नेरइए 2 सु उबवजमाणे मणुस्सेहिंतो वा पंबिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उववज्जेजा, से चेव णं से नेरइए णेरइयत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा पंचेंदियतिरिक्खनोणियत्ताए वा गच्छेजा, एवं असुरकुमारावि, णवरं, से चेणं से असुरकुमारे यसुरकुमारत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सचाए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छिज्जा, एवं सव्वदेवा, पुढविकाइया दुगतिया दुयागतिया पन्नत्ता तंजहा-पुढवीकाइए पुढवीकाइएसु उववजमाणे पुढवीकाइएहितो वा णोपुढवीकाइएहितो वा उववज्जेजा, से चेव णं से पुढविकाइए पुढवीकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढवीक इयत्ताए वा णोपुढवीकाइयत्ताए वा गच्छेज्जा, एवं जाव मणुस्सा ॥सू० 78 // दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तनहा-भवसिद्धिया चेव अभवसिद्धिया चेव, जाव वेमाणिया 1 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-यणंतरोववनगा चेव परंपरोववन्नगा चेव जाव वेमाणिया 2 / दुविहा णेरइया पत्नत्ता, तंजहा-गतिसमावन्नगा चेव अगतिसमावन्नगा चेव, जाव वेमाणिया 3 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-पढमसमग्रोववन्नगा चेव अपढमसमयोववन्नगा चेव जाव वेमाणिया 4 / दुविहा. नेरइया पन्नत्ता Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्र : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 267 तंजहा-याहारगा चेव यणाहारगा चेव, एवं जाव वेमाणिया 5 / दुविहा गोरझ्या पन्नता तंजहा - उस्तासगा चेव णोउस्सासगा चेव, जाव वेमाणिया 6 / दुविहा नेरझ्या पत्रत्ता तंजहा--सइंदिया चेव अणिं दिया फेव, जाय वेमाणिया 7 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा--पजत्तगा चेव अपजतगा चेव, जाव वेमाणिया 8 / दुविहा नेरझ्या पन्नत्ता तंजहा-सन्नि चेव यसन्नि चेव, एवं पंचेंदिया सब्वे विगलिंदियवजा, जाव वाणमंतरा (वेमागिया) 1 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-भासगा चेव अभासगा चेव, एवमेगिदियवजा मब्वे 10 / दुविा नेरझ्या पन्नत्ता तंजहा-सम्मट्टिीया चेव मिच्छट्टिीया चेव, एगिदियवजा सब्वे 11 / दुविहा नेरझ्या पन्नत्ता तंजहा-परित्तसंमारिता चेव अणंनसंमारिया चेव, जाव वेमाणिया 12 / दुविहा नेरइया पन्नता तंजहा-संखेजकालसमयद्वितीया (संखेजकालटिझ्या) व असंखेजकाल. समयद्वितीया चेव, एवं पंचेंदिया एगिदियविगलिंदियवजा जाव वाणमंतरा 13 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-सुलभबोधिया चेव दुलभबोधिया चेव, जाव वेमाणिया 14 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-कराहपक्खिया चेय सुक्कपक्खिया चेव, जाव वेमाणिया 15 / दुविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहाचरिमा चेव अचरिमा चेव, जाव वेमाणिया 16 ॥सू० 7 // दोहिं ठाणेहिँ थाया अधोलोगं जाणइ पासइ तंजहा-समोहतेणं चे अप्पाणेणं याया यहेलोगं जाणइ पासइ, असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं पाया पहेलोगं जाणइ पासइ, अाधोहि समोहतासमोहतेणं चेव अप्पाणेणं थाया अहेलोगं जाणाइ पासइ एवं तिरियलोगं 2 उडलोगं 3 केवलकप्पं लोगं 4 / दोहिं ठाणेहिं पाया अधोलोगं जाणइ पासइ तंजहा-विउव्वितेण चेव अप्पाणेणं याता अधोलोगं जागाइ पासइ, अविउब्बितेणं चेव अप्पाणेणं पाता अधोलोगं जाणइ पासइ, ग्राहोधि विउब्वियाविउवितेण चेव अप्पाणेणं आता अधोलोगं जाणइ (पासइ) 1, एवं तिरियलोगं 2 उड्ढलोगं 3 केवलकप Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः लोगं 4 / दोहिं ठाणेहिं पाया सदाइं सुोइ, तंजहा-दसेणवि श्राया सद्दाई सुणेइ सव्वेणवि श्राया सद्दाइं सुणेति, एवं स्वाइं पासइ, गंधाई श्रग्घाति, रसाई श्रासादेति, फासाइं पडिसंवेदेति 5 / दोहिं ठाणेहिं थाया श्रोभासइ, तंजहा-देसेणवि श्राया श्रोभासइ सव्वेणवि बाया श्रोभासति, एवं पभासति विकुब्वति परियारेति भासं भासति थाहारेति परिणामेति वेदेति निजरेति 1 / दोहिं ठाणेहिं देवे सद्दाई सुोइ, तंजहा-देसेणवि देवे सदाइं सुणेति, सव्वेणवि देवे सदाइं सुणेड, जाव निजरेति 14 / मरुया देवा दुविहा पन्नत्ता तंजहा--एगसरीरे चेव बिसरीरे चेर, एवं किन्नरा किंपुरिसा गंधव्वा णागकुमारा सुवन्नकुमारा यरिंगकुमारा वायुकुमारा 8, देवा दुविहा पन्नत्ता तंजहा--एगसरीरे चेव बिसरीरे चेव / ।सू० 80 // // विस्थानकस्य द्वितोयोद्देशकः समाप्तः // 2-2 // // अध्ययनं-२ उद्देशकः 3 // दुविहे सद्दे पन्नत्ते तंजहा-भासासद्दे चेव णोभासासद्दे चेव, भासासद्द दुविहे पनत्ते तंजहा-अक्खरसंबद्धे चैव नोअक्सरसंबद्धे चेव, णोभासामद्दे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-याउजसद्दे चेव णोयाउजसद्दे चेव, श्राउजसद्दे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-तते चेव वितते चेव, तते दुविहे पन्नत्ते तंजहा-- घणे चेव सिरे चेव, एवं विततेवि, णोत्राउजसद्दे दुविहे पन्नत्ते तंजहाभूमणस चे नोभूमणसद्दे चेच, णोभूमणस दुविहे पन्नत्ते तंजहा-तालसद्दे चेव लत्तिवास( चेव, दोहिं ठाणेहिं सह पाते सिया, तंजहा-साहन्न ताणं चेत्र पुग्गलाणं सह पाए सिया, भिन्जंताण घेव पोग्गलाणं सह पाए सिया ॥सू० 81 // दोहिं ठाणेहिं पोग्गला साहरणंति, तंजहा-सई वा पोग्गला साहन्नति, परेण वा पोग्गला साहन्नति 1 / दोहिं ठाणेहिं पोग्गला भिज्जंति तंजहा-सई वा पोग्गला भिजति परेण वा पोग्गला Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 2 ] [ 266 भिज्जति 2 / दोहिं ठाणेहिं पोग्गला परिसडंति, तंजहा-सई वा पोग्गला परिसडंति परेण वा पोग्गला परिसाडिज्जति 3 एवं परिवडंति 4 विद्धंसंति 5 / दुविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-भिन्ना चेक अभिन्ना चेव 1, दुविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-भेउरध-मा चेव नोभेउरधम्मा चेव 2, दुविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-परमाणुपोग्गला चेव नोपरमाणुपोग्गला चेव 3, दुविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-सुहुमा चेव बायरा चेव 4, दुविहा पोग्गला पन्नत्ता जहा-बद्धपासपुट्टा चेव नोबद्धपासपुटा चव 5, दुविहा पोग्गला पन्नत्ता, तंजहा-परियादितच्चेव अपरियादितच्चेव . दुविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-यत्ता चेव अणत्ता चेव 7, दुविह। पान्गला पन्नत्ता तंजहा-इट्टा चेव अणिट्ठा चेव 8, एवं कंता 1 पिया 10 मगुन्ना 11 मणामा 12, ॥सू. 82 // दुविहा सदा पनत्ता तंजहा-अत्ता चेव अणत्ता चेव, 1 एवमिट्ठा जाव मणामा 6 / दुविहा स्वा पन्नत्ता तंजहा-अत्ता चेव यणत्ता चे, जाव मणामा, एवं गंधा रसा फासा, एवमिक्किक्के छ घालावगा भाणियव्वा ॥सू० 83 // दुविहे अायारे पन्नत्ते तंजहा-णाणायारे चेव नोनाणायारे चेव 1, णोनाणायारे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-दसणायारे चेव नाईमणायारे चैव 2, नोदंसणायारे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-चरित्तायारे चेव नाचरित्तायारे व 3, णोचरित्तायारे दुविहे पन्नते तंजहा-तवाघारे चे। वीरियायारे चेच 4 / दो पडिमा यो पन्नत्तायो तंजहा-समाहिपडि / / चैव उवहाण पडिमा चेव 1. दो पडिमायो पन्नतायो तंजहा-विवेगपडिमा चेव विउसग्गडमा चेव 2, दो पडिमायो पन्नताश्रो तंजहा-भदा चे सुभदा चेव 3, दो पडिमायो पन्नत्तायो तंजहा--महाभदा चेव सव्वतोभद्दा चेव 4, दोप डिमायो पन्नत्तायो तंजहाखुड्डिया चेव मोयपडिमा, महल्लिया चेव मोयपडिमा 5, दो पडिमायो पन्नत्तायो तंजहा-जवमज्मा चेव चंदपडिमा, वइरममा चेव चंदपडिमा 6, दुविहे सामाइए पनत्ते तंजहा-अगारसामाइए चेव श्रणगारसामाइए चेव ।सू० 8 // Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः दोराहं उपवाए पनत्ते तंजहा-देवाण चेव नेरइयाण चेव 1 दोगहं उब्वट्टणा पन्नत्ता तंजहा-णेरइयाण चेव भवणवासीण चेव 2 दोरहं चयणे पन्नत्ते तंजहा-जोइसियाण चेव वेमाणियाण चेव 3 दोराहं गम्भवक्कंती पन्नत्ता तंत्रहा-मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खनोणियाण चेव 4 दोराहं गभत्थाणं थाहारे पन्नते तंजहा-माणुस्माण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव 5 दोरहं गभत्थाणं वुड्डी पन्नत्ता तंजहा--मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिवखजोणियाण चे 6 एवं निबुड्डी 7 विगुब्बणा 8 गतिपरियाए 1 समुग्धाते 10 कालमंजोगे 11 यायाती 12 मरणे 13 दोरहं छविपया (छवियत्ता) पन्नता तं नहा-मणुम्साण चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण चेव 14 दो सुकसोणितसंभवा पत्नत्तातंजहा-मणुस्सा चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चैव 15 दुविहा ठिनी पत्नत्ता तंजहा-कायद्विती चेव भवहिती चेव 16 दोराहं कायद्विती पन्नत्ता तंजहा-मणुस्साण चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण चेव 17 दोराहं भवद्विती पन्नत्ता तंजहा-देवाण चेव नेरझ्याण चेव 18 दुविहे ग्राउए पन्नत्ते तंजहा-- श्रद्धाउए चेव भवाउए चेव 11 दोराहं श्रद्धाउए पन्नत्ते तंजहा-मणुस्साण चेत्र पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव 20 दोराहं भवाउए पन्नत्ते तंजहा-- देवाण चेव णेरइयाण चेत्र 21 दुविहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-पदेसकम्मे चेव अणुभावकम्मे चेत्र 22 दो अहाउयं पालेंति तंजहा-देवच्चेव नेरइयच्चैव 23 दोरहं ग्राउयसंवट्टए पन्नत्ते तंजहा मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव 24 ॥सू० ८५॥जंबूहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पनत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नं णातिवटैति श्रायामविक्खंभसंठाणपरिणाहेणं तंजहा-भरहे चेव एरवए चेव, एवमेएणमहिलावेणं हिमवए चेव हेरन्नवते चेव, हरिखासे चेव रम्मयवासे चेव, जंबुद्दीवे दीवे मंदरम्स पब्वयस्म पुरच्छिमपचत्थिमेणं दो खित्ता पन्नत्ता तंजहा-बहुपमतुल्ला अविसेस जाव पुवविदहे चेव अवरविदेहे चेव, जंबूमंदरस्स Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / श्रुत कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 271 पब्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो कुरायो पन्नत्तायो तंजहा-बहुममतुल्लायो जाव देवकुरा चेत्र उत्तरकुरा चेत्र, तत्थ णं दो महतिमहालया महादुमा पन्नत्ता तंजहा--बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नं णाइवटंति अायामविक्खंभुचनोव्वेहसंठाणपरिणाहेणं तंजहा--कूडसामली चेव जंबू चेव सुदंमणा / तत्थं णं दो देवा महिड्डिया जाय महासोक्खा महेसक्खा पलियो वमद्वितीया परिवसन्ति, तंजहा-गरुले चेव वेणुदेवे यणादिते चेव जंबूद्दीवाहिवती ॥सू० 86 // जंबूमंदरस्स पव्वयस्स य उत्तरदाहिणेणं दो वासहरपव्वया पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुला अविसेसमणाणत्ता यन्नमन्नं णातिवटंति यायामविक्खंभुच्चत्तोव्वेहसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-चुल्लहिमवंते चेव सिहरिच्चेव, एवं महाहिमवंते चेत्र रुप्पिञ्चेव, एवं णिसढे चेव णीलवते चेव, जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं हेमवंतरराणवतेसु वासेसु दो बट्टवेतड्ढ. पव्वता पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला यविसेसमणाणत्ता जाव सदाबाती चेव वियडावाती चेव, तत्थ णं दो देवा महिड्डिया जाव पलियोवमद्वितीया परिवसंति तंजहा-साती चेव पभासे चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरदाहिणेणं हरिवासरम्मतेसु वासेसु दो वट्टवेयड्डपव्वया पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव गंधावाती चेव मालवंतपरियाए चेव, तत्थ णं दो देवा महिडिया महजुईया चेव जाव पलिग्रोवमद्वितीया परिवति, तंजहा--अरुणे चेव पउमे चेव, जंबूमदररस पव्वयस्स दाहिणेणं देवकुराए पुवावरे पासे एत्थ णं यासक्खंधगसरिसा श्रद्धचंदसंठाणसंठिया (अवद्धचंदसंठाणसंठिया) दो वरखारपव्वया पन्नत्ता तंजहाबहुसमा जाव सोमणसे व विजुप्पभे चेव, जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेण उत्तरकुराए पुव्वावरे पासे एत्थ णं यासक्खंधगसरिसा पद्धचंदसंठाणसंठिया दो वखारपव्यया पनत्ता तंजहा-बहु० जाव गंधमायणे चेव मालते चेत्र, जंबमंदररस पवयस्स उत्तरदाहिणेणं दो दीहवेयड्ढपव्वया पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव भारहे चेव दीहवेयड्ढे एरावते चेव दीहवेयडढे, भारहए णं दीह Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः वेयडढे दो गुहायो पन्नत्तायो तंजहा-बहुसमतुल्लायो अविसेसमणाणत्तायो अन्नमन्नं णातिवदंति थायामविक्खंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-तिमिसगुहा चेव खंडगप्पयायगुहा चेव, तत्थ णं दो देवा महिड्डिया जाव पलियोवमद्वितीया परिवसंति, तंजहा-कयमालए चेव नट्टमालए चेव, एरावयए णं दीहवेयड्ढे दो गुहायो पन्नत्तायो तंजहा--बहुसमतुल्ला जाव कयमालए चेव नट्टमालए चैव / जंबूमंदरस्त पवयस्स दाहिणणं चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव विवखंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-चुलाहिमवं. तकूडे चेव वेसमणकूडे चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं महाहिमवंते वासहरपव्वए दो कूडा पत्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव महाहिमवन्तकूडे चेव वेरुलियकूडे चेव, एवं निसढे वासहरपव्वए दो कूडा पनत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव निसटकूडे चेव रुयगप्पभे चेव / जंबूमंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं नीलवंते वासहरपब्वए दो कूडा पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-नीलवंतवूडे चेव उवदंसणकूडे चेत्र, एवं रुप्पिमि वासहरपव्वए दो कूडा पन्नत्ता तंजहाबहुसमतुल्ला जाव तंजहा रुप्पिकूडे चेव मणिकंचणकूडे चेव, एवं सिहरिमि वासहरपवते दो कूडा पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-सिहरिकूडे चैत्र, तिगिछिकूडे चेव ॥सू० 87 // जंबूमंदरस्स उत्तरदाहिणेणं चुल्लहिमवंतसिहरीसु वासहरपन्वयेसु दो महदहा पन्नत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अरणमगणं णातिवदंति, आयामविक्खंभउब्बेहसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा-पउमइह चेव पुंडरीयदहे चेव, तत्थ णं दो देवयायो महड्डियायो जाव पलियोवमट्टितीयायो परिवसंति, तंजहा-सिरी व लच्छी चेव, एवं महाहिमवंतरुप्पीसु वासहरपबएसु दो महदहा पनत्ता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-महापउमद्दहे चेव महापोंडरीयद्दहे चेव, देवतायो हिरिच्चेव बुद्धिच्चेव, एवं निसढनीलवंतेसु तिगिबिद्दहे चेव केसरिद्दहे चेव, देवतायो धिती चेव कितिच्चेव, जंबूमंदरस्स दाहिणेणं महाहिमवंतायो. वासहरपव्व Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 1 अध्ययनं 1 ] [ 273 यायो महापउमइहायो (दहायो) दो महाणईयो पवहंति, तंजहारोहियच्चेव हरिकंतच्चेव, एवं निसटायो वासहरपब्वतायो तिगिछिद्दहायो दो महानईयो पवहति तंजहा-हरिच्चेव सीयोअच्चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं नीलवंतायो वासहरपव्वतायो केसरिदहायो दो महानईयो पवहंति, तंजहासीता चेव नारिकंता चेव, एवं रुप्पीग्रो वासहरपब्वत्तायो महापोंडरीयदहायो दो महानईयो पवहंति, तंजहा–णरकता चेव रुप्पकूला चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे वासे दोपवायदहा पन्नत्तातंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-गंगप्पवातइहे चेव सिंधुप्पाय(हे चेव / एवं हिमवए वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-रोहियप्पवानहहे चेव रोहियंसपवातहहे चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं हरिबासे वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला तंजहा-हरिपकातहहे चेव हरिकंतपवातहहे चेव, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहवासे दो पवायदहा पन्नता बहुसमतुल्ला जाव सीअप्पवातदहे चेव सीतोदप्पवायदहे चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रम्मए वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव नरकंतप्पवायदहे चेव णारीकंतप्पवायदहे चेव, एवं हेरनवते वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला सुवन्नकूलप्पवायदहे चेव रुप्पकूलप्पवायदहे चेव, जंबूमंदरउत्तरेणं एरवए वासे दो पवायदहा पनत्ता बहुसमतुल्ला जाव रत्तापवायदहे चेव रत्तावइप्पवायदहे चेव,जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे वासे दो महानईयो पन्नत्तायो बहुसमतुल्ला जाव गंगा चेव सिंधू चेव, एवं जघा पवातदहा एवं णईश्रो भाणियव्यायो, जाव एरवए वासे दोमहानईअो पन्नत्तायो-बहुसमतुल्लायोजाव रत्ता चेव रत्तवती चेव।।सू०८८॥ जंबुद्दीवे 2 भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीयो काले होत्था 1 / एवमिमीसे अोसप्पिणीए जाव पन्नत्ते 2 / एवं श्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सति 3 / जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाई Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः उड्ड उच्चतेणं होत्था 4 / दोन्नि य पलियोवमा परमाउं पालइत्था / एवमिमीसे योसप्पिणीए जाव पालयित्था 6 / एवमागमेस्साते उस्सप्पिणीए जाव पालिस्संति 7 / जंबुद्दीवे दीवे भरहेरचएसु वासेसु एगसमये एगजुगे (एगजुगे एगसमये) दो अरिहंतवंसा उप्पजिंसु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा / एवं चकवट्टिवंसा / दसारवंसा 10 / जंबूभरहेरवएसु एगसमते दो अरहंता उपजिसु वा उप्पज्जति वा उपजिस्संति वा 11 // एवं चक्कवट्टिणो 12 / एवं बलदेवा एवं वासुदेवा (दसारवंसा) जाव उप्पजिसु वा उप्पज्जंति वा उप्पजिस्संति वा 13 / जंबू० दोसु दुरासु मणुया सया सुसमसुसममुत्तमिडिं पत्ता पचणुब्भवमाणा विहरंति, तंजहा-देवकुराए चेव उत्तरकुराए चेव 14 // जंबूद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुनमं इढेि पत्ता पञ्चगुब्भवमाण। विहरंति तंजहा-हरिवासे चेव रम्मगवासे चेव 15 जंबीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमदु समुत्तममिड्डिं पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति तंजहा-हेमवए चेव एरन्नवए चेव 16 / जंबूदीवे दीवे दोसु खित्तेसु मणुया सया दूसमसुसममुतममिट्टि पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा--पुत्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव 17 / जबदीवे दीव दोसु वासेसु मणुया इग्विहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तजहा-भरह चेव एरवते चेव 18 ॥सू० 86 // जंबहीवे दीवे दो चंदा पभासिसु वा पभासंति वा पभासिरसंति वा, दो सूरिश्रा तर्विसु वा तवंति वा तविस्संति वा, दो कत्तिया, दो रोहि. णीयो, दो मगसिरायो, दो ग्रहायो, एवं भाणियव्वं / “कत्तिय' रोहिणि मगसिर यदा य ५पुणव्वसू अपूसो य / तत्तोऽवि "अस्सलेसा महा य दो -1 फग्गुणीयो य // 1 // 1 हत्थो १२चित्ता १३साई १४विसाहा तहय होति १अणुराहा / १६जेट्ठा भूलो १८पुव्वा य श्रासादा १५उतरा चेव // 2 // २०-२१-२२अभिईसवणधणिट्ठा ३सयभिसया दो य होंति२४-२५भवया। २६रेवति २"अस्सिणि २-भरणी नेतव्या पाणुपुब्वीर // 3 // एवं गाहाणुसारेणं णेयव्वं Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 6 ] [ 275 जाव दो भरणीयो / दो अग्गी दो पयावती दो सोमा दो रुदा दो अदिती दो बहस्सती दो सप्पी दो पीतो दो भगा दो अजमा 10 दो सविता दो तट्ठा दो वाऊ दो इंदगी दो मित्ता दो इंदा दो निरती दो ग्राऊ दो विस्सा दो बम्हा 20 दो विराहू दो व दो वरुणा दो या दो विविद्धी दो पुस्सा दो अस्सा दो यमा 28 / दो इंगालगा दो वियालगा दो लोहिनक्खा दो सणिचरा दो याहुणिया दो पाहुणिया दो कणा दो कणगा दो कणकणगा दो कणगविताणगा 10 दो कणगसंताणगा दो सोमा दो महिया दो बासासणा दो कजोवगा दो कबडगा दो अयकरगा दो दुदु. भगा दो संखा दो संखवना 20 दो संखवन्नाभा दो कंसा 40 दो कंसबना दो कंसवन्नाभा दो रुप्पी दो सप्पाभासा दो णीला दो णीलोभासा दो भासा दो भासरासी 30 दो तिला दो तिलपुष्फवराणा 30 दो दगा दो दगपंचवन्ना दो काका दो कक्कंधा दो इंदग्गी (वा) दो धूमकेऊ दो हरी दो पिंगला 40 दो बुद्धा दो सका दो बहस्सती दो राहू दो अगत्थी दो माणवगा दो कासा दो फासा दो धुरा दो पमुहा 50 दो वियडा दो विसंधी दो नियल्ला दो पइला दो जडियाइलगा दो अरुणा दो अग्गिल्ला दो काला दो महाकालगा दो सोस्थिया 60 दो सोवत्थिया दो वद्धमाणगा (दो पूससमाणगा दो अंकुसा) दो पलंबा दो निचालोगा दो णिच्चुजोता दो सयंपभा दो श्रोभासा दो सेयंकरा दो खेमंकरा दो श्राभंकरा 70 दो पभंकरा दो अपराजिता दो अरया दो असोगा दो विगतसोगा दो विमला दो वितत्ता दो वितत्था दो विसाला दो साला 80 दो सुव्वता दो अणियट्टा दो एगजडी दो दुजडी दो करकरिगा दो रायग्गला दो पुष्फकेतू दो भावकेऊ ८८||सू० १०॥जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स वेइबा दो गाउयाई उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता। लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते। लवणस्स णं समुदस्स बेतिया दो गाउयाइ उद्धं उच्चत्तेणं पत्नत्ता ।सूत्रं 11 // धायइसंडे दीवे पुर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः च्छिमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा (पन्नत्ता) बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव। एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव दोसु वासेसु मणुया छबिहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहाभरहे चेर एरवते चेत्र, णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चे। वेणुदेवे सुदंसणे चेव २।धाततीसंडदीव-पच्चच्छिमद्धे णं मंदरस्स पव्ययरस उत्तरदाहिणेणं दो वासा पन्नता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चे जाव छबिहंपि कालं पचणुभषमाणा विहरति भरहे चेव एरवए चेव, णारं कूडसामली चेव महाधायतीरुवखे चेव, देवा थरुले चेव वेणुदेवे पियदंसणे चे 3 / धायइसंडे णं दीवे दो भरहाइं दो एरवयाइं दो हेमवयाई. दो हेरनवयाइं दो हरिवासाई दो रम्मगधामाइं दो पुज्वविदेहाइं दो अवरविदेहाई दो दवकुरायो दो दवकुरुमहदुमा १०दो देवकुरुमहदुमवासी देवा दो उत्तरकुरायो दो उत्तरकुरुमहदुमा दो उत्तरकुरुमहदुमवासी देवा दो चुलहिमवंता दो महाहिमांता दो निसहा दो नीलवंता दो रुप्पी दो सिहरी (20) दो सदावाती दो सदावतवाली साती देवा दो वियडावाती दोषियडावातिवासी पभासा देवा दो गंधावाती दो गंधावातिवासी अरुगा देवा दो मालवंतपरियागा दो मालवंतपरियागावासी पउमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा (30) दो पम्हकूडा दो नलिणकूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकूडा दो अंजणा दो मातंजणा दो सोमणसा दो विजुप्पभा दो अंकावती (40) दो पम्हावनी दो श्रासीविसा दो सुहावहा दो चंदपव्वता दो सूरपव्वता दो णागपव्वता दो देवपञ्चया दो गंधमायणा दो उसुगारपव्वया दो चुलहिमवंतकूडा (50) दो वेसमणकूडा दो महाहिमवंतकूडा दो वेरुलियकूडा दो निसहकूडा दो 'रुयगकूडा दो नीलवंतकूडा दो उवदसणकूडा दो रुप्पिकूडा दो मणिकंचणकूडा दो सिहरिकूडा (60) दो तिगिच्छिकूडा दो पउमद्दहा दो पउमदहवासिणीयो सिरीदेवीयो दो महापउमद्दहा दो महापउमद्दहवासिणीयो Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 7 ] [ 277 हिरीतो देवीयो (65) एवं जाय दो पुंडरीयदहा दो पोंडरीयदहवासिणीयो लछोदेवी यो, दो गंगापवायदहा जाव दो रत्तवतिपवातदहा दो रोहियायो (70) जाव दो रुप्पकूलातो दो गाहवतीयो दो दहवतीयो दो पंकवतीयो वेगवतीयो दो तत्तजलायो दो मत्तजलायो दो उम्मत्तजलायो दो खीरोयायो खारोदारो दो सीहसीयासोतायो दो अंतोवाहिणीयों (80) दो उम्मिमालिणीयो दो फेणगंभीरमालिणीयो दो गंभीरफेणमालिणीयो दो कच्छा दो सुकच्छ। दो महाकच्छा दो कच्छगावती दो श्रावत्ता दो मंगलावत्ता दो पुक्खला (10) दो पुक्खलावई दो वच्छा दो सुवच्छा दो महावच्छा दो वच्छगावती दो रम्मा दो रम्मगा दो रमणिज्जा दो मंगलावती दो पम्हा (100) दो सुपम्हा दो महपम्हा दो पम्हगावती दो संखा दो णलिणा दो कुमुया दो स(ण)लिला(णा वती दो वप्पा दो सुवप्पा दो महावल्पा (110) दो वप्पगावती दो वग्गू दो सुवागू दो गंधिला दो गंधिलावती 32 दो खेमायो दो खेमपुरीयो दो रिटायो दो रिट्ठपुरीयो दो खग्गीतो (120) दो मंजुसायो दो ग्रोसधीयो दो पोंडरिगिणीयो दो सुमीमायो दो कुंडलायो दो अपराजियायो दो पभंकरायो दो अंकावईयोदो पम्हापईयो दो सुभायो (130) दो रयणसंचयायो दो पासपुरायो दो सीहपुरायो दो महापुरायो दो विजयपुरायो दो याराजितायो दो अवरायो दो असोयायो दो विगयसोगायो दो विजयातो (140) दो वेजयंतीयो दो जयंतीयो दो अपराजियायो दो चक्रपुरायो दो खग्गपुरायो दो अवज्झायो दो अउज्झायो 32 दो भद्दसालवणा दो णंदणवणा दो सोमणसवणा (150) दो पंडगवणाई दो पंडुकंबलसिलायो दो अतिपंडुकंबलसिलायो दो रत्तकंबलसिलायो दो अइर तबलसिलायो दो मंदरा दो मंदरचूलितायो (157) धायतिसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाई उद्ध,मुच्चत्तेणं पनत्ता 5 / (सूत्रं 12) कालोदस्स णं समुद्दरस वेइया दो गाउयाइं उट्ट उच्चत्तेणं Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः पन्नत्ता१।पुरखरखरदीवड्डपुरच्छिमद्धेणं मंदरस्स पब्वयस्म उत्तरदाहिणेणं दो वासा पत्नत्ता बहुसमतुल्ला जाव भरहे चेव एरवए चेव तहव जाव दो कुरायो पन्नत्तानो देवकुरा चेव उत्तरकुरा चेव। तत्थ ग दो महतिमहालता महद्दुमा पन्नत्ता तंजहा- कूडसामली चेव पउमरुक्खे चेव, देवा गरुने चेव वेणुदेवे पउमे चेव, जाव छविहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंतिः। पुक्खरवरदीवड्ड६च्चच्छिाद्धे णं मंदरस्स पब्वयस्म उत्तरदाहिणेणं दो वाला पन्नत्ता तंजहातहेब णाणत्तं कूडसामली चेव महापउमरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पुंडरीए चेव / पुक्खरवरदीव णं दीवे दो भरहाई दो एरवयाई जाव दो मंदरा दो मंदरचूलियायो 5 / पुक्खरवरस्स णं दीवस्म वेइया दो गाउयाई उड्डमुञ्चत्तेगां पन्नत्ता६ / सव्वेसिपि णं दीवसमुदाणं वेदियायो दो गाउयाई उड्डमुच्चत्तेणं पराणत्तायो 7 (सू० 13) / दो असुरकुमारिंदा पन्नत्ता, तं जहा-चमरे चेव बली चे 1 से णागकुमारिंदा पण्णत्ता, तंजहा-धरणे चेच भूयाणंदे व 2 / दो सुवन्नकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहा-वेणुदेवे चेव वेणुदाली चेव 3 / दो विज्जुकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहाहरिच्चेव हरिस्सहे चेव 4 / दो अग्गिकुमारिंदा पन्नता तंजहा-अग्गिसिंह चेत्र अग्गिमाणवे चे 5 / दो दीवकुमारिंदा पन्नता तंजहा-पुन्ने चेव विसिष्टु चेच 6 / दो उदहिंकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहा-जलते चेव जलप्पभे चेव 7 दो दीसाकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहा-घमियगती चेव अमितवाहणे चेव - दो वातकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहा-वेलंक व पोंजो चेव / दो थणियकुमारिंदा पन्नत्ता तंजहा-घोसे चेव महाघोसे चेव 10 / दो पिसाइंदा पन्नत्तातंजहा-काले चेव महाकाले चेव 11 / दो भूइंदा पन्नत्ता तंजहा-सुरूवे चेत्र पडिरूवे चेव 12 / दो जक्खिदा पन्नत्ता, तंजहा-पुन्नभद्दे चेव माणिभद्दे चेव 13 / दो रक्खसिंदा पन्नत्ता तंजहा-भीमे चेव महाभीमे चेत्र 14 दो किनरिंदा पन्नत्ता, तंजहा-किन्नरे चेव किंपुरिसे व 15 / दो किंपुरि. Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3] [ 279 सिंदा पन्नत्ता तंजहा-सप्पुरिसे चेव महापुरिसे चेव 16 / दो महोरगिंदा पन्नत्ता तंजहा-अतिकाए चेव महाकाए चेव 17 / दो गंधविदा पनत्ता तंजहा-गीतरती चेव गीयजसे चेव 18 / दो श्रणपनिंदा पन्नत्ता तंजहासंनिहिए चेव सामराणे चे 11 / दो पणपन्निदा पन्नत्ता तंजहा-धाए चेव विहाए चेर 20 / दो इसिवाइंदा पन्नत्ता तजहा-इसिच्चेव इसिवालए चेव 21 / दो भूतबाइंदा पन्नत्ता, तंजहा-इस्सरे चेव महिस्सरे चे 22 / दो कंदिदा पन्नत्ता तंजहा-सुवच्छे चेव विसाले चेव 23 / दो महाकंदिदा पन्नत्ता तंजहा-हस्से चेव हस्सरती चेर 24 / दो कुभंडिंदा पन्नत्ता तंजहासेए चेव महासेए चेव 25 // दो पतइंदा पनत्ता तंजहा-पतए चेव पतयवई चेव 26 / जोइसियाणं देवाणं दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-चंदे चेव सूरे चेव 27 / सोहम्मीसाणेसुणं कपेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-सबके चेव ईसाणे चेव 28 / एवं सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेसु दो इंदा पनत्ता तंजहा–सणंकुमारे चेव माहिंदे चेव 21 / बंभलोगलंतएसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहाअंभे चेव लंतए चेव 30 / महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दो इंदा पनत्ता संजहा-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव 31 / श्राणयपाणतारणचुतेसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-पाणते चेव अच्चुते चेव 32 / महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवराणा पन्नत्ता तंजहा-हालिदा चेव सुकिला चेव 33 / गेविजगाणं देवा णं दो रयणीयो उड्डमुच्चत्तेणं पनत्ता 34 ॥सू०१४|| // इति द्वितीयस्थाने तृतीयोद्देशकः समाप्तः / / 2-3 // Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 280 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः // अथ द्वितीयस्थाने चतुर्थोद्देशकः // समयाति वा श्रावलियाति वा जीवाति या यजीवाति या पवुचति 1, श्राणापाणूति वा थोवेति वा जीवाति या अजीवाति या पवुञ्चति 2, खणाति वा लवाति वा जीवाति या अजीवाति या पवुच्चति 3, एवं मुहु. ताति वा अहोरत्ताति वा 4, पक्खाति वा मासाति वा 5, उति वा अय. णाति वा 6, संवच्छराति वा जुगाति वा 7, वाससयाति वा वासमहस्साइ वा 8, वाससतसहस्साइ वा वासकोडीइ वा 1, पुव्वंगाति वा पुब्वाति वा 10, तुडियंगाति वा तुडियाति वा 11, अडडंगाति वा अडडाति वा 12, अबवंगाति वा अववाति वा 13, हहुअंगाति वा हूहूयाति वा 14, उप्पलंगाति वा उप्प लाति वा 15, पउमंगाइ वा पउमाति वा 16, णलिणंगाति वा णलिणाति वा 17, अच्छणिकुरंगाति वा अच्छणिउराति वा 18, अउअंगाति वा अउयाति वा 16, गाउअंगाति वा णउपाति वा 20. पउतंगाति वा पउताति वा 21, चूलितंगाति वा चूलिताति वा 22, सीसपहेलियंगाति वा सीसपहेलियाति वा 23, पलियोवमाति वा सामरोवमाति वा 24, उस्सप्पिणीति वा श्रोसप्पिणीति वा जीवाति या अजीवाति या पवुच्चति 25, 1 / गामाति वा णगराति वा निगमाते वा रायहाणीति वा 2 / खेडाति वा कबडाति वा 3 / मडंबाति वा दोणमुहाति वा / पट्टणाति वा बागराति वा 5 // प्राप्समाति वा संबाहाति वा 6 / संनिवेसाइ वा घोसाइ वा 7 / यारामाइ वा उजाणाति वा 8 / वणाति वा वणसंडाति वा 1 / वावीइ वा पुक्खरणीति वा 10 सराति वा सरपंतीति वा 11 / अगडाति वा तलागाति वा१२। दहाति वा णदीति वा 13 / पुढवीति वा उदहीति वा 14 / वातखंधाति वा उवासंतराति वा 15 // वलताति वा विग्गहाति वा 16 / दीवाति वा समुद्दाइ वा 17 / वेलाति वा वेतीताति वा 18 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् - श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 281 दाराति वा तोरणाति वा 11 / णेरतिताति वा णेरतितावासाति वा जाव वेमाणियाइ वा वेमाणियावासाति वा 43 / कप्पाति वा कप्पविमाणावासाति वा 44 / वासाति वा वालधरपञ्चताति वा 45 / कूडाति वा कूडगाराति वा 46 / विजयाति वा रायहाणीइ वा जीवाति या अजीवाति या पवुचति 47,2) छाताति वा यातवाति वा, दोसिणाति वा अंधगाराति वा, योमाणाति वा उम्माणाति वा, अतिताणगिहाति वा उजाणगिहाति वा, वलिंबाति वा सणिप्पवाताति वा जीवाति या यजीवाति या पवुच्चइ 3 / दो रासी पन्नत्ता तंजहा-जीवरासी चेव अजीवरासी चेव 4 // सूत्रं 15 // दुविहे बंधे पन्नत्ते तंजहा-पेजबंधे चेव दोसबंधे चेव 1 / जीवाणं दोहिं ठाणेहिं पावं कम्म बंधंति तंजहा-रागेण चेव दोसेण चे। 2 / जीवा णं दोहिं ठाणेहिं पावं कम्मं उदीरेंति, जहा-भोवगमिताते चेव वेतणाते, उवक्कमिताते चेव वेयणाते 3 / एवं वेदेति एवं णिजरेंति-अब्भोवगमिताते चेव वेयणाते उवकमिताते चेव वेयणाते 4 ॥सूत्रं 16 // दोहिं ठाणेहिं याता सरीरं फुसित्ताणं णिजाति, तंजहा-देसणवि श्राता सरीरं फुसित्ताणं णिजाति, सव्वेणवि बाया सरीरगं फुसित्ताणं णिजाति 1 / एवं फुरित्ताणं एवं फुडित्ता एवं संवदृतित्ता एवं निव्वट्टतित्ता २॥सूत्रं 17 // दोहिं ठाणेहिं अाता केवलिपन्नत्त धम्मं लभेजा सवणताते, तंजहा-खतेण चेव उवसमेण चेव 1 / एवं जाव मणपजवनाणं उप्पाडेजा तंजहा-खतेण चेव उवसमेण चेव 2 / ॥सूत्रं 18 // दुविहे श्रद्धोवमिए पन्नत्ते तंजहा-पलिग्रोवमे चेव सागरोवमे चेव, से किं तं पलियोवमे ?, पलियोवमे-जं जोयणविच्छिन्नं, पल्ल एगाहियप्परूढाणं / होज निरंतरणिचितं भरितं वालग्गकोडीणं // 1 // वाससए वामसए एक्केक्के अवहडंमि जो कालो / सो कालो बोद्धव्वो उवमा एगस्स पल्लस्स // 2 // एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिता / तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं // 3 // सू० 11 // Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 282 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः दुविहे कोहे पन्नते तंजहा-यायपइट्ठिते चेव परपइट्ठिए चेव, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव मिच्छादसणसल्ले ।सू० 100 // दुविहा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-तसा चेव थावरा चेत्र 1 / दुविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-सिद्धा चेव प्रसिद्धा चेव 2 / दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता तंजहा-- सइंदिया चेव अणिदिया चेव 3 / एवं एसा गाहा फासेतव्या जाव समरीरी चेच असरीरी चेव 4 / 'सिद्धसइंदियकार जोगे वेए कमाय लेसा य। णाणु. वयोगाहारे भासग चरिमे य समरीरी // 1 // ॥सू. 101 // दो मरणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णो णिच्चं वन्नियाई णो णिच्चं कित्तियाई णो णिच्वं बुइयाइं (पुइयाई) णो णिच्चं पसत्थाई णो णिच्चं अभणुन्नायाई भवंति, तंजहा-वलायमरणे चेव वसट्टमरणे चेव 1 एवं णियाणमरणे चेव तभवमरणे चेव 2 गिरिपडणे चेत्र तरुपडणे चेव 3 जलप्पवेसे चेव जलगप्पवेसे चेव 4 विसभक्खणे चेव सत्थोवाडणे चेव 5,1 / दो मरणाई जाव णो णिच्चं यभणुनायाइं भवंति, कारणेण पुण थप्पडिकुट्ठाई, तंजहा-वेहाणसे चेव गिद्धप? चे 6, 2 / दो मरणाई समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं निग्गंथाणं णिच्चं वन्नियाइं जाव यभणुन्नाताई भवंति, तंजहा--पायोवगमणे चेव भत्तपच्चक्खाणे चेव 7, 3 / पायोवगमणे दुहि पन्नत्ते तंजहा-णीहारिमे चेव अनीहारिमे चेव णियमं अपडिकमे 8, 4 // भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा--णीहारिमे चेव श्रणीहारिमे चेव, णियमं सपडिकमे 1, 5 // सू० 102 // के अयं लोगे ?, जीवच्चेव अजीवच्चेव, के अणंता लोए ?, जीवच्चेव अजीवच्चेव, के सासया लोगे ?, जीवच्चेव यजीवच्चेव ॥सू० 103 // दुविहा बोधी पनत्ता तंजहा -णाणबोधी चेव दंसणबोधी चेत्र, दुविहा बुद्धा पन्नत्ता तंजहा-णाणबुद्धा चेव देसणबुद्धा चेव, एवं मोहे, मूढा // सू० 104 // गाणावरणिज्जे कम्मे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-देसनाणावर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 285 णिज्जे चेव सव्वणाणावरणिज्जे चैत्र 1 / दरिसणावरणिज्जे कम्मे एवं चेय 2 / वेयणिज्जे कम्मे दुविहे पन्नत्ते तंजहा--मातावेयणिज्जे चेव असातावेय. णिज्जे चेव 3 / मोहणिजे कम्मे दुविहे पनने तंजहा-दंसणमोहणिज्जे चेत्र चरित्तमोहणिज्जे चेव 4 / याउए कम्मे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-यद्धाउए चेव भवाउए चेव 5 / णामे कम्मे दुविहे पन्नत्तेतंजहा-सुभणामे चेव असुभणामे चेव 6 / गोते कम्मे दुविहे पन्नतें तंजहा--उच्चागोते चेवणीयागोते चेव 7/ अंत. राइए कम्मे दुविह पन्नत्ते तंजहा--पडुच्चुपनविणासिए चेव पिहितागामिपहं (यागामिपदहे, यायमपह) 8 // सूत्र 105 // दुविहा मुच्छा पन्नत्ता तंजहा-पेजबत्तिता चेत्र, दोसवत्तिता चेव, पेजवत्तिया मुच्छा दुविहा पन्नत्ता तंजहा-माए चेर लोभे चेव, दोसवत्तिया मुन्छा दुविहा पन्नत्ता तंजहाकोहे चेव माणे चेव // सू० 106 // दुविहा श्राराहणा पत्नत्ता तंजहाधम्मिताराहणा चेव केवलियाराहणा चेव, धमियाराहणा दुविहा पन्नत्ता तंजहा-सुयधम्माराहणा चे चरित्तधम्माराहणा चेव, केवलियाराहणा दुविहा पन्नता तंजहा-अंतकिरिया चेव कप्पविमाणोववत्तिया चेव ॥सू० 107 // दो तित्थगरा नीलुप्पलसमा वन्नेणं पन्नत्ता तंजहा-मुणिसुब्बए चेव अरि?नेमी चेत्र; दो तित्थयरा पियंगुमामा वन्नेणं पन्नत्ता तंजहा-मल्ली चेव पासे चेत्र, दो तित्थयरा पउमगोरा वन्नेणं पनत्ता तंजहा--पउमप्पहे चेव वासुपुज्जे चेव, दो तित्थगरा चंदगोरा वन्नेणं पनत्ता तंजहा-चंदप्पभे चेव पुष्फदते चेव / / सू० 108 // सच्चप्पवायपुवस्स णं दुवे वत्थू पन्नत्ते, सू० 10 // पुबाभद्दवया-णक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते, उत्तरभद्दवया-णक्खत्ते दुतारे पराणत्ते, एवं पुवफग्गुणी उत्तराफग्गुणी ॥सू० 110 // अंतो णं मणुस्सखेत्तस्स दो समुद्दा पन्नत्ता तंजहा-लवणे चेव कालोदे चेव ॥सू० 111 // दो चकवट्टी अपरिचत्तकामभोगा कालमासे कालं किच्चा अहेसत्तमाए पुढवीए अप्पतिठाणे णरए नेरइतत्ताए उववन्ना तंजहा-सुभूमे चेव बंभदत्ते चेव ॥सू० Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] [ श्रीमदागमसुवासिन्धुः :: प्रथमो विभागः 112 // असुरिंदवजियाणं भवणवासणं देवाणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे देवाणं उनोसेणं दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, ईसाणे कप्प देवाणं उकोसणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहन्नेणं दो सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता, माहिंदे कप्पे देवाणं जहन्नेणं साइरेगाई दो सागरोवमाइं ठिती पत्नत्ता ॥सू० 113 // दोसु कप्पेसु कप्पत्थियायो पन्नत्तायो, तजहा-सोहम्मे चेव ईसाणे चेव ॥सू. 114 // दोसु कप्पेसु देवा तेउलेस्सा पन्नता, तंजहा-सोहम्मे चेव ईसाणे चेव ॥सू० 115 // दोसु कप्पेसु देवा कायपरियारगा पन्नत्ता तंजहासोहम्मे चेव ईसाणे चेव, दोसु कप्पेसु देवा फासपरियारगा पन्नत्ता तंजहासणंकुमारे चेव माहिंदे चेव, दोसु कप्पेसु देवा रूवपरियारगा पन्नत्ता तंजहाबंभलोगे चेव लंतगे चेव, दोसु कप्पेसु देवा सदपरियारगा पन्नत्ता तंजहामहासुक्के चेव सहस्सारे चेव, दो इंदा मणपरियारगा पन्नत्ता तंजहा-पाणए चेव अच्चुर चेव ॥सू० 116 // जीवा णं दुट्ठाणणिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणस्संति वा, तंजहा-तसकायनिव्वत्तिए चेव थावरकायनिव्वत्तिए चेव, एवं उवचिणिंसु वा उवचिणंति वा उवचिणिस्संति वा, बंधिंसु वा बंति वा बंधिस्संति वा, उदीरिंसु वा उदीरेंति वा उदीरिस्तंति वा, वेदसु वा वेदेति वा वेदिस्संति वा, णिजरिंसु वा णिजरिंति वा णिज्जरिस्संति वा ॥सू० 117 // दुपएसिता खंधा अणंता पन्नत्ता, दुपदेसोगाढा पोग्गला अणंता पन्नत्ता एवं जाव दुगुणलुक्खा पोग्गला श्रणता पन्नत्ता ॥सू० 118 // दुट्ठाणं समत्तं // // इति चतुर्थोद्देशकाः // 2-4 // इति द्वितीयं द्विस्थानकाध्ययनम् // 2 // Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 1 ] [285 // अथ तृतीयं त्रिस्थानकायध्यनम् // प्रथमोद्देशकः / तयो इंदा पाणत्ता तंजहा-णामिदे वणिंदे दबिदे, तो इंदा पन्नत्ता तंजहा–णाणिंदे दंसणिंदे चरितिंदे, तो इंदा पन्नत्ता तंजहा–देविंदे असरिंदे मणुस्सिदे ॥सू० 111 // तिविहा विउव्वणा पन्नत्ता तंजहाबाहिरते पोग्गलए परियातित्ता एगा विकुचणा, बाहिरए पोग्गले अपरियादित्ता एगा विकुवणा, बाहिरए पोग्गले परियादित्तावि अप्परियादित्तावि एगा विकुब्वणा 1 / तिविहा विगुब्बणा पन्नत्ता तंजहा-अभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगः विडवणा, अतरे पोग्गले अपरियादित्ता एगा विकुबणा, अभंतरए पोग्गले परियादित्तावि अपरितादित्तावि एगा विकुब्वणा 2 / तिविहा विकुचणा पन्नत्ता तंजहा–बाहिरभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विकुबण, बाहिरभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगा विगुब्बणा, बाहिरभंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउव्वणा 3 // ॥सू. 120 // तिविहा नेरइया पन्नत्ता तंजहा—कतिसंचिता अकतिसंचिता अवत्तव्वगसंचिता, एवमेगिदियवजा जाव वेमाणिया ॥सू० 121 // तिविहा परियारणा पन्नत्ता तंजहा—एगे देवे यन्ने देवे अन्नेसि देवाणं देवीनी श्र अभिजु जिय 2 परियारेति, अप्पणिजियायो देवीयो अभिजुजिय 2 परियारेति, अप्पाणमेव अप्पणा विउविय 2 परियारेति 1 / एगे देवे णो अन्ने देवा णो अगणसिं देवाणं देवीयो अभिजु जिय 2 परियारेति, अत्तणिजियायो देवीयो अभिनु जिय 2 परियारेइ, अप्पाणमेव अप्पणा विउविय 2 परियारेति 2 / एगे देवे णो अन्ने देवा णो अराणेसिं देवाणं देवीयो अभिजिय 2 परितारेति, णो अप्पणिजितायो देवीश्रो अभिजुजिय 2 परितारेति, अप्पागमेव अप्पाणं विउव्विय 2 परितारेति 3 / ॥सू. 122 // तिविहे मेहुणे पन्नत्ते तंजहा-दिव्वे माणुस्सते तिरिक्ख Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः जोणीते, तथो मेहुणं गच्छति तंजहा–देवा मणुस्मा तिरि खजोगिता, ततो मेहुणं सेवंति तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुंसगा ॥सू. 123 // तिविहे जोगे पन्नत्ते तंजहा-मणजोगे वतिजोगे कायजोगे, एवं णेरतिताणं विगलिंदियवजाणं जाव वेमाणियाणं 1) तिविहे पयोगे पन्नत्ते तंजहा-मणपयोगे वतिपयोगे कायपयोगे, जहा जोगो विगलिंदियवजाणं तथा पयो. गोवि 2 / तिविहे करणे पन्लत्ते तंजहा–मणकरणे वतिकरणे कायकरणे एवं विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणियाणं 3 / तिविहं करणे पन्नत्ते तंजहाश्रारंभकरणे संरंभकरणे समारंभकरणे, निरंतरं जाव वेमाणियाणं 4 सू० 124 / / तिहिं ठाणेहिं जीवा यपाउयत्ताते कम्मं पगरिति, तंजहा—पाणे अतिवातित्ता भवति, मुसं वइत्ता भवइ, तहारूवं समणं वामाहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता भवइ, इन्चेतेहि तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउयताते कम्म पगरेंति 1 तिहिं ठाणेहिं जीवा दीहाउयत्ताते कम्मं पगरेंति, तंजहा-णो पाणे अतिवातित्ता भवइ, णो मुसं वतित्ता भवति, तथारूवं समणं वा माहणं वा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवइ, इच्चेतेहिं तिहिं गणेहिं जीवा दीहाउय ताए कम्मं पगरेंति 2 / तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजहा—पाणे यतिगतित्ता भवइ, मुसं वइत्ता भवइ, तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलेत्ता णिदित्ता खिसेत्ता गरहित्ता यवमाणित्ता अन्नयरेणं श्रमणुन्नेणं अपीतिकारतेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभत्ता भवइ, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्म पगरेंति 3 / तिहि अणेहिं जीवा सुभदीहाउयत्ताते कम्मं पगरेंति, तंजहा–णो पाणे अतिवातित्ता भवइ, णो मुसं वदित्ता भवइ, तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता सकारिता समाणेत्ता कलाणं मंगलं देवतं चेतितं पज्जुवासेत्ता मणुन्नेणं पीतिकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवइ, झ्चे Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 287 तेहिं तिहिं गणेहिं जीवा सुहदीहाउतत्ताते कम्म पगरेति ॥सू० 125 // ततो गुनीतो पन्नत्तायो, तंजहा–मणगुत्ती वतिगुत्ती कायगुत्ती 1 / संजयमणुस्साणं ततो गुतीयो पन्नत्तायो तंजहा - मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुत्ती 2) तो अगुतीयो पन्नत्तायो तंजहा–मणयगुत्ती वइयगुत्ती कायश्रगुत्ती 3 / एवं नेरइताणं जाव थणियकुमाराणं 4 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं असंजतमणुस्माणं वाणमंतराणं जोइमियाणं वेमाणियाणं 5 / ततो दंडा पन्नत्ता तंजहा--मणदंडे वयदंडे कायदंडे 6 / नेरझ्याणं तयो दंडा पगणत्ता, तंजहा-- मणदंडे वइदंडे कायदंडे 7 / विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं 8 ॥सू. 126 // तिविहा गरहा पन्नत्ता तंजहा–मणसा वेगे गरहति, वयसा वेगे गरहति, कायसा वेगे गरहति पावाणं कम्माणं अकरणयाए 1 / अथवा गरहा तिविहा पन्नत्ता तंजहा–दीहंपेगे श्रद्धं गरहति, रहस्संपेगे अद्धंगरहति, कायंपेगे पडिसाहरति पावाणं कम्माणं यकरणयाए 2 / तिविहे पञ्चक्खाणे पन्नत्ते तंजहा—मणसा वेगे पञ्चक्खाति वयसा वेगे पच्चक्खाति कायसा वेगे पञ्चक्खाइ, एवं जहा गरहा तहा पञ्चक्खाणेवि दो पालावगा भाणियव्वा 3 ॥सू. 127 // ततो रुक्खा पन्नत्ता तंजहा–पत्तोवते फलोवते पुष्फोवते 1 / एवामेव तयो पुरिमजाता पन्नत्ता तंजहा—पत्तोवारुखसा. माणा पुष्फोवारुक्खसामाणा फलोवारुक्खसामाणा 2 / ततो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–नामधुरिसे ठवणपुरिसे दवपुरिसे 3 / तयो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-नाणपुरिसे दंसणपुरिसे चरित्तपुरिसे 4 / तयो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-वेदपुरिसे चिंचपुरिसे अभिलावपुरिसे 5 / तिविहा पुरिसजाया पन्नता तंजहा-उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा जहन्नपुरिमा 6 / उत्तमपुरिसा तिविहा पन्नता तंजहा-धम्मपुरिसा भोगपुरिसा कम्मपुरिसा, धम्मपुरिसा रिता भोगपुरिसा चकवट्टी कम्मपुरिमा वासुदेवा 7 मभिमपुरिसा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-उग्गा भोगा गयन्ना / जहन्नपुरिसा तिविहा Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 288 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः पन्नता तंजहा-दासा भयंगा भातिलगा 1 ॥सू. 128 // तिविहा मन्छा पन्नत्ता तंजहा-अंडया पोग्रया ममुच्छिमा 1 / ग्रंडगा मन्छा तिविहा पन्नता तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुसगा 2 / पोतया मच्छा तिविहा पन्नत्ता तंजहा--इत्थी पुरिसा णपुंसगा 3 / तिविहा पक्खी पन्नत्ता तंजहा-ग्रंडया पोश्रया संमुच्छिमा 4 / अंडया पवखी तिविहा पन्नत्ता तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुंसगा 5 / पोतजा पक्खी तिविहा पन्नत्ता तंजहा-इत्थी पुरिसा णपुंसगा / एवमेतेणं अभिलावेणं उरपरिसप्पावि : भाण्यित्वा 7 / भुजपरिसप्पादि भाणियब्वा 8 ॥सू० 121 // एवं चेव तिविहा इत्थीयो पन्नत्तायो तंजहा-- तिरिक्खजोणित्थीयो जोणियायो मणुस्सित्थीयो देवित्थीयो / तिरिवखजोणियो इत्थीयो तिविहायो पन्नत्तायो तंजहा--जलचरीयो थलचरीयो खहचरीयो 2 / मणुस्सित्थीयो तिविहायो पन्नत्तायो तंजहा-कम्मभूमिअायो अकम्मभूमियायो अंतरदीविगायो 3 / तिविहा पुरिसा पन्नत्ता तंजहा-तिरिक्खजोणीपुरिसा मणुम्सपुरिसा देवपुरिसा 4 / तिरिवखजोणिपुरिसा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-जलचरा थलचरा खेचरा 5 / मणुस्सपुरिसा तिविहा पन्नत्ता तंजहा -कम्मभूमिगा अकम्मभूमिगा अंतरदीवगा 6 / तिविहा नपुंसगा पन्नत्ता तं नहा-णेरतियनपुंसगा तिरिवखजोणियनपुंसगा मणुस्सजोणियनपुंसगा 7 तिरिक्खजोणियनपुंसगा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-- जलयरा थलयरा खहयरा 8 मणुस्सनपुंसगा तिविधा पन्नत्ता तंजहाकम्मभूमिगा यकम्मभूमिगा अंतरदीवगाह सू० 130 // तिविहा तिरिक्खजोणिया पन्नत्ता तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा ॥सू० 131 // नेरइयाणं तो लेसायो पन्नत्तायो तंजहा-कराहलेसा नीललेसा काउलेसा 1 / असुरकुमाराणं तो लेसायो संकिलिट्ठायो पन्नत्तायो तंजहा-कराहलेसा नीललेसा काउलेसा 2 / एवं जाव थणियकुमाराणं 11 // एवं पुढविकाइयाणं 12 / पाउवणस्सतिकाइयाणवि 13-14 / तेउकाइयाणं 15 / वाउ Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 281 काइयाणं 16 // बेदियाणं 17 / तेंदियाणं 18 / चरिंदियाणवि 11 / तो लेस्सा जहा नेरझ्याणं / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तयो लेसायो संकिलिट्ठायो पनत्तायो तंजहा-कराहलेसा नीललेसा काउलेसा 20 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तयो लेसायो असंकिलिट्ठायो पन्नत्तायो तंजहा-तेरलेसा पम्हलेसा सुकलेसा 21 / एवं मणुस्साणवि 22 / वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणां 23 / वेमाणियाणं तयो लेस्सायो पन्नत्तायो तंजहा-तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा 24 ॥सू. 132 // तिहिं ठाणेहिं तारारुवे चलिजा तंजहा-विकुबमाणे वा परियारेमाणे वा ठाणायो वा ठाणं संकममाणे तारारुवे चलेजा 1 / तिहिं ठाणेहिं देवे विज्जुतारं करेजा तंजहाविकुबमाणे वा परियारेमाणे वा तहारूक्स्स समणस्स वा माहणस्स वा इडिं जुत्तिं जसं बलं वीरियं पुरिसकारपरकम उवदंसेमाणे देवे विज्जुतारं करेजा 2 / तिहिं गाहिं देवे थणियसह करेजा तंजहा-विकुब्वमाणे, एवं जहा विज्जुतारं तहेव थणियसपि शासू. 133 // तिहिं ठाणेहिं लोगंधयारे सिया तंजहा-अरिहंतेहिं वोच्छिजमाणेहिं, अरिहंतपन्नत्ते धम्मे वोच्छिजमाणे, पुव्वगते वोच्छिजमाणे 1 / तिहिं ठाणेहिं लोगुजोते सिया तंजहा-अरहतेहिं जायमाणेहिं, अरहतेसु पव्वयमाणेसु, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु 2 / तिहिं ठाणेहिं देवंधकारे सिया तंजहाअरहंतेहिं वोच्छिजमाणेहिं, अरहंतपनते धम्मे वोच्छिजमाणे, पुचगते वोच्छिंजमाणे 3 / तिहिं ठाणेहिं देवुजोते सिया तंजहा-अरहतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पञ्चयमाणेहिं, अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु 4 // तिहिं मणेहिं देवसंनिवाए सिया तंजहा-अरिहंतेहिं जायमाणेहिं, अरिहंतेहिं पव्वयमाणे हिं, अरिहंताणं नाणुप्पायमहिमासु 5 / एवं देवुकलिया 6 / देवकहकहए / तिहिं ठाणेहिं देविंदा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति तंजहा. श्ररहतेहिं जायमाणेहिं, अरहतेहिं पञ्चयमाणेहिं, अरहताणं गाणुप्पायम Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 290 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः हिमासु 8 / एवं सामाणिया 1 / तायत्तीसगा 10 / लोगशाला देवा 11 / अग्गमहिसीयो देवीयो 13 / परिसोववनगा देवा 13 / अणियाहिबई देवा 14 / श्रायरक्खा देवा 15 // माणुमं लोगं हब्वमागच्छति / तिहिं ठाणेहिं देवा श्रभुट्ठिजा, तंजहा-अरहंतेहिं जायमाणोहिं जाव तं चेव 16 / एवमासणाई चलेजा 17 / सीहणातं करेजा 18 / चेलुक्खेवं करेजा 19 / तिहिं अणेहि देवाणं चेइयरुक्खा चलेजा तंजहा-अरहंतेहिं तं चेव 20 / तिहिं ठाणेहिं लोगंतिया देवा माणुसं लोगं हवमागच्छिज्जा, तंजहा-अरहतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु 21 / ॥सू. 134 // तिराहं दुप्पडियारं समणाउसो ! तंजहा-अम्मापिउणो 1 भट्टिस्त 2 धम्मायरिस्स 3, संपातोऽवि य णं केइ पुरिसे अम्मापियरं सयपागसहस्सपागेहिं तिल्लेहिं अभंगेत्ता सुरभिणा गंधट्टएणं उव्वट्टित्ता तिहिं उदगेहिं मजावित्ता सव्वालंकारविभूमियं करेत्ता मणुन्नं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं भोयणं भोयावेत्ता जावजीवं पिट्ठिवडेंसियाए परिवहेजा, तेणावि तस्स अम्मापिउस्स दुप्पडियारं भवइ, अहे णं से तं अम्मापियरं केवलिपन्नते धम्मे श्राघवत्ता पनवित्ता परूवित्ता वित्ता भवति, तेणामेव तस्स अम्मापिउस्स सुप्पडितारं भवति समणाउसो ! 1 / केइ महच्चे दरिद्द समुक्कसेजा, तए णं से दरिद समुक्किठे समाणे पच्छा पुरं च णं विउलभोगसमितिसमन्नागते यावि विहरेजा, तए णं से महब्चे अन्नया कयाइ दरिहीहुए समाणे तस्स दरिदस्स अंतिए हमागच्छेजा, तए णं से दरिहे तस्स भट्टिस्स सव्वस्तमवि दलयमाणे तेणावि तत्स दुपडियारं भवति, अहे णं से तं भट्टि केवलिपन्नत्ते धम्मे श्राघवइत्ता पन्नवइत्ता परूवइत्ता ठावइत्ता भवति, तेणामेव तस्स भट्टिस्स सुप्पडियारं भवति / केति तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि थायरियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म कालमासे कालं किचा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, तए णं से Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : श्रुतम्कंधः 2 अध्ययनं 2 ] [ 261 देवे तं धम्मायरियं दुभिक्खातो वा देसातो सुभिक्खं देसं साहरेजा, कंतारायो वा णिकतारं करेजा, दीहकालिएणं वा रोगातकणं अभिभूतं ममाणं विमोए जा, तेणावि तस्स धम्मायरियस्स दुप्पडियारं भवति, अधे णं से तं धम्मायरियं केवलिपन्नत्तायो धम्मायो झट्ठं समाणं भुजोवि केवलिपन्नत्ते धम्मे यावयतित्ता जाव ठावतित्ता भवति, तेणामेव तस्स धम्मायरियस्स सुपडियारं भवति 3 ॥सू०. 135 // तिहिं ठाणेहिं संपराणे अणगारे अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं वीईवएजा, तंजहाअणिदाणयाए दिट्ठिसंपन्नयाए जोगवाहियाए ।।सू. 136 // तिविहा श्रोसप्पिणी पत्नत्ता तंजहा-उकोसा मज्भिमा जहन्ना 1 // एवं छप्पि समात्रो भाणियबायो, जाव दूममदूममा 7 तिविहा उस्तप्पिणी पन्नत्ता तंजहा उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना 8 / एवं छप्पि समायो भाणियव्वायो जाव सुममसुसमा 14 // सू० 137 // तिहिं ठाणेहि अच्छिन्ने पोग्गले चलेजा तंजहा-श्राहारिजमाणे वा पोग्गले चलेजा, विकुवमाणे वा पोग्गले चलेजा, ठाणातो वा ठाणं संकामिजमाणे पोग्गले चलेजा 1 / तिविहे उवधी पन्नत्ते तंजहा-कम्मोवही सरीरोवही बाहिरभंडमत्तोवही 2 / एवं असुरकुमाराणं भाणियव्वं 3 / एवं एगिदियनेरइयवज्जं जाव वेमाणियाणं 4 / श्रहवा तिविहे उबधी पन्नत्ते तंजहा-सचिने ग्रचित्ते मीसए, एवं णेरइयाणं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 5 / तिविहे परिग्गहे पन्नत्ते तंजहा-कम्मपरिग्गहे सरीरपरिग्गहे बाहिरभंडमत्तपरिग्गहे 6 / एवं असुरकुमाराणं 7 / एवं एगिदियनेरतियवज्जं जाव वेमाणियाणं / अहवा तिविहे परिग्गहे पन्नत्ते तंजहा-सचित्ते अचित्ते मी पए, एवं नेरतियाणं / निरंतरं जार वेमाणियाणं 10 ॥सू. 138 // तिविहे पणिहाणे पन्नते तंजहा-मणपणिहाणे वयपणिहाणे कायपणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं, तिविहे सुप्पणिहाणे पन्नत्ते तंजहा-मणसुप्पणिहाणे, वहसुप्पणिहाणे, काय Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 ) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः सुप्पणिहाणे, संजयमणुस्साणं तिविहे सुप्पणिहाणे पन्नत्ते तंजहा-मणसुप्पणिहाणे, वइसुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे, तिविहे दुप्पणिहाणे पनत्ते तंजहामणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणां ॥सू० 136 // तिविहा जोणि पनत्ता तंजहा-सीता उमिणा सीयो. सिणा 1 / एवं एगिदियाणं विगलिंदियाणं तेउकाइयवजाणं समुच्छिमपंचिं. दियतिरिक्खजोणियाणां समुच्छिममणुस्ताण य 2 / तिविहा जोणी पत्नत्ता तंजहा -सचिता अचित्ता मीसिया 3 / एवं एगिदियागां विगलियागं समुच्छिमपंबिंदियतिरिक्खजोणियाणां समुच्छिममणुस्साण य / निविधा जोणी पन्नता तंजहा--संवुडा वियडा संबुडवियडा 5 / तिविहा जोणी पन्नता तंजहा--कुम्मुन्नया संखावत्ता वंसीपत्तिया, कुः मुन्नया गां जोणी उत्तमपुरिसमाऊणां, कुमुन्नयाते गां जोणार 6 / तिविहा उत्तमपुरिसा गम्भं वकमंति, तनहा-परहंता चकवट्टी बलदेववासुदेवा 7 / संखावत्ता जोणी इत्थीरयणस्स, संखावत्ताए णं जोणीए बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउकमति चयंति उववज्जति नो चेव गां निफज्जंति, वसीपत्तिता गां जोणी पिहजणस्स, वंसीपत्तिताए गां जोणीर बहवे पिहजणे गव्सं वक्कमति 8 ॥सू० १४०॥तिविहा तणवणस्सइकाइया पन्नत्ता तंजहा-संखेजजीविता अमं. खेजजीविता अशांतजीविया ॥सू० 14 1 / / जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तयो तित्था पन्नता तंजहा--मागहे वरदामे पभासे 1 / एवं एरवएवि 2 / जंबुद्दीव दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवट्टिविजये ततो तित्था पन्नत्ता तंजहा-मागहे वरदामे पभासे 3 / एवं धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धेवि 6, पञ्चत्थिमद्धेवि 1, पुक्खरवरदीवद्धपुरच्छिमद्धेवि 12 पचत्थिमद्धेवि 15 ॥सु० 142 // जंपुद्दीवे 2 भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीते सुसमाए समाए तिन्नि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो हुत्था 1 / एवं श्रोसप्पिणीए नवरं पन्नत्ते 2 / श्रागमिस्साते उस्मपिणीए भविस्तति 3 / एवं धायइसंडे पुरच्छिमद्धे पन्चः Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्धयनं 3 ] [ 293 थिमद्धेवि / एवं पुक्खरवरदीवद्धपुरच्छिमद्धे पञ्चस्थिमद्धेवि कालो भाणि, यन्यो 15 / जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताते उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए मणुया तिरिण गाउयाई उद्धं उच्चत्तेणं तिनि पलि योवमाई परमाउं पालइत्था 1 / एवं इमीसे योसप्पिणीते 2 / श्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए 3 / जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिरिण गाउयाई उद्धं उच्चतेणं पत्नत्ता तिन्नि पलिग्रोवमाई परमाउं पालयंति / एवं जाव पुवखरवर, दीवद्धपञ्चत्थिमद्धे 20 / जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमंगाते योस. प्पिणिउस्सपिणीए तयो वंसायो उप्पजिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पजिस्संति वा तंजहा-अरहंतवसे चकवट्टिवसे दसारवंसे 21 / एवं जाव पुक्खरवरदीपद्धपचत्थिमढे 25 / जंबूदीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमेगाए श्रोसप्पिणीउस्मप्णिीए तो उत्तमपुरिसा उप्पजिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पजिस्मंति वा तंजहा-अरहंता चकवट्टी बलदेववासुदेवा 26 / एवं जाव पुवखरवरदीबद्भपञ्चत्थिमद्धे 30 / तयो यहाउयं पालयति तंजहा-अरहंता चकवट्टी बलदेववासुदेवा 31 / तयो मज्झिममाउयं पालयति तजहा-अरहंता चकवट्टी बलदेववासुदेवा 32 ॥सू. 143 // बायरतेउकाइयाणं उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाई ठिती पन्नता / बायरवाउकाइयाणं उक्कोसेणं तिनि वाससहस्साई ठिती पन्नत्ता ।।सू० 144 // ग्रह भंते ! सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं एतेसि णं धन्नाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउताणं श्रोलित्ताणं लित्ताणं लंछियाणं मुहियाणं पिहिताणं केवइयं कालं जोणि संचिट्ठति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण मंवच्छराई, तेणं परं जोणी पमिलायति, तेण परं जोणी पविद्धंसति, तेण परं जोणी विद्धंसति, तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदो पन्नत्तो ॥सू० 144 // दोचाए णं सकरप्पभाए पुढवीए णेरइयाणं उकोसेणं तिरिण सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता 1, तचाए णं वालुयप्पभाए पुढवीए Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः जहन्नेणं णेरइयाणं तिन्नि सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 2 ॥सू० 146 // पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिनि निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता, तिसु णं पुटवीसु णेरइयाणं उसिणवेयणा पनत्ता तंजहा-पढमाए दोबाए तचाए, तिसुणं पुढवीसु णेरड्या उमिणवेयणं पचणुभवमाणा विहरंति-पटमाए दोबाए तच्चाए ।सू. 147 // ततो लोगे समा सपक्खि सपडिदिसि पन्नत्ता तंजहा-अप्पइट्ठाणे णरए जंबुद्दावे दीवे सवट्ठसिद्धे महाविमाणे, तो लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पन्नत्ता तंजहा-सीमतए णं णरए समयक्खेत्ते ईसीफ्भारा पुढवी ॥सू. 148 // तत्रो समुद्दा पगईए उदगरसेणं पन्नत्ता तंजहा-कालोदे पुक्खरोदे सयंभुरमणे 3, तो समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइराणा पन्नत्ता तंजहा--लवणे कालोदे सयंभुरमणे ॥सू. 14 // तो लोगे णिस्सीला णिव्वता णिग्गुणा निम्मेरा णिप्पच्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए अप्पतिट्ठाणे णरए णेरइयत्ताए उववज्जति, तंजहा-रायाणो मंडलीया जे य महारंभा कोडुबी / तो लोए सुसीला सुव्वया सग्गुणा समेरा मपञ्चक्खाणपोसहोववामा, कालमासे कालं किचा सबट्टसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-रायाणो परिचत्तकामभोगा सेणावती पसत्थारो / सू० 150 // बंभलोगलंतएसु णं कम्येसु विमाणा तिवराणा पन्नत्ता तंजहा- किराहा नीला लोहिया, पाणयपाणयारणच्चुतेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जसरीरा उक्कोसेणं तिरिण रयणीयो उद्धं उच्चत्तेणं परणत्ता ।।सू० 151 // तयो पन्नत्तीयो कालेणं अहिज्जंति, तजहा-चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती ॥सू० 152 // तिट्ठाणस्स पढमो उद्दे सो समत्तो॥ इति निस्थानकस्य प्रथमोद्देशकः // 3-1 // Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मौमत्स्थानाङ्गस्त्रम् / अध्ययनं 3 ] ! / 295 . // अथ अध्ययनं 3 उद्देशकः 2. // तिविहे लोगे पन्नते तंजहा- णामलोगे ठवणलोगे दबलोगे है। तिविधे लोगे पन्नत्ते तंजहा-णाणलोगे दंसणलोगे चरित्तलोगे 2 / तिविहे लोगे पन्नत्ते तंजहा-उद्धलोगे श्रहोलोगे तिरियलोगे 3 ॥सू. 153 // मरस्स णं असुरिंदरस सुरकुमाररन्नो ततो परिसातो पन्नत्तायों तंजहारुमिता चंडा जाया, अभितरिता समिता मज्झिमता चंडा बाहिरता जाया 1 / चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो सामाणिताणं देवाणं तता परि. सातो पन्नत्तायो तंजहा-समिता जहेब चमरस्स 2 // एवं तायत्तीसगाणवि, लोगपालाणं तुबा तुडिया पवा, एवं अग्गमहिसीणवि, बलिस्सवि एवं चेव, जाव अग्गमहिसीणं 3 // धरणरस य सामाणियतायत्तीसगाणं च समिता चंडा जाता, लोगपालाणं अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा, जहा धरणस्त तहा सेसाणं भवणवासीणं 4 / कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरगणो तयो परिसायो पन्नत्ताबा तंजहा-ईसा तुडिया दढरहा 5 / एवं सामाणियअग्गमहिसोणं, एवं जाव गीयरतिगीयजसाणं 6 / चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो ततो परिसातो. पन्नत्तायो तंजहा-तुबा तुडिया पव्वा / एवं सामाणियअग्गमहिसीणं, एवं सूरस्सवि 8 सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो ततो परिसायो पन्नत्तायो तंजहा-समिता चंडा जाया / / एवं जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं; एवं जाव अच्चुतस्स लोमपालाणं 10 ॥सू० 154 // ततो जामा पत्रता तंजहां-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तिहिं जामेहिं श्राता केवलिपन्नतं धम्मं लभेज सवणताते-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिो जामे, एवं जाव केवलनाणं उम्पाइजा पढमे जामे मज्झिमे जामे पंच्छिमे. जामे / ततो वया पन्नत्ता- तजहा-पदमे वते मज्झिमे वते पच्छिमे वए, तिहिं वतेहि श्राया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए. Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 196 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागा तंजहा-पढमे वते मज्झिमे वते पच्छिमे वते, एसो चेव गमो णेयबो, जाव केवलनाणंति ॥सू० 155 // तिविधा बोधी पन्नत्ता तंजहा-णाणबोधी दंसणबोधी चरित्तबोधी 1 / तिविहा बुद्धा पन्नत्ता तंजहा--णाणबुद्धा दंसणबुद्धा चरित्तबुद्धा 2 / एवं मोहे 3 / मुदा 4 ॥सू० 156 // तिविहा पवजा पन्नत्ता तंजहा-इहलोगपडिबद्धा परलोगपडिबद्धा दुहतोपडिबद्धा 1 / तिविहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-पुरतो पडिबद्धा मग्गतो पडिबद्धा दुहश्रो पडिबद्धा 2 / तिविहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-तुयावइत्ता पुयावइत्ता बुग्रावइत्ता 3 / तिविहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-उवातपव्वज्जा अक्खातपव्वजा संगारपव्वजा ४॥सू० 157 // तो णियंठा णोसंगणोवउत्ता पन्नत्ता तंजहा-पुलाए णियठे सिणाए 1 // ततो णियंठा सन्नणोसंगणोवउत्ता पन्नत्ता तंजहा-बउसे पडिसेवणाकुसीले कसायकुसीले 2 ॥सू० 148 // तथो सेहभूमीयो पन्नत्तायो तंजहा-उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना, उकोसा छम्मासा, मन्भिमा चउमासा, जहन्ना सत्तराईदिया 2 / ततो थेरभूमीश्रो पन्नत्तायो तंजहा-जाइथेरे सुत्तथैरे परियायथेरे, सट्ठिवासजाए समणे णिग्गंथे जातिथेरे, गणंग(ठाण)समवायधरे णं समणे णिग्गंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए णं समणे णिग्गंथे परियायथेरे 3 ॥सू० 156 // ततो पूरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--सुमणे दुम्मणे णोसुमणेणोदुम्मणे 1 / ततो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गंता णामेगे सुमणे भवति, गंता णामेगे दुम्मणे भवति, गंता णामेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति / तयो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-जामातेगे सुमणे भवति, जामीतेगे दुम्मणे भवति, जामीतेगे णोसु. मणेणोदुम्मणे भवति 3 / एवं जाइस्मामीतेगे सुमणे भवति 3.4 // ततो पुरिसा जाया पन्नत्ता तंजहा--अगंता णामेगे सुमणे भवति 3-5 / ततो पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा- जामि एगे सुमणे भवति 3.6 / ततो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-ण जाइस्सामि एगे सुमणे भवति 3-7 / एवं ग्रागंता णामेगे सुमणे Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भौमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 3 ] [297 भाति 3-8 / एमितेगे सुमणे भवति 3 / एस्सामिति एगे सुमो भवति 3 एवं एएणं अभिलावेणं--'गंता य अगंता(य) 1 श्रागंता खलु तथा अणागंता 2 / चिट्ठित्तमचिट्टित्ता 3, णिसितिता चेव नो चेव 4 // 1 // हंता य अहंता य 5 निंदित्ता खलु तहा अछिदित्ता 6 / बूतित्ता अतित्ता 7 भासित्ता चेव णो चेव 8 // 2 // दचा य अदचा य 1 भुजित्ता खलु तथा अभुजित्ता 10 / लंभित्ता अलंभित्ता 11 पिइत्ता चेव नो चेव 12 // // 3 // सुतित्ता असुतित्ता 13 जुज्झित्ता खलु तहा अजुज्झित्ता 14 // जतित्ता अजयित्ता य 15 पराजिणित्ता य नो चेव 16 // 4 // सदा 17 रूवा 18 गंधा 11 रसा य 20 फासा 21 (2146=126+1=127) तहव ठाणा य। निस्सीलस्स गरहिता पसत्था पुण सीलवतस्स ॥५॥एवमिवकेक्के तिनि उ तिनि उ पालावगा भाणियव्वा, सह सुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति 3 एवं सुणेमीति 3 सुणिस्सामीति 3, एवं असुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति 3 न सुणेमीति 3 ण सुणिस्सामीति 3, एवं रूवाई गंधाई रसाई फासाई, एक्केक्के छ छ घालावगा भाणियवा 127 श्रालावगा भवति ॥सू० 160 // तत्रो ठाणा णिस्सीलस्स निव्वयस्स णिग्गुणस्स णिम्मेरस्स णिप्पञ्चक्खाणपोसहोववासस्स गरहिता भवंति तंजहा-अस्सि लोगे गरहिते भवइ उववाते गरहिए भवइ अायाती गरहिता भवति, ततो ठपणा सुसीलस्स सुव्वयस्स सगुणस्स सुमेरस्स सपञ्चक्खाणपोसहोववासस्स पसत्था भवंति, तंजहा-अस्ति लोगे पसत्थे भवति उववाए पसत्थे भवति श्राजाती पसत्था भवति ॥सू. 161 // तिविधा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा 1 / तिविहा सञ्चजीवा पत्नत्ता तंजहा-सम्महिट्ठी मिच्छा. दिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी य 2 / अहवा तिविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-पजतगा अपजतगा णोपजत्तगागोपजनगा 3 // एवं-सम्मदिद्विपरित्तापजत्तग सुहुमसनिभविया य ४॥सू० 162 // तिविधा लोगठिती पन्नत्ता तंजहा Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभाग श्रागासपइट्ठिए वाते वातपतिट्ठिए उदही उदहिपतिट्ठिया पुढवी, तयो दिसायो पन्नत्तायो तंजहा-उद्धा पहा तिरिया 1, तिहि दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, उड्डाए अहाते तिरियाते 2, एवं अागती 3 वक्कंती 4 पाहारे 5 वुट्ठी 6 णिवुड्डी 7 गतिपरियाते 8 समुग्घाते 1 कालसंजोगे 10 दंसणाभिगमे 11, णाणाभिगमे 12, जीवाभिगमे 13, तिहिं दिसाहिं जीवागां अजीवाभिगमे पत्रने तंजहा-उड्डाते अहाते तिरियाने 14, एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं मणुस्माणवि सू० 163 / / तिविहा तसा पन्नत्ता तंजहा-तेउकाइया वाउकाइया उराला तसा पाणा 1 / तिविधा थावरा पन्नत्ता तंजहा-पुटविकाझ्या ग्राउकाइया वणस्सइकाइया 2 ॥सू० 164 // ततो यच्छेजा पन्नत्ता तंजहा-समये पदसे परमाणू 1 / एवमभेजा 2 / घउमा 3 / अगिज्मा .4 ग्राड्डा 5 / अमझा 6 / अपएसा 7 / ततो थविभलिमा पन्नता तजहा- ममते पएसे परमाणू 8 ॥सू० 165 // अजोति समणे भगवं महावीरे गोर मादी समणे णिग्गंथे ग्रामंतेत्ता एवं क्यासी-किं. भया पागा ? समणाउमो ?, गोयमाती समणा णिग्गंथा समणं भगवं महातीरं उपसंकमति उपसंकमित्ता वंदंति नममंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-णो खलु वयं देवाणुप्पिया ! एएमळं जाणामो वा पासामो वा, तं जदि णं देवाणुपिया एयमन्ट जो गिलायंति परिकहित्तते तमिच्छामो णं देवाणुप्पियाणं यतिए एयमष्ठं जाणित्तए, अजोत्ति समणे भगवं महावीरे गोयमाती समणे निग्गथे यामतेत्ता एवं वयासी-दुक्खभय पाणा समणाउमो! / / से णं भंते। दुक्खे केण कडे ? जीवेणं कडे पमादेण 2 / से णं भंते ! दुक्खे कहं वेइजति ? अप्पमाएणं 3 ॥सू. 166 // अन्नउत्थिता णं भंते ! एवं धातिवखंति एवं भासंति एवं पनवेति एवं परुवंति कहन्नं समणाणं मिग्गंधाणं किरिया कन्जति ? तत्य जा मा कडा कजइ नो तं पुच्छति, तत्व जा सा कडा नो कनति, नो तं पुच्छति, तत्थ जा सा अकड़ा नो Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नता मिच्छा ते एवमाया जीवा सत्ता क्याडवखं अकजमाणकात से एवं भौमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 3 ] [ 299 कजति नो तं पुच्छंति, तत्थ जा सा अकडा कजति तं पुच्छंति, से एवं वत्तव्वं सिता-अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुवखं अकज्जमाणकडं दुक्खं श्रकटु अकटु पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेदेतित्ति वत्तव्वं, जे ते एव. माहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, ग्रहं पुण एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पनवेमि एवं परूवेमि-किच्चं दुखं फुरसं दुवखं कजमाणकडं दुक्खं कट्टु 2 पाणा भूया जीव। सता वेयणं वेयंतित्ति वत्तव्यं सिया ॥सू० 167 // तझ्यठाणस बोयो उसयो समत्तो // 3-2 // // इति त्रिस्थानकस्य द्वितीयोद्देशकः // 3-2 // // अथ अध्ययनं 3:: उद्देशकः 3 // तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु णो बालोतेजा णो पडिकमेजा णो गिदिजा णो गरहिजा णो विउटटेजा णो विसोहेजा णो अकरणाते श्रब्भुट्ठेजा णो अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जेज्जा, तंजहाअरिंसु वाहं करेमि वाहं करिस्सामि वाऽहं 1 / तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु णो बालोतेजा णो पडिकमिज्जा जाव णो पडिवज्जेजा अकित्ती वा मे सिता यवराणे वा मे सिया अविणते वा मे सिता 2 / तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु णो पालोएजा जाव नो पडिवज्जेज्जा तंजहा-कित्ती वा मे परिहातिस्सति जसो वा में परिहातिस्सति पूयासकारे वा मे परिहातिस्सति 3 / तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु श्रालाएजा पडिक्कमेजा जाव पडिवज्जेजा तंजहा-मायिस्स णं अस्सि लोगे गरहिते भवति उपवाए गरहिए भवति श्रायाती गरहिया भवति / तिहिं अणेहिं मायी मायं काटु बालोएजा जाव पडिवजेजा तंजहा–श्रमायिरस णं अस्मि लोगे पसत्थे भवति उववाते पसत्थे भवइ अायाई पसत्था भवति 5 / तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्टु बालोएजा जाव पडिवज्जेजा, Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागा तंजहा-णाणताते दंसट्ठयाते चरित्तट्ठयाते 6 ॥सू० 168 // ततो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-सुत्तधरे अत्थधरे तदुभयधरे ॥सू. 169 // कप्पति गिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा ततो वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तते वा, तंजहा-जंगिते भंगिते खोमिते 1 / कप्पइ णिग्गंधाण वा णिग्गंथीण वा ततो पायाइं धारितते वा परिहरित्तते वा, तंजहा-लाउयपादे वा दारुपादे वा मट्टियापाई वा 2 ॥सू० 170 // तिहिं ठाणेहिं वत्थं धरेजा, तंजहा-हिरिपतितं दुगुछापत्तियं परीसहवत्तियं ॥सू. 171 // तयो वायरक्खा पन्नत्ता तंजहा-धम्मियाते पडिचोषणाते पडिचोएता भवति तुसिणीतो वा सित्ता उद्वित्ता वा याताते एगंतमंतमवक्कमेजा णिग्गंथस्स णं गिलायमाणस्स कप्पंति ततो वियडदत्तीयो पडिग्गाहित्तते, तंजहा-उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना ॥सू० 172 // तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे साहम्मिय संभोगियं विसंभोगियं करेमाणे णातिकमति तंजहा-सतं वा दट्ठ, सट्टस्स वा निसम्म, तच्चं मोसं ग्राउदृति चउत्थं नो अाउट्टति ॥सू० 173 // तिविधा अणुन्ना पनत्ता तंजहाश्रायरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणिताते।तिविधा समणुन्ना पन्नत्ता तंजहा-बायरियत्ताने उवज्झायत्ताते गणिनाते, गवं वसंपया, एवं विजहणा।।सू० 174 // तिविहे क्यणे पन्नत्ते तंजहा-तब्वयणे तदनवयणे णोअवयणे 1 / तिविहे श्रवयणे पन्नते तंजहा-णोतवयणे णो तदन्नवयणे अवयणे 2 / तिविहे मणे पन्नत्ते तंजहा- तम्मणे तयन्त्रमणे णोत्रम्णे 3 / तिविहे अमणे पन्नत्ते तंजहा-णोतंमणे णोतयन्नमणे, श्रमणे 4 ॥सू० 17 // तिहिं ठाणेहिं अप्पयुट्टीकाते सिता, तंजहा-तस्सि च णं देसंसि वा पदेसंसि वा णो बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगत्ताते वक्कमंति विउक्कमति चयंति उपवज्जति, देवा णागा जक्खा भूता णो सम्ममाराहिता भवति, तत्थ समुट्ठियं उदगपोग्गलं परिणतं वासितुकामं अन्नं देसं साहरंति अब्भवहलगं चणं समुट्ठितं परिणतं वासितुकामं वाउकाए विधुणति, इच्चेतेहिं तिहिं Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 3 ] [ 301 ठाणेहिं अपवुट्टिगाते सिता 1 / तिहिं ठाणेहिं महावुट्टीकाते सिता, तंजहातंसि च णं देसंसि वा पतेसंसि वा बहवे उदगजोणिता जीवा य पोग्गला य उदगताते वक्कमंति विउक्कमति चयंति उववज्जंति, देवा जवखा नागा भूता सम्ममाराहिता भवंति, अन्नत्थ समुट्टितं उदगपोग्गलं परिणयं वासिउकामं तं दस साहरंति अभवदलगं च णं समुट्ठितं परिणयं वासितुकामं णो वाउश्रातो विधुणति, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं महाबुट्टिकाए सिया 2 ॥सू० 176 // तिहिं ठाणेहिं पहुणोववन्ने दवे दवलोगेसु इच्छेज माणुस्सं लोगं हब्वमागच्छित्तते, जो चेव णं संचातेति हव्वमागच्छित्तए, तंजहा-अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववन्ने से णं माणुस्सते कामभोगे णो अाढाति णो परियाणाति णो श्रळं बंधति णो णियाणं पगरेति णो ठिपक पकरेति, पहुणांववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववन्ने तस्स णं माणुस्सए पेम्मे वोच्छिराणे दिवे संकंते भाति, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते जाव अझोववन्ने तस्स णं एवं भवति-इयगिह न गच्छं मुहुत्तं गच्छं, तेणं कालेणम पाउया मणुस्मा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं पहुणोषवन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेजा माणुसं लोगं हबमागछित्तए णो चेव णं संवातेति हबमागच्छित्तते 1 / तिहिं ठाणेहिं देवे अहुणोववन्ने देवलोगेसु इच्छेजा माणूस लोगं हव्यमागच्छितए, संचातेइ हब्बमागच्छित्तते-पहुणोक्वन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगे अमुच्छिते अगिद्धे अगढिते श्रणभोरवन्ने तस्स णमेवं भवतिअत्थि णं मम माणुस्सते भवे पारितेति वा उवज्झातेति वा पबत्तीति वा थेरेति वा गणीति वा गणधरेति वा गणावच्छेदोते वा, जेसिं पभावेणं मते इमा एतारूवा दिव्वा देविड्डी दिव्वा देवजुती दिव्वे देगणुभावे लद्धे पत्ते श्रभिसमन्नागते तं गच्छामि णं ते भगवते वंदामि णमंसामि सकारेमि Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभायः सम्माणेमि कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासा.म, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेलु दिव्वे व कामभोगेसु अमुच्छिए जाव श्रणभोववन्ने तस्स णं एवं भवति-एस णं माणुस्सते भवे णाणीति वा तवस्तीति वा अतिदुक्करदुक्करकारगे तं गच्छामि णं भगवंतं वदामि णमंसामिजाव पज्जुवामामि, यहुणो. ववन्ने देवे देवलोगेसु जाव अणझोववन्ने. तत्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम माणुस्सते भवे माताति वा जाव सुराहाति वा तं गच्छामि णं तेसिमंतियं पाउम्भवामि पासंतु ता मे इमं एतारूवं दिव्वं देविडि दिव्वं देवत्तिं दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमन्नागयं, इचंतेहि तिहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेज माणूसं लोग हब्बमागच्छित्तते संचातेति हव्वमागच्छित्तते 2 ॥सू० 177 // ततो ठाणाई देवे पीहेजा तंजहा-माणुसं(सगं) भवं 1 बारिते खेत्ते जम्मं 2 सुकुलपञ्चायाति 3, 1 / तिहिं ठाणेहिं देवे परितप्पेजा, तंजहा-यहो णं मते संते वले संते वीरिए संते पुरिसकारपरकमे खेमंसि सुभिक्खंसि पायरियउक झातेहिं विजनाणेहिं कल्लसरीरेणं णो बहुते सुते यहीते 1, अहो णं मते इहलोगपडिबद्धेणं परलोगपरंमुहेणं विसयतिसितेणां णो दीहे सामन्नपरिताते श्रणुपालिते 2, अहो णं मते इडिटरससायगरुएणं भोमामिसगिद्धेणं णो विसुद्धे चरिते फासिते 3, इच्चेतेहिं ठाणेहिं देवे पत्तिप्पेजा 2 ॥सू. 178 / / तिहिं ठाणेहिं देवे चतिस्सामित्ति जाणाइ, तंजहा-विमाणाभरणाई णिप्पभाई पासित्ता कप्परुक्खगं मिलायमाणं पासित्ता अप्पणो तेयलेस्सं परिहायमाणिं जाणित्ता, 3 इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं चतिरसामित्ति जाणाइ 1 / तिहिं ठाणेहिं देवे उव्वेगमागच्छेजा, तंजहा-अहो णं मए इमातो एतारुवातो दिव्वातो देविडीयो दिव्वाश्री देवजुतीतो दिवायो देवाणुभावायो पत्तातो लद्धातो अभिसमराणागतातो चतियव्वं भविस्सति 1, अहो णं मते माउ. श्रोयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसट तप्पढमयाते श्राहारो थाहारेयव्वो भवि Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तंजहाईता वणवातपइष्टिमा / तिपतिहियातिता, सवतो मसा, तत्थ णं जे ते भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 303 स्मति 2, अहो णं मते कलमलजंबालाते असुतीते उब्वेयणिताते भीमाते गब्भवसहीते वसियव्वं भविस्मइ, इच्चेएहिं तिहिं गणेहिं वेदे उव्वेमागच्छेजा 3 ॥सू. 179 // तिमंठिया विमाणा पत्नत्ता तंजहा-बट्टा तंप्ता चरंसा 3, तत्थ णं जे ते वट्टा विमाणा ते णं पुक्खरकन्निया संगणसं ठता सवयो संमंता पागारपरिक्खित्ता एगदुवारा पन्नत्ता, तत्थ णं जे ते तंसा विमाणा ते णं सिंघाडगसंठाणसंठिता दुहतो पागारपरिक्खित्ता, एगतो वेतिता परिक्खित्ता तिदुवारा पन्नत्ता, तत्थ णं जे ते चउरंसविमाणा ते णं अक्खाडगसंठाणसंठिता, सवतो समंता वेतितापरिखित्ता, चउदुवारा पन्नता 1 / तिपतिट्ठिया विमाणा पनत्ता तंजहा-घणोदधिपतिट्ठिता घणवातपइट्ठिया पोवासंतरपइट्ठिता 2 / तिविधा विमाणा पन्नत्ता तंजहा-अवट्ठिता वेउबिता परिजाणिता 3 ॥सू. 180 // तिविधा नेरइया पन्नत्ता तंजहा-सम्मादिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, एवं विगलिंदियवज्जंजाव वेमाणियाणं 27 / ततो दुग्गतीतो पन्नत्तायो तंजहा-णेरइयदुग्गती तिरिक्खजोणीयदुग्गती मणुयदुग्गत्ती 1 // ततो सुगतीतो पन्नत्तानो तंजहासिद्धिसोगती देवसोगती मणुस्ससोगती 2 / ततो दुग्गता पन्नत्ता तंजहाणेरतितदुग्गता तिरिवखजोणितदुग्गया मणुस्सदुग्गता 3 / ततो सुगता पन्नत्ता तंजहा-सिद्धसोगता देवमोग्गता मणुस्ससुग्गता 4 ॥सू० 181 // चउत्थभत्तितस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तो पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-उस्सेतिमे संसेतिम चाउलधोक्णे 1 / छट्ठभत्तितम्स णं भिवखुस्स कप्पंति तो पाणगाई पडिगाहित्तए तंजहा-तिलोदए तुसोदए जवोदए 2 / अट्ठमभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति ततो पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-थायामते सोवीरते सुद्धवियडे 3 / तिविहे उवहडे पनत्ते तंजहा-फलियोवहडे सुद्धो. वहडे संसट्टोवहडे तिविहे उग्गहिते पन्नत्ते तंजहा-जंच योगिराहति जं च साहरति जं च त्रासगंसि पक्खिवति 5 / तिविधा श्रोमोयरिया पन्नत्ता तंजहा Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3..] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभाग उवगरणोमोयरिया भत्ताणोमोदरिता भावोमदोरिता६ / उवगरणोमोदरिता तिविहा पत्नत्ता तंजहा–एगे वत्थे एगे पाते चित्तोवहिसातिजणता 7/ ततो अणा णि गंथाण वा णिग्गंथीण वा अहियाते असुभाते अवखमाते अणिस्सेयसाए श्रणाणुगामियत्ताए भवंति, तंजहा-कूणता ककरणता श्रवज्माणता 8 / ततो गणा मिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा हिताते सुहाते खमाते णिस्सेयसाते थाणुगामियत्ताते भवंति, तंजहा-श्रकूअणता थककरणता श्रणवज्झाणया / ततो सल्ला पनत्ता तंजहा-मायासल्ले णियागासल्ले मिच्छादसणसल्ले 10 / तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलते. उलेस्से भवति, तंजहा-यायावणताते 1 खतिखमाते 2 अपाणगेणं तको कम्मेणं 3, 11 / तिमासितं णं भिखूपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स कप्पति ततो दत्तीयो भोगणस्स पडिगाहेत्तए ततो पाणगस्स 12 / एगरातियं भिक्खुपडिमं सम्मं अणणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे ततो ठाणा अहिताते असभाते श्रखमाते अणिस्सेयसाते अणाणुगामित्ताते भवंति, तंजहा-उम्मायं वा लभिजा 1 दीहकालीयं वा रोगायक पाउणेजा 2 केवलिपन्नत्तातो वा धम्मातो भंसेजा 3, 13 / एगरातियं भिक्खुपडिमं सम्मं श्रणुपालेमाणस्स श्रणगारस्स ततो ठाणा हिताते सुभाते खमाते गिस्सेसाते श्राणुगामितत्ताए भवंति, तंजहा-श्रोहिणाणे वा से समुप्पज्जेजा 1 मणपजवनाणे वा से समुष्पज्जेज्जा 2 केवलणाणे या से समुप्पज्जेजा 3, 14 ॥सू. 182 // जंबुद्दीवे 2 ततो कम्मभूमीयो पत्रतायो तंजहा-भरहे एरवते महाविदेहे, एवं धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धे जाव पुक्खरवरदीवट्टपञ्चत्थिमद्धे 5 ॥सू. 183 // तिविहे दंसणे पन्नत्ते तंजहा-सम्मंदसणे मिच्छदसणे सम्मामिच्छदंसणे 1 // तिविधा स्ती पन्नत्ता तंजहा--सम्मरुती मिच्छरुती सम्मामिच्छलई 2 / तिविधे पयोगे पन्नत्ते तंजहा--सम्मपश्रोगे मिच्छपयोगे सम्मामिच्छपनोगे 3 ॥सू. 18 // तिविहे ववसाए पन्नत्ते तंजहा-धम्मिते Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [3.. श्रीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] ववसाते अधम्मिए ववसाते धम्मियावम्मिए ववसाते हैं। श्रथवा तिविधे ववसाते, पन्नत्ते तंजहा--पञ्चक्खे पञ्चतिते पाणुगामिए 5 / अहवा तिविधे ववमाते पन्नत्ते तंजहा-इहलोइए परलोइए इहलोगितपरलो. गिते 6 / इहलोगिते ववसाते तिविहे पन्नते तंजहा-लोगिते वेतिते सामातेते 7) लोगिते ववसाते तिविधे पन्नत्ते तंजहा-अत्थे धम्मे कामे 8 / वेतिगे ववसाते तिविधे पन्नते तंजहा-रिउव्वदे जउव्वेदे सामवेदे 1 / सामइते ववसाते तिविधे पन्नत्ते तंजहा-णाणे दंसणे चरित्ते 10 / तिविधा प्रथमोणी पन्नत्ता तंजहा--सामे दंडे भेदे 11 ॥सू० 185 // तिविहा पोग्गला पन्नत्ता तंजहा-पयोगपरिणता मीसापरिणता वीससापरिणता, तिपतिट्ठिया गरगा पन्नत्ता तंजहा--पुढविपतिट्टिता श्रागासपतिट्टिता यायपट्टिया, णेगमसंगहनदहाराणं पुढविपट्टिया उज्जुसुतस्स भागासपतिट्ठिया तिराहं सदणताणं श्रायपतिट्ठिया // सू० 186 // तिविधे मिच्छत्ते पन्नत्ते तंजहा-किरिता अविणते अन्नाणे 1 / अकिरिया तिवेषा, पन्नता तंजहा-पयोगकिरिया समुदाणकिरिया अन्नाणकिरिया 2 / पयोगकिरिया तिविधा, पनत्त तंजहा-मणपयोगकिरिया वइपयोगकिस्थिा कायप योगकिरिया 3 / समुदाणकिरिया तिविधा पनत्ता तंजहा-- श्रणंतरसमुदाणकिरिया परंपरसमुदाणकिरिया तदुभयसमुदाणकिरिता 4 / अन्नाणकिरिता तिविधा पन्नत्ता तंजहा-मतिअन्नाणकिरिया सुतयन्नाणकिरिया विभंगअन्नाणकिरिया 5 / श्रविणते तिविहे पन्नत्ते तंजहा--देसचाती निरालंवणता नाणापेजदोसे ६।अन्नाणे तिविधे पन्नत्ते तंजहा-देसराणाणे सयराणाणे भावनाणे 7 ॥सू. 187 // तिविहे धम्मे पनत्ते तंजहा--सुयधम्मे चरित्तधम्मे अस्थिकायधम्मे 1 / तिविधे उवक्कमे पन्नत्ते तंजहा-धम्मिते उवकमे अधम्मिते उवक मे धम्मिताधग्मिते उक्कमे 2 / अहवा तिविधे उवकमे पन्नत्ते तंजहा-पात्रोक्कमे परोक्कमे तदुभयोवक्कमे 3 / एवं वेयावच्चे ४।श्रणुग्गहे / / Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 306 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः अणुमट्टी 6, उवालंभं 7, एवमेक्केके तिन्नि 2 पालावगा जहेव उवक्कमे ॥सू. १८८||तिविहा कहा, पन्नत्ता तंजहा-अत्थकहा धम्मकहा कामकहा 1 / तिविहे विणिच्छते पन्नत्ते तंजहा अत्थविणिच्छते धम्मविणिच्छते कामविणिच्छते 2 ॥सू० 186 // तहास्वं णं भंते ! समणं वा माहणं वा पज्जुबासमाणस्स किंफला पज्जुवासणता ?, सवणफला, से णं भंते ! सवणे किंफले ?, णाणफले, से णं भंते ! णाणे किंफले?, विराणाणफले, एवमेतेणं अभिलावेणं इमा गाधा अणुगंतव्वा--सवणे णाणे य विन्माणे पञ्चवखाणे य संजमे / अणराहते तवे चेव वोदाणे अकिरिय निव्वाणे // 1 // जाव से णं भंते ! अकिरिया किंफला ?, निव्वाणफला, से णं भंते ! निव्वाणे किंफले ?, सिद्धिगइगमणपजवसाणफले पन्नत्ते, समणाउसो ! ॥सू० 110 // // इति त्रिस्थानकस्य नृतीय उद्देशकः // 3-3 / / // अथ अध्ययनं 3 :: उद्देशकः 4 // पडिमापडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पंति तो उवस्तया पडिलेहितए तंजहा-अहे श्रागमणगिहंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे रुक्खमूलगिहंसि वा, एवमणुन्नवित्तते, उवातिणित्तत्ते 1 / पडिमापडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पति तश्रो संथारगा पडिलेहित्तते, तंजहा--पुढविसिला कमिला यहासंथडमेव, एवं अणुराणवित्तए 2 ॥सू० 111 // तिविहे काले पराणने तंजहा-तीए पडुप्पराणे अणागए 1 / तिविहे समए पन्नत्ते तंजहा-तीते पडुप्पन्ने अणागए 2 / एवं श्रावलिया थाणापाणू थोवे लवे मुहुने अहोरत्ते जाव वाससतमहस्से पुव्वंगे पुब्वे जाव श्रोसप्पिणी 3 // तिविधे पोग्गलपरियट्टे पन्नत्ते तंजहा तीते पडुप्पन्ने अणागते 4 ॥सू० 112 // तिविहे वयणे पन्नत्ते तंजहा-एगवयणे दुवयगे बहुवयणे 1 / अहवा तिविहे वयणे पन्नत्ते तंजहा-इत्थिवयणे पुवयणे नपुंसगवयणे 2 | अहवा Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंघः 2 अध्ययनं 3 ] [ 307 तिविहे वयणे पन्नत्ते तनहा--तीतवयणे पडुप्पन्नवयणे श्रणागयवयणे 3 // सू० 113 // तिविहा पन्नवणापन्नत्ता तंजहाणाणपन्नवणा दंसणपन्नवणा चरित्तपन्नवणा / तिविधे सम्मे पन्नत्ते तंजहा-नाणसम्मे दंसणसम्मे चरित्तसम्मे 2 / तिविधे उवघाते पन्नत्ते तंजहा--उग्गमोवघाते उप्यायणोवघाते एसणोवघाते 3 / एवं विसोही 4 ॥सू० 114 // तिविहा बाराहणा पत्नत्ता तंजहाणाणाराहणा दंसणाराहणा चरित्ताराहणा 5 / णाणाराहणा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-उकोसा मज्झिमा जहन्ना 6 / एवं दंमणाराहणावि७ चरिनाराहणावि 8 / तिविधे संकिलेसे पनत्ते तंजहा-नाणसंकिलेसे दंसणसंकिलेसे चरित्तसंकिलेसे 1 / एवं असंकिलेसेवि 10 / एवमतिकमेऽवि 11 / वइक्कमेवि 12 / अइयारेवि 13 // अणायारेवि 1 / तिराहमतिकमाणं बालोएजा पडिक्कमेजा निदिजा गरहिजा जाव पडिवजिजा, तंजहा-णाणातिकमस्स दमणातिकमस्स चरित्तातिकमस्म 15 // एवं वक्माणवि 16 / अतिवाराणं 16 / अणायाराणं 18 ॥सू. 115 // तिविघे पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहाबालोयणारिह पडिक्कमणारिह तदुभयारिहे 11 ॥सू. 166 // जंबूहीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणेणं ततो अकम्मभूमियो पन्नत्तायो तंजहा-हेम. यते हरिखासे देवकुरा 1 / जंबुद्दीवे 2 मंदरस्म पश्यस्म उत्तरेणं तयो अकम्मभूमियो पनत्तायो तंजहा-उत्तरकुरा रग्मगासे एरराणवए 2 / जंबू. मंदरस्त दाहिोणं ततो वासा पन्नत्ता तंजहा--भरहे हेमवए हरिवासे 3 // जबूमंदरम उत्तरेणं ततो वासा पन्नत्ता तंजहा-- रम्मगवासे हरन्नवते एखए 1 / जंबूमंदरदाहिगोणं ततो वामहरपव्यता पन्नत्ता तंजहा--चुल्लहिमवंते महाहिमवंने णिसढे 5 / जंबूमंदरउत्तरेणं तयो वासहरपन्नता पन्नत्ता तंजहागीलवंते रूपी सिहरी 6 / जंबूमंदरदाहिणेणं तयो महादहा पत्नत्ता तंजहाघउमदहं महापउमदहं तिगिकदह 7 तत्थ णं ततो देवतायो महिड्डियातो जाव पलि ग्रोवमद्वितीतायो परिवतंति तजहा--सिरी हिरी धिती 8 / एवं Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 308 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः उत्तरेणवि, णवर-केसरिदहे महापोंडरीयदहे पोंडरीयदहे हैं। देवतातो किनी बुद्धी लच्छी 10 / जंबूमंदरदाहिणेणं चुलहिमवंतातो वासधरपव्वतातो पउ. मदहाथो महादहातो ततो महाणतीयो पवहंति, तंजहा-गंगा सिधू रोहि सा 11 // जंबूमंदरउत्तरेणं सिहरीयो वासहरपब्धतातो पोंडरीयहहायो महादहायो तयो महानदीयो पवहंति, तंजहा-सुवन्नकूला रत्ता रत्तवती 12 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताए महाणतीते उत्तरेणं ततो अंतरणतीतो पन्नत्तायो तंजहा-गाहावती दहवती पंकवती 13 / जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महाणीत दाहिणेणं ततो अंतरणतीतो पन्नत्तायो तंजहा-तत्तजला मत्तजला उम्मर जला 14 / जंबूमंदरपञ्चरिथमेणं सीयोदाते महाणईए दाहिोणं तता अंतरणतीतो पत्नत्तायो तंजहा-खी(खा) रोदा सीतसोता अंतो. वाहिणी 15 / जंबूमंदरपचत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीए उत्तरेणं तयो अंतरणदीतो पन्नत्तायो तंजहा-उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिनी 16 / एवं धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धेवि अकम्मभूमीतो थाढवेत्ता जाव अंतरनदीश्रोत्ति णिरवसेसं भाणियन्वं, जाव पुक्खरवरदीवड्डपचत्थिमड्ढे तहेव निर. वसेसं भाणियव्वं 17 ॥सू. 197 // तिहिं गणेहिं देसे पुढवीए चलेजा, तंजहा-अथे णमिमीसे रयणप्पभाते पुढवीते उराला पोग्गला णिवतेजा, तंते णं ते उराला पोग्गला णिवतमाणा देसं पुढवीए चलेजा 1 / महोरते वा महीडीए जाव महेसक्खे इमीसे रयणप्पभाते पुढवीते अह उम्मजणिमजियं करेमाणे देसं पुढवीते चलेजा 2 / णागसुवन्ना(देवासुरा)ण वा संगामंसि वट्टमाणंसि देसं पुढवीते चलेजा 3 / इच्चंतेहिं तिहिं गोहिं देसे पुढवीए चलेजा 1 / तिहिं ठाणेहिं केवलकप्पा पुढवी चनेजा, तंजहा-श्रधे णं इमीसे रतणप्पभाते पुढवीते घणवाते गुप्पेज्जा, तए णं से घणवाते गुविते समाणे घणोदहिमेएजा, तए णं से घणोदही एइए समाणे केवलकप्पं पुढविं चालेजा, देवे वा महिहित जाव महेसक्खे तहास्वस्स. समणस्स Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 309 माहणस्स वा इंडिं जुतिं जसं बलं वीरितं पुरिसकारपरक्कम उवदंसेमाणे केवलकप्पं पुढवि चालिजा, देवासुरमंगामंसि वा वट्टमाणंसि केवलकप्पा पुढवी चनेजा, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं केवलकप्पा पुढवी चलेजा 2 ॥सू. 118 // तिविधा देवकिबिसिया पन्नता तंजहा-तिपलियोवमद्वितीता 1 / तिसागरोवमट्टितीता 2 / तेरससागरोवमट्टितीया 3--1 / कहि णं भंते ! तिमलितोवमद्वितीता देवकिदिबसिया परिवसंति ? उप्पिं जोइसियाणं हिटिं सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु एत्थ णं तिपलियोवमट्टितीया देवा किबि. सिया परिवसंति 2 / कहि णं भंते ! तिसागरोवमद्वितीता देवा किबिसिया परिवसंति ? उप्पिं सोहंमीसाणाणं कप्पाणं हेढेि सणंकुमारमाहिंदे कप्ये एत्थ णं तिसागरोवमद्वितीया देवकिबिसिया परिव. संति 3 / कहि णं भंते / तेरससागरोवमद्वितीया देवकिब्जिसिता परिवसति ? उप्पिं भलोगस्स कप्पस्स हिट्टि लंतगे कप्पे एत्थ णं तेरससागरोवमद्वितीता देवकिदिवसिया परिवसंति 4 ॥सू० 116 // सक्कस्स णं देविंदस्स देवरगणो बाहिरपरिसाते देवाणं तिनि पलिश्रोवमाई ठिई पन्नत्ता 1 / सकस्स णं देविंदरस देवरन्नो अभितरपरिसाते देवीणं तिनि पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता 2 / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो बाहिरपरिसाते देवीणं तिनि पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता 3 ॥सू० 200 // तिविह पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहा--णाणपायच्छित्ते दंमणपायच्छिते चरित्तपायच्छित्ते। ततो थणुग्यातिमा पन्नत्ता तंजहाहत्यकामं करेमाणे मेहुणं (परि)सेवेमाणे राईभोयणं (परि)भुजमाणे 2 / तो पारंचिता पन्नत्ता तंजहा-दुट्ठपारंचिते पमत्तपारंचिते अन्नमन्नं करेमाणे पारंचिते 3 // ततो श्रणवठ्ठप्पा पन्नत्ता तंजहा-साहमियाणं ते करे. माणे, अन्नधम्मियाणं तेणं करेमाणे, 4 हत्थातालं दलयमाणे (अस्थायाणं दलमाणे हत्थालंबं दलमाणे) 4 // सू० 201 // ततो णो कप्पंति पवावेत्तए, तंजहा-पंडए वातिते (वाहिये) कीवे. 1 / एवं. मुंगवित्तए Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः 2 / सिक्खावित्तए 3 / उवट्ठावित्तए 4 / संभुजित्तते 5 / संवासित्तते 6 ॥सू० 202 // ततो अवायणिजा पन्नत्ता तंजहा-अविणीए विगतीपडिवद्धे अविश्रोसितपाहुडे 1 / तयो कप्पंति वातित्तते, तंजहाविणीए अविगतीपडिबद्धे विउसियपाहुडे 2 / तयो दुसन्नप्पा पन्नत्ता तंजहा-दुठे मूढे वुग्गाहिते 3 / तयो सुसन्नप्पा पन्नत्ता तंजहा-यदुट्ठे श्रमूढे अबुग्गाहिते 4 ॥सू० 203 / / ततो मडलिया पव्वत्ता पन्नत्ता तंजहामाणुसुत्तरे कुंडलवरे रुअगवरे ॥सू० 204 // ततो महतिमहालया पन्नत्ता तंजहा-जंबुद्दीवे मंदरे मंदरेसु, सयंभुरमणे समुद्दे समुद्दे सु, बंभलोए कप्पे कप्पेसु ॥सू० 205 / / तिविधा कप्पठिती पत्नत्ता तंजहा--सामाइयकप्पठिती छेदोवद्यावणियकप्पट्टिती निविसमाणकप्पट्टिती 1 / ग्रहवा तिविहा कप्पद्विती पन्नत्ता तंजहा-णिबिट्ठकप्पट्टिती जिणकप्पठिती थेरकप्पठिती 2 // 206 // नेरइयाणं ततो सरीरगा पनता तंजहा-वेउन्विते तेपए कम्मए 1 / असुरकुमाराणं ततो सरीरगा पन्नत्ता तंजहा--एवं चेव 2 / एवं सव्वेसिं देवाणं 3 / पुढविकाइयाणं ततो सरीरगा पन्नत्ता तंजहाथोरालिते तेयए कम्मते 4 / एवं वाउकाइयवज्जाणं जावं चरिंदियाणं 5 // सू० 207 // गुरुं पडुन ततो पडिणीता पन्नत्ता तंजहापायरियपडिणीते उवज्झायपडिणीते थेरपडिणीते 1 / गतिं पडुच्च ततो पडिणीया पन्नत्ता तंजहा-इहलोगपडिणीए परलोगपडिणीए दुहयो(उभयो) लोगपडिणीए 2 / समूहं पडुच्च ततो पडिणीता पन्नत्ता तंजहा-कुलपडि. णीए गणपडिणीए संघाडिणीते 3 / अणुकंपं पडुच्च ततो पडिणीया पन्नत्ता तंजहा-तवस्सिपडिणीए गिलागापरिणीए सेहपडिणीए 4 / भावं पडुच्च ततो पडिणीता पन्नत्ता तंजहा-णाणपडिणीए दसणपडिणीए चरि. तपडिणीए 5 / सुयं पडुच्च ततो पडिणीता पन्नत्ता तंजहा-सुत्तपडिणीते अत्यपडिणीते तदुभयपडिणीए 6 ॥सू० 208 // ततो पितियंगा पन्नत्ता Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् श्रुतम्बंधः 2 अध्ययनं 3] [ 311 तंजहा-अट्ठी अट्ठिमिजा केसंमंसुरोमनहे (नहरोमे) 1 / तयो माउयंगा पन्नत्ता तंजहा-मंसे सोणिते मत्थुलिंगे 2 ॥सू० 201 // तिहिं ठाणाहिं समणे णिग्गगंथे महानिजरे महापजवसाणे भवति, तंजहा-कया णं यह अप्पं वा बहुयं वा सुयं श्रहिजिस्सामि ? कया णमहमेकलविहारपडिमं उवसंजिता णं विहरिस्सामि ? कया णमहमपच्छिममारणंतितसंलेहणाभूसणाझूसिते भत्ताणपडियाइक्खिते पायोवगते कालं अणवकंखमाणे विहरिस्सामि,? एवं स मणसा स वयसा स कायसा पहारेमाणे (पागडेमाणे) निग्गंथे महानिजरे महापजवसाणे भवति 1 / तिहिं ठाणेहिं समणोवासते महानिजरे महापजवसाणे भवति, तंजहा-कया णमहमप्पं वा बहुयं वा परिग्गह परिचइस्सामि ? 1 कया णं अहं मुडे भवित्ता श्रागारातो अणगारितं पव्वइस्सामि ? 2 कया णं अहं अपच्छिममारणंतियसंलेहणाझूमणाझसिते भत्तपाणपडियातिक्खते पायोवगते कालं श्रणवकंखमाणे विहरिस्सामि ? 3, एवं स मणसा स वयसा स कायमा पागडेमाणे [जागरमाणे] समणोवासते महानिजरे महापजवसाणे भवति 2 ॥सू० 210 // तिविह पोग्गलपडि. घाते पन्नत्ते तंजहा- परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलं पप्प पडिहन्निज्जा लुक्खत्ताते वा पडिहरिणजा लोगते वा पडिहनिजा।सू. 211 // तिविह चक्खू पन्नत्ता तंजहा-एगचवखु बिचवखु तिच्वखु , उमाथे णं मणुस्से एगचक्यू , देवे विचक्खू तहारूवे समणे वा माहणे वा उप्पन्ननाणदसणधरे से णं तिक्खूत्ति वत्तव्वं मिता / सू० 212 // निविधे अभिसमागमे पन्नत्ते तंजहा--उड्ढे अहं तिरियं, जया णं तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अति. सेसे नाणदसणे समुप्पजति से णं तप्पढमताते उडमभिसमेति ततो तिरित ततो पच्छा अहे, अहोलोगे णं दुरभिगमे पन्नते समणाउमो !॥सू०२१३॥ तिविधा इड्डी पन्नत्ता तंजहा-देविड्डी राइटी गणिड्डी 1 / देविट्ठी तिविहा पन्नत्ता तंजहा-विमाणिड्डी विगुवणिष्टी परियारणिड्डी 2 / अहवा देविड्डी Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 312 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभाग तिविहा पन्नत्ता तंजहा-सचित्ता अचित्ता मीसिता 3 / राइड्डी तिविधा पन्नत्ता तंजहा-रन्नो अतियाणिड्डी रन्नो निजाणिड्डी रगणो बलवाहणकोसकोटागारिड्डी 4 / ग्रहवा रातिडी तिविहा पन्नत्ता तंजहा--सचित्ता अचित्ता मीसिता 5 / गणिड्डी तिविहा पन्नत्ता जहा-णाणिडदी दंसणिडढी चरित्तिड्ढी 6 / अहवा गणिड्ढी तिविहा पन्नत्ता तंजहा--सचित्ता अचित्ता मीसिया 7 ॥सू० 214 // ततो गारवा पन्नत्ता तंजहा-इड्ढीगारवे रसगारवे सातागारवे ॥सू० 215 // तिविधे करणे पन्नते तंजहा-धम्मिते करणे अधम्मिए करणे धम्मिताधम्मिए करणे ॥सू० 216 // तिविहे भावता धम्मे पन्नते तंजहा-सुत्रः धिज्झिते सुज्झातिते सुतवस्सिते, जया सुअधिज्झितं भवति तदा सुज्झातियं भवति जया सुभातिय भवति तदा सुतवस्सियं भवति, से सुअधिज्झितिसुज्झातिते सुतवस्सिते सुतक्खाते णं भगवता धम्मे पराणत्ते ॥सू० 217 // तिविधा वावत्ती पन्नत्ता तंजहा-जाणू अजाणू वितिगिच्छा, एवमझोववजणा परियावजणा ॥सू० 218 // तिविधे अंते पन्नत्ते तंजहा-लोगते वेयंते समयंते ॥सू० 211 // ततो जिणा पनत्ता तंजहा-योहिणाणजिणे मणपजवणाणजिणे केवलणाणजिणे 1 / ततो केवली पन्नत्ता तंजहा-योहिनाणकेवली मणपन्जवनाणकेवली केवलनाणकेवली 2 / तो अरहा पन्नत्ता तंजहाश्रोहिनाणपरहा मणपजवनाणपरहा केवलनागाअरहा 3 ॥सू. 220 // ततो लेसायो दुब्भिगंधायो पत्नत्तायो तंजहा-कराहलेसा णीललेसा काउलेसा 1 / तो लेसायो सुब्भिगंधातो पन्नत्तायो तंजहा-तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा 2 / एवं दोग्गतिगामिणीयो 3 / सोगतिगामिणीयो 4 / संकिलिट्ठायो 5 / संकिलिट्ठायो 6 / अमणुनायो 7) मणुनायो / अविसुद्धायो / विसुद्धायो 10 अप्पसत्थायो 11 / पसत्थायो 12 / सीतलुक्खायो 13 / णिद्धराहायो 14 ॥सू० 221 // तिविहे मरणे पन्नत्ते तंजहा-बालमरण पंडियमरणे बालपंडियमरणे // बालमरणे तिविहे पन्नत्ते तंजहा-ठितलेसे Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 313 संकिलिट्ठलेसे पंजवजातलेसे 2 / पंडियमरणे तिविहे पन्नने तंजहा-ठितलेसे असंकिलिट्ठलेसे पजवजातलेसे 3 / बालपंडितमरणे तिविधे पनत्ते तंजहाठितलेस्से असकिलिट्टलेसे अपजवजातलेसे 4 ॥सू. 222 // ततो ठाणा श्रव्ववसितस्स अहिताते असुभाते अखमाते अणिम्सेसाते अणाणुगामियत्ताते भवंति, तंजहा--से णं मुडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते णिग्गंथे पावयणे संकिते कखिते वितिगिच्छिते भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने निग्गंथं पावयणं णो सदहति णो पत्तियति णो रोएति तं परिस्सहा अभिजु जिय 2 अभिभवंति, णो से परिस्सहे अभिजुजिय 2 अभिभवइ 1 / से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारितं पव्वतिते पंचहिं महन्धएहिं संकिते जाव कलुससमावन्ने पंच महब्बताई नो सद्दहति जाव णो से परिस्सहे अभिजुजिय 2 अभिभवति 2 / से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते छहिं जीवनिकाएहिं जाव अभिभवइ 3.1 / ततो ठाणा ववसियस्स हिताते जाव बागु गामितत्ताते भवंति, तंजहा-से णं मुडे भवित्ता अगारातो श्रणगारियं पवतिते णिग्गंथे पावयणं णिम्संकित णिवकसिते. जाव नो कलुससमावन्ने णिग्गंथं पावयणं सद्दहति पत्तियति रोतेति से परिस्सहे अभिजिय 2 अभिभवति, नो तं परिस्सहा अभिजु जिय 2 अभिभवंति 1 / से गणं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते समाणे पंचहिं महव्वएहिं णिस्संकिए णिक्कंखीए जाव परिस्सहे अभिजुजिय 2 अभिभवइ, नो तं. परिरसहा अभिजु जिय 2 अभिभवंति 2 / से णं मुडे भवित्ता अगाराश्रो अणगारियं पव्वइए छहिं जीवनिकाएहिं णिसंकिते जाव परिस्सहे अभिजु जिय 2 श्रभिभवति, नो तं परिस्सहा अभिजु जित्र 2 अभिभवंति 3.2 ॥सू० 223 // एममेगा णं पुढवी तिहिं वलएहिं सवो समंता संपरिक्खित्ता, तंजहा-घणोदधिवलएणं घणवातवलएर्ण तणुवायवलतेणं ॥सू० 224|| णेरड्या णं उकोसेणं तिसमतितेणं विग्गहेणं उव Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 314 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः वज्जंति, एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं ॥सू० 225 // खीण.मोहस्स णं अरहयो ततो कम्मंसा जुगवं खिजंति, तंजहा-नाणावरणिज्ज दंसणावर. णिज्ज अंतरातियं ।।सू० 226 // यभितीणक्खत्ते तितारे पन्नत्ते 1 एवं सवणो 2 अस्मिणी 3 भरणी 4 मगसिरे 5 पूसे 6 जेट्ठा 7 ॥सू० 227|| धम्मातो णं अरहायो संति अरहा तिहिं सागरोवमेहिं तिचउन्भागपलियोवमऊणएहिं वीतिक्कतेहिं समुप्पन्ने ।सू० 228 // समणस्म णं भगवत्रो महावीरस्म जाव तच्चायो पुरिसजुगायो जुगंतकरभूमि 1 / मल्ली णं अरहा तिहिं पुरिससएहि सद्धिं मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते / एवं पासेवि 3 ॥सू. 221 // समणस्स एं भगवतो महावीरस्स तिनि सया चउद्दसपुवीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवातीणं जिण इव अवितहवागरमाणाणं उकोसिया चउद्दमपुविसंपया हुत्था ॥सू० 230 // तयो तित्थयरा चकवट्टी होत्था तंजहा-संती कुंथू अरो सू० 231 // ततो गेविजविमाणपत्थडा पन्नत्ता तंजहा-हिडिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमगविजबिमाणपत्थडे उपरिमगेविजविमाणपत्थडे 1 / हिट्ठिमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे पन्नत्ते तंजहा-हेटिम 2 गेविजविमाणपत्थडे हेटिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे हेट्ठिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे 2 / मज्झिमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे पनत्ते तंजहा-मज्मिमहेट्ठिमगेवेजविमाणपत्थडे मभिम२ गेविज. विमाणपत्थडे मज्झिमउवरिमगेविजविमानपत्थडे 3 / उवरिमगेविजविमाग:पत्थडे तिविहे पन्नत्ते तंजहा-उवरिमहेट्ठिमगेविजविमानपत्थडे उवरिममभिः मगेविजविमानपत्थडे उवरिम 2 गेविजविमाणपत्थडे ॥सू. 232 // जीवाणं तिहाणिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा चिणिति वा चिणिस्संति वा, तंजहा-इस्थिणिव्वत्तिते पुरिसनिव्वत्तिए णपुंसगनिव्वत्तिते, एवं चिणाउवचिणबंधउदीरवेद तह णिज्जरा चेव ॥सू. 233 // तिपतेसिता खंधा Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भौमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 315 श्रणंता पगणत्ता, एवं जाव तिगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पन्नत्ता ॥सू० 234 // तिट्ठावं समत्त ततिय अज्माण समत। इति त्रिस्थानकस्य चतुर्थ उद्देशकः 3-4 // इति तृतीयं त्रिस्थानाध्ययनम् // 3 // // अथ चतुःस्थानकाख्यं चतुर्थमध्ययनम् // चत्तारि अंतकिरियातो पन्नत्तायो तंजहा-तत्थ खलु पढमा इमा अंतकिरिया-अप्पकम्मपञ्चायाते यावि भवति, से णं मुंडे भवित्ता अगारातो श्रणगारियं पव्वतिते संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले लूहे तीरट्ठी उवहाणवं दुक्खक्खये तवस्सी तस्स णं णो तहप्पगारे तवे भवति णो तहप्पगारा वेयणा भवति तहपगारे पुरिसज्जाते दीहेणं परितातेणं सिझति बुज्झति मुच्चति परिणिवाति सव्वदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से भरहे राया चाउरंतवकवट्टी, पढमा अंत करिया 1, ग्रहावरा दोचा अंतकिरिया, महाकम्मे पचाजाते यावि भवति, से णं मुडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वतिते, संजमबहुले संवरबहुले जाव उवहाणवं दुक्खक्खवे तवस्सी, तस्स णं तहप्पगारे तो भवति तहप्पगारा वेयणा भवति, तहप्पगारे पुरिसजाते निरुद्धेणं परितातेणं सिझति जाव अंतं करेति जहा से गतसूमाले श्रणगारे, दोबा अंतकिरिया 2, ग्रहावरा तना अंतकिरिया, महाकम्मे पचायाते यावि भवति, से णं मुडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते, जहा दोचा, नवरं दीहेणं परितातेणं सिज्झति जाव सम्बदुक्खाणमंतं करेति, जहा से सगांकुमारे राया चाउरंतवकपट्टी, तचा अंतकिरिया 3, श्रहावरा चउत्था अंतकिरिया अप्पकम्मपञ्चायाते यावि भवति, से णं मुडे भवित्ता जाव पब्वतिते संजमबहुले जाव तस्स णं णो तहपगारे तवे भवति णो तहप्पगारा वेयणा भवति, तहप्पगारे पुरिसजाए णिरुद्धणं परितातेण सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेति, जहा सा मरुदेवा भगवती, उत्था अंतकिरिया 4 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 316 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः ॥सू० 235 // चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नए नामेगे उन्नए 1 उन्नते नाममेगे पणते 2 पणते नाममेगे उन्नते 3 पणते नाममेगे पणते '4, 1 / एवामेक चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नामेगे. उन्नते, तहेव जाव पणते नामेगे पणते 2 / चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नाममेगे उन्नतपरिणए 1 उराणए नाममेगे पणतपरिणते 2 पणते णाममेगे उन्नतपरिणते 3 पणए नाममेगे पणयपरिणए 4, 3 / एवमेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--उन्नते नाममेगे उन्नयपरिणते. चउभंगो (चत्तारि भंगा) 4, 4 / चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नामेगे उन्नतरूवे, तहेव चउभंगो 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उन्नए नामेगे उन्नतरूवे, तहेव चउभंगो 4, 6 / चतारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नाममेगे उन्नतमणे तहेव चउभंगो 4, 7 / एवं संकप्पे 8 / पन्ने 1 / दिट्ठा 10 सीलायारे (सीले अायारे) 11 / ववहारे 12 / परकमे 13 // एगे पुरिसजाए पडिवक्खो नत्थि / चत्तारि रुक्खा पन्नता तंजहा--उज्जूनाममेगे उज्जू , उजू नाममेगे वंके, चउभंगो 4, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहाउज्जूनाममेगे 4, 2 / एवं जहा उन्नतपणतेहिं गमो तहा उज्जूवंकेहिवि भागियव्वो, जाव परक्कमे 26 ॥सू० 236 // पडिमापडिवनस्स णमणगारस्त कप्पंति चत्तारि भासातो भासित्तए, तंजहा-जायणी पुच्छणी अणुन्नवणी पुटुस्स वागरणी ॥सू० 237 // चत्तारि भासाजाता पन्नत्ता तंजहा--सच्चमेगं भासजायं, बीयं मोसं, तइयं सचमोसं, चउत्थं असच्चमोसं ।।मू० 238|| चित्तारि वत्था पन्नत्ता तंजहा-सुद्धे णामं एगे सुद्धे 1 सुद्धे णामं एगे असुद्धे 2. असुद्धे णामं एगे सुद्धे 3 असुद्धे णामं एगे असुद्धे 4, 1 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-सुद्धे णाम एगे सुद्धे, चउभंगो 4-2) एवं परिणतरूवे वरथा सपडिवक्खा, चत्तारि पुरिसजाता पत्नत्ता तंजहा-सुद्धे णाम एगे सुद्धमणे, चउभंगो 4, एवं संकप्पे जाव परकम् ॥सू० 236 // Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्याधः 2 अध्ययनं 4 ] चत्तारि सुता पनत्ता तंजहा--अतिजाते अणुजाते अवजाते कुलिंगाले खू० 1240 // चत्तारि पुरिसजाता पन्नता तंजहा-मच्चे नामं एगे सच्चे, सच्चे नामं एगे असच्चे 4, 1 // एवं परिणते जाव परक्कमे 2 / चत्तारि वत्था पनत्ता तंजहा-सुतीनाम एगे सुती, सुईनामं एगे असुई, चउभंगो 4, 3 / एवामेव चत्तारि पुरिसंजाता पन्नत्ता तंजहा-सुती णामं एगे सुती, चउभंगो, 4 // एवं जहेव सुन्द्रेणं (सुइणा) वत्थेणं भणितं तहेव सुतिणावि जाव परक्कमे 5 ॥सू० 241 // चत्तारि कोरवा पन्नत्ता तंजहा-अंबपलंबकोरवे तालपलबकोरखे वल्लिपलंवकोरवे मेंदविसाणकोरवे 1 / एवामेव. चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-पंचपलरकोरवसमाणे तालपलंगकोरवसमाणे वल्लिपलंबकोरवसमाणे मेंढविसाणकोरवसमाणे 2 ॥सू. 242 // चत्तारि घुणा पत्नत्ता तंजहातयक्खाते छल्लिक्खाते कट्टक्खाते सारक्खाते 1 / एवामेव चत्तारि भिक्खागा पन्नत्ता तंजहा-तयवसायसमाणे जाव सारक्खायसमाणे, तयक्खातसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खातसमाणे तवे पराणते, सारक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स तयक्खातसमाणे तवे पन्नत्ते, छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कठुक्खायसमाणे तवे पराणत्ते, कठुक्खायसमाणस्स णं भिक्खागरस छल्लिवखायसमाणे तवे पराणत्ते 2 ॥सू० 243 // चउबिहा तणवणस्सतिकातिता पन्नत्ता जहा-अग्गवीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया 1 ॥सू० 244 // चरहिं ठाणेहिं अहुणोववरणे णेरइए णेरइय लोगंसि इच्छेजा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते, णो चेव णं संचातेइ हव्वमागच्छित्तते, श्रहुणोववराणे नेरइए णिरयलोगंसि समुन्भूयं (सम्मूहभूयं, समहब्भूय) वेयणं वेयनाणे इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तते णो चेव णं संचातेति हव्वमागच्छित्तते 1, अहुणोववन्ने णेरइए निरतलोगसि णिस्यपालेहि भुजो 2 अहिट्ठिजमाणे इच्छेजा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तते, णो चेव णं संचातेति हव्वमागच्छित्तते 2, अहुणोववन्ने णेरइए णिरतवेयणिज्जसि Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 218] [श्रीमदागमसुधाखिनः प्रथमो विभाग कम्मसि अक्खीणंसि अवेतितंसि अणिजिन्नंसि इच्छेज्जा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तते, नो चेव णं संचाएइ 3, एवं णिरयाउअंसि कम्मंसि अक्खीपंसि जाव णो चेव णं संचातेति हव्यमागच्छित्तते 4, इच्चेतेहिं चउहिं गणेहिं बहुणोववन्ने नेरतिते जाव नो चेव णं संचातेति हब्वमागच्छित्तए ॥सू० 245 // कप्पंति णिग्गथीणं चत्तारि संघाडीयो धारित्तए वा परिहरितते वा, तंजहा-एगं दुहत्थवित्थारं, दो तिहत्थवित्थारा एगं चउहत्यवित्थारं ॥सू० 246 // चत्तारि माणा पन्नत्ता तंजहा--अट्टे झाणे रोद्दे झाणे धम्मे माणे सुक्के झाणे 1 / अट्टे झाणे चउबिहे पनत्ते तंजहा--(स)मणुन्नसंपयोगसंपउते तस्स विप्पयोगसतिसमराणागते यावि भवति 1, मणुन्नसंपश्रोगसंपउत्ते तस्स अविप्पयोगसतिसमराणागते यावि भवति 2, पायंकसंपश्रोगमपउत्ते तस्स विप्पयोगसतिसमरणागए यावि भवति 3, परिजुसितकामभोगसंपयोगसंपउत्ते तस्स अविष्पयोगसतिसमराणागते यावि भवइ 4, 2 / श्रट्ठस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पन्नत्ता तंजहा- कंदणता सोतणता तिप्पणता परिदेवणता 3 / रोद्दे झाणे चउविहे पन्नत्ते तंजहा-हिंसाणुबंधि मोसाणुबंधि तेणाणुबंधि मारक्खाणुबंधि 4 / रुइस्स णं झाणस्म चत्तारि लक्खणा पन्नत्ता तंजहा-योसराणदोसे बहुदोसे अन्नाण(नाणाविह) दोसे श्रामरणंतदोसे 5 / धम्मे झागो चउबिहे चउप्पयावयारे (चरप्पडोयारे) पन्नत्ता तंजहा-याणाविजते अवायविजते विवागविजते मंगणविजते 6 / धम्मस्स णं माणस्स चत्तारि लवखणा पन्नत्ता तंजहा-याणारूई णिसग्गरूई सुत्तरूई योगाढस्ती 7 / धम्मत्स णं झाणस्स पत्तारि बालंबणा पन्नत्ता तंजहा-वायणा पडिपुच्छणा परियट्टणा अणुप्पेहा 8 / धम्मस्म णं माणस्स चत्तारि अणुप्पेहायो पन्नत्तात्रो तंजहा-एगाणुप्पेहा अणिचाणुप्पेहा असरणाणुप्पेहा संसाराणुप्पेहा / सुक्के झाणे चविहे चउप्पडोबारे पन्नत्ते तंजहा-पुहुत्तवितक्के सवियारि 1, एगत्तवितक्के अवियारि 2, सुहु Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 4 ] . . मकिरिते अणियट्टी 3, समुच्छिन्नकिरिए अप्पडिवाती 4, 10 / सुक्कस्स णं माणस्म चत्तारि लक्खणा पत्नत्ता तंजहा-अवहे असम्माह विवेगे विउस्सग्गे 11 / सुकस्म णं माणस्स चत्तारि श्रालंबणा पनत्ता तंजहा-खंती मुत्ती महवे अजवे 12 / सुकस्स णं माणस्स चत्तारि अणुप्पेहायो पन्नत्तायो तंजहा--अणंतवत्तियाणुप्पेहा विप्परिणामाणुप्पेहा असुभाणुप्पेहा अआयाणुपहा 13 ॥सू. 247|| चउबिहा देवाण ठिती पन्नता तंजहा--देवे णाममेगे 1 देवसिणाते नाममेगे 2 देवपुरोहिते नाममेगे 3 देवपजलो नाममेगे 1, 1 / चविधे संवासे पन्नत्ते तंजहा–देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छे जा, देवे णाममेगे छबीते सद्धिं संवासं गच्छेजा, छवी णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा, छवी णाममेगे छवीते सद्धिं संवासं गच्छेज्जा 2 ॥सू० 248 // चत्तारि कसाया पन्नत्ता तंजहा-कोहकसाए माणकसाए मायाकनाए लोभकसाए, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 24, 1 / चउपतिहिते कोहे पन्नते तंजहा-यातपइट्टिते परपतिट्ठिए तदुभयपइट्टिते अपतिट्टिए, एवं णेरइयाणं जाव माणियाणं 24, 2 / एवं जाव लोभे, वेमाणियाणं 24, 3 / उहिं ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिता, तंजहा-खेत्तं पडुच्चा वत्थु पडुच्चा सरीरं पडुच्चा उवहिं पडुच्चा, एवं णेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 24, 5 / एवं जाव लोभे वेमाणियाणं 24, 6 / चउबिधे कोह पन्नत्ते तंजहा-पणताणुबंधिकोहे अपञ्चक्खाणकोहे प्रचक्खाणावरणे कोहे संजलणे कोह. एवं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 24, 7 एवं जाव लोभे वेमाणियाणं 24, 8 / उब्बिहे कोहे पन्नते तंजहा-याभोगणिव्वत्तिए यणाभांगणिवत्तिते उबरते अणुवसंते एवं नेरइयाणं, जाव वेमाणियाणं 24, 1 / एवं जाव लाभे जाव वेमाणियाणं 24, 10 ॥सू० 24 // जीवा णं चाहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीयो चिणिंसु तंजहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वेमाणियाणं 24, 1 / एवं चिणंति एम दंडयो, एवं Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः चिणिस्संति एस दंडयो, एवमेतेणं तिन्नि दंडगा, 2 / एवं उवचिणिंसु उवचिणंति उवचिणिस्मति ३।बंधिंसु 3 उदीरिंसु 3 वेदेंसु 3 निजरेंसु गिजरेंति निजरिस्संति जाव वेमाणियाणं, एवमे केक्के पदे तिन्नि 2 दंडगा भाणियव्वा, जाव निजरिस्संति 4 ॥सू. 250 // चत्तारि पडिमा यो पत्नत्तायो तंजहा–समाहिपडिमा उवहाणपडिग विवेगपडिमा विउस्सग्गपडिमा 1 / चत्तारि पडिमायो पन्नत्तायो तंजहा - भदा सुभद्दा महाभदा सव्वतोभद्दा 2 // चत्तारि पडिमातो पत्नत्तायो तंजहा-खुड्डिया मोयपडिमा महल्लिया मोय. पडिमा जवमज्झा वइरममा 3 ॥सू. 251|| चत्तारि अस्थिकाया अजी. वकाया पन्नत्ता तंजहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए यागासस्थिकाए पोग्गलस्थिकाए / बत्तारि अस्थिकाया अरूविकाया पन्नत्ता तंजहा-धम्मत्थिकाए श्रधम्मत्थिकाए यागासस्थिकाए जीवत्थिकाए 2 ॥सू. 252 // चत्तारि फला पन्नत्ता तंजहा-श्रामे णामं एगे ग्राममहुरे 1 थामे णाममेगे पक्कमहुरे 2 पक्के णाममेगे श्राममहुरे 3 पक्के णाममेगे पक्कमहुरे 4, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-यामे णाममेगे याममहुरफलसमाणे 4, 2 ॥सू. 253 // चउविहे सच्चे पन्नत्ते तंजहा-काउज्जुयया भासुज्जुयया भावुज्जुयया अविमंवायणाजोगे / चउविहे मोसे पन्नत्ते तंजहा-काययणुज्जुयया भामग्रणुज्जुयया भाव अणुज्जुयया विसंवादणाजोगे 2 / चउबिहे पणिहाणे पन्नत्ते तंजहा-मणपणिहाणे वइपणिहाणे कायपणिहाणे उवकर. णपणिहाणे 3 // एवं णेरझ्याणं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं 24, 4 / घउबिहे सुप्पणिहाणे पन्नते तंजहा-मणसुप्पणिहाणे जाव उवगरणसुप्पणिहाणे एवं संजयमणुस्साणावि 5 / चउबिहे दुष्पणिहाणे, पन्नत्ते तंजहामणदुप्पणिहाणे जाव उवकरणदुप्पणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणिपाणं 24, ६॥सू० 254 // चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तनहा--पावातभद्दते णाममेगे णो संवासभहते 1, संवासभदए णाममेगे णों ावातभदए Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 321 2, एगे अावातभहते वि संवासभइतेऽवि 3 एगे णो आवायभद्दते नो वा संवासभदए 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अप्पणो नाममेगे वज्जं पासति णो परस्स, परस्स णाममेगे वज्जं पासति 4, 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-यप्पणो णाममेगे वज्जं उदीरेइ णो परस्स 4, 3 // अप्पणो नाममेगे वज्ज उवमामेति णो परस्स 4, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता नहा-यमुठेइ नाममेगे णो अब्भुटावेति, 4, 5 / एवं वंदति णाममेगे णो वंदावेइ 4, 6 / एवं सकारेइ 7 सम्माणेति 8 / पूएइ 1 / वाएइ 10 / पडिपुच्छति (पडिच्छइ) 11 // पुच्छइ 12 / वागरेति, 13 / सुत्तधरे णाममेगे णो अत्यधरे, पत्थवरे नाममेगे णा सुत्तधरे 4, 14 ॥सू० 255 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो चत्तारि लोगयाला पन्नत्ता तंजहा-- सोमे जमे वरुणे वेममणे 1 / एवं बलिस्सवि सोमे जमे वेसमणे वरुणे 2 / धरणस्स कालपाले कोलपाले सेलपाले संखपाले 3 / एवं भूयाणंदस्स चत्तारि कालपाले कोलपाले संखपाले सेलपाले 4 / वेणुदेवस्स चित्ते विचित्ते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे 5 / वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपक्खे चित्तपक्खे 6 / हरिकंतस्म पभे सुप्पभे पभकते सुप्पभकते 7) हरिम्सहस्स पभे सुप्पभे सुपभकते परकते 8 / अग्गिसिहस्स तेऊ तेउसिहे तेउकते तेउप्पभे / अग्गि मा गवस तेऊ तेऊसिहे तेउपभे तेउकते 10 / पुनस्स रुए रूयंसे रूदकते रूद* पभे 1 / / एवं प्रिसिद्धस्म रुते रूतंसे रूतप्पभे रूयकते 12 / जलकंतस्स जले जनइते जलकते जलप्पभे 13 / जलप्पहस्स जले जलरते जलप्पहे जलकते * 11 // अमितगतिस्तु तुरियगती खिप्पगती सीहगती सीहविक्कमगती 15 // अमितवाहणस तुरियगती खिप्पगती सीहविकमगती सीहगती 16 / वेलंबस्स काले महाकाले अंजणे रिटठे 171 पभंजणस्स काले महाकाले रिट्ठे अंजणे 18 घांसस्म श्रावते वियावत्ते णंदियावते महाणंदियावत्ते 19 / महाघोसस्स श्रावते वियावत्ते महाणंदियात्ते णदियावत्ते 20 / सकस्स सोमे जमे वरुणे Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322 ] . [ श्रीमदागमसुधामिन्धुः प्रथमो विभाग: वेसमणे 21 / ईसाणस्स सोंमे जमे वेलमणे वरुणे 22 / एवं एगंतरिता जावं. ऽच्चुतस्स 23 / चउबिहा वाउकुमारा पन्नत्ता तंजहा-काले महाकाले लंबे पभंजणे 24 ॥सू. 256 // चउबिहा देवा पन्नत्ता तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया विमाणवासी ॥सू. 257 // चउबिहे पमाणे पन्नत्ते तंजहा-दव्यप्पमाणे खेत्तप्पमाणे कालप्पमाणे भावप्पमाणे ॥सू० 258 // चत्तारि दिसाकुमारिमहत्तरियायो पन्नत्तायो तंजहा- रूपा रुयंसा सुरूवा रूयावती 1 / चत्तारि विज्जुकुमारिमहत्तरियायो पन्नत्तायो तंजहा-चित्ता चित्तकणगा सतेरा सोतामणी 2 ॥सू० 251 // सकस्स णं दविंदस्स देवरत्नो मभिमपरिसाते देवाणं चत्तारि पलियोवमाई रिती पन्नत्ता १॥ईमाणस्स देविंदस्स देवरन्नो मन्भिमपरिसाए देवाणं चत्तारि पलियोवमाइं ठिई पन्नत्ता 2 ॥सू० 260 // चउविहे संसारे पन्नत्ते तंजहा-दव्वसंसारे खेतसंसारे कालसंसारे भावसंसारे ॥सू० 261 // चउबिहे दिट्ठिवाए पन्नत्ते तंजहा--परिकम्मं सुत्ताई पुवगए अणुजोगे ॥सू. 262 // च विहे पायच्छित्ते पन्नते तंजहा-णाणपायच्छिते दसणवायच्छित्ते चरित्तपायच्छित्ते वि(चित्तकिच्चपायच्छिते 1 / चउबिहे पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहा-परिसेवणापायच्छित्ते संजोयणापायच्छित्ते यारोपणापायच्छित्ते पलिउंचणापायच्छित्ते 2 // सू० 263 // चउब्धिहे काले. पन्नत्ते तंजहा-पमाणकाले अहाउयनिव्वतिकाले मरणकाले श्रद्धाकाले ॥सू० 264 // चउबिहे पोग्गलपरिणामे पन्नत्ते तंजहा--वनपरिणामे गंधपरिणामे रसपरिणामे फासपरिणामे ।।सू. 265 // भरहेरवएसु णं वासेसु पुरिमपच्छिमवजा मज्झिमगा बावीमं पर. हंता भगवंता चाउजामं धर्म पराणवेंति तंजहा-सव्वातो पाणातिवायायो वेर. मणं, एवं मुसावायायो वेरमणं, सम्बातो अदिन्नादाणायो वेरमणं सव्वायो बहिद्धादाणायो वेरमणं 1 / सव्वेसु णं महाविदेहेसु थरहंता भगवंतो चाउजाम धम्म परावयंति, तंजहा-सव्वातो पाणात्विासरायो वेरमणं, जाव Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मॉमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] / 323 सवातो बहिद्धादाणायो वेरमण 2 ॥सू० 266 // चत्तारि दुग्गतीतो पन्नत्तायो तंजहाग रइयदुग्गीतिरिक्खजाणियदुग्गती मणुस्सदुग्गती देवदुग्गई 1 / चत्नारि सोग्गई यो पन्नत्तायो तंजहा-सिद्धसोगती देवसोग्गती मणुयसोग्गती सुदुलपञ्चायाति 2 / चत्तारि दुग्गता पन्नत्ता तंजहा--नेरइयदुग्गया तिरिक्खजोणियदुग्गता मणुयदुग्गता देवदुग्गता 3 / चत्तारि सुग्गता पन्नत्ता तंजहा--सिद्धसुगता जाव सुवुलपञ्चायाया 4 ॥सू० 267 // पढमसमयजिणस्स णं चत्तारि कम्ममा खीणा भांति तंजहा- णाणावरणिज्जं दसणावरणिज्नं मोहणिज्ज अंतरातितं 1 / उप्पन्ननाणदंसणधरे णं रहा जिणे केवली चत्तारि कमसे वेदेति तंजहा-वेदणिज्ज ग्राउयं णामं गोतं 2 / पढमसमयसिद्धरम णं चत्तारि कम्मंसा जुगवं खिज्जति तंजहा-वेयणिज्ज अाउयं णामं गोतं ३॥सु०.२६८॥ चरहिं ठाणेहिं हासुप्पत्ती सिता तंजहा-पासित्ता भासेत्ता सुगोत्ता संभरेत्ता सू० 261 // चउबिहे अंतरे पन्नत्ते तंजहा-कट्ठ तरे पम्हंतरे लोहंतरे पत्थरंतरे, एवामेव इथिए वा पुरिसस्स वा चउबिहे अंतरे पनत्ते तंजहा-कट्टतरसमाणे पम्हंतरसमाणे लोहंतरसमाणे पत्थरंतर. समाणे ॥सू० 270 // चत्तारि भयगा पनत्ता तंजहा-दिवसभयते जत्ताभयते उच्चत्तभयते कब्बालभयते ॥म० 271 // चत्तारि पुरिमजाता पन्नत्ता तंजहासंपागडपडिसेवी णामेगे णो पच्छन्नपडिसेवी पच्छन्नपडिसेवी णामेगे णो संपागडपडिसेवी एगे संपागडपडिसेवीवि पच्छन्नपडिसेवीवि एगेनो संपागडपडिसेवी णो पच्छन्नपडिसेवी ।।सू. 272 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमस्स महारनो चतारि अग्गमहिलीयो पनत्ताश्रो तंजहा-कणगा कणगलता विगुत्ता वसुंधरा 1 / एवं जनरम वरुणस्स वेसमणस्स 2 / बलिस्स णं वतिरोयणिंदस्स वतिरोयणरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिमीयो पन्नत्तायो तंजहा-मित्तगा सुभद्दा विजुता असणी 3 / एवं जमस्म वेसममास्स वरुणस्स 4 / धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स णागकुमाररन्नो कालवा Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागा लस्स महारनो चत्तारि अग्गमहिनीग्रो पन्नत्तायो तंजहा-अमोगा विमला सुप्पभा सुदंसणा 5 / एवं जाव संखवालस्स 6 / भूताणंदस्म ण णागकुमारिदस्त णागकुमाररन्नो कालवालस्स महारनो चत्तारि अग्गमहि ीयो पन्नत्तायो तंजहा-सुणंदा सुभद्दा सुजाता सुमणा / एवं जाव सेलवालस्स जहा धरणस्स 8 / एवं सोसि दाहिणिंदलोगपालाणं जाव घोमस्स जहा भूताणंदस्स / / एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं 10 कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो तंजहा–कमला कमलपभा उप्पला सुदंसणा 11 / एवं महाकालस्सवि 12 / सुरुवस्स णं भूतिंदस्स भूतरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो तंजहा–रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा 13 / एवं पडिरूवस्मवि 14 / पुराणभद्दस्स णं जक्विंदस्स जक्खरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो तंजहा-पुत्ता बहुपुत्तिता उत्तमा तारगा 15 // एवं माणिभहस्सवि 16 / भीमस्स णं रक्खसिंदस्स रक्खसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्तानो तंजहा-पउमा वसुमती कणगा रतणप्पभा 17 एवं महाभीमस्सवि 18 किंनरस्स णं किंनरिंदम्स किन्नररन्नो चनारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो तंजहा-बडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पभा 11 / एवं किंपुरिसस्सवि 20 सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स किंपुरिसरन्नो चत्तारि अग्गमहिमीयो पन्नत्तायो तंजहा-रोहिणी गावमिता हिरी पुप्फवती 21 / एवं महापुरिमस्मवि 22 / अतिकायस्स णं महोर. गिदम्स महोरगरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीयो पनत्तायो तंजहा-भुयगा भुयगवती महाकच्छा फुडा 23 / एवं महाकायस्मवि 24 / गीतरतिस्स णं गंधबिंदस्स गंधवरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीयो पनत्तायो तंजहा-सुघोमा विमला सुस्सरा सरस्मती 25 // एवं गीयजलस्सवि 26 / चंदस्त णं जोतिसिंदस्स जोतिमरनो चत्तारि अग्गमहिमीयो पनत्तायो तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पमंकरा 27 एवं सूरस्सविणारं सूरप्पभादोसिणामा Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ]. [ 325 अचिमाली पभंकरा 28 / इंगालस्स णं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीयो पन्नत्तायो तंजहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया 21 / एवं सब्वेसिं महग्गहाणं जाव भावके उस्स 30 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो तंजहा-रोहिणी मयणा चित्ता सोमा 31 // एवं जाव वेसमणस्स 32 / ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिपीयो पनत्तायो तंजहा-पुढवी राती रयणी विज्जू 33 // एवं जाव वरुणस्स 34 ॥सू० 273 // चत्तारि गोरसविगतीयो पन्नत्तायो तंजहा-खीरं दहिं सप्पिं णवणीतं 1 / चत्तारि सिणेहविगतीयो पत्तायो तंजहा-तेल्लं घयं वसा णवणीतं 2 / चत्तारि महाविगनीग्रो पन्नत्तायो तंज़हा-महुँ मसं मजणवणीतं 3 ॥सू० 274 // चत्तारि कूडागारा पन्नत्ता तंजहा-गुत्ते णामं एगे गुत्ते, गुत्ते णाम एगे अगुत्ते, अगुत्ते णामं एगे गुत्ते, अगुत्ते णामं एगे अगुत्ते 1 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-गुते णाममेगे गुत्ते 4 2 / चत्तारि कूडागारमालाश्रो पनसायो तंजहा-गुत्ता णाममेगा गुतवारा गुत्ताणाममेगा अगुत्तदुवारा श्रगुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा 3 / एवामेव चतारिस्थीयो पनत्तायो तंजहा-गुत्ता नाममेगा गुतिंदिता गुत्ता णाममेगा अगुत्तिंदिया 4 ॥सू० 275 // चउविहा योगाहणा, पन्नत्ता तंजहा-दबोगाहणा खेत्तोगाहणा कालोगाहणा भावोगाहणा ॥सू० 276 // चत्तरि पन्नत्तीयो अंगबाहिरियातो पनत्तायो तंजहा-चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती जंबुद्दीवपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती ॥सू० 277 // चट्ठाणस्स पढमो उद्देसश्रो॥ // इति चतुःस्थानकस्य प्रथमाद्देशकः // 4-1 // Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 326 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // अथ चतुर्थस्थानके द्वितीय उद्देशकः // चत्तारि पडिसंलीणा पन्नत्ता तंजहा-कोहपडिसलीणे माणपडिसंलीगणे गयापडिमलीणे लोभपडिसंलीणे 1 / चत्तारि अपडिसलीणा पन्नत्ता तंजहा-- कोहयपडिसंलीण जाव लोभयपडिसंलीणे 2 / चत्तारि पडिसलीणा पन्नत्ता तंजहा-मणपडिसंलीणे वतिपडिसलाणे कायपडिसंलीणे इंदियपडिसलीणे 3 / चत्तारि अपडिसंलीणा पन्नत्ता तंजहा- मणयपडिसंलीणे जाव इंदियश्रपडिसंलीणे 4 ॥सू० 278 // चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-दाणे णाममेगे दीणे, दीणे णाममेगे श्रदीणे, अदीणे णाममेगे दीणे, अदीणे णाममंगे श्रदीणे 1 / चत्तारि पुरिस जाता पन्नत्ता तंजहा-दीणे णाममेगे दीणपरिणते, दीणे णामं एगे श्रदीणपरिणते, अदीणे णामं एगे दीपरिणते अदीणे णाममेगे श्रदीणपरिणते 21 पत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--दीणे णाममेगे दीणरूवे / ह 4, 3 // एवं दीणमणे 4, 4 / दीणसंकप्पे 4, 5 / दीणपन्ने 4, 6 / दीणदिट्ठी 4, 7 दीणसीलाचारे 4, 8 / दीणववहारे 4, / चत्तारि पुरिमजाया पन्नत्ता तंजहा-दीणे णाममेगे दीणपरकमे, दीणे णाममेगे अदीणपरकमे।ह 4, 10 / एवं मवेसि चउभंगो भाणियब्बो, चत्तारि पुरिमजाता पन्नत्ता तंजहा-दीणे णाममेगे दीणवित्ती 4-11 / एवं दीणजाती 4, 12 / दीणभासी 4, 13 / दीणोभासी 4, 14 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा. दीणे णाममेगे दीणसेवी। 4, ह 15 / एवं दीणे णाममेगे दीणपरियाए 4, 16 / दीणे णाममेगे दीपपरियाले / ह 4, 17 / सव्वत्थ चउभंगों ॥सू० 279 // चतारि परिसजाता पन्नता तंजहा--यज्जे गाममेगे यज्जें 4, 1 / चत्तारि पुरमजाता (न्नता तंजा-रज्जे गाममेगे अजपरिणाए 4, 2 / एवं बजरूवे 3 / यजणे 4 / अजसंकपे 5 / अजपाने 6 / अजदिट्ठी 7 / राजसीलाचारे 8 / अजववहारे 1 / अजपरक्कमे 10 / Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 327 अजवित्ती 11 / अजजाती 12 / अजभासी 13 / अजयोभासी 14 / अजसेवी 15 / एवं अजपरियाए 16 / अजपरियाले 17 / एवं सत्तर अालावगा, जहा दीणेणं भणिया तहा अज्जेणवि भाणियव्वा / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अज्जे णाममेगे अजभावे, अज्जे नाममेगे अणजभावे, अणज्जे नाममेगे अजभावे, अणज्जे नाममेगे अणजभावे 18 सू० 280 // चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने ख्वसंपन्ने 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने जाव रूवसंपन्ने 2 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने णामं एगे नो कुलसंपराणे, कुलसंपराणे नामं एगे नो जाइसंपराणे, एगे जातिसंपराणेऽवि कुलसंपराणेऽवि, एगे नो जातिसंपराणे नो कुलसंपन्ने 3 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--जातिसंपन्ने नाममेगे 4, 4 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने नामं एगे नो बलसंपन्ने 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा—जातिसंपन्ने 4,6 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जाइसंपन्ने नाम एगे नो स्वसंपन्ने 4,7 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा-जातिसंपन्ने नाम एगे नो रूवसंपन्ने, स्वसंपन्ने णाममेगे ह-४।८। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तजहा-कुलसंपन्ने नाम एगे नो बलसंपन्ने ह-४ / / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने नाममेगे नो बलसंपन्ने ह-४।१०। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने, ह्व-४।११। एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने नाममेगे णो रूवसंपन्ने ह्व-४।१२। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहाबलसंपन्ने णामं एगे नो रूवसंपराणे ह्व।४।१३। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पराणत्ता तंजहा-बलसंपराणे नाममेगे नो ख्वसंपन्ने 4,14 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा--भद्दे मंदे मिते संकिन्ने 15 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-भद्दे मंदे मिते संकिन्ने 16 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः भद्दे णाममेगे भद्दमणे, भद्दे णाममगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे नाममेगे संकिन्नमणे 17 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-भद्दे णाममेगे भदमणे, भद्दे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममेगे संकिन्नमणे 18 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा--मंदे णाममेगे भद्द. मणे, मंदे नाममेगे मंदमणे, मंदे णाममेगे मियमणे, मंदे णाममेगे संकिन्नमणे 11 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--मंदे णाममेगे भद्दमणे तं चेव 4, 20 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंनहा-मिते णाममेगे भद्दमणे, मिते णाममेगे मंदमणे, मिते णाममेगे मियमणे, मिते णाममेगे संकिन्नमणे 21 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-मिते णाममेगे भदमणे, तं चैव 22 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा--संकिगणे नाममेगे भद्दमणे, संकिन्ने नाममेगे मंदमणे, संकिन्ने नाममेगे मियमणे, संकिन्ने णाममेगे संकिन्नमणे 23 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-संकिन्ने णाममेगे भद्दमणे, तं चेव जाव संकिन्ने नाममेगे संकिन्नमणे 24 / मधुगुलिय-पिंगलक्खो अणुपुव्वसुजाय-दीहणंगूलो / पुरयो उदग्गधीरो सव्वंग-समाधितो भदो // 1 // चलबहल-विसमम्चमो थूलसिरो थूलएण पेएण / थूलणह-दंतवालो हरिपिंगललोयणो मंदो // 2 // तणुयो तणुतग्गीवो तणुयततो तणुयदंत-णहवालो। भीरु तत्थुव्विग्गो तासी य भवे मिते णामं // 3 // एतेसिं हत्थीणं थोवं तु जो हरति हत्थी / रूवेण व सीलेण व सो संकिन्नोत्ति नायव्वो॥४॥ भद्दो मज्जइ सरए मंदो उण मजते वसंतं.म्म / मिउ मजति हेमंते संकिन्नो सव्वकालंमि॥ 5 ॥सू. 281 // चत्तारि विकहातो पन्नत्तायो तंजहा-इत्थिकहा भतकहा देसकहा रायकहा 1 / इथिकहा चउबिहा पन्नत्ता तंजहा-इत्थीणं जाइकहा इत्थीणं कुलकहा इत्थीणं रूवकहा इत्थीणं गोवत्थकहा 2 / भत्तकहा चउबिहा पन्नत्ता तंजहा-भत्तस्स यावावकहा भत्तस्स णिव्वावकहा भत्तस्स प्रारंभकहा भत्तस्स निट्ठाणकहा 3 // देसकहा चउव्विा पन्नत्ता Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 329 तंजहा--देसविहिकहा देसविकप्पकहा देसच्छंदकहा देसनेवत्थकहा 4 / रायकहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-रन्नो अतिताणकहा रन्नो निजाणकहा रन्नो बलवाहणकहा रन्नो कोसकोट्ठागारकहा चिउब्विहा धम्मकहा पन्नत्ता तंजहाअक्खेवणी विक्खेवणी संवेयणी निव्वेगणी 6 / अक्खेवणी कहा चउविहा पन्नत्ता तंजहा-पायारअक्खेवणी ववहारअक्खेवणी पन्नत्तिश्रक्खेवणी दिट्ठिवातयक्वेवणी 7 विक्खेवणी कहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-ससमयं कहेइ, ससमयं कहिता परसमयं कहेंइ 1, परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावतित्ता भवति 2, सम्मावातं कहेइ सम्मावातं कहेत्ता मिच्छावातं कहेइ 3 मिच्छावातं कहेत्ता सम्मावातं ठावतित्ता भवति ४,८संवेगणी कथा चउब्विहा पन्नत्तातंजहा-- इहलोगसंवेगणी परलोगसंवेगणी घातसरीरसंवेगणी परसरीरसंवेगणी / / णिव्वेगणीकहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 1, इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 2, परलोगे दुचिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 3, परलोगे दुञ्चिन्ना कम्मा परलोये दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 4, 10 / इहलोगे सुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 1, इहलोगे सुचिन्ना कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 2 एवं चउभंगो 4, 11 // सू० 282 // तहेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किसे णाममेगे किसे, किसे णाममेगे दढे, दढे णाममेगे किसे, दढे णाममेगे दढे 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किसे णाममेगे किससरीरे, किसे णाममेगे दढसरीरे, दढे णाममेगे किससरीरे, दढे णाममेगे दढसरीरे 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किससरीरस्स नाममेगस्स णाणदंसणे समुप्पजति णो दढसरीरस्स, दढसरीरस्स णाम एगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जति णो किससरीरस्स, एगस्स किससरीरस्सवि णाणदंसणे समुप्पजति दढसरीरस्सवि, एगस्स नो किससरीरस्स णाणदंसणे समुप्पजति Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 330 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः णो दढसरीरस्स 3 // 283 // चाहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अस्सि समयंसि अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पजिउकामेऽवि न समुप्पज्जेज्जा, तंजहा-अभिक्खणं अभिक्खणमिात्थकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं कहेत्ता भवति 1, विवेगेण विउस्सग्गेणं णो सम्ममप्पाणं भाविता भवति 2, पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि णो धम्मजागरितं जागरतिता भवति 3, फासुयस्स एसणिजस्स उंछस्स सामुदाणियस्स जो सम्मं गवेसिता भवति 1, इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव नो समुप्पज्जेजा 1 / चउहि ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अतिससे णाणदंसणे समुप्पजिउकामे समुप्पज्जेजा, तंजहा-इत्थीकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं नो कहेत्ता भवति 1, विवेगेण विउसग्गेणं सम्ममप्पाणं भावेता भवति 2, पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरतिता भवति 3, फासुयस्स एसणिजस्स उंछस्स सामुदाणियस्स सम्मं गवेसिया भवति, इच्चेएहिं चरहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव समुप्पज्जेज्जा 4, सू० 284|| नो कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चउहिं महापाडिवएहिं सज्झायं करेत्तए, तंजहा-यासाढपाडिवए इंदमहपाडिवए कत्तियपाडिवए सुगिम्हपाडिवए 1 / णो कप्पइ निग्गंधाण वा निग्गंथीण वा चउहिं संझाहिं सज्झायं करेत्तए, तंजहा-पढमाते पच्छिमाते मज्झरहे डरते 2 / कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चाउकालं सज्झायं करेत्तए, तंजहा-पुव्वराहे, अवररहे पयोसे पच्चूसे 3 ॥सू० 285 // चउव्विहा लोगट्टिती पन्नत्ता तंजहा-यागासपतिट्ठिए वाते, वातपतिट्ठिए उदधी, उदधिपतिट्ठिया पुढवी, पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा ॥सू० 286 // चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा–तहे नाममेगे, नोतहे नाममेगे, सोवत्थी नाममेगे, पधाणे नाममेगे 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–यायंतकरे नाममेगे णो परंतकरे 1 परंतकरे णाममेगे णो अातंतकरे 2 एगे यातंतकरेवि परंतकरेवि 3 एगे णो यातंतकरे Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 331 णो परंतकरें 4, 2 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-श्रातंतमे नाममेगे नो परंतमे (ह) 4,3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-श्रायंदमे नाममेगे णो परंदमे 4,4 ॥सू. 287 // चउविधा गरहा पन्नत्ता तंजहा-उवसंपज्जामित्तेगा गरहा, वितिगिच्छामित्तेगा गरहा जंकिंचिंमिच्छामीत्तेगा गरहा, एवंपि पन्नत्तेगा गरहा ॥सू. 288 // चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अप्पणो नाममेगे अलमंथू भवति णो परस्स, परस्स नाममेगे अलमंथू भवति णो अपणो, एगे अप्पणोऽवि अलमंथू भवति परस्सवि, एगे नो अप्पणो अलमंथू भवति णो परस्स 1 / चत्तारि मग्गा पन्नत्ता तंजहा—उज्जू नाममेगे उज्जू (उन्गूमणे), उज्जू नाममेगे वंके, वंके नाममेगे उज्जू, वंके नाममेगे वैके 2 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहाउज्जू नाममेगे उज्जू 4,3 / चत्तारि मग्गा पन्नत्ता तंजहा-खेमे नाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, ह (4), 4 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-खेमे णाममेगे खेमे, ह (4), 5 / चत्तारि मग्गा पनत्ता तंजहा-खेमे णाममेगे खेमरूवे. खेमे णाममेगे अखेमरूवे 4, 6 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--खेमे नाममेगे खेमरूवे 4, 7 / चत्तारि संबुक्का पन्नत्ता तंजहा-बामे नाममेगे वामावत्ते, वामे नाममेगे दाहि. णावत्ते, दाहिणे नाममेगे वामावत्ते, दाहिणे नाममेगे दाहिणावत्ते 8 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-वामे नाममेगे,वामावत्ते ह(४) चत्तारि धूमसिहायो पनत्तायो तंजहा--वामा नाममेगा वामावत्ता 4,10 / एवामेव चत्तारित्थीयो पत्नत्तानो तंजहा-वामा णाममेगा वामावत्ता 4, 11 / चत्तारि अग्गिसिहायो पन्नत्तायो तंजहा-वामा णाममेगा वामावत्ता, (ह) 4, 12 / एवामेव चत्तारित्थीयो पन्नत्तानो तंजहा-वामा णाम (ह) 4, 13 / चत्तारि वायमंडलिया पन्नत्ता तंजहा-वामा णाममेगा वामावत्ता 1, 14 / एवामेव चत्तारित्थीयो पन्नत्तायो तंजहा-वामा णाममेगा वामावत्ता Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः 4. 15, / चत्तारि वणसंडा पन्नत्ता तंजहा-वामे नाममेगे वामावत्ते 4, 16 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–वामे णाममेगे वामावत्ते,४, 17 ॥सू० 286 // चउहिं ठाणेहि णिग्गंथे णिग्गंथिं पालवमाणे वा संलवमाणे वा णातिकमति तंजहा---पंथं पुच्छमाणे वा 1 पंथं देसमाणे वा 2 असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा दलेमाणे वा 3 दलावेमाणे वा ३॥सू० 210 // तमुक्कायस्स णं चत्तारि नामधेजा पन्नत्ता तंजहा-तमिति वा तमुक्कातेति वा अंधकारेति वा महंधकारेति वा 1 / तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामधेजा पन्नत्ता तंजहा-लोगंधगारेति वा लोगतमसेति वा देवंधगारेति वा देवतमसेति वा 2 / तमुकायस्स णं चत्तारि नामधेजा पन्नत्ता तंजहा-बातफलिहेति वा वातफलिह(वातयरि)खोभेति वा (देवफलिहेति वा देवपरिखोभेति वा) देवरन्नेति वा देववूढे(हे)ति वा 3 / तमुक्काते णं चत्तारि कप्पे श्रावरित्ता चिट्ठति तंजहा-सोधम्मीसाणं सणंकुमारमाहिदं 4 ॥सू० 211 // चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--संपागडपडिसेवी णाममेगे पच्छन्नपडिसेवी याममेगे पडुप्पन्ननंदी (सेवी) नाममेगे णिस्सरणणंदी णाममेगे 1 / चत्तारि सेणायो पन्नत्तायो तंजहा-जतित्ता णाममेगे णो पराजिणित्ता पराजिणित्ता णाममेगे णो जतित्ता एगा जतित्तावि पराजिणित्तावि एगा नो जतित्ता नो पराजिणित्ता 2 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहाजतित्ता नाममेगे नो पराजिणित्ता 4, 3 / चत्तारि सेणाश्रो पन्नत्तायो तंजहा--जतित्ता णाम एगा जयई, जइत्ता णाममेगा पराजिणति, पराजिणित्ता णाममेगा जयति, पराजिणित्ता नाममेगा पराजिणति 4 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-जइत्ता नाममेगे जयति ४,५॥सू० 21 २॥(चत्तारि राइयो पन्नत्तायो तंजहा--पव्वयराई पुढवीराई रेणुराई जलराई, एवामेव चउबिहे कोहे ततः मानमायासूत्राणि) चत्तारि केतणा पन्नत्ता तंजहा-वंसी-मूलकेतणते मेदविसाणकेतणते गोमुत्तिकेतणते अवलेहणितकेतणते 1 // एवामेव चउविधामाया Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 333 पन्नत्ता तंजहा-वंसीमूलकेतणासमाणा जाव अवलेहणितासमाणा,वसीमूलकेतणासमाणं मायं अणुपविठे जीवे कालं करेति णेरइएसु उववजति,मेंढविसाणकेतणासमाणं मायमणुप्पविठे जीवे कालं करेति तिरिक्खजोणितेसु उववजति, गोमुत्तिकेतणासमाणा जाव कालं करेति मणुस्सेसु उववजति, अवलेहणिता जाव देवेसु उववजति 2 / चत्तारि थंभा पन्नत्ता तंजहा-सेलथंभे यटिथंभे दारुथंभे तिणिसलताथंभे 3 / एवाभेव चउब्विधे माणे पन्नत्ते तंजहा--सेलथंभसमाणे जाव तिणिसलताथंभसमाणे, सेलथंभसमाणं माणं अणुपविठे जीवे कालं करेति नेरतिएसु उववजति, एवं जाव तिणिसलताथंभसमाणं माणं अणुपविठे जीवे कालं करेति देवेसु उववजति 4 / चत्तारि वस्था पन्नता तंजहा-किमिरागरत्ते कदमरागरत्ते खंजणरागरत्ते हलिद्दरागरत्ते 5 / एवामेव चउबिधे लोभे पन्नते तंजहा-किमिरागरत्तवत्थसमाणे कद्दमरागरत्तवत्थसमाणे खंजणरागरत्तवत्थसमाणे हलिहरागरत्तवत्थसमाणे, किमिरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ नेरइएसु उववज्जइ, तहेव जाव हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविठे जीवे कालं करेइ देवेसु उववजति 3 ॥सू० 213 // चउविहे संसारे पन्नत्ते तंजहा--णेरतियसंसारे जाव देवसंसारे 1 / चउबिहे पाउते पन्नत्ते तंजहा-णेरतिग्राउते जाव देवाउते 2 / चउबिहे भवे पन्नत्ते तंजहा-नेरतियभवे जाव देवभवे 3 ॥सू२१४॥ चउबिहे थाहारे पन्नत्ते तंजहा-असणे पाणे खाइमे साइमे 1 / चउबिहे श्राहारे पन्नत्ते तंजहा-(नो)उवक्खरसंपन्ने उवक्खडसंपन्ने सभावसंपन्ने परिजुसियसंपन्ने 2 ॥सू०२१५॥ चउबिहे बंधे पन्नत्ते तंजहा--पगतिबंधे ठितीबंधे अणुभावबंधे पदेसबंधे 1 / चउबिहे उवक्कमे पन्नत्ते तंजहा-बंधणोवक्कमे उदीरणोवक्कमे उवसमणोवक्कमे विप्परिणामणोवक्कमे 2 / बंधणोवक्कमे चउविहे पन्नत्ते तंजहा-पगतिबंधणोवक्कमे ठितिबंधणोवकमे अणुभावबंधणोवक्कमे पदेसबंधणोवकमे 3 / उदीरणोवकमे चउबिहे पन्नत्ते तंजहा-पगतीउदीरणोवकमे Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 334 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः ठितीउदीरणोवक्कमे अणुभावउदीरणोवकमे पदेसउदीरणोवकमे / उवसमणोवक्कमे चउबिहे पन्नत्तेतंजहा-पगतिउवसामणोवक्कमे ठितिउवसामणोवकमे अणुउवसामणोवक्कमे पतेसुवसामणोवक्कमे 5 / विप्परिणामणोवक्कमे चउबिहे पन्नत्ते तंजहा-पगतिविप्परिणामोवक्कमे ठिती विष्परिणामोवक्कमे अणुविप्परिणामोवकमे पतेसविप्परिणामोवक्कमे 6 / चउविहे अप्पावहुए पन्नत्ते तंजहापगतिअप्पाबहुए ठिति अप्पावहुए अणुयप्पाबहुए पतेसप्पाबहुते 7 चउबिहे संकमे पन्नत्ते तंजहा--पगतिसंकमे ठितीसंकमे अणुसंकमे पएससंकमे 8 / चउविहे णिवत्ते पन्नत्ते तंजहा-पगतिणिधत्ते ठितीणिधत्ते अणुनिधत्ते पएसणिवत्ते / / चउबिहे णिकायिते पन्नत्ते तंजहा--पगतिणिकायिते ठितिणिकायिते अणुणिकायिते पएसणिकायिते १०॥सू० 216 // चत्तारि एका पन्नत्ता तंजहा-दविए दविएकते (दविए एकए) माउपएकते (माउपए एक्कए) पजतेक्ते (पजते एकए) संगहेक्कते (संगहे एकए) ॥सू०२१७॥ चत्तारि कती पन्नत्ता तंजहा-दवितकती माउयपयकती पजवकती संगहकती ॥सू० 218 // चत्तारि सव्वा पत्नत्ते तंजहा-नामसव्वए ठवणसव्वए पाएससब्बते निरवसेससव्वते ॥सू० 211 // माणुसुत्तरस्स णं पव्वयस्स चउदिसिं चत्तारि कूडा पन्नत्ता तंजहा-रयणे रतणुचते सव्वरयणे रतणसंचये ॥सू०३००॥जंबुद्दीवे 2 भरहेरवतेसु वासेसु तीताते उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए ममाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयी कालो हुत्था जंबुद्दीवे 2 भरहेरवते इमीसे योसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए जहराणपए णं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो हुत्था, जंबुद्दीवे 2 भरहेरखएसु वासेसु श्रागमेस्साते उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो भविस्सइ ॥सू० 301 // जंबूद्दीवे 2 देवकुरुउत्तरकुरुवजायो चत्तारि अकम्मभूमीयो पन्नतायो तंजहा--हेमवते हरन्नवते हरिवस्से रम्मगवासे 1 / चत्तारि वट्टवेयडपवता पन्नत्ता तंजहा-सहावई वियडावई गंघावई मालवंतपरिताते, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डितीया जाव पलियोदमट्टितीता Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम्- :: अध्ययनं 3 ] [335 परिवसंति, तंजहा--साती पभासे यमणे पउमे, 2 / जंबहीवे 2 महाविदेहे वासे चउबिहे पन्नत्ते तंजहा-पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा, 3 / सब्वेऽवि णं णिसढणीलवंतवासहरपव्वता चत्तारि जोयणसयाई उ8 उच्चत्तेणं चत्तारि गाउयसयाइं उब्वेंहणं पन्नत्ता 4 / जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं सीताए महानदीए उत्तरे कूले चत्तारि वक्खारपव्वया पन्नत्ता तंजहाचित्तकूडे पम्हकूडे णलिणकूडे एगसेले 5 / जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं सीताए महानदीए दाहिणकूले बत्तारि वक्खारपव्वया पन्नत्ता तंजहातिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मातंजणे 6 / जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चस्थिमेणं सीयोदाए महानतीए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपव्वता पन्नत्ता तंजहाअंकावती पम्हावती श्रामीविसे सुहावहे 7 / जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स पञ्चत्थिमेणं सीटोदाए महाणतीते उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपव्वया पन्नत्ता तंजहा-चंदपवते सूरपब्बते देवपव्वते णागपव्वते, 8 / जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स चउसु विदिसासु वत्तारि वक्खारपव्वथा पन्नत्ता तंजहा-सोमणसे विज्जुप्पभे गंधमायणे मालवंते 1 / जंबूद्दीवे 2 महाविदेहे वासे जहन्नपते चत्तारि श्ररहंता चत्तारि चकवट्टी चत्तारि बलदेवा चत्तारि वासुदेवा उप्पजिंस वा उप्पज्जंति वा उप्पजिस्संति वा, 10 / जंबूद्दीवे 2 मंदरपवते चत्तारि वणा पन्नत्ता तंजहा-भदसालवणे नंदणवणे सोमणसवणे पंडगवणे, ११॥जंबूद्दीवे 2 मन्दरे पव्वए पंडगवणे चत्तारि अभिसेगसिलायो पन्नत्तायो तंजहा--पंडुकंबलसिला अइपंडुकंबलसिला रत्तकंबलसिला अतिरत्तकंबलसिला, 12 / मंदरचूलिया णं उवरिं चत्तारि जोयणाई विखंभेणं पन्नत्ता, एवं धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धेवि कालं श्रादिं करेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति, एवं जाव पुक्खखरदीवपञ्चच्छिमद्धे जाव मंदरचूलियत्ति-जंबूद्दीवग(वे जं)श्रावस्सगं तु कालायो चूलिया जाव / धायइसंडे पुक्खरवरे य पुवावरे पासे // 1 // ॥सू० 302 // जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स चत्तारि दारा पन्नत्ता तंजहा-विजये Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 336 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः वेजयंते जयंते अपराजिते, ते णं दारा चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावतितं चेव पवेसेणं पन्नत्ता, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डीया जाव पलिश्रोवमट्टितीता परिवसंति विजते वेजयंते जयंते अपराजिते ।सू 303 / / जंबहीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिोणं चुल्लहिमवंतस्म वासहरपब्वयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुह तिन्नि 2 जोयणमयाइं श्रोगाहित्ता एस्थ गं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहा-एगूख्यदीवे श्राभासियदीवे वेसाणितदीवे णंगोलियदीवे, 1 / तेसु णं दीवेसु चउब्धिहा मणुस्सा परिखसंति, तंजहा-- एगूरूता अाभासिता वेसाणिता णंगोलिया, 2 / तेसि णं दीवाणं उसु विदिसासु लवणसमुह चत्तारि 2 जोयणसयाई योगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहा-हयकन्नदीवे गयकन्नदीवे गोकन्नदीवे संकुलिकन्नदीवे, 3 / तेसु णं दीवेसु चउविधा मणुस्सा परिवसंति तंजहा-हयकन्ना गयकन्ना गोकन्ना संकुलिकन्ना, 4 / तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुद्दपंच 2 जोयणसयाई योगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहा-यायंसमुहदीवे मेंटमुहदीवे अयोमुहदीवे गोमुहदीवे, 5 / तेसु णं दीवेसु चउब्विहा मणुस्सा भाणियब्वा, तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुई छ छ जोयणसयाई योगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहा-यासमुहदीवे हत्थिमुहदीवे सीहमुहदीवे वग्घमुहदी, 6 / तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियव्वा, तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुह सत्त सत्त जोयणसयाइं योगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहाथासकन्नदीवे हथिकन्नदीवे अकन्नदीवे कन्नपाउरणदीवे, 7) तेसु णं दीवेसु मणुया भाणियब्बा, तेसि णं दीपाणं चउसु विदिसासु लवणसमुद्द अट्ट जोयणसयाइं योगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहाउक्कामुहदीवे मेहमुहदीवे विज्जुमुहदीवे विज्जुदंतदीवे, 8 / तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियव्वा, तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुद्दणव Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 337 णव जोयणसयाइं प्रोगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहाघणदंतदीवे लट्ठदंतदीवे गूढदंतदीवे सुद्धदंतदीवे, 1 / तेसु णं दीवेसु चउबिहा मणुस्सा परिवसंति, तंजहा-घणदंता लट्ठदंता गूढदंता सुद्धदंता, 10 // जंबूद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासहरपव्वयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुद्दतिन्नि 2 जोयणसयाई योगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पन्नत्ता तंजहा-एगूख्यदीवे सेसं तदेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव सुद्भदंता 11 ॥सू० 304 // जंबूदीवस्म णं दीवस्स बाहिरिल्लायो वेतितं. तायो चउदिसिं लवणसमुद्द पंचाणउइं जोयणसहस्साई भोगाहेत्ता एत्थ णं महतिमहालता महालंजरसंगणसंठिता चत्तारि महापायाला पन्नत्ता तंजहावलतामुह केउते जूवए ईसरे, 1 / एत्य (तत्थ) णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिग्रोवमट्टितीता परिवसंति, तंजहा–काले महाकाले वेलंबे पभंजणे, 2 / जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स वाहिरिल्लाओ वेतितंतायो चउदिसिं लवणसमुद्द' बायालीसं 2 जोयणसहस्साई श्रोगाहेत्ता एत्थ णं चउराहं वेलंधरनागराईणं चत्तारि श्रावासपव्वता पन्नत्ता तंजहा-गोथूमे उदयभासे संखे दगसीमे, 3 / तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलियोवमट्टितीता परिवसंति तंजहागोथूभे सिवए संखे मणोसिलाते, 4 / जंबूद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिल्लायो वेइयंतायो चउसु विदिसासु लवणसमुद्द बायालीसं 2 जोयणसहस्साई योगाहेत्ता एत्थ णं चउराहं अणुवेलंधरणागरातीणं चत्तारि श्रावासपव्वता पन्नत्ता तंजहा-ककोडए विज्जुप्पभे केलासे अरुणप्पभे, 5 / तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डीया जाव पलिग्रोवमट्टितीता परिवसंति, तंजहा-ककोडए कद्दमए केलासे अरुणप्पभे, 6 / लवणे णं समुद्दे णं चत्तारि चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा, चत्तारि सूरिता तर्विसु वा तवंति वा तविस्संति वा, चत्तारि कत्तियागो जाव चत्तारि भरणीयो, चत्तारि अग्गी जाव चत्तारि जमा, चत्तारि अंगारा जाव चत्तारि भावकेऊ, 7) लवणस्स णं Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभाग समुदस्स चत्तारि दारा पन्नत्ता तंजहा-विजए विजयंते जयंते अपराजिते, ते णं दारा णं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावतितं चेव पवेसेणं पन्नत्ता, 8 तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिग्रोवमट्टितिया परिवसंति-विजये वेजयंते जयंते अपराजिए 6 ॥सू० 305 // धायइमंडे दीवे चत्तारि जोय सयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ता, जंबूद्दीवस्म णं दीवस्स बहिया चत्तारि भरहाई चत्तारि एरवयाई, एवं जहा सदुद्देसते तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चत्तारि मंदरा चत्तारि मन्दरचूलियायो ॥सू० 306 // [ अथ नन्दीश्वरविचारः] णंदीसरवरस्स णं दीवस्स चकवालविवखंभस्स बहुमझदेसभागे चउदिसिं चत्तारि अंजणगपव्वता पन्नत्ता तंजहा-पुरस्थिमिल्ले अंजणगपवते दाहिणिल्ले यंजणगपव्वए पञ्चथिमिल्ले घंजणगपवते उत्तरिल्ले अंजणगपव्वते 4, 1 / ते णं अंजणगपव्वता चउरासीति जोयणसहस्साई उद्धं उच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं तदणंतरं च णं मायाए 2 परिहातेमाणा 2 उवरिमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं पराणत्ता मूले इकतीसं जोयणसहस्साई बच्च तेवीसे जोयणसते एगं जोयणसहस्सं परिक्खेवेणं, उपरि तिन्नि 2 जोयणसहस्साई एगं च छावटें जोयणसतं परिक्खेवेणं, मूले विच्छिन्ना मज्झे संखेत्ता, उप्पितणुया. गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वयंजणमया अच्छा सराहा लगहा घट्टा मट्टा नीरया निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा 2 / तेसि णं यंजणगपव्वयाणं उवरिं बहुसमरमणिजभूमिभागा पन्नत्ता, तेसि णं बहुसमरमणिज्जभूमिभागाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि सिद्धाययणा पराणत्ता, ते गां सिद्धाययणा एगं जोय. णमयं पायामेणं पराणत्ता पराणासं जोयणाई विक्खंभेगां बावत्तरि जोयणाई उडढं उच्चत्तेगां, 3 / तेसिं सिद्धाययणाणां चउदिसिं चत्तारि दारा पन्नत्ता तंजहा-देवदारे असुरदारे णागदारे सुवन्नदारे, 4 / तेसु गां दारेसु चउविहा Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 3] [ 336 देवा परिवति, तंजहा-देवा असुरा नागा सुवराणा, 5 / तेसि गां दारागां पुरतो चत्तारि मुहमंडवा पन्नत्ता, तेसि गां मुहमंडवाणां पुरयो चत्तारि पेच्छाघरमंडवा पन्नत्ता, तेसि गां पेच्छाघरमंडवाणां बहुमज्झदेसभागे चत्तारि वइरामया अक्खाडगा पन्नत्ता, तेसि गां वइरामयाणं अक्वाडगाणं बहुमज्झ. देसभागे चत्तारि मणिपेढियातो पन्नत्तायो, तासि गां मणिपेदिताणां उवरिं चत्तारि सीहासणा पन्नत्ता, तेसिं गां सीहामणाणं उवरिं चत्तारि विजयदूसा पन्नत्ता, तेमि णं विजयदूसगाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि वइरामता अंकुसा पन्नत्ता, तेसु णं वतिरामतेसु ग्रंकुसेसु चत्तारि कुभिका मुत्तादामा पन्नत्ता, ते णं कुभिका मुत्तादामा पत्तेयं 2 अन्नेहिं तदद्भउच्चत्तपमाणमित्तेहि चउहिं यद्धकुंभिकेहि मुत्तादामेहि, सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, तेसि णं पेच्छाघरमंडवाणां पुरयो चत्तारि मणिपेढितायो पराणत्तायो, तासि णं मणिपेढियाणं उबरिं चत्तारि 2 चेतितथूमा पराणत्ता, तासिं णं चेतितथूभाणं पत्तेयं 2 चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढियातो पन्नत्तायो, 6 / तासि णं मणिपेदिताणं उवरिं चत्वारि जिणपडिमायो सव्वरयणामईतो संपलियंकणिसन्नायो थूभाभिमुहायो चिठ्ठति, तंजहा--रिसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा, 7 तेसि णं चेतितथूभाणं पुरतो चत्तारि मणिपेढितायो पन्नत्तायो, तासि णं मणिपेढिताणं उवरिं चत्तारि चेतितरुक्खा पन्नत्ता, ते स गां चेतितरुक्खाणं पुरयो चत्तारि मणिपेढियायो पन्नत्तायो, तासि गां मणिपेढियाणां उवरि चत्तारि महिंदज्झया पन्नत्ता, तेसि गां महिंदज्झताणां पुरयो चत्तारि गांदातो पुक्खरिणीयो पन्नत्तायो 8 तासि णं पुक्खरिणीयां पत्तेयं 2 चउदिसिं चत्तारि वणसंडा पन्नत्ता तंजहा-पुरच्छिमेणं दाहिणेणं पञ्चत्थिमेणं उत्तरेणं--पुञ्चेणं असोगवणं दाहिणयो होइ सत्तवराणवणं / अवरेणं चंपगवणं चूतवणं उत्तरे पासे // 1 // 1 / तत्थ गांजे से पुरच्छिमिल्ले अंजणगपब्बते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदायो पुक्खरिणीतो पन्नत्तायो Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 340 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः तंजहा-पंदुत्तरा णंदा पाणंदा नंदिवद्धणा, तायो णंदायो पुक्खरिणीयो एगं जोयणसयसहस्सं थायामेणं पन्नासं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं दस जोयणसताई उव्वेहेणं, तासि णं पुक्खरिणीणं पत्तेयं 2 चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा, 10 तेसि णं तितोवाणपडिरूवगाणं पुरतो चत्तारि तोरणा पनत्ता तंजहा-पुरच्छिमेणं दाहिणेणं पचत्थिमेणं उत्तरेणं, 11 // तासि णं पुक्खरणीणं पत्तेयं 2 चउदिसिं चत्तारि वणसंडा पन्नत्ता तंजहा-- पुरतो दाहिणेणं (चत्थिमेणं उत्तरेणं, पुव्वेणं असोगवणं जाव चूयवणं उत्तरे पासे, तासि णं पुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि दधिमुहगपव्वया पन्नत्ता, ते णं दधिमुहगपव्वया चउसट्टि जोयणसहस्साई उड्ढे उच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं उब्वेहेणं सव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंठिता दसजोयणसहस्साई विक्खंभेणं एकतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं, सवरयणामता अच्छा जाव पडिरूवा, तेसि णं दधिमुहगपव्वताणं उवरिं बहुसमरमणिजा भूमिभागा पन्नत्ता, सेसं जहेव अंजणगपव्वताणं तहेव निरवसेसं भाणियब्वं, जाव चूतवणं उत्तरे पासे, 12 / तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले अंजणगपवते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदाश्रो पुक्खरणीयो पराणत्तायो, तंजहा-भद्दा विसाला कुमुदा पोंडरिगिणी, तातो णंदातो पुक्खरणीतो एगं जोयणसयसहस्सं सेसं तं चेव जाव दधिमुहगपब्वता जाव वणसंडा, 13 // तत्थ णं जे से पचस्थिमिल्ले अंजणगपव्वते तस्स गां चउद्दिसिं चत्तारि गांदायो पुक्खरणीयो पन्नत्तायो, तंजहा-गांदिसेणा अमोहा गोथूभा सुदंसणा, सेसं तं चेव, तहेव दधिमुहगपव्वता तहेव . सिद्धाययणा जाव वणसंडा, 14 / तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजणगपवते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदायो पुक्खरणीयो पन्नत्तायो, तंनहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिता, तातो णं पुक्खरिणीयो एगं जोयणसयसहस्सं तं चेव पमाणं तहेव दधिमुहगपव्वता तहेव सिद्धयायणा Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 3 ] [ 341 जाव वणसंडा 15 / णंदीसरवरस्स णं दीवस्स चकवालविक्खंभस्स बहुमज्मदेसभागे चउसु विदिसासु चत्तारि रतिकरगपवता पन्नत्ता तंजहा-उत्तरपुरच्छिमिल्ले रतिकरगपब दाहिणपुरच्छिमिल्ले रइकरगपव्वए दाहिणपञ्चत्थिमिल्ले रतिकर अते उत्तमचत्थिमिल्ले रतिकरगपव्वए,ते गां रतिकरगपव्वता दस जोयणसयाइं उडढं उच्चत्तेगां दस गाउतसताइं उव्वेहेगां सव्वत्थ समा झलारसंगणसंठिता दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेगां एकतीसं जोयणसहस्साई छन्च तेवीसे जोयणसते परिक्खेवेगां, सव्वरयणामता, अच्छा जाव पडिरूवा 16 / तत्थ गां जे से उत्तरपुरच्छिमिल्ले रतिकरगपव्वते तस्स गां चउदिसिं ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो चउराहमग्गमहिसीणां जंबूद्दीवपमाणायो चत्तारि रायहाणीयो पन्नत्तायो तंजहा-णंदुत्तरा णंदा उत्तरकुरा देवकुरा, कराहाते कराहरातीते रामाए रामरक्खियाते 17 / तत्थ गांजे से दाहिणपुरच्छिमिल्ले रतिकरगपवते, तस्स गां चउदिसि सक्कम्स देविंदस्स देवरन्नो चउराहमग्गमहिमीणां जंबूद्दीवपमाणातो चत्तारि रायहाणीयो पन्नत्तायो तंजहा-समणा सोमणमा अचिमाली मनोरमा, पउमाते सिवाते सतीते अंजूए 18 तत्थ णं जे से दाहिणपचत्थिमिल्ले रतिकरगपवते तत्थ णं चउदिसिं सकस्स देविंदस्स देवरन्नो चउराहमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणमेत्तातो चत्तारि रायहाणीयो पन्नत्तायो, तंजहा-भूता भूतवडेंसा गोथूभा सुदंसणा, अमलाते अच्छराते णवमिताते रोहिणीते 11 / तत्थ णं जे से उत्तरपञ्चस्थिमिल्ले रतिकरगपवते तत्थ णं चउदिसिमिसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो चउराहमग्गमहिसीणं जंबूद्दीवप्पमाणमित्तातो चत्तारि रायहाणीयो पन्नत्तायो, तंजहारयणा रतणुचता सव्वरतणा रणतसंचया, वसूते वसुगुत्ताते वसुमित्ताते वसु. धराए 20 ॥सू० 307 // चउबिहे सच्चे पन्नत्ते तंजहा-णामसच्चे ठवणसच्चे दव्वसच्चे भावसच्चे ॥सू. 308 // श्राजीवियाणं चउविहे तवे पन्नत्ते तंजहा- उग्गतवे (ोरालतवे) घोरतवे रसणिज्जूहणता जिभिदियपडिसंली Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 342 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः णता ॥सू० 301 // चउबिहे संजमे पन्नते तंजहा-मणमंजमे वतिमंजमे कायसंजमे उबगरणसंजमे / चउबिधे बिताते पुन्नने तंजहा-मणचिताये वतिचियाते कायचियाते उवगरणचियाते / चाहा रिचणता पन्नत्ता तंजहा--मणअकिंचणता वतियुकिंचणता काययक्चिगताउगरणयकिंवणता ॥सू. 310 // // इति चतुःस्थानके तृतीय उद्देशकः // // अथ चतुर्थस्थानके तृतीय उद्देशकः // चत्तारि रातीयो पन्नत्तायो तंजहा-पव्वयराती पुढविराती वालुयराती उदगराती, एवामेव चउबिहे कोहे पन्नने तंजहा--पव्वयरातिसमाणे पुढविरातिममाणे वालुयरातिममाणे उदगरातिसमागणे, पव्वयरातीसमाणं कोहं अणुपविठे जीवे कालं करेइ णेरइतेसु उववजति, पुढविरातिसमाणं कोहमणुप्पविठे जीवे कालं करेइ तिरिक्खजोणितेसु उववजति, वालुयरातिसमाणं कोहं अणुपविठे समाणे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववजति, उदगरातिममाणं कोहमणुपविठे समागो जीवे कालं करेइ देवेसु उववजति 1 / चत्तारि उदगा पन्नत्ता तंजहा-कदमोदए खंजणोदए वालुयोदए सेलोदए, एवामेव चउविहे भावे पन्नत्ते तंजहा-कद्दमोदगसमाणे खंजणोदगसमाणे वालुयोदगसमाणे, सेलोदगसमाणे, कदमोदगसमाणं भावमणुपविठे जीवे कालं करेइ णेरइएसु उववज्जति, एवं जाव सेलोदगसमाणं भावमणुपविठे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ 2 ॥सू०३११॥ चत्तारि पक्खी पन्नता तंजहा-- रुयसंपन्ने नाममेगे णो ख्वसंपन्ने, रूपसंपन्ने नाममेगे नो रुतसंपन्ने, एगे स्व. संपन्नेऽवि रुतसंपन्नेवि, नो रुत्तसंपन्ने णो स्वसंपन्ने 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--स्यसंपन्ने नाममेगे णो रूवसंपन्ने 4, 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा--पत्तियं करेमीतेगे पत्तियं करेइ, पत्तियं करेमीतेगे अपत्तितं करेति, अप्पत्तियं करेमितेगे पत्तितं करेइ, अप्पत्तियं करेमीतेगे अप्प Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 343 त्तितं करेति, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अप्पणो णाममेगे पत्तितं करेति णो परस्म, परस्स नाममेगे पत्तियं करेति णो अपणो (4) हू, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पत्तियं पवेसामीतेगे पत्तितं पवेसेइ पत्तियं पवेसामीतेगे अप्पत्तितं पवेसेति 4,5/ चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहाअप्पणो नाममेगे पत्तितं पवेसेइ णो परस्म, परस्स 4 र 6 ॥सू. 312 // चत्तारि रुक्खा पत्नत्ता तंजहा - पत्तोवए पुप्फोवए फलोवए बायोवए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पत्तोवारुक्खसमाणे पुप्फोवारुखसमाणे फलोवारुक्खसमाणे छातोवारुक्खसमाणे ॥सू० 313 // भारगणं वहमाणस्त चत्तारि श्रासासा पन्नत्ता, तंजहा-जत्थ णं अंसातो ग्रंसं साहरइ तत्थविय से एगे श्रासासे पराणत्ते 1, जत्थविय णं उच्चारं वा पासवणं वा परिहावेति तत्थविय से एगे यासासे पराणत्ते 2, जत्थविय णं णागकुमारावासंसि वा सुवनकुमारावासंसि वा वासं उवेति तत्थविय से एगे श्रासासे पन्नत्ते 3, जत्थविय णं श्रावधाते चिट्ठति तत्थविय से एगे पासासे पन्नत्ते 4, 1 / एवामेव समणोवासगस्स चत्तारि श्रासासा पन्नत्ता तंजहा-जत्थ णं सीलव्वतगुणवतवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासाइं पडिवज्जेति तत्थविथ से एगे श्रासासे पराणत्ते 1, जत्थविय णं सामाइयं देसावगासियं सम्ममणुपालेइ तत्थविय से एगे श्रासासे पन्नत्ते 2, जत्थऽविय णं चाउद्दसट्टमुद्दिट्ठपुन्नमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेइ तत्थवि य से एगे श्रासासे पराणत्ते 3, जत्थवि य णं अपच्छिममारणंतितसंलेहणाजूसणाजूसिते भत्तपाणपडितातिक्खिते पायोवगते कालमणवकंखमाणे विहरति तत्थविय से एगे पासासे पन्नत्ते 4, 2 ॥सू० 314 // चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उदितोदिते णाममेगे उदितत्थमिते णाममेगे अत्थमितोदिते णाममेगे अत्यमियत्थमिते णाममेगे, भरहे राया चाउरंतचक्कवट्टी णं उदितोदिते, बंभदत्ते णं राया चाउरंतचकवट्टी उदिअत्थमिते, हरितेसबले णमणगारे णमत्थमिश्रोदिते, काले णं Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः सोयरिये अत्यमितत्थमिते ॥सू० 315 // चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता तंजहाकडजुम्मे तेयोए दावरजुम्मे कलियोए, नेरतिताणं चत्तारि जुम्मा पन्नत्ता तंजहा-कडजुम्मे तेयोए दावरजुम्मे कलितोए, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं, एवं पुढविकाइयाणं याउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्मतिकाइयाणं वेदिताणं तेंदियाणं चारिदियाणं पंचिंदियतिरिक्खजेणियागणं माणुस्नाणं वाणमंतरजोइसियाणं वेमाणियाणं सबेसि जहा णेरझ्याणं ॥सू० 316 // चत्तारि सूरा पन्नत्ता तंजहा-खंतिसूरे तवसूरे दाणसूरे जुद्धसूरे खंतिसूरा अरहंता तवसूरा अणगारा दाण सूरे वेसमणे जुद्धसूरे वासुदेवे ॥सू० 317 / / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उच्चे णाममेगे उच्चच्छंदे उच्चे णाममेगे णीतच्छंदे णीते णाममेगे उच्चच्छंदे नीए णाममेगे णीयच्छंदे ॥सू. 318 // असुरकुमाराणं चत्तारि लेसातो पन्नत्तायो तंजह-कराहलेसा णीललेसा काउलेसा तेउलेसा, एवं जाव थणियकुमाराणं, एवं पुढविकाइयाणं ग्राउवणस्सइकाइयाणं वाणमंतराणं सव्वेसिं जहा असुरकुमाराणं ॥सू० 311 // चत्तारि जाणा पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, श्रजुत्ते णाममेगे जुत्ते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्ते, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्ते, जुत्ते णाममेगे अजुत्ते, 4, 2 / चत्तारि जाणा पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते 4, 3 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा -जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते 4,4 / चत्तारि जाणा पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, यजुत्त णाममेगे जुत्तरूवे 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे 4, 6 / चत्तारि जाणा पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे 4,7 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे 4, 8 / चत्तारि जुग्गा पन्नत्ता तंजहा--जुत्ते नाममेगे जुत्ते 4, / / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 345 पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णाममेगे जुत्ते 4, 10 / एवं जधा जाणेण चत्तारि बालावगा तथा जुग्गेणऽवि, पडिपक्खो तहेव पुरिसजाता जाव सोभेत्ति 11 // चत्तारि सारही पन्नत्ते तंजहा-जोयावइत्ता णामं एगे नो विजोयावइत्ता, विजोयावइत्ता नाम एगे नो जोयावइत्ता एगे जोयावइत्तावि विजोयावइत्तावि, एगे नो जोयावइत्ता नो विजोयावइत्ता 12 / एवामेव चत्तारि हया पन्नत्ता तंजहा-जुत्ते णामं एगे जुत्ते जुत्ते णाममेगे अजुत्ते 4, 13 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--जुत्ते णाममेगे जुत्ते 4, एवं जुत्तपरिणते जुत्तरूवे जुत्तसोभे सव्वेसि पडिवक्खो पुरिसजाता 14 / चत्तारि गया पन्नत्ता तंजहा--जुत्ते णाममेगे जुत्ते 4, 15 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--जुत्ते णाममेगे जुत्ते 4 एवं जहा हयाणं तहा गयाणवि भाणियव्वं, पडिवक्खो तहेव पुरिसजाया 16 / चत्तारि जुग्गारिता (जुग्गायरिता) पन्नत्ता तंजहा-- पंथजाती णाममेगे णो उप्पहजाती, उप्पथजाती णाममेगे णो पंथजाती एगे पंथजातीवि उप्पहजातीवि, एगे णो पंथजाती णो उप्पहजाती, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया 17 / चत्तारि पुष्फा पन्नत्ता तंजहा-रूवसंपन्ने नाममेगे णो गंधसंपन्ने, गंधसंपन्ने णाममेगे नो रूवसंपन्ने, एगे रूवसंपन्नेऽवि गंधसंपन्नेऽवि एगे णो रूवसंपन्ने णो गंधसंपन्ने, 18 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--रूवसंपन्ने णाममेगे णो सीलसंपन्ने 4, 11 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--जातिसंपन्ने नाममेगे नो कुलसंपन्ने 4, 2, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा -जातिसंपराणे नामं एगे णो बलसंपन्ने बलसंपन्ने नामं एगे णो जातिसंपन्ने 4, 2 / एवं जातीते रूवेण चत्तारि थालावगा एवं जातीते सुरण 4, एवं जातीते सीलेण 4, एवं जातीते चरितेण 4, एवं कुलेण बलेण 4, एवं कुलेण रूवेण 4, कुलेण सुतेण 4, कुलेण सीलेण 4, कुलेण चरित्तेण 4, चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-- बलसंपराणे नाममेगे णो रूवसंपन्ने 4, 12, एवं बलेण सुतेण 4, 13, Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः एवं बलेण सीलेण 4, 14, एवं बलेण चरित्तेण 4, 15, चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--रूवसंपन्ने नाममेगे णो सुयसंपराणे 4, 16, एवं रूवेण सीलेण 4, 17, स्वेण चरित्तेण 4, 18, चनारि पुरिसजाता पन्नता तंजहा-सुयसंपन्ने नाममेगे णो सीलसंपन्ने 4, 11, एवं सुतेण चरित्तेण य 4, 20, चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-सीलसंपन्ने नाममेगे नो चरित्तसंपन्ने 4, 21, एते एकवीसं भंगा भाणितव्वा, 20 / चत्तारि फला पन्नत्ता तंजहा-श्रामलगमहुरे मुदितामहुरे खीरमहुरे खंडमहुरे, 21 / एवामेव चत्तारि यायरिया पन्नत्ता तंजहा-यामलगमहुरफलसमाणे जाव खंडमहुरफलसमागो, 22 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-- यातवेतावच्चकरे नाममेगे नो परवेतावच्चकरे 4, 23 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा–करेति नाममेगे वेयावच्चं णो पडिच्छइ, पडिच्छइ नाममेगे वेयावच्चं नो करेइ 4, 24 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-अट्ठकरे णाममेगे णो माणकरे, माणकरे णाममेगे णो अट्टकरे, एगे अट्ठकरेऽवि माणकरेऽवि, एगे णो अट्टकरे णो माणकरे, 25 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--गणट्टकरे णाममेगे णो माणकरे 4, 26 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा--गणसंग्गहकरे णाममेगे णो माणकरे 4, 27 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--गणसोभकरे णामं एगे णो माणकरे 4, 28 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गणसोहिकरे णाममेगे नो माणकरे 4,21 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा- रूवं नाममेगे जहति नो धम्म, धम्म नाममेगे जहति नो रूवं, एगे स्वपि जहति धम्मपि जहति, एगे नो रूवं जहति नो धम्मं, 30 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-धम्मं नाममेगे जहति नो गणसंठितिं 1, 31 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पियधम्मे नाममेगे नो दढधम्मे, दढधम्मे नाममेगे नो पितधम्मे, एगे पियधम्मेवि दढधम्मेऽवि, एगे नो पियधम्मे नो दधम्मे, 32 / चत्तारि अायरिया पन्नत्ता तंजहा-- Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 347 पब्वायणायरिते नाममेगे णो उवट्ठावणायरिते, उट्ठावणायरिए णाममेगे णो पव्वायणायरिए एगे पवायणातरितेऽवि उवट्ठावणातरितेऽवि, एगे नो पव्वायणातरिते नो उट्ठावणातरिते धम्मायरिए, 33 // चत्तारि अायरिया पन्नत्ता तंजहा--उद्दसणायरिए णाममेगे णो वायणायरिए 4 धम्मायरिए, 34 // चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ते तंज़हा-पव्वायणंतेवासी नामं एगे णो उवट्ठावणंतेवासी 4 धम्मंतेवासी, 35 / चत्तारि अंतेवासी पन्नत्ते तंजहा--उद्देसणंतेवासी नाम एगे नो वायणंतेवासी 4 धम्मंतेवासी, 36 / चत्तारि निग्गंथा पन्नत्ता तंजहा-रातिणिये समणे निग्गंथे महाकम्भे महाकिरिए अणायावी असमिते धम्मस्स अणाराधते भवति 1, राइणिते समणे निग्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिते अातावी समिए धम्मस्स श्राराहते भवति, 2 योमरातिणिते समणे निग्गंथे महाकम्मे महाकिरिते श्रणातावी असमिते धम्मस्स अणाराहते भवति 3, श्रोमरातिणिते समणे निग्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिते अातावी समिते धम्मस्स बाराहते भवति४, 37 / चत्तारि णिग्गंथीयो पन्नत्तायो तंजहा-रातिणिया समणी निग्गंथी एवं चेव 4, 38| चत्तारि समणोवासगा पन्नत्ता तंजहा--रायणिते समणोवासए महाकम्भे तहेव 4,31 / चत्तारि समणोवासियायो पन्नत्तायो तंजहा-रायणिता समणोवासिता महाकम्मा तहेव चत्तारि गमा ४०॥सू० 320 // चत्तारि समणोवासगा पन्नत्ता तंजहा–अम्मापितिसमाणे भातिसमाणे मित्तसमाणे सवत्तिसमाणे, 1 / चत्तारि समणोवासगा पन्नत्ता तंजहा-अदागसमाणे पडागसमाणे खाणुसमाणे खरकंटयसमाणे 2 ॥सू० 321 // समणस्स णं भगवतो महावीरस्स समणोवासगाणं सोधम्मकप्पे अरुणाभे विमाणे चत्तारि पलियोवमाइं ठिती पन्नत्ता ॥सू०३२२॥ चउहि ठाणेहिं पहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तते णो चेव णं संचातेति हव्वमागच्छित्तते, तंजहा-अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः कामभोगेसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अभोववन्ने से णं माणुस्सए कामभोगे नो श्राढाइ नो परियाणाति णो अझं बंधइ णो णिताणं पगरेति णो ठितिपगप्पं पगरेति 1, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते 4 तस्स णं माणुस्सते पेमे वोच्छिन्ने दिव्वे संकेते भवति 2, पहुणोववन्ने देवे देवलोएसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते 4 तस्स णं एवं भवति-इसिंह गच्छं मुहुत्तेणं गच्छं, तेणं कालेणमप्पाउया मणुस्सा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति 3, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु दिव्वेसु कामभोगेसु मुच्छिते 4 तस्स णं माणुस्सए गंधे पडिकूले पडिलोमे तावि भवति, उडदंपिय णं माणुस्सए गंधे जाव चत्तारि पंच जोयणसताई हव्वमागच्छति 4, इच्चेतेहिं चउहि ठाणेहिं बहुणोववरणे देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचातेति हव्वमागच्छित्तए 1 / चउहिं ठाणेहिं पहुणोषवन्ने देवे देवलोएसु इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तते संचाएइ हब्वमागच्छित्तए तंजहा-बहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिव्वेसु कामभोगेसु अमुच्छिते जाव अणझोववन्ने, तस्स णं एवं भवति-पत्थि खलु मम माणुस्सए भवे पायरितेति वा उवज्झाएति वा पवत्तीति वा थेरेति वा गणीति वा गणधरेति वा गणावच्छेएति वा जेसिं पभावेणं मए इमा एतारूवा दिव्या देविड्डी दिव्या देवजुत्ती लद्धा पत्ता अमिसमन्नागया, तं गच्छामि णं ते भगवंते वंदामि जाव पज्जुवासामि, 1, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु जाव थणज्झोववन्ने तस्स णमेवं भवति--एस णं माणुस्सए भवे णाणीति वा तवस्सीति वा अइदुक्कर २कारते, तं गच्छामि णं ते भगवंते वंदामि जाव पज्जुवासामि 2, अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु जाव अणझोववन्ने तस्स णमेवं भवति-अत्थि णं मम माणुस्सए भवे माताति वा जाव सुराहाति वा, तं गच्छामि णं तेसिमंतितं पाउब्भवामि पासंतु ता मे (इमे) इममेतारूवं दिव्वं Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 346 देविढि दिव्यं देवजुत्ति लद्धं पत्तं अभिममन्नागतं 3, ग्रहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु जाव अणझोववन्ने तस्स णमेवं भवति-अत्थि णं मम माणुस्सए भवे मित्तेति वा, सहीति वा सुहीति वा सहाएति वा संगएति वा, तेसिं च णं अम्हे अन्नमन्नस्स संगारे पडिसुते भवति, जो मे पुधि चयति से संबोहेतब्वे, इच्चे तेहिं जाव संचातेति हव्वमागच्छित्तते 1, 2 ॥सू०३२३॥ चाहिं ठाणेहिं लोगंधगारे सिया, तंजहा-अरहतेहिं वोच्छिजमाणहिं अरहंतपन्नत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे पुव्वगते वोच्छिजमाणे जायतेते वोच्छिज्जमाणे 11 चाहिं ठाणेहिं लोउज्जोते सिता, तंजहा- अरेहंतेहिं जायमाणेहिं अरहंतेहिं पव्वतमाणेहिं अरहंताणं णाणुप्पयमहिमासु अरहंताणं परिनिव्वाणमहिमासु२। एवं देवंधगारे देवुजोते देवसन्निवाते देवुक्कलिताते देवकहकहते,३। चउहि ठाणेहिं देविंदा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छंति एवं जहा तिठाणे जाव लोगंतिता देवा माणुस्सं लोगं हव्वमागच्छेजा, तंजहा--अरहतेहिं जायमाणेहिं जाव अरिहंताणं परिनिव्वाणमहिमासु 4 ॥सू. 324 // चत्तारि दुहसेन्जायो पन्नतायो तंजहा-तत्थ खलु इमा पदमा दुहसेजा तंजहा-से गणं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते निग्गंथे पावयणे संकिते कंखिने वितिगिच्छिते भेयसमावन्ने कलुसमावन्ने निग्गंथं पावयणं णो सदहति णो पत्तियति णो रोएइ, निग्गंथं पावयणं असदहमाणे अपत्तितमाणे अरोएमाणे मणं उच्चावतं नियच्छति विणिघातमावज्जति पढमा दुहसेज्जा १,ग्रहावरा दोचा दुहसेजा से णं मुडे भवित्ता अगारातो जाव पव्वतिते सएणं लाभेणं णो तुस्सति परस्स लाभमासाएति पीहेति पत्थेति अभिलसति परस्स लाभमासाएमाणे जाव अभिलसमाणे मणं उच्चावयं नियच्छइ विणिघातमावजति दोचा दुहसेजा 2, ग्रहावरा तचा दुहसेन्जा-से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए दिब्बे माणुस्सए कामभोगे श्रासाएइ जाव अभिलसति दिव्वमाणुस्सए कामभोगे यासाएमाणे जाव Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 350 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः अभिलसमाणे मणं उच्चावयं नियच्छति विणिघातमाव जति तच्चा दुहसेन्जा 3, ग्रहावरा चउत्था दुहसेन्जा-से णं मुडे जाव पव्वइए तस्स णमेवं भवति जया णं अहमगारवासमावसामि तदा णमहं संवाहणपरिमद्दणगातभंगगातुच्छोलणाई लभामि जप्पभिई च णं ग्रहं मुंडे जाव पचतिते तप्पभिई च णं अहं संवाहण जाव गातुच्छोलणाई णो लभामि, से णं संवाहण जाव गातुच्छोलणाई यासाएति जाव अभिलसति से णं संबाहण जाव गातुच्छोलणाई यासाएमाणे जाव मणं उच्चावतं नियच्छति विणिघायमावजति, चउत्था दुहसेज्जा 4,1 / चत्तारि सुहसेन्जायो पन्नत्तायो तंजहा-- तत्थ खलु इमा पढमा सुहसेजा, से णं मुडे भवित्ता अगारातो गुणगारियं पव्वतिए निग्गंथे पावयणे निस्संकिते णिवकखिते निवितिगिच्छिए नो भेदसमावन्ने नो कलुससमावन्ने निग्गंथं पावयणं सहहइ पत्तीयइ रोतेति निग्गंथं पावयणं सदहमाणे पत्तितमाणे रोएमाणे नो मणं उच्चावतं नियच्छति णो विणिघातमावजति पढमा सुहसेजा 1, ग्रहावरा दोचा सुहसेजा, से णं मुडे जाव पव्वतिते सतेणं लाभेणं तुस्सति परस्स लाभ णो आसाएति णो पीहेति णो पत्थेइ णो अभिलसति परस्स लाभमणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे नो मणं उच्चावतं णियच्छति णो विणिघातमावजति, दोचा सुहसेन्जा 2, ग्रहावरा तथा सुहसेन्जा-से णं मुंडे जाव पव्वइए दिव्वमाणुस्सए कामभोगे णो थासाएति जाव नो अभिलसति दिव्यमाणुस्सए कामभोगे अणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे नो मणं उच्चावतं नियच्छति णो विणिघातमावजति तच्चा सुहसेन्जा 3, ग्रहावरा चउत्था सुहसेजा-से णं मुडे जाव पव्वतिते तस्स णं एवं भवति-- जइ ताव अरहंता भगवंतो हट्ठा श्रारोग्गा बलिया कल्लसरीरा अन्नयराई अोरालाई कलाणाइं विउलाई पयताई पग्गहिताई महाणुभागाइं कम्मक्खयकारणाइं तवोकम्माई पडिवज्जंति किमंग पुण अहं अभोवगमियोवकमियं Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 351 वेयणं नो सम्मं सहामि खमामि तितिक्खेमि अहियासमि, ममं च णं अब्भोवगमियो जाव सम्ममसहमाणस्स अक्खममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणहियासेमाणस्स किं मन्ने कजति ? एगंतसो मे पावे कम्मे कन्जति, ममं च णं अभोवगमियो जाव सम्मं सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स किं मन्ने कन्जति ?, एगंतसो मे निजरा कजति चउत्था सुहसेज्जा 4, 2 / ॥सू० 325 // चत्तारि वायगिाजा पन्नत्ता, तंजहा-यविणीए वीगईपडिबद्धे अवियोसवितपाहुडे माई 1 / चत्तारि वातणिज्जा पनत्ता, तंजहा-विणीते अवि. गतीपडिबद्धे वितोसवितपाहुडे अमाती 2 ॥३२६॥चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा-यातंभरे नाममेगे नो परंभरे परंभरे नाममेगे नो यातंभरे एगे अातंभरेऽवि परंभरेऽवि एगे नो अायंभरे नो परंभरे, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-दुग्गए नाममेगे दुग्गए दुग्गए नाममेगे सुग्गते सुग्गते नाममेगे दुग्गए सुग्गए नाममेगे सुग्गए, 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहादुग्गते नाममेगे दुव्वए दुग्गए नाममेगे सुव्वए सुग्गए नाममेगे दुव्वते सुग्गए नाममेगे सुव्वए 4, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा-दुग्गते नाममेगे दुप्पडिताणंदे दुग्गते नाममेगे सुप्पडिताणंदे 4, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा-दुग्गते नाममेगे दुग्गतिगामी दुग्गए नाममेगे सुग्गतिगामी 4, 5 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तंजहा--दुग्गते नाममेगे दुग्गतिंगते दुग्गते नाममेगे सुगतिं गते 4, 6 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-तमे नाममेगे तमे तमे नाममेगे जोती जोती णाममेगे तमे जोती णाममेगे जोती 4,7 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-तमे नाममेगे तमबले तमे नाममेगे जोतिबले जोती नाममेगे तमवले जोती नाममेगे जोतीबले, 8 चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-तमे नाममेगे तमबलपलजणे (पजलणे) तमे नाममेगे जोतीबलपलजणे 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता, तंजहा-परि. नायकम्मे नाममेगे नो परिन्नातसन्ने परिन्नातसन्ने णाममेगे णो परिन्नातकम्मे Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 352 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः एगे परिन्नातकम्मेवि 4, 10 / पत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा -परिन्नायकम्मे णाममेगे नो परिन्नातगिहावासे परिन्नायगिहावासे णामं एगे णो परिन्नातकम्मे 4, 11 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा -परिराणायसन्ने णाममेगे नो परिन्नातगिहावासे परिन्नातगिहावासे णामं एगे० 4, 12 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-इहत्थे णाममेगे नो परत्थे परत्थे नाममेगे नो इहत्थे 4, 13 // चत्तारि पुरिसजाता पनत्ता तंजहा-एगेणं णाममेगे वड्डति एगेणं हायति एगेणं णाममेगे वड्डइ दोहिं हायति दोहिं णाममेगे वड्डति एगेणं हातति एगे दोहिं नाममेगे वड्डति दोहिं हायति, 14 / चत्तारि (प)कंथका पन्नत्ता तंजहा-पाइन्ने नाममेगे पाइन्ने पाइन्ने नाममेगे खलु के खलु के नाममेगे श्राइन्ने खलु के नाममेगे खलुके 4, 15 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-याइन्ने नाममेगे पाइन्ने चउभंगो, 16 / चत्तारि कंथगा पन्नत्ता तंजहा-पातिन्ने नाममेगे यातिन्नताते विहरति श्राइन्ने नाममेगे खलुकत्ताए विहरति 4, 17 एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-याइन्ने नाममेगे श्राइन्नताए विहरइ (वहइ), चउभंगो, 18 / चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने नाममेगे णो कुलसंपन्ने 4, 19 एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नता तंजहा-जातिसंपन्ने नाममेगे चउभंगो, 20 / चत्तारि कंथगा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने नाममेगे णो बलसंपन्ने 4, 21 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने नाममेगे णो बलसंपराणे 4, 22 / चत्तारि कंथगा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने 4, 23 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पनत्ता तंजहाजातिसंपन्ने नाममेगे णो रूपसंपराणे 4, 24 / चत्तारि कंथगा पन्नत्ता तंजहा—जाइसंपन्ने णाममेगे णो जयसंपराणे 4, 25 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा—जातिसंपन्ने 4, 26 / एवं कुलसंपन्नेण य वलसंपराणेण त 4, 27 / कुलसंपन्नेण य रूवसंपराणेण त 4, 28 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 353 कुलसंपराणेण त जयसंपन्नेणे त 4, 26 / एवं बलसंपन्नेण त स्वसंपन्नेण त 4, 30 / बलसंपन्नेण त जयसंपराणेण त 4, सव्वत्थ पुरिसजाया पडिवक्खो, 31 / चत्तारि कंथगा पन्नत्ता तंजहा— रूवसंपन्ने णाममेगे णो जयसंपन्ने 4, 32 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-रूवसंपन्ने नाममेगे णो जयसंपन्ने 4, 33 // चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहासीहत्ताते णाममेगे निक्खंते सीहत्ताते विहरइ सीहत्ताते नाममेगे निक्खंते सियालत्ताए विहरइ सीयालत्ताए नाममेगे निक्खते सीहत्ताए विहरइ सीयालत्ताए नाममेगे निक्खंते सीयालत्ताए विहरइ 34 ॥सू० 327|| चत्तारि लोगे समा पनत्ता तंजहा-अपइट्ठाणे नरए 1 जंबुद्दीवे दीवे 2 पालते जाणविमाणे 3 सबट्ठसिद्धे महाविमाणे 4, 1 / चत्तारि लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पन्नत्ता तंजहा-सीमंतए नरए समयक्खेत्ते उडुविमाणे ईसीपभारा पुढवी, 2 ॥सू० 328 // उड्ढलोगे णं चत्तारि विसरीरा पन्नत्ता तंजहा—पुढविकाइया श्राउकाइया वणस्सइकाइया उराला तसा पाणा, 1 / अहो लोगे णं चत्तारि बिसरीरा पन्नत्ता तंजहा—एवं चेव, एवं तिरियलोएवि 4, 2 ॥सू० 321 // चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहां-हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते चलसत्ते थिरसत्ते ॥सू. 330 // चत्तारि सिजपडिमायो पन्नत्ताश्रो, चत्तारि वत्थपडिमायो पनत्तायो, चत्तारि पायपडिमायो पन्नत्तायो, चत्तारि ठाणपडिमायो पन्नत्तायो॥सू० 331 // चत्तारि सरीरगा जीवफुडा पन्नत्ता तंजहा-वेउविए श्राहारए तेयए कम्मए, चत्तारि सरीरगा कम्मुम्मीसगा पनत्ता तंजहा--पोरालिए वेउब्विए आहारते तेउते ॥सू. 332 // चउहि अत्थिकाएहिं लोगे फुडे पन्नत्ते तंजहा-धम्मत्थिकारणं अधम्मत्थिकाएणं जीवत्थिकाएणं पुग्गलस्थिकाएणं, चउहिं बादरकातेहिं उववजमाणेहिं लोगे फुडे पन्नत्ते तंजहा-पुढविकाइएहिं श्राउकाइएहिं वाउकाइएहिं वणस्सइकाइएहिं ॥सू० 333 // चत्तारि पएसग्गे Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः णं तुल्ला पन्नत्ता तंजहा—धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए लोगागासे एगजीवे ॥सू. 334 // चउगहमेगं सरीरं नो सुपस्सं(पस्स) भवइ, तंजहा—पुढविकाइयाणं अाउकाइयाणं तेउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं ॥सू० 335 // चत्तारि इंदियत्था पुट्ठा वेदेति, तंजहा—सोतिदियत्थे घाणिंदियत्थे जिब्भिदियत्थे फासिंदियत्थे ।सू० 336 / / चउहि ठाणेहिं जीवा य पोग्गला य णो संचातेति बहिया लोगंता गमणताते, तंजहा-गतियभावेणं णिस्वग्गहताते लुक्खताते लोगाणुभावेणं ॥सू० 337 // चउबिहे णाते पन्नत्ते तंजहा-बाहरणे याहरणत से बाहरणतदोसे उपन्नासोवणए 1 / थाहरणे वउविहे पन्नत्ते तंजहा-याते उबाते ठवणाकम्मे पडुप्पन्नविणासी 2 / थाहरणतद्दे से चउविहे पन्नत्ते तंजहा—अणुसिट्टी उवालंभे पुच्छा निस्सावयणे 3 / थाहरणतदोसे चउविहे पन्नत्ते तंजहा– अधम्मजुत्ते पडिलोमे अंतोवणीते दुरुवणीते 4 / उपन्नासोवणए चउबिहे पन्नते तंजहातब्वत्थुते तदन्नवत्थुते पडिनिभे हेतू 5 / हेऊ चउविहे-पन्नत्ते तंजहाजावते थावते वंसते लूसते, अथवा हेऊ चउब्विहे पन्नत्ते तंजहा-पचक्खे अणुमाणे श्रोवम्मे पागमे, अहवा हेऊ चउब्विहे पन्नत्ते तंजहा-अस्थित्तं अस्थि सो हेऊ अत्थित्तं णत्थि सो हेऊ णत्थित्तं अत्थि सो हेऊ णस्थित्तं णत्थि सो हेऊ 6 ॥सू० 338 // चउबिहे संखाणे पन्नत्ते तंजहापडिकम्मं ववहारे रज्जू रासी 1 / ग्रहोलोगे णं चत्तारि अंधगारं करेंति, तंजहा-नरगा णेरइया पावाई कम्माई असुभा पोग्गला, 2 / तिरियलोगे णं चत्तारि उज्जोतं करेंति, तंजहा-चंदा सूरा मणि जोती 3 / उड्डलोगे णं चत्तारि उज्जोतं करेंति, तंजहा-देवा देवीयो विमाणा ग्राभरणा 4 ॥सू० 336 // // इति चतुःस्थानकस्य तृतीयोद्देशकः // 4-3 // Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 355 // अथ चतुर्थस्थानके चतुर्थ उद्देशकः // चत्तारि पसप्पगा पन्नत्ता तंजहा-अणुप्पन्नाणं भोगाणं उप्पाएत्ता एगे पसप्पए पुवुप्पन्नाणं (पच्चुप्पन्नाणं) भोगाणं अविप्पतोगेणं एगे पसप्पते अणुप्पन्नाणं सोक्खाणं उप्पाइत्ता एगे पसप्पए पुवुप्पन्नाणं सोक्खाणं अविप्पयोगेणं एगे पसप्पए ॥सू० 340 // णेरतिताणं चउबिहे श्राहारे पन्नत्ते तंजहा-इंगालोवमे मुम्मुरोवमे सीतले हिमसीतले, 1 / तिरिवखजोणियाणं चउबिहे पाहारे पन्नत्ते तंजहा--कंकोवमे बिलोवमे पाणमंसोवमे पुत्तमंसोवमे, 2 / मणुस्साणं चउबिहे ग्राहारे पन्नत्ते तंजहा-असणे जाव सातिमे, 3 / देवाणं चउबिहे श्राहारे पन्नत्ते तंजहा-वन्नमते गंधमते रसमंते फासमंते 4 ॥सू० 341 / / चत्तारि जातियासीविसा पन्नत्ता तंजहा-विच्छतजातीयासीविसे मंडुक्कजातीयासीविसे उरगजातीयासीविसे मगुस्सजातियासीविसे, विच्छुयजातियासीविसस्स णं भंते ! केवइए विसए पन्नत्ते?, पभू णं विच्छुयजातियासीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं करित्तए विसए से विसट्टताए नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, मंडुकजातियासीविसस्स पुच्छा, पभू णं मंडुक्कजातियासीविसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं, सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा, उरगजाति पुच्छा, पभू णं उरगजातियासीविसे जंबूद्दीवपमाणमेत्तं बोंदि विसेण सेसं तं चेव जाव करेस्संति वा, मणुस्तजातिपुच्छा, पभू णं मणुस्सजातियासीविसे समतखेत्तपमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिण(ग)तं विसट्टमाणिं करेत्तए, विसते से विसट्टताते नो चेव णं जाव करिस्संति वा ॥सू० 342 // चउविहे वाही पन्नत्ते तंजहा-वातिते पित्तिते सिंभिते सन्निवातिते, 1 / चउब्विहा तिगिच्छा पन्नत्ता तंजहा-विजो श्रोसधाई बाउरे परिचारते 2 ॥सू० Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 356 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः 343 // चत्तारि तिगिच्छगा पन्नत्ता तंजहा--याततिगिच्छते नाममेगे णो परतिगिच्छते 1 परतिगिच्छए नाममेगे 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-वणकरे णाममेगे नो वणपरिमासी वणपरिमासी नाममेगे णो वणकरे एगे वणकरेऽवि वणपरिमासीऽवि एगे णो वणकरे णो वणपरिमासी वि / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा---वणकरे नाममेगे णो वणसारक्खी 4, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-वणकरे नाम एगे णो वणसरोही 4, 4 / चत्तारि वणा पन्नत्ता तंजहा-यंतोसल्ले नाममेगे णो बाहिंसल्ले 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--यंतोसल्ले णाममेगे णो णो बाहिंसल्ले 4, 6 / चत्तारि वणा पत्नत्ता तंजहा--तो दुठे नामं एगे णो बाहिं दुठे बाहिं दुठे नाम एगे नो अंतो दुठे 4, 7 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–अंतो दुठे नाममेगे नो बाहिं दुठे 4, 8 चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा सेतंसे णाममेगे सेयंसे सेयसे नाममेगे पावंसे पावंसे णामं एगे सेयंसे पावंसे णाममेगे पावंसे, / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-सेतंसे णाममेगे सेतंसेत्ति सालिसए सेतंसे णाममेगे पावंसेत्ति सालिसते 4, 10 / चत्तारि पुरिसा पन्नत्ता तंजहासेतंसेत्ति णाममेगे सेतंसेत्ति मराणति सेतंसेत्ति णाममेगे पावंसेत्ति मराणति 4, 11 / चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा–सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसते मन्नति सेतंसे णाममेगे पावंसेत्ति सालिसते मन्नति 4, 12 / चत्तारि पुरिसजाता पत्नत्ता तंजहा-याघवतित्ता णाममेगे णो परिभावतित्ता परिभावइत्ता णाममेगे णो ग्राघवतित्ता 4, 13 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहाश्राघवतित्ता णाममेगे नो उंछजीविसंपन्ने उंछजीविसंपन्ने णाममेगे णो बाघवइत्ता 4, 14 / चउन्विहा रुक्खविगुव्वणा पन्नत्ता तंजहा-पवालत्ताए पत्तत्ताए पुप्फत्ताए फलत्ताए, 15 ॥सू० 344 // चत्तारि वातिसमोसरणा पन्नत्ता तंजहा-किरियावादी अकिरियावादी अन्नाणितावादी वेणतियावादी 1 / Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 357 ोरइयाणं चत्तारि वादिसमोसरणा पन्नत्ता तंजहा-किरियावादी जाव वेणतितवादी, एवमसुरकुमाराणऽवि जाव थणियकुमाराणं एवं विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणियाणं 2 |सू० 345 // चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-- गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता वासित्ता णाममेगे णो गजित्ता एगे गजित्तावि वासित्तावि एगे गो गजित्ता णो वासित्ता 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता 4, 2 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता विज्जुयाइत्ता णाममेगे 4, 3 / . एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 4 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-वासित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–वासित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 6 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा—कालवासी णाममेगे णो अकालवासी 4, 7) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-कालवासी णाममेगे नो अकालवासी 4, 81 चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखित्तवासी 4, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी 4, 10 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा--जणतित्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता णिम्मवइत्ता णाममेगे णो जणतित्ता 4, 11 / एवामेव चत्तारि अम्मापियरो पन्नत्ता तंजहा--जणइत्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता 4, 12 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा--देसवासी णाममेगे णो सव्ववासी 4, 13 / एवामेव चत्तारि रायाणो पन्नत्ता तंजहा--देसाधिवती णाममेगे णो सव्वाधिवती 4, 14 ॥सू०३४६।। चत्तारि मेहा पनत्ता तंजहा--पुवखलसंवट्टते पज्जुन्ने जीमूते जिम्हे, पुक्खलबट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससहस्साई भावेति, पज्जुन्ने णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वाससयाई भावेति, जीमूते णं महामेहे एगेणं वासेणं दुसवासाई भावेति, जिम्हे णं महामेहे बहूहिं Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः वासेहिं एगं वामं भावेति वा ण वा भावेइ ॥सू० 347 // चत्तारि करंडगा पत्रत्ता तंजहा---सोवागकरंडते वेसिताकरंडते गाहावतिकरंडते रायकरंडते 1 / एवामेव चत्तारि पायरिया पन्नत्ता निहा--सोवागकरंडगसमाणे वेसिताकरं. डगसमाणे गाहावइकरंडगसमाणे रायकरंडगसमाणे ॥सू० 348 // चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा---साले नाममेगे सालपरियाते साले नाममेगे एरंडपरियाए 4, 1 / एवामेव चत्तारि डायरिया पन्नत्ता तंजहा--साले णाममेगे सालपरिताते साले णाममेगे एरंडारियाते 4, 2 / चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा---साले णाममेगे सालपरिवारे 4, 3 / एवामेव चत्तारि बायरिया पन्नत्ता तंजहा---साले नाममेगे सालपरिवारे 4, 4 सालदुममज्झयारे जह साले णाम होइ दुमराया / इय सुंदरयायरिए सुदरसीसे मुणेयव्वे // 1 // एरंडमझयारे जह साले णाम होइ दुमराया / इय सुंदरयायरिए मंगुलसीसे मुणेयब्वे // 2 // सालदुममज्झयारे एरंडे णाम होति दुमराया / इय मंगुल यायरिए सुदरसीसे मुणेयव्वे // 3 // एरंडमझयारे एरंडे णाम होइ दुमराया / इय मंगुलबायरिए मंगुलसीसे मुणेयव्वे // 4 // चत्तारि मेच्छा पन्नत्ता तंजहा---ग्रणुसोयचारी पडिसोयचारी यंतचारी मज्मचारी 5 / एवामव चत्तारि भिक्खागा पन्नत्ता तंजहा--अणुसोयचारी पडिसोयचारी अंतचारी मझवारी, 6 / चत्तारि गोला पन्नत्ता तंजहा---मधुसित्थगोले जउगोले दारुगोले मट्टियागोले, 7 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--मधुसित्थगोलसमाणे 4, 8 / चत्तारि गोला पन्नत्ता तंजहा-श्रयगोले तउगोले तंबगोले सीसगोले, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहाअयगोलसमाणे जाव सीसगोलसमाणे, 10 / चत्तारि गोला पन्नत्ता तंजहाहिरण्णगोले सुवन्नगोले रयणगोले वयरगोले, 11 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--हिरराणगोलसमाणे जाव वइरगोलसमाणे, 12 / चत्तारि पत्ता पनत्ता तंजहा---असिपते करपत्ते खुरपत्ते कलम्बचीरितापत्ते, Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4] [356 13 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-असिपत्तसमाणे जाव कलंबचीरितापत्तसमाणे, 14 / चत्तारि कडा पन्नत्ता तंजहा-सुबकडे विदलकडे चम्मकडे कंबलकडे, 15 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहासुबकडसमाणे, जाव कंबलकडसमाणे 16 ॥सू. 349 // चउबिहा चउप्पया पन्नत्ता तंजहा-एगखुरो दुखुरा गंडीपदा सणप्फदा, 1 / चउविहा पक्खी पन्नत्ता तंजहा- चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी 2 / चउबिहा खुड्डपाणा पन्नत्ता तंजहा-बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोगिया 3 // सू० 350 // चत्तारि पक्खी पन्नत्ता तंजहा-णिवतित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता परिवइत्ता नाम एगे नो निवइत्ता एगे निवतित्तावि परिवतित्तावि एगे नो निवतित्ता नो परिवतित्ता 1 / एवामेव चत्तारि भिक्खागा पन्नत्ता तंजहा-णिवतित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता 4, 2 ॥सू. 351 // चत्तारि पुरिजाया पन्नत्ता तंजहाणिकटठे णाममेगे णिकठे निकट्ठे. नाममेगे अणिकठे 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-णिकटठे नाममेगे णिकट्टप्पा णिकठे नाममेगे अणिकट्टप्पा 4, 2 / चत्तारि पुरिंसजाया पन्नत्ता तंजहा-बुहे नाममेगे बुहे बुहे नाममेगे अबुहे 4, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-बुधे नाममेगे / बुधहियए 4, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पनत्ता तंजहा-बायाणुकंपते णाममेगे नो पराणुकंपते 4, 5 // 352 // चविहे संवासे पन्नत्ते तंजहादिव्वे श्रासुरे रक्खसे माणुसे 1 / चउब्विधे संवासे पन्नत्ने तंजहा-देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे असुरिए सद्धिं संवासं गच्छति असुरे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति 2 / चउविधे संवासे पनत्ते तंजहा-देवे नाममंगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 560 1 [भीमदागमसुधातिन्छः। प्रथमो विभाना नाममेगं रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति 4, 3 // चउन्विधे संवासे पत्नत्ते तंजहा- देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे मणुस्सीहिं सद्धिं संवासं गच्छति मणुस्से नाममेगे देवीहिं सद्धिं संवासं गच्छति मणुस्से नाममेगे मणुस्सीइ सद्धिं संवासं गच्छति 4 / चउविधे संवासे पन्नत्ते तंजहा-असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति असुरे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति 4, 5 / चउविधे संवासे पन्नत्ते तंजहा-असुरे णाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति असुरे नाममेगे मणुस्सीए सद्धिं संवासं गच्छति 4, 6 / चउन्विधे संवासे पन्नत्ते तंजहा-रक्खसे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति खखसे नाममेगे माणुसीए सद्धिं संवासं गच्छति 4, 7 ॥सू० 353 // चउविहे श्रवद्धं से पत्नत्ते तंजहा-बासुरे श्राभियोगे संमोहे देवकिब्बिसे 1 / चरहिं ठाणेहिं जीवा अासुरत्ताते कम्मं पगरेंति, तंजहा-कोवसीलताते पाहुडसील याते संसत्ततवोकम्मेणं निवित्ताजीवयाते 2 / चउहि ठाणेहिं जीवा अाभियोगत्ताते कम्मं पगरेति तंजहा-अत्तुकोसेणं परपरिवातेणं भूतिकम्मेणं कोउयकर. गेणं 3 / चउहिं गणेहिं जीवा सम्मोहत्ताते कम्मं पगरेंति, तंजहा-उम्मग्गदेसणाए मग्गंतराएणं कामासंसपयोगेणं भिजानियाणकरणेणं / चाहिं ठाणेहिं जीवा देवकिञ्चिसियत्ताते कम्मं पगरेंति तंजहा-अरहताणं अवन्नं वयमाणे अरहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अवन्नं वयमाणे श्रायरियउवज्झायाणमवन्नं वदमाणे चाउवनस्स संघस्स अवन्नं वदमाणे 5 // सू० 354 // चउन्विहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा- इहलोगपडिबद्धा परलोगपडिबछा दुहतो लोगपडिबद्धा अप्पडिबद्धा 1 / चउन्विहा पर जा पन्नत्ता तंजहापुरोपडिबद्धा मग्गोपडिबदा दुहतो पडिबद्धा अपडिबद्धा 2 / चउविहा पव्वजा पत्नत्ता तंजहा-श्रोवायपव्वजा अक्खातपव्वज्जा संगारपव्वज्जा विहगगइपव्वज्जा 3 / चउविहा पवजा पत्नत्ता तंजहा-तुउयावइत्ता Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययन 4 ]. [ 361 पुयावइत्ता मोबुयावइत्ता परिपूयावइत्ता 4 / चउविहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-नडखइया भडखइया सीहखझ्या सियालवखझ्या 5, चउविहा किसी पन्नत्ता तंजहा-वाविया परिवाविया णिदिता परिणिदिता 6 / एवामेव चउविहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-वाविता परिवाविता णिदिता परिणिदिता 7 / चउब्विहा पव्वजा पन्नत्ता तंजहा-धन्नपुजितसमाणा धनविरल्लितसमाणा धन्नविक्खित्तसमाणा धन्नसङ्कट्टितसमाणा 8 ॥सू. 355 // चत्तारि सन्नायो पन्नत्तायो तंजहा-याहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परि. ग्गहसन्ना 1 / चंउहिं ठाणेहिं याहारसन्ना समुपज्जति, तंजहा-योमकोट्ठताते 1 छुहावेयणिजस्स कम्मस्म उदएणं 2 मतीते 3 तदवोवयोगेणं 4, 2 / चरहिं ठाणेहिं भयमन्ना समुप्पजति, तंजहा-हीणसत्तनाते. भयवेयणिजस्स कम्मस्स उदएणं मतीते तदट्ठोवयोगेणं 3 / चउहिं ठाणेहिं मेहुणसन्ना समुप्पजति, तंजहा चितमंमसोणिययाए मोहणिजस्स कम्मस्म उदएणं मतीते तदट्ठोवोगेणं 4 / चउहिं ठाणेहिं परिग्गहसन्ना समुप्पजइ तंजहा-अविमुत्तयाए लोभवेयणिजस्स कम्मस्स उदएणं मतीते तदट्ठोवोगेणं 5 ॥सू: 356 // चउम्विहा कामा पन्नत्ता तंजहा-सिंगारा कलुणा बीभत्सा रोहा, सिंगारा कामा देवाणं कलुणा कामा मणुयाणं बीभत्सा कामा तिरिक्खजोणियाणं रोहा कामा ोरइयाणं // सू० 357 // चत्तारि उदगा पन्नता तंजहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदए उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदए गंभीरे णाममेगें उताणोदए गंभीरे णाममेगे गंभीरोदए 1 / एवामेव चत्तारि पुरि. सजाया पन्नत्ता तंजहा-उत्ताणे नाममेगे उत्ताणहिदए उत्ताणे णाममेगे गंभीरहिदए / 4, 2 / चत्तारि उदगा पन्नता तंजहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणो. भासी उत्ताणे णाममंगे गंभीरोभासी 4, 3 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी 4,4 / चत्तारि उदही पनते तँजहा उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही उत्ताणे Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः णागमेगे गंभीरोदही 4,5 / एवामेव चत्तारी पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहाउत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए 4, 6 / चत्तारि उदही पन्नत्ता तंजहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी 4, 7) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पनत्ता तंजहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी 4, 8 // सू० 358 / / चत्तारि तरगा पनत्ता तंजहा-समुद्द तरामीतेगे समुद्दतरइ समुह तरामीतेगे गोप्पतं तरति गोप्पतं तरामीतेगे 1, 1 // चत्तारि तरगा पन्नत्ता तंजहा-समुह तरित्ता नाममेगे समुद्दे विसीतते समुदं तरेत्ता णाममेगे गोप्पते विसीतति 4, 2 // सू० 351 // चत्तारि कुंभा पन्नत्ता तंजहा-पुन्ने नाममेगे पुन्ने पुन्ने नाममेगे तुच्छे तुच्छे णाममेगे पुन्ने तुच्छे णाममेगे तुच्छे 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पुन्ने नाममेगे पुन्ने 4, 2 / चत्तारि कुंभा पन्नत्ता तंजहा-पुन्ने नाममेगे पुन्नोभासी पुन्ने नाममेगे तुच्छोभासी तुच्छे नाममेगे पुत्रोभासी तुच्छे नाममेगे तुच्छोभासी, 3 / एवं चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पुन्ने णाममेगे पुन्नोभासी 4,4 / चत्तारि कुभा पन्नत्ता तंजहा-पुन्ने नाममेगे पुन्नरूवे पुन्ने नाममेगे तुच्छरूवे 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा-पुन्ने नाममेगे पुन्नरूवे 4,6 / चत्तारि कुंभा पन्नत्ता तंजहा-पुन्नेवि एगे पित? पुन्नेवि एगे अवदले तुच्छेवि एगे पिय? तुच्छेवि एगे श्रवदले, 7 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा-पुन्नेवि एगे पित? 4, 8 / तहेव चत्तारि कुंभा पनत्ता तंजहा-पुन्नेवि एगे विस्संदति पुन्नेवि एगे णो विस्संदति तुच्छेवि एगे विस्संदति तुच्छेवि एगे न विस्संदइ, 1 / एवामेवा चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-पुन्नेवि एगे विस्संदति 4, 10 / तहेव चत्तारि कुभा पन्नत्ता तंजहाभिन्ने जनरिए परिस्साइ अपरिस्साइ, 11 // एवामेव चउविहे चरित्ते पन्नत्ते तंजहा-भिन्ने जाव अपरिस्साई, 12 / चत्तारि कुभा पन्नत्ता तंजहामहु कुंभे नाम एगे महुप्पिहाणे महकुंभे णामं एगे विसपिहाणे विसकुभे Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाजस्त्रम् : अध्ययनं 4] [ 363 नाम एगे महुपिहाणे विसकुभे णाममेगे विसपिहाणे, 13 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-महुकुंभे नाम एगे मधुपिहाणे ४-'हिययमपावमकलुसं जीहाऽविष्य कडुयभासिणो निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से मधुकुभे मधुपिहाणे // 1 // हिययमपावमकलुसं जीहावि य कडयभासिणी निच्चं / जमि पुरिसंमि विजति से मधुकुभे विसपिहाणे // 2 // जं हिययं कलुसमयं जीहाउवि य मधुरभासिणी निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से विसकुंभे महुपिहाणे // 3 // जं हिययं कलुसमयं जीहाउवि य कडुयभासिणी निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से विसकुभे विसपिहाणे // 4 // सू० 360 // चउब्विहा उवसग्गा पन्नत्ता तंजहा-दिव्वा माणुसा तिरिक्खजोणिया श्रायसंचेयणिज्जाश दिवा उवसग्गा चउव्विहा पन्नत्ता तंजहा-हासा पाश्रोसा वीमंसा पुढोवेमात्ता 2 / माणुस्सा उवसग्गा चउविधा पन्नत्ता तंजहा-हासा पाश्रोसा वीमंसा कुसीलपडिसेवणया 3 / तिरिक्खजोणिया उवसग्गा चउबिहा पन्नत्ता तंजहा-भता पदोसा थाहारहेउं श्रवचलेणसारक्खणया 4) श्रातसंचेयणिजा उवसग्गा चउविहा पन्नत्ता तंजहा-घट्टणता पवडणता थंभणता लेसणता 5 // सू० 361 // चउब्विहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-सुभे नाममेगे सुभे सुभे नाममेगे असुभे असुभे नाम 4, 1 / चउविहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-सुभे नाममेगे सुभविवागे सुभे णाममेगे असुभविवागे असुभे नाममेगे सुभविवागे असुभे नाममेगे असुभविवागे 1, 2 / चउबिहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-पगडीकम्मे ठितीकम्मे अणुभावकम्मे पदेसकम्मे 4, 3 // सू० 362 // चउविहे संघे पन्नत्ते तंजहा-समणा समणीयो सावगा सावियायो। सू० 363 // चउब्विहा बुद्धि पन्नत्ता तंजहा-उप्पत्तिता वेणतिता कम्मिया पारिणामिया, चउविधा मई पन्नत्ता तंजहा-उग्गहमती ईहामती अवायमई धारणामती, अथवा चउब्विहा मती पनत्ता तंजहा-अरंजरोदगसमाणा वियरोदयसमाणा सरोदगसमाणा सागरोदगसमाणा // सू० 364 // Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364 ] __ [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः चउबिहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-गोरइता तिरिक्खजोणीया मणुस्सा देवा, चउबिहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा–मणजोगी वइजोगी कायजोगी अजोगी ग्रहवा चरविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-इत्थिवेयगा पुरिसवेदगा णापुसकवेदगा अवेदगा अथवा चउविहा सव्वजीवा पनत्ता तंजहा-चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी अोहिदंसणी केवलदंसणी अह्वा चउबिहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-संजया असंजया संजयासंजया गोसंजया. णोअसंजया // सू. 365 // चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-मित्ते नाममेगे मित्ते मित्ते नाममेगे अमिते मित्ते नामोंगे मित्ते अमित्ते णाममेगे अमिते 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-मित्ते णाममेगे. मित्तरूवे चउभंगो, 4, 2 / चत्तारि पुरिमजाया पन्नत्ता तंजहा-मुत्ते णाममेगे मुत्ते मुत्ते णाममेगे अमुत्ते, 4, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-मुत्ते णाम. मेगे मुत्तख्वे 4, 4 // सू० 366 // पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चउगईया चउपागईया पन्नत्ता तंजहा-पंचिंदियतिरिवखजोणिया पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजमाणा गोरइएहिंतो वा तिरिक्खजोणिएहितो वा मणुस्सेहितो वा देवेहिंतो वा उववज्जेजा, से चेब णं से पबिंदियतिरिवखजोणिए पंचिदियतिरिवखजोणियत्तं विप हमाणे गोरइत्तत्ताए वा जाव देवत्ताते वा उवागच्छेजा, मणुस्सा चउगईया चउग्रागतिता, एवं चेव मगुस्साविः // सू० 367 // बेइंदिया णं जीग असमारभमाणस्स चउविहे संजमे कजति, तंजहा-जिभामयातो सोवखातो अववरोवित्ता भवति, जिभामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति, फास्मयातो सोवखातो अववरोवेत्ता भवइ एवं चेव 4, बेइंदियाणं जीवा समारभमाणस्त चउविधे असंजमे कजति, तंजहा-जिभमयातो सोक्खायो ववरोवित्ता भवति. जिभामतेणं दुक्खेणं संजोगित्ता भवति, फासामयातो सोवखायो ववरोवेत्ता भवइ // सू० 368 // सम्मद्दिट्ठिताणं णेरइयाणं चत्तारि किरियायो पन्नत्तायो Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानागपत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 365 तंजहा-श्रारंभिता परिग्गहिता मातावत्तिया अपञ्चवखाणकिरिया / / सम्मदिट्टिताणमसुरकुमाराणं चत्तारि किरियायो पनत्ताश्रो तंजहा-एवं चेव, एवं विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणियाणं 2 // सू० 361 // चाहिं गोहिं संते गुणे नासेजा, तंजहा–कोहेणं पडिनिसेवेणं अकयगणुयाए मिच्छत्ताभिनिवेसेणं 1 / चरहिं गणेहिं संते (असंते) गुणे दीवेजा तंजहाश्रभासवत्तितं परच्छदाणुवत्तितं कजहेउं कतपडिकतितेति वा 1 // सू० 370 ॥णेरइयाणं चाहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिता, तंजहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / णेरइयाणं चउहिं ठाणेहिं निव्वत्तिते सरीरे पन्नत्ते तंजहा-कोहनिव्वत्तिए जाव लोभनिव्वत्तिए, एवं जाव वेमाणियाणं 2 ॥सू० 371 // चत्तारि धम्मदारा पन्नत्ता, तंजहाखंति मुत्ती अज्जवे मद्दवे // सू० 372 // चउहिं ठाणेहिं जीवा णेरतियताए कम्मं पकरेंति, तंजहा-महारंभताते महापरिग्गहयाते पंचिंदियः हेणं कुणिमाहारेणं 1 / चउहि ठाणेहिं जीवा तिरिक्खजोणियत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजहा-माइलताते णियडिल्लताते अलियवयणेणं कूडतुलकूडमाणेणं 2 / चउहि ठाणेहिं जीवा मणुस्सत्ताते कम्म पगरेंति, तंजहा-पगतिभद्दताते पगतिविणीययाए साणुकोसयाते श्रमच्छरिताते 3 / चहि ठोहिं जीवा देवाउयत्ताए कम्म पगरेंति, तंजहा-सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं बालतबोकम्मेणं अकामणिजराए 4 // सू० 373 // उविहे वज्जे पन्नत्ते तंजहा-तते वितते घणे मुसिरे / चउविहे नट्टे पनत्ते तंजहा-अंचिए रिभिए धारभडे भि(भ)सोले 2 / चउविहे गेए पत्ते तंजहा-उक्खित्तए पत्तए मंदए रोविंदए 3 / चउब्विहे मल्ले पन्नत्ते तंजहा-गंथिमे वेडिमे पूरिमे संघातिमे 4 / चउविहे अलंकारे पनत्ते तंजहा-केसालंकारे वत्थालंकारे मल्लालंकारे श्राभरणालंकारे 5 / चउबिहे अभिणते पन्नत्ते तंजहादिंठतिते पांडुसुते सामंतोवातणिते लोगमब्भावसिते 6 // सू० 374 // Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः सणंकुमारमाहिंदे सुणं कप्पेसु विमाणा चउवन्ना पनत्ता तंजहा- गीसा लोहिता हालिदा सुकिला, महासुकसहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उकोसेणं चत्तारि रयणीयो उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता // सू० 375 // चत्तारि उदकगमा पन्नत्ता तंजहा-उस्सा महिया सीता उसिणा, चतारि उदकंगभा पन्नत्ता तंजहा-हेमगा अब्भसंथडा सीतोसिणा पंचरूविता,-माहे उ हेमगा गब्भा, फग्गुणे अब्भसंथडा। सीतोसिणा उ चित्ते, वतिसाहे पंचरूविता 1 // सू० 376 // चत्तारि माणुस्सीगभा पन्नत्ता तंजहा-इत्थित्ताए पुरिसत्ताए णपुंसगत्ताते विवत्ताए, अप्पं सुक्कं वहुँ श्रोयं, इत्थी तत्थ पजातति / अप्पं श्रोयं बहुँ सुक्क, पुरिसो तत्थ पजातति // 1 // दोराहपि रत्तसुकाणं, तुल्लभावे णपुंसयो / इत्थीतोतसमायोगे, बिंबं तत्थ पजायति // 2 // सू० 377 // उप्पायपुवस्स णं चत्तारि मूलवत्थू पन्नत्ता // मू० 378 // चउविहे कव्वे पन्नत्ते तंज़हा-गज्जे पज्जे कत्थे गेए // सू० 376 // णेरतिताणं चत्तारि समुग्धाता पन्नत्ता तनहा-वेयणासमुग्घाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए, एवं वाउकाइयाणवि // सू० 380 // अरिहतो णं अरिट्टनेमिस्स चत्तारि सया चोदसपुवीणमजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जिणो इव अवितथवागरमाणाणं उक्कोसिता चउद्दसपुब्धिसंपया हुत्था / सू० 381 / समणस्स णं भगवो महावीरस्स चत्तारि सया वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसते अपराजियाणं उकोसिता वातिसंपमा हुत्था // सू० 382 // हेछिल्ला चत्तारि कप्पा पद्धचंदमंठाग संठिया पन्नत्ता, तंजहा-सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे, 1 / मझिला चत्तारि कप्पा पडिपुन्नचंदसंठाणसंठिया पन्नत्ता, तंजहा-बंभलोगे लंतते महासुके सहस्सारे, 2 / उवरिला चत्तारि कप्पा श्रद्धचंदसंगणसंठिता पन्नत्ता, तंजहायाण,ते पाणते पारणे अच्चुते 3 // सू० 383 // चत्तारि समुद्दा पत्यरसा Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गत्रम् / अध्ययनं 5 ]: . [ 165 पन्नत्ता तंजहा-लवणोदे (लवणे) वरुणोदे खीरोदे घतोदे // सू० 384 // चत्तारि श्रावत्ता पन्नता तंजहा-खरावत्ते उन्नतावत्ते पूढावत्ते आमिसावत्ते एवामेव चत्तारि कसाया पन्नत्ता तंजहा-खरावत्तसमाणे कोहे उन्नत्तावचसमाणे माणे गूढावत्तसमाणा माता श्रामिसावत्तसमाणे लोभे, खराबत्तसमायं कोहं अणुपविट्टे जीवे कालं करेति णेरइएसु उववज्जति, उन्नत्तावत्तसमार्थ माणं एवं चेव गूढावत्तसमाणं मातमेवं चेव आमिसावत्तसमाणं लोभमणुपविट्ठो जीवे कालं करेति नेरइएसु उववज्जेति // सू० 385 // अणुराहानक्खत्ते / चउत्तारे पन्नत्ते पुव्वासाढे एवं चेव उत्तरासाढे एवं चेव // सू० 386 // जीवाणं चउठाणनिबत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तंजहा नेरतियनिव्वत्तिते तिरिक्खजोणितनिवत्तिते मणुस्सदेवनिव्वत्तिते, एवं उबचिणिंसु वा उवचिणति वा उवचिणिस्मंति वा, एवं चिय उवचिय बंध उदीर वेत तह निजरे चेव // सू० 387 // चउपदेसिया खंधा अणूता पन्नत्ता, चउपदेसोगादा पोग्गला अणंता, चउसमयट्टितीया पोग्गला अणंता, चउगुणकालगा पोग्गला अणता जाव चउगुणलुक्खा पोग्गला अांता पराणत्ता / / सू० 388 // / / इतिः चतुःस्थानकस्य चतुर्थी शकः // 4-4 // // इति चतुःस्थानकाख्यं चतुर्थाध्ययनम् // 4 // // अथ पञ्चमस्थानकाख्यं पञ्चममध्ययनम् // . पंच महन्वया पन्नत्ता तंजहा-सब्बातो पाणातिवायायो वेरमणं जाव सव्वातो परिग्गहातो वेरमणं 1 / पंचाणुव्वता पनत्ता तंजहा-थूलातो पाणाइवायातो वेरमणं थूलातो मुसावायातो वेरमणं थूलातो अदिनादाणातो वेरमणं सदारसंतोसे इच्छापरिमाणे 2 // सू० 386 // पंच वन्ना पन्नत्ता Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 368 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः तंजहा-किराहा नीला लोहिता हालिद्दा सुकिल्ला 1 / पंच रसा पन्नत्ता तंजहा-तित्ता जाव मधुरा 2 / पंच कामगुणा पन्नत्ता तंजहा-सदा स्वा गंधा रसा फासा 3 / पंचहिं अणेहिं जीवा सज्जति तंजहा-सद्देहिं जाव फासेहिं 4 / एवं रज्जति 5 मुच्छंति 6 गिझति 7 अझोववज्जति 8 | पंचहिं गणेहिं जीवा विणिघायमावज्जति, तंजहा-सद्द हिं जाव फासेहिं 1 / पंच गणा अपरिगणाता जीवाणं अहिताते सुभाते अखमाते अणिस्सेताते(यसे) श्रणाणुगामितत्ताते भवंति, तंजहा-सदा जाव फासा 10 / पंच ठाणा सुपरिन्नाता जीवाणं हिताते सुभाते जाव श्राणुगामियत्ताए भवंति, तंजहासदा जाव फासा 11 / पंच ठाणा अपरिगणाता जीवाणं दुग्गतिगमणाए भवंति तंजहा-सदा जाव फासा 12 / पंच ठाणा परिगणाया जीवाणं सुग्गतिगमणाए भवंति तंजहा-सदा जाव फासा 13 // सू० 310 // पंचहि ठाणेहिं जीवा दोग्गतिं गच्छति, तंजहा-पाणातिवातेणं जाव परि. ग्गहेणं, 1 / पंचहिं ठाणेहिं जीवा सोगतिं गच्छंति, तंजहा-पाणातिवातवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं 2 // सू० 311 // पंचपडिमातो पन्नत्तायो तंजहा-भद्दा सुभद्दा महाभदा सव्वतोभद्दा भद्दुत्तरपडिमा / ! सू० ३१२॥पंच थावरकाया पन्नत्ता तंजहा-इंदे थावरकाए बंभे थावरकाए सिप्पे थावरकाए सं(सु)मती थावरकाए पाजावच्चे थावरकाए पंच थावरकायाधिपती पन्नत्ता तंजहा-इंदे थावरकाताधिपती जाव पातावच्चे थावरकाताहिपती ॥सू. 313 // पंवहिं ठाणेहिं श्रोहिदंसणे समुप्पजिउकामेऽवि तप्पढमयाते खंभातेजा, तंजहा-अप्पभूतं वा पुढविं पासित्ता तप्पढमयाते खंभातेजा, कुथुरासिभूतं वा पुढविं पासित्ता तप्पढमयाते खंभातेजा, महतिमहालतं वा महोरगसरीरं पासित्ता तप्पढमताते खंभातेजा, देवं वा महड्डियं जान महेसक्खं पासित्ता तप्पटमताते खंभातेजा, पुरेसु वा पोराणाई (बोराणाई) महतिमहालतानि महानिहाणाई पहीणसामिताति पहीणसेउयाति पहीणगुत्तागाराइं उच्छिन्नसामियाई उच्छि Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [ 366 नसेउयाई उच्छिन्नगुत्तागाराई जाइं इमाइं गामागरणगरखेडकब्बडदोणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवेसेसु सिंघाडगतिगवउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु णगरणिद्धमणेसु सुसाणसुन्नागारगिरिकंदरसन्तिसेलोवट्ठावणभवणगिहेसु संनिक्खिताई चिट्ठति ताई वा पासित्ता तप्पढमताते खंभातेजा, इच्चेहिं पंचहिं गणेहिं श्रोहिदसणे समुप्पजिउकामेऽवि तप्पढमताते खंभाएजा 1 / पंचहिं गणेहिं केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिउकामे तप्पढमताते नो खंभातेजा, तंजहा-अप्पभूतं वा पुढविं पासित्ता तप्पढमताते णो खंभेजा, सेसं तहेव जाव भवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिट्ठति ताई वा पासित्ता तप्पढमयाते णो खंभातेजा, सेसं तहेव, इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव नो खंभातेजा 2 // सू० 314 // णेरइयाणं सरीरगा पंचवन्ना पंचरसा पन्नत्ता तंजहा-किराहा जाव सुकिल्ला तित्ता जाव मधुरा, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं / पंच सरीरगा पन्नत्ता तंजहा-योरालिते वेउन्विते श्राहारते तेयते कम्मते, थोरालितसरीरे पंचवन्ने पंचरसे पन्नत्ते तंजहा-किराह जाव सुकिल्ले तित्ते जाव महुरे, एवं जाव कम्मगसरीरे, सव्वेऽवि णं बादरबोंदिधरा कलेवरा पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा अट्ठफासा // सू० 365 // पंचहिं ठाणेहिं पुरिमपच्छिमगाणं जिणाणं दुग्गमं भवति, तंजहा-दुयाइक्खं दुविभज्जं (दुविभवं) दुपस्सं दुतितिक्खं दुरणुचरं 1 / पंचहिं ठाणेहिं मज्झिमगाणं जिणाणं सुगमं भवति, तंजहा-सुपातिक्खं सुविभज्ज सुपस्सं सुतितिक्खं सुरणुचरं 2 / पंच गणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णिच्चं वनिताई निच्चं कित्तिताई णिच्चं बुत्तिताई णिच्चं पसत्थाई निश्चमब्भणुन्नाताई भवंति, तंजहा-खंति मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे 3 // पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं जाव अब्भणुनायाई भवंति, तंजहा-सच्चे संजमे तवे चिताते बंभचेरवासे 4 पंच ठाणाई समणाणं जाव अब्भणुन्नायाई भवंति, तंजहा-उक्खित्तचरते निविखतचरते अंतचरते पंतचरते Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 370 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः लूहचरते, 5 / पंच गणाई जाव भणुराणायाइं भवंति, तंजहा-अन्नात. चरते अनइलायचरे (अन्नवेलाचरे) मोणचरे संसट्ठकप्पिते तज्जातसंसट्टकप्पिते, 6) पंच ठाणाई जाव अब्भणुन्नाताई भवंति, तंजहा-उवनिहिते सुद्धेसणिते संखादत्तिते दिट्ठलाभिते पुट्ठलाभिते, 7) पंच ठाणाई जाव अब्भणुराणाताई भवंति, तंजहा-श्रायंविलिते निवियते पुरमडिढते परिमिते पिंडवाविते भिन्नपिंडवाविते 8 / पंच ठाणाई जाव अब्भणुनायाई भवंति, तंजहा-अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे, 1 / पंच ठाणाई जाव अब्भणुनायाई भवंति, तंजहा-अरसजीवी विरसजीवी अंतजीवी पंतजीवी लूहजीवी 10 / पंच ठाणाई जाव भवंति, तंजहा-ठाणातिते उक्कडुवासणिए पडिमट्ठाती वीरासणिए सजिए, 11 // पंच ठाणाइं जाव भवंति, तंजहा-दंडायतिते लगंडसाती आतावते अवाउडते अकंडूयते 12 / / सू. 316 // पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे महानिजरे महापजवसाणे भवति, तंजहा-श्रगिलाते यायरियवेयावच्चं करेमाणे 1 एवं उवज्झाययावच्चं करेमाणे 2 थेरवेयावच्चं. 3 तवस्सिवेयावच्च० 4 गिलाणवेयावच्चं करेमाणे 5, 1 // पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे महानिजरे महापज्ज. वसाणे भवति, तंजहा-अगिलाते सेहवेगावच्चं करेमाणे 1 श्रगिलाते कुलवेयावच्चं करेमाणे 2 गिलाए गणवेयावच्चं करेमाणे 3 अगिलाए संघवेयावच्चं करेमाणे 4 अगिलाते साहम्मियवेयावच्चं करेमाणे 5, 2 // सू० 397 // पंचहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे साहम्मितं संभोतितं विसंभोतितं करेमाणे णातिकमति, तंजहा-सकिरितटाणं पडिसेवित्ता भवति 1 पडिसेवित्ता णो पालोएइ 2 बालोइत्ता णो पट्टवेति 3 पट्टवेत्ता णो णिविसति 4 जाइं इमाई थेराणं रितिपकप्पाइं भवति ताई अतियंचिय 2 पडिसेवेति से हंदहं पडिसेवामि किं मं थेरा करिस्संति ? 5, 1 / पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गये साहमितं पारंचित करेमाणे णातिकमति, Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानास्त्रम् / अध्ययनं 5 ] " [ 371 तंजहा-सकुले वसति सकुलस्स भेदाते श्रब्भुट्टित्ता भवति 1 गणे वसति गणस्स भेताते अब्भुठेत्ता भवति 2 हिंसप्पेही 3 छिद्दप्पेही 4 अभिक्खणं पसिणाततणाई पउंजित्ता भवति 5, 2 // सू० 318 // श्रायरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच बुग्गहट्ठाणा पन्नत्ता तंजहा-श्रायरियउवज्झाए णं गणंसि श्राणं वा धारणं वा नो सम्मं पउंजेत्ता भवति 1 श्रायरियउवज्झाए णं गणंसि आधारातिणियाते कितिकम्मं नो सम्मं पउंजित्ता भवति 2 श्रायरियउवज्झाते गणंसि जे सुत्तपजवजाते धारेंति ते काले 2 णो सम्मणणुप्पवातित्ता भवति 3 पायरियउवज्झाए गणंसि गिलाणसेहवे. यावच्चं नो सम्ममभुट्टित्ता भवति 4 श्रायरियउवज्झाते गणंसि श्रणापुच्छितचारी यावि हवइ नो श्रापुच्छियचारी 5, 1 / पायरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंचावुग्गहट्ठाणा पन्नत्ता तंजहा-पायरियउवज्झाए गणंसि श्राणं वा धारणं वा सम्म पउंजित्ता भवति, एवमधारायणिताते सम्म किइकम्म पउंजित्ता भवइ पायरियउवज्झाए णं गणंसि जे सुतपज्जवजाते धारेति ते काले 2 सम्मं श्रणुपवाइत्ता भवइ अायरियउवज्झाए गणंसि गिलाणसेहवेतावच्चं सम्मं अभुट्टित्ता भवति थायरियउवज्झाते गणंसि श्रापुच्छियचारी यावि भवति णो अणापुच्छियचारी 2 // सू० 311 // पंच निसिजानो पनत्तायो तंजहा-उवकुडुती गोदोहिता समपायपुता पलितंका श्रद्धपलितंका 1 // पंच अजवट्ठाणा पन्नत्ता तंजहा-साधुअज्जवं साधुमद्दवं साधुलाघवं साधुखंती साधुमुत्ती // सू० 400 // पंचविहा जोइसिया पन्नत्ता तंजहा -चंदा सूरा गहा नक्खत्ता तारायो, 1 / पंचविहा देवा पन्नत्ता तंजहा-भवितदव्वदेवा णरदेवा धम्मदेवा देवातिदेवा भावदेवा 2 // सू० 401 // पंचविहा परितारणा पन्नत्ता तंजहा-कातपरितारणा फासपरितारणा रूवपरितारणा सहपरितारणा मणपरितारणा // सू० 402 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो पंच अग्गमहि Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः सीयो पन्नत्तायो तंजहा-काले राती रतणी विज्जू मेहा, 1 / बलिस्स णं वतिरोतणिंदस्स वतिरोतणरन्नो पंच अग्गमहिसीनो पन्नत्तायो तंजहा-सुभा णिसुभा रंभा णिरंभा मतणा 2 // सू० 403 // चमरस्स णमसुरिंदस्स असुरकुमाररराणो पंच संगामिता अणिता पंच संगामिया अणियाधिवती पन्नत्ता तंजहा-पायत्ताणिते पीढाणिते कुंजराणिते महिसाणिते रहाणिते, दुमे पायत्ताणिताधिवती सोदामी यासराया पीढाणियाधिवती कुथु हत्थिराया कुंजराणिताधिवती लोहितक्खे महिसाणिताधिवती किन्नरे रधाणिताधिवती 1 / बलिस्स णं वतिरोतणिंदस्स वतिरोतणरन्नो पंच संगामिताणिता पंच संगामिताणीयाधिवती पत्नत्ता तंजहा-पायत्ताणिते जाव रधाणिते, मह दुमे पायत्ताणिताधिवती महामोतामो वासराता पीढाणिताधिवती मालं. कारो हत्थिराया कुंजराणिताधिपती महालोहिअक्खो महिसाणिताधिवती किंपुरिसे रधाणिताधिपती 2 / धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररन्नो पंच संगामिता अणिता पंच संगामिताणीयाधिपती पन्नत्ता तंजहा-पायत्ताणिते जाव रहाणीए, भद्दसेणे पायत्ताणिताधिपती जसोधरे यासराया पीठाणिताधिपती सुदंसणे हत्थिराया कुंजराणिताधिपती नीलकंठ महिसाणियाधिपती पाणंदे रहाणिताहिवई 3 / भूयाणंदस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो पंच संगामियाणिया पंच संगामियाणीयाहिबई पन्नत्ता तंजहा-पायत्ता. णीए जाव रहाणीए दक्खे पायत्ताणियाहिवई सुग्गीवे यासराया पीढाणियाहिवई सुविकमे हत्थिराया कुंजराणिताहिबई सेयकंठ महिसाणियाहिबई नंदुत्तरे रहाणियाहिबई 4 / वेणुदेवस्स णं सुवनिंदस्स सुवन्नकुमाररन्नो पंच संगामियाणिता पंच संगामिताणिताहिपती पन्नत्ता तंजहा-पायत्ताणीते एवं जधा धरणस्स तधा वेणुदेवस्सवि, वेणुदालियस्स जहा भूताणंदस्स, जधा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिलाणं जाव घोसस्स, जधा भूताणंदस्स तथा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाघोसस्स 5 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो पंच Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गत्रम् :: अभ्ययनं 5] [ 373 संगामिता अणिता पंच संगामिताणिताधिवती पत्नत्ता तजहा-पायत्ताणिते जाव उसमाणिते, हरिणेगमेसी पायत्ताणिताधिवती वाऊ श्रासराता पीढाणिताधिवई एरावणे हत्थिराया कुंजराणिताधिपई दामट्टी उसमाणिताधिपती माढरो रधाणिताधिपती, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरनो पंच संगामिया अणिता जाव पायत्ताणिते पीढाणिए कुंजराणिए उसमाणिए रधाणिते, लहुपरकमे पायत्ताणिताधिवती 6 / महावाऊ वासराया पीढाणियाहिवई पुष्पदंते हत्थिराया कुंजराणियाहिवती महादामड्डी उसमाणियाहिवई महामाढरे रधाणियाहिवती, जधा सकस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव धारणस्स जधा ईसाणस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव श्रच्चुतस्स 7 // सू० 404 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अब्भतरपरिसाए देवाणं पंच पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता। ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अब्भतरपरिसाते देवीणं पंच पलिश्रोवमाईठिती पत्नत्ता 2 // सू० 405 // पंचविहा पडिहा पत्नत्ता तंजहा-गतिपडिहा ठितीपडिहा बंधणपडिहा भोगपडिहा बलवीरितपुरिसयारपरकमपडिहा / / सू० 406 // पंचविधे श्राजीविते पन्नत्ते तंजहा-जातिश्राजीवे कुलाजीवे कम्माजीवे सिप्पाजीवे लिंगाजीवे // सू० 407 // पंच रातककुहा पनना तंजहा-खग्गं छत्तं उप्फेसं उपाणहायो वालवीत्रणी // सू० 408 // पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे णं उदिन्ने परिस्सहोवसग्गे सम्म सहेजा खमेजा तितिक्खेजा अहियासेजा, तंजहा-उदिन्नकम्मे खलु श्रयं पुरिसे उन्मत्तगभूते, तेण मे एस पुरिसे अकोसति वा अवहसति वा णिच्छोटेति वा णिभंछेति वा बंधति वा भति वा छविच्छेतं करेति वा पमारं वा नेति उद्दवेइ वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबल वा पायपुंदणम. (णं वा श्रा)च्छिदति वा विच्छिदति वा भिंदति वा श्रवहरति वा 1, जक्खाति? खलु अयं पुरिसे, तेणं मे एस पुरिसे अक्कोसति वा तहेव जाव श्रवहरति वा 2, ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उतिन्ने भवति, तेण मे Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 374.] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः एस पुरिसे अकोसति वा जाव अवहरति वा 3, ममं च णं सम्ममसहमाणस्स श्रखममाणस्स अतितिक्खमाणस्स अणधितासमाणस्स किं मन्ने कज्जति ?, एगंतसो मे पावे कम्मे कज्जति 4, ममं च णं सम्म सहमाणस्स जाव श्रहियासेमाणस्स किं मन्ने कज्जति ?,एगंतसो मे णिजरा कजति 5, इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं छउमत्थे उदिन्ने परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेजा 1 / पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्ने परीसहोवसग्गे सम्म सहेजा जाव अहियासेजा, तंजहा-खित्तचित्ते खनु अतं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसति वा तहेव जाव अवहरति वा 1 दित्तचित्ते खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरति वा 2 जक्खाति? खलु अयं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरति वा 3 ममं च णं तब्भववेयणिज्जे कम्मे उदिन्नं भवति तेण मे एस पुरिसे जाव अवहरित वा 4 ममं च णं सम्मं सहमाणं खममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पासेत्ता बहवे अन्न छउमत्था समणा णिग्गंथा उदिन्न 2 परीसहोवसग्गे एवं सम्मं सहिस्संति जाव अहियासिस्संति 5, इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं केवली उदिन्न परीसहोवसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियासेजा 2|| सू० 401 ॥पंच हेऊ पन्नत्ता तंजहा-हेउं न जाणति हेउं ण पासति हेउं ण बुज्झति हेउं .णाभिगच्छति हेउं अन्नागमरणं मरति 1 // पंच हेऊ पन्नत्ता तंजहा-हेउणा ण जाणति जाव हेउणा यन्नाणमरणं मरति 2,2 / पंच हेऊ पन्नत्ता तंजहा-हेउं जाणइ जाव हेउं छउमत्थमरणं मरइ 3 / पंच हेऊ पन्नत्ता तंजहा-हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमस्थमरणं मरइ 4 / पंच अहेऊ पन्नत्ता तंजहा-अहेडं ण याणति जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरति 5 / पंच अहेऊ पन्नत्ता तंजहा-अहेउणा न जाणति जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरति 6 / पंच अहेऊ पन्नत्ता तंजहा-अहेडं जाणति जाव अहेउं केवलिमरणं मरति 7 पंच अहेऊ पन्नत्ता तंजहा-अहेउणा ण जाणति जाव अहेउणा केवलिमरणं मरति = | केवलिस्स णं पंच अणुत्तरा पनत्ता तंजहा-अणुत्तरे Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 5] [ 375 नाणे अणुत्तरे दसणे अणुत्तरे चरित्ते अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिते 1 // सू० 410 // पउमप्पहे णमरहा पंचचित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुते चइत्ता गम्भं वक्कते चित्ताहिं जाते चित्ताहिं मुडे भवित्ता अगारात्रो अणगारितं पव्वइए चित्ताहिं अणंते अणुत्तरे णिवाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने चित्ताहिं परिणिते, पुष्पदंते णं अरहा पंचमूले हुत्था, मूलेणं चुने चइत्ता गम्भं वक्कते, एवं चेव एवमेतेणं अभिलावेणं इमातो गाहातो अणुगंतव्वातो 1 / पउमप्पभस्स चित्ता 1 मूले पुण होइ पुप्फदंतस्स 2 / पुव्वाइं श्रासादा 3 सीयलस्सुत्तर विमलस्स भद्दवता 4 // 1 // रेवतिता श्रणंतजिणो 5 पूसो धम्मस्स 6 संतिणो भरणी 7 / कुंथुस्स कत्तियायो 8 अरस्स तह रेवतीतो य 1 // 2 // मुणिसुब्बयस्स सवणो 10 श्रासिणी णमिणो 11 य नेमिणो चित्ता 12 / पासस्स विसाहायो 13 पंच य हत्युत्तरो वीरो 14 // 3 // समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे होत्था तंजहा-हत्युत्तराहिं चुए चइत्ता गर्भ वक्कते हत्युत्तराहिं गभायो गम्भं साहरिते हत्थुत्तराहिं जाते हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए हत्युत्तराहिं अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदसणे समुप्पंन्ने 2 // सू० 411 // इति पंचमट्ठाणस्स पढमो उद्देसश्रो समत्तो / // इति पञ्चमस्थानकस्य प्रथमोद्देशकः / / 5-1 // // अथ पञ्चमस्थानके द्वितीय उद्देशकः // नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमायो उहिट्ठायो गणियायो वितंजितातो पंच महराणवातो महाणदीयो अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा, तंजहा-गंगा जउणा सरऊ एरावती मही 1 / पंचहिं ठाणेहिं कप्पति, तंजहा-भतंसि वा 1 दुभिक्खंसि वा 2 फवहेज व णं कोई 3 दोघंसि वा एजमाणंसि Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 376 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागर महता वा 4 अणारितेसु 5, 2 // सू० 412 // णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा पढमपाउसंसि गामाणुगामं दूइजित्तए, पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ, तंजहा-भयंसि वा दुभिक्खंसि वा जाव महता वा अणारितेहिं 5, 1 / वासावासं पजोमविताणं णो कप्पइ णिग्गंथाण वा 2 गामाणुगामं दूइजित्तए, पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ, तंजहा-णाणट्टयाए दंसण?याए चरित्तट्टयाए पायरियउवमाया वा से वीसुभेजा थायरितउज्मायाण वा बहिता वेगावच्च करणताते 2 // 413 // पंच अणुग्घातिता पन्नत्ता तंजहा-हत्थाकम्मं करेमाणे मेहुणं पडिसेवेमाणे रातीभोयणं भुजेमाणे सागारितपिंडं भुजेमाणे रायपिंडं भुजेमाणे // सू० 414 // पंचहिं गणेहिं समणे निग्गंथे रायंतेउरमणुपविसमाणे नाइक्कमति, तंजहानगरं सिता सव्वतो समंता गुत्ते गुत्तदुवारे, बहवे समणमाहणा णो संचाएंति भत्ताते वा पाणाते वा निक्खमित्तते वा पविसित्तते वा तेसिं विन्नवणट्ठताते रातंतेउरमणुपब्बिसेज्जा 1 पाडिहारितं वा पीढफलगसेज्जासंथारगं पञ्चप्पिणमाणे रायंतेउरमणुपवेसेजा 2 हतस्स वा गयस्स वा दुटुस्स श्रागच्छमाणस्स भीते रायंतेउरमणुपवेसिजा 3 परो व णं सहसा वा बलसा वा बाहाते गहाय अंतेउरमणुपवेसेज्जा 4 बहिता व णं पारामगयं वा उज्जाणगयं वा रायंतेउरजणो सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ता णं निवेसिज्जा 5 इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे जाव णातिकमइ // सू० 415 / / पंचहिं ठाणेहिमित्थी पुरिसे सद्धिं असंवसमाणीवि गभं धरेजा, तंजहाइत्थी दुब्बियडा दुन्निसराणा सुक्कपोग्गले अधिट्ठाज्जा, सुक्कपोग्गलसंसि? व से वत्थे अंतो जोगीते अणुपवेसेज्जा, सई वा सा सुकपोग्गले अणुपवेसेज्जा परो व से सुकपोग्गले श्रणुपवेसेजा. सीअोदमवियडेण वा से श्रायममाणीते सुक्कपोग्गला अणुपवेसेजा. इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव धरेजा 1 / पंचहि अणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणावि गभं नो धरेजा, तंजहा-अप्पत्त Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमस्थानाजपत्रम् : अध्यपन 5 ] [ 377 जोवणा अति-कंतजोवणा जातिवंझा गेलनपुट्ठा दोमणंसिया 5 इच्चेतेहिं पंचहि ठाणेहिं जाव नो धरेजा 2 / पंचहिं गणेहिमित्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणीवि नो गभं धरेज्जा, तंजहा-निच्चोउया अणोउया वावन्नसोया वाविद्धसोया अणंगपडिसेवणी, इच्चेतेहि पंचहिं ठाणेहिमित्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणीवि गभं णो धरेजा 3 / पंचहिं गणेहिं इत्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाविणी नो गभं धरेजा तंजहा--उउंमि णो णिगामपडिसेविणी तावि भवति, समागता वा से सुकपोग्गला पडिविद्धंसंति उदिन्ने वा से पित्तसोणिते पुरा वा देवकम्मणा पुत्तफले वा नो निद्दिढे भवति, इञ्चेतेहिं जाव नो धरेजा 4 // सू० 416 // पंचहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीयो य एगतयो ठाणं वा सिज्ज वा निसीहियं वा चेतेमाणे णातिकमंति, तंजहा-प्रत्यंगइया निग्गंथा निग्गंथीयो य एगं महं अगामितं छिन्नावायं दीहमद्धमडविमणुपविट्ठा तत्थेगयतो गणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेमाणे णातिकमंति 1 अत्थेगइया णिग्गंथा (2) गामंसि वा णगरंसि वा जाव रायहाणिसि वा वासं उवागता एगतिया यथ उवस्सयं लभंति एगतिता णो लभंति तत्थेगतितो ठाणं वा जाव नातिकमंति 2 अत्थेगतिता निग्गंथा य (2) नागकुमारावासंसि वा (सुवरणकुमारावासंसि वा) वासं उवागता तत्थेगयो जाव णातिकमंति 3 श्रामोसगा दीसंति ते इच्छंति निग्गंथीयो चीवरपडिताते पडिगाहित्तते तत्थेगयत्रो ठाणं वा जाव णातिकमंति 4 जुवाणा दीसंति ते इच्छति निग्गंथीयो मेहुणपडिताते पडिगाहित्तते तत्थेगययो ठाणं वा जाव णातिकमंति 5 इच्चेतेहिं पंचहिं ठाणेहिं जाव नातिकमंति // पंचहिं गणेहिं समणे निग्गंथे अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहि सद्धिं संवसमाणे नाइकमति, तंजहा-खित्तचित्ते समणे णिग्गंथे निग्गंथेहिमविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं निग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिकमति 2 / एव Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः - प्रथमो विभागः मेतेणं गमएणं दित्तचित्ते जक्खातिटठे उम्मायपत्ते निग्गंथीपव्वावियते समणे णिग्गंथेहिं अविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिकमंति 3 // सू. 417 // पंच यासवदारा पन्नत्ता तंजहामिच्छत्तं अविरती एमादे कसाया जोगा / पंच संवरदारा पन्नत्ता तंजहासम्मत्तं विरती अपमादो अकसातित्तमजोगित्तं 2 / पंच दंडा पन्नत्ता तंजहाअट्टादंडे यणट्ठादंडे हिंसादंडे अकस्मातदंडे दिट्टीविप्परियासितादंडे 3 // सू०४१८॥मिच्छदिट्ठियाण पंच किरितायो पन्नत्तायो तंजहा-श्रारंभिता परिग्गहिता मातावत्तिता अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिता १।मिच्छदिट्ठि याण नेरइयाणं पंच किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-जाव मिच्छादसणवत्तिया एवं सव्वेसि निरन्तरं जाव मिच्छदिद्वितःणं वेमाणिताणं, नवरं विगलिंदिता मिच्छट्टिी ण भन्नति, सेसं तहेव 2 | पंच किरियातो पन्नत्तायो तंजहा-कातिता अहिगरिणता पातोसिया पारितावणिया पाणातिवात. किरिया 3 णेरइयाणं पंच एवं चेव निरन्तरं जाव वेमाणियाणं 1, 4 / पंच किरितायो पन्नत्तायो तंजहा-श्रारंभिता जाव मिच्छादसणवत्तिता 4, णेरइयाणं पंच किरिता, निरंतरं जाव वेमाणियाणं 2, 5 / पंच किरियातो पन्नत्तायो तंजहा-दिट्ठिया पुट्ठिया पाडुचि(पाडोचित्ता) . सामंतोवणिवाइया साहत्थिता एवं णेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 24, 3, 6 / पंच किरियातो पन्नत्तानो तंजहा-णेसत्थिता पाणवणिता वेयारणिया अणाभोगवत्तिता श्रणवकंखवत्तिता एवं जाव वेमाणियाणं 24, 4, 7 पंच किरियायो पन्नत्तायो, तंजहा-पेजवत्तिता दोसवत्तिता पयोगकिरिया समुदाणकिरिया ईरियावहिया एवं मणुस्साणवि, सेसाणं नत्थि 5, 8 // सू० 416 // पंचविहा परिन्ना पन्नत्ना, तंजहा-उवहिपरिन्ना उवस्सयपरिन्ना कसायपरिन्ना जोगपरिन्ना भत्तपाणपरिन्ना // सू० 420 // पंचविहे ववहारे पन्नत्ते, तंजहा-यागमे सुते पाणा धारणा जीते, जहा से तत्थ यागमे सिता Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् में अध्ययनं 5 ] -. : श्रागमेणं ववहारं पट्टवेजा, णो से तत्थ भागमे सिया जहा से तत्थ सुते सिता सुतेणं ववहारं पट्टवेजा, णो से तत्थ सुते सिता एवं जाव जहा से तस्थ जीए सिया जीतेणं ववहारं पट्ठवेजा, इच्चेतेहिं पंचहिं ववहारं पट्ठवेना अागमेणं जाव जीतेणं, जधा (2) से तत्य भागमे जाव जीते तहा (2) ववहारं पट्ठवेजा, से किमाहु भंते ! भागमबलिया समणा निग्गंथा ? इच्चेतं पंचविधं ववहारं जता जता. जहिं जहिं तया तता तहिं तहिं अणिस्सितोवस्सितं सम्मं ववहरमाणे समणे णिग्गंथे आणाते श्राराधते भवति // सू० 421 // संजतमणुस्साणं सुत्ताणं पंच जागरा पनत्ता, तंजहा-सदा जाव फासा 1 / संजतमणुस्साणं जागराणं पंच सुत्ता पन्नत्ता, तंजहा-सदा जाव फासा 2 / असंजयमणुस्साणं सुत्ताणं वा जागराणं वा पंच जागरा पन्नता, तंजहा-सदा जाव फासा 3 // सू० 422 // पंचहिं ठाणेहिं जीवा रतं आदिज्जति, तंजहा-पाणातिवातेणं जाव परिग्गहेणं 1 / पंचहिं ठाणेहिं जीवा रतं वमंति, तंजहा-पाणातिवातवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं 2 // सू० 423 // पंचमासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्म अणगारस्स कप्पंति पंच दत्तीयो भोयणस्म पडिगाहेत्तते पंच पाणगस्म // सू० 424 // पंचविधे उवघाते. पन्नत्ते तंजहा-उग्गमोवघाते उप्पायणोवघाते एमणोवघाते परिकम्मोवघाते परिहरणोवघाते / पंचविहा विसोही पन्नत्ता, तंजहा-उग्गमविसोही उप्पायणविसोधी एसणाविसोही परिकम्मविसोही परिहरणविसोधी // सू० 425 // पंचहिं ठाणेहिं जीवा दुल्लभबोधियत्ताए कम्म पकाति, तंजहाश्ररहताणं अवन्नं वदमाणे 1 अरहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अवन्नं वदमाणे 2 पायरियउवज्झायाण अवन्नं वदमाणे 3 चाउवन्नस्स संघस्स अवन्नं वयमाणे 4 विवक्कतवबंभचेराणं देवाणं श्रवन्नं वदमाणे 5, 1 / पंचहिं ठाणेहिं जीवा सुलभबोधियत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजहा यरहंताणं वन्नं Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 380] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः वदमाणे जाव विवक्तवबंभचेराणं देवाणं वन्नं वदमाणे 2 // सू० 426 // पंच पडिसंलीणा पत्नत्ता, तंजहा-सोइंदियपडिसंलीणे जाव फासिंदियपडिसंलीणे / पंच अप्पडिसंलीणा पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदिहश्रप्पडिसंलीणे जाव फासिंदियअप्पडिसंलीणे / पंचविधे संवरे पन्नत्ते, तंजहासोतिंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे, पंचविहे असंवरे पन्नत्ते तंजहासोइंदियश्रसंवरे जाव फासिंदियश्रसंवरे // सू० 427 // पंचविधे संजमे पन्नत्ते तंजहा-सामातितसंजमे छेदोवट्ठावणियसंजमे परिहारविसुद्धितसंजमे सुहुमसंपरागसंजमे अहवखायचरित्तसंजमे // सू० 428 // एगिदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तंजहा–पुढविकातियसंजमे जाव वणस्सतिकातितसंजमे 1 / एगिदिया णं जीवा समारभमाणस्स पंचविहे असंजमे कन्जति, तंजहा-पुढविकातितश्रसंजमे जाव वणस्सतिकातितअसंजमे 2 // सू० 421 // पंचिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तंजहा-सोतिंदितसंजमे जाव फासिंदियसंजमे, 1 / पंचिंदिया णं जीवा समारंभमाणस्स पंचविधे असंजमे कन्जति, तंजहा-सोतिदियअसंजमे जाव फासिंदियश्रसंजमे, 2 / सव्वपाणभूयजीवसत्ता णं असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तजहा-एगि. दितसंजमे जाव पंचिंदियसंजमे 3 / सव्वपाणभूतजीवसत्ता णं समारंभमाणस्स पंचविधे असंजमे कजति, तंजहा-एगिदितसंजमे जाव पंचिं. दियश्रसंजमे 4 // सू० 430 // पंचविधा तणवणस्सतिकातिता पन्नत्ता तंजहा-अग्गबीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया बीयरहा / / सू० 431 // पंचविधे पायारे पन्नत्ते तंजहा-णाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे // सू. 432 // पंचविधे श्रायारपकप्पे पन्नत्ते तंजहामासिने उग्घातिते मासिए अणुग्घाइए चउमासिए उग्घाइए चाउम्मासिए अणुग्घातीते आरोवणा। श्रारोवणा पंचविहा पन्नता तंजहा-पट्टविया Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [ 381 ठविया कसिणा अकसिणा हाडहडा॥ सू० 433 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीयाए महानईए उत्तरेणं पंच वक्खारपबता पनत्ता तंजहा-मालवंते चित्तकूडे पम्हकूडे णलिणकुडे एगसेले 1 / जंबूमंदरस्स पुरषो सीताए महानदीए दाहिणेणं पंच वक्खारपव्वता पन्नत्ता तंजहातिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे सोमणसे 2 / जंबूमंदरस्स पचत्थिमेणं सीश्रोताते महाणदीए दाहिणेणं पंच वक्खारपव्वता पन्नत्ता तंजहा-विज्जुप्पमे अंकावती पम्हावती श्रासीविसे सुहावहे 3 / जंबूमंदरपञ्चत्थिमेणं सीतोताते महानदीते उत्तरेणं पंच वक्खारपव्वता पन्नत्ता तंजहा-चंदपव्वते सूरपब्बते णागपवते देवपव्वते गंधमादणे 4 / जंबूमंदरदाहिणेणं देवकुराए कुराए पंच महदहा पन्नत्ता तंजहा-निसहदहे देवकुरुदहे सूरदहे सुलसदहे विज्जुप्पभदहे 5 / जंबूमंदरउत्तरकुराते कुराए पंच महदहा पन्नत्ता तंजहा-नीलवंतदहे उत्तरकुरुदहे चंददहे एरावणदहे मालवंतदहे 6 / सव्वेवि णं वक्खारपव्वया(ते) सीया सीबोयाश्रो महाणईयो मंदरं वा पव्वतंतेणं पंच जोयणसताई उड्ड उच्चत्तेणं पंचगाउयसताई उव्वेहेणं 7 / धाय. इसंडे दीवे पुरिच्छमद्धेणं मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महाणतीते उत्तरेणं पंच वक्खारपब्वता पनत्ता तंजहा-मालवंते एवं जधा जंबुद्दीवे तथा जाव पुक्खरवरदीवड्डपञ्चत्थिमद्धे वक्खारा दहा य उच्चत्तं भाणियव्वं 8 / समयक्खेत्ते णं पंच भरहाइं पंच एरवताई एवं जधा चउट्ठाणे बितीयउद्दे से तहा एत्थवि भाणियव्वं जाव पंच मंदरा पंच मंदरचूलितायो, णवरं उसुयारा णत्थि // सू० 434 // उसमे णं परहा कोसलिए पंच. धणुसताई उड्ड उच्चत्तेणं होत्था 1 / भरहे णं राया चाउरंतचकवट्टी पंच धणुसयाई उड्ड उच्चत्तेणं हुत्था 2 / बाहुबली णमणगारे एवं चेव 3 / बंभीगामज्जा एवं चेव 4 / एवं सुदरीवि 5 // सू० 435 // पंचहिं ठाणेहिं सुत्ते विबुझेजा, तंजहा-सद्दणं फासेणं भोयणपरिणामेणं णिदक्ख Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 382 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः एणं सुविणदसणेणं // सू० 436 // पंचहिं ठाणेहिं समणे णिग्गथे णिग्गंथिं गिराहमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिक्कमति,तंजहा-निग्गंथिं चणं श्रन्नयरे पसुजातिए वा पक्खिजातिए वा श्रोहातेजा तत्थ णिग्गंथे णिग्गंथिं गिराहमाणे वा अवलंबमाणे वा नातिकमति 1 णिग्गंथे णिग्गंथिं दुग्गंसि वा विसमंसि वा पक्खलमाणिं वा पवडमाणिं वा गिराहमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिकमति 2 णिग्गंथे णिग्गंथिं सेतंसि वा पंकसि वा पणगंसि वा उदगंसि वा उक्समाणीं वा उखुज्झमाणीं वा गिराहमाणे वा अवलंब. माणे वा णातिकमति 3 निग्गंथे निग्गंथिं नावं यारुभमाणे वा पोरोहमाणे वा णातिकमति 1, खेतइत्तं दित्तइत्तं जक्खाइट्ठ उम्मायपत्तं उवसग्गपत्तं साहिगरणं सपायच्छित्तं जाव भत्तपाणपडियातिक्खियं अट्ठजायं वा निग्गंथे निग्गंथिं गेरहमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिकमति 5 // सू० 437 // पायरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच अतिसेसा पन्नत्ता तंजहा-श्रायरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स पाए निगिझिय (2) पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णातिकमति 1 श्रायरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स उच्चारपासवणं विगिंचमाणे वा विसोधेमाणे वा णातिकमति 2 पायरियउवज्झाए पभू इच्छा वेयावडियं करेजा इच्छा णो करेजा 3 थायरियउवज्माए तो उवस्सगस्स एगरायं वा दुरातं वा एगागी वसमाणे णातिकमति 4 यायरियउवज्झाए बाहिं उवस्सगस्स एगरातं वा दुरातं वा वसमाणे णातिकमति 5 // सू० 438 // पंचहिं ठाणेहिं पायरियउवमायस्स गणावक्कमणे पन्नत्ते तंजहा-बायरियउवज्झाए गणंसि पाणं वा धारणं या नो सम्म पउंजित्ता भवति 1 श्रायरियउवज्झाए गणंसि यधारायगियाते कितिकम्म वेणइयं णो सम्मं पउंजित्ता भवति 2 थायरियउवज्झाते गणंसि जे सुयपजवजाते धारिति ते काले नो सम्ममणुपवादेत्ता भवति 3 थायरियउवज्झाए गणंसि सगणिताते वा परगणियाते वा निग्गंथीते बहिरलेसे भवति Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [383 4 मित्ते णातीगणे वा से गणातो अवक्कमेजा तेसिं संगहोवग्गहट्टयाते गणावकमणे पन्नते 5 // सू० 431 // पंचविहा इडीमंता मणुस्सा पन्नत्ता तंजहा-अरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा भावियप्पाणो अणगारा // सू० 440 // पंचमट्ठाणस्स विइयो उद्देसो॥ // इति पश्चमस्थानकस्य द्वितीय उद्देशकः / / 5-2 / / .. // अथ पञ्चमस्थानके तृतीय उद्देशकः // पंच अस्थिकाया पन्नत्ता तंजहा-धम्मत्थिकाते अधम्मत्थिकाते अागासत्थिकाते जीवत्थिकाते पोग्गलस्थिकाए 1 / धम्मत्थिकाए अवन्ने अगंधे अरसे अफासे अरूकी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे, से समासयो पंचविधे पन्नत्ते तंजहा-दव्वयो खित्तयो कालो भावयो गुणयो, दव्वो णं धम्मस्थिकाए एगं दव्यं, खेत्ततो लोगपमाणमेत्ते, कालश्रो णं कयाति णासी न कयाइ न भवति ण कयाइ ण भविस्सइत्ति भुवि भवति य भविस्सति त धुवे णितिते सासते अक्खए अवते अवट्ठिते णिच्चे, भावतो अवन्ने अगंधे अरसे अफासे, गुणतो गमणगुणे य 1, अधम्मत्थिकाए अबन्ने एवं चेव, णवरं गुणतो ठाणगुणो 2, अागासस्थिकाए श्रवन्ने एवं चेव णवरं खेत्तयो लोगालोगपमाणमित्ते गुणतो यवगाहणागुणे, सेसं तं चेव 3, जीवस्थिकाए णं अवन्ने एवं चेव, णवरं दव्ययो णं जीवत्थिगाते अणंताई दवाई, अरूवि जीवे सासते, गुणतो उपयोगगुणे सेसं तं चेव 4, पोग्गलत्थिगाते पंचवन्ने पंचरसे दुग्गंधे अट्ठफासे ख्वी अजीवे सासते श्रवट्टिते जाव दव्वत्रो णं पोग्गलस्थिकाए थणंताई दवाई खेत्तयो लोगपमाणमेत्ते कालतो ण कयाइ णासि जाव णिच्चे भावतो वनमंते गंधमते रसमंते फासमते, गुणतो गहणगुणे // सू० 441 // पंच गतीतो पन्नत्तायो तंजहा-निरयगती तिरियगती Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 384 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः मणुयगती देवगती सिद्धिगती // सू० 442 // पंच इंदियत्था पन्नत्ता तंजहा-सोतिंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे 1 / पंच मुंडा पनत्ता तंजहासोतिंदियमुंडे जाव फासिंदियमुडे 2 / श्रहवा पंच मुंडा पन्नत्ता तंजहाकोहमुडे माणामुडे मायामुडे लोभमुंडे सिरमुडे 3 // सू० 443 // अहेलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तंजहा-पुढविकाइया अाउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया पोराला तसा पाणा 1 / उड्डलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तंजहा-एवं तं चेव 2 / तिरियलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तंजहाएगिदिया जाव पंचिंदिता 3 / पंचविधा बायरतेउकाइया पन्नत्ता तंजहाइंगाले जाला मुम्मुरे अच्ची अलाते 4 / पंचविधा बादरखाउकाइया पन्नत्ता तंजहापाईणवाते पडीणवाते दाहिणवाते उदीणवाते विदिसवाते 5 / पंचविधा अचित्ता वाउकाइया पन्नत्ता तंजहा-अक्कंते धंते पीलिए सरीराणुगते संमुच्छिमे 6 // सू० 444 // पंच निग्गंथा पन्नत्ता तंजहा-पुलाते बउसे कुसीले णिग्गंथे सिणाते 1 / पुलाए पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-णाणपुलाते दंसणपुलाते चरित्तपलाते लिंगपुलाते अहासुहुमपुलातें नामं पंचमे 2 / बउसे पंचविधे पन्नत्ते तंजहा-थाभोगबउसे अणाभोगबउसे संवुडबउसे असंबुडबउसे श्रहासुहुमबउसे नामं पंचमे 3 / कुसीले पंचविधे पनत्ते तंजहाणाणकुसीले दंसणकुसीले चरितकुसीले लिंगकुसीले अहासुहुमकुसीले नाम पंचमे 4 / नियंठे पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-पढमसमयनियंठे अपदमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंठे अहासुहुमनियंठे 5 / सिणाते पंच. विधे पन्नत्ते तंजहा-अच्छवी, असबले, अकम्मसे, संसुद्धणाणदंसणधरे थरहा जिणे केवली, अपरिस्सावी 6 // सू० 445 // कप्पंति (कप्पइ) णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा पंच वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तते वा, तंजहा-जंगिते भंगिते साणते पोत्तिते तिरीडपट्टते णामं पंचमए / कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा पंच रयहरणाई धारित्तए वा परिहरित्तते वा Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 5 ] [ 385 तंजहा-उरिणए उट्टिते साणते पञ्चापिचियते मुजापिचिते नामं पंचमए // सू० 446 // धम्मं चरमाणस्स पंच णिस्माठाणा पन्नत्ता तंजहा-छक्काए गणे राया गिहवती सरीरं / सू० 447 // पंच णिही पन्नत्ता तंजहा-पुत्तनिही मित्तनिही सिप्पनिही धणणिही धन्नणिही। सू० 448 // सोए पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-पुढविसोते ग्राउसोते तेउसोते मंतसोते बंभसोते॥सू० 441 // पंच ठाणाइं छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणति ण पासति, तंजहा-धत्मस्थिकातं अधम्मत्थिकातं श्रागासत्थिकायं जीवं असरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं, एयाणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणति पासति धम्मत्थिकातं जाव परमाणुपोग्गलं // सू० 450 // अधोलोगे णं पंच श्रृणुत्तरा महतिमहालता महानिरया पनत्ता तंजहा-काले महाकाले रोरुते महारोरुते अप्पतिट्टाणे 1 / उड्डलोगे णं पंच अणुत्तरा महतिमहालता महाविमाणा पन्नत्ता तंजहा-विजये विजयंते जयंते अपराजिते सव्वट्ठ सिद्धे 2 // सू० 451 // पंच पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते चलसत्ते चिरसत्ते उदतणसत्ते // सू० 452 // पंच मच्छा पन्नत्ता तंजहा-अणुलोतचारी पडिसोतचारी यंतचारी मज्झचारी सब्वचारी, एवामेव पंच भिक्खागा पन्नत्ता तंजहा-अणुसोयचारी जाव सब्बसोयचारी // सू० 453 // पंच वणीमगा पन्नत्ता तंजहा-अतिहिवणीमते किविणवणीमते माहणवणीमते साणवणीमते समणवणीमते // सू० 454 // पंचहिं ठाणेहिं अचेलए पसत्थे भवति, तंजहा-अप्पा पडिलेहा, लाघविए पसत्थे, रूवे वेसासिते, तवे अणुनाते, विउले इंदियनिग्गहे // सू० 455 // पंच उक्ला पन्नत्ता तंजहा-दंडुक्कले रज्जुक्कले तेणुकले देसुकले सव्वुक्कले // सू० 456 // पंच समितीतो पत्नत्तायो तंजहा-ईरियासमिती भाससमिती जाव पारिट्ठावणियासमिती // सू० 457 // पंचविधा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-एगिदिता जाव पंचिंदिता 1 / एगिदिया Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 386 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः पंचगतिइया पंचागतिता पन्नत्ता, तंजहा-एगिदिए एगिदितेसु उववजमाणे एगिदितेहिंतो जाव पंचिंदिएहिंतो वा उववज्जेजा, से चेव णं से एगिदिए एगिदितत्तं विष्पजहमाणे एगिदितत्ताते वा जाव पंचिंदितत्ताते वा गच्छेजा 2 / ३दिया पचगतिता पंचागइया एवं चेव 3 / एवं जाव पंचिंदिया पंचगतिता पंचागइया पन्नत्ता तंजहा-पंचिंदिया जाव गच्छेजा 45-6 / पंचविधा सबजीया पत्नत्ता तंजहा-कोहकसाई जाव लोभकसाई यकसाती 7 / ग्रहवा पंचविधा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-नेरइया जाव देवा सिद्धा 8 // सू० 458 // ग्रह भंते ! कमलसूर-तिलमुग्गमास-णिप्फावकुलत्थया(अ)लिसंदगसतीण-पलिमंथगाणं एतेसि णं धन्नाणं कुहाउत्ताणं जधा सालीणं जाव केवतितं कालं जोणी संचिट्ठति ?, गोयमा ! (मा) जहराणेणं अंतोमुहुत्तंउकोसेणं पंच संवच्छराइं, तेण परं जोणी पमिलायति जाव तेण परं जोणीवोच्छेदे पराणत्ते // सू० 451 // पंच संवच्छरा पन्नत्ता, तंजहा-णक्खत्तसंवच्छरे जुगसंवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंवच्छरे सणिंचरसंवच्छरे 1 / जुगसंवच्छरे पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-चंदे चंदे अभिवडिढते चंदे अभिवड्डिते चेव / पमाणसंवच्छरे पंचविहे पन्नत्ते तंजहानक्खत्ते चंदे ऊऊ अादिच्चे अभिवढिते 3 / लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पन्नत्ते तंजहा-समगं नक्खता जोगं जोयंति समगं उदू परिणमंति। णच्चुराहं णातिसीतो बहूदतो होति नक्खत्ते // 1 // ससिसगलपुराणमासी जोतेती विसमचारणक्खत्ते। कडुतो बहूदतो ( या ) तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विममं पवालिणो परिणमन्ति अणुदुसु देति पुप्फफलं / वासं ण सम्मं वासति तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं तु रसं पुप्फफलाणं तु देइ अादिचो / अप्पेणवि वासेणं सम्मं निष्फज्जए सस्सं ( सामं ) // 4 // श्रादिनतेयतविता खणलवदिवसा उऊ परिणमंति / पूरिति रेणुथलताई ( पुरेइ य थलयाई ) तमाहु अभिवहितं जाण // 5 // ॥सू. 460 // पंचविधे Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 5 ] [ 387 जीवेस्स णिजाणमग्गे पन्नत्ते तंजहा-पातेहिं ऊरूहिं उरेणं सिरेणं सबंगेहिं, पाएहि णिजाणमाणे निरयंगामी भवति, उरूहि णिजाण(य)माणे तिरियगामी भवति, उरेणं निजायमाणे मणुयगामी भवति, सिरेणं णिजायेमाणे देवगामी भवति, सव्वंगेहिं ( सव्वेहिं ) निजायमाणे सिद्धिगतिपज्जवसाणे पराणत्ते // सू० 461 // पंचविहे छेयणे पन्नत्ते, तंजहा-उप्पायथ्यणे वियच्छेयणे बंधच्छेयणे पएस(पंथ)च्छेयणे दोधारच्छेयणे 1 / पंचविधे श्राणंतरिए पन्नते तंजहा-उप्पातयणंतरिते वितणंतरिते पतेसाणंतरिते समताणंतरिए सामराणागांतरिते 2 / पंचविधे अणंते पन्नत्ते तंजहा-णामणंतते ठवणाणंतते दवाणंतते गणणाणंतते पदेसाणंतते, अहवा पंचविहे श्रणंतते पन्नत्ते तंजहाएगंतोऽणंतते दुहतोणंतए देसवित्थारतए सव्ववित्थाराणंतते सासयागांतते॥ सू० 462 // पंचविहे णाणे पन्नत्ते तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणे सुयनाणे श्रोहिणाणे मणपजवणाणे केवलणाणे // सू० 463 // पंचविहेणाणावरणिज्जे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणावरणिज्जे जाव केवलनाणावरणिज्जे // सू. 464 // पंचविहे सज्झाए पन्नत्ते तंजहावायणा पुन्छणा परियट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा // सू० 465 // पंचविहे पञ्चरखाणे पन्नत्ते तंजहा-सदहणसुद्धे विणयसुद्धे अणुभासणासुद्धे अणुपालणासुद्धे भावसुद्धे // सू० 466 // पंचविहे पडिकमणे पन्नत्ते तंजहा-वासवदारपडिक्कमणे मिच्छत्तपडिक्मणे कसायपडिक्कमणे जोगपडिकमणे भावपडिक्कमणे // सू० 467 // पंचहिं ठाणेहिं सुत्तं वाएजा, तंजहा-संगहठ्ठयाते उवग्गहणट्ठयाते णिजरणट्ठयाते सुत्ते वा मे पजवयाते भविस्मति सुत्तस्म वा अवोच्छित्तिणयट्ठयाते 1 / पंचहिं ठाणेहिं सुत्तं सिक्खिजा, तंजहा-णाणट्टयाते दंसणट्ठयाते चरित्तट्ठयाते दुग्गहविमोतणट्ठयाते अहत्थे वा भावे जाणिस्सामीतिकट्टु // सू० 468 // सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंचवराणा पन्नत्ता, तंजहा-किराहा जाव सुकिल्ला Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 388] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः 1 / सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंचजोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता 2 / बंभलोगलंततेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजसरीरगा उक्को. सेणं पंचरयणी उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता 3 / नेरइया णं पंचवन्ने पंचरसे पोग्गले बंधेसु वा बंधंति वा बंधिस्संति वा, तंजहा-किराहे जाव सुकिरले, तित्ते जाव मधुरे, एवं जाव वेमाणिता 24, 4 // सू० 461 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं गंगा महानदी पंच महानदीयो समप्पेंति, तंजहा-जउणा सरऊ अादी कोसी मही 1 / जंबूमंदरस्स दाहिणेगां सिंधुमहाणदी पंच महानदीयो समप्पेति, तंजहा-सतद्द, विभासा वितत्था एरावती चंदभागा 2 / जंबूमंदरस्स उत्तरेगां रत्तामहानई पंच महनईश्रो समप्पंति, तंजहा-किराहा महाकिराहा नीला महानीला महातीरा 3 / जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रत्तावतीमहानई पंच महानईयो समप्पेंति, तंजहा-इंदा इंदसेणा सुसेणा वारिसेणा महाभोया 4 // सू० 470 // पंच तित्थगरा कुमारवासमज्झावसित्ता (मज्भेवसित्ता) मुडा जाव पव्वेतिता, तंजहावासुपुज्जे मल्ली अरिट्ठनेमी पासे वीरे॥ सू० 471 // चमरचंचाए रायहाणीए पंच सभा पन्नत्ता तंजहा-सभा सुधम्मा उववातसभा अभिसेयसभा अलंकारितसभा ववसातसभा 1 / एगमेगे णं इंदट्ठाणे णं पंच समायो पन्नत्तायो, तंजहा-सभा सुहम्मा जाव ववसातसभा // सू० 472 // पंच णवखत्ता पंचतारा पन्नत्ता तंजहा-गिट्टा रोहिणी पुणव्वसू हत्थो विसाहा // सू० 473 // जीवाणं पंचट्ठाणणिवित्तिते पोग्गले पावकम्मताते चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तंजहा-एगिदितनिव्वत्तिते जाव पंचिंदितनिव्वत्तिते 1 / एवं-'चिण उवचिण बंध उदीर वेद तह णिजरा चेव' 2 / पंचपतेसिता खंधा अता पराणत्ता, पंचपतेसोगाढा पोग्गला अणंता पराणत्ता जाव पंचगुणलुवखा पोग्गला अणंता पराणत्ता 3 // सू० 474 // पंचमट्ठाणरस तईयो उद्दे सो / पंचमझयणं समत्तं // इति पञ्चमस्थानकस्य तृतीयोद्देशकः // 5-3 / / इति पञ्चममध्ययनम् // 5 // Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 6 ] [ 389 // अथ षष्ठस्थानकाख्यं षष्ठमध्ययनम् // छहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति गणं धारित्तते, तंजहासट्ठी पुरिसजाते, सच्चे पुरिसजाते, मेहावी पुरिसजाते, बहुस्सुते पुरिसजाते, सत्तिमं, अप्पाधिकरणे // सू० 475 // छहिं ठाणेहिं निग्गंथे निग्गंथिं गिराहमाणे वा अवलंबमाणे वा नाइकमइ, तंजहा-खित्तचित्तं दित्तचित्तं जक्खातिट्ठ उम्मातपत्तं उवसग्गपत्तं साहिकरणं // सू० 476 // छहिं ठाणेहिं निग्गंथा निग्गंथीयो य साहम्मितं कालगतं समायरमाणा णाइक्कमंति, तंजहा-अंतोहिंतो वा बाहिं णीणेमाणा, बाहीहिंतो वा निब्बाहिं णीणेमाणा, उवेहमाणा वा, उवासमाणा वा (भयमाणा वा, उवसामेमाणा वा). अणुन्नवेमाणा वा, तुसिणीते वा संपव्वयमाणा // सू० 477 // छ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणति ण पासति, तंजहाधम्मस्थिकायमधम्मत्थिकातं श्रायासं जीवमसरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं सह 1 / एताणि चेव उप्पननाणदंसणधरे अरहा जिणे जाव सव्वभावेणं जाणति पासति, तंजहा-धम्मत्थिकातं जाव स 2 // सू० 478 // छहिं ठाणेहिं सबजीवाणं णत्थि इड्डीति वा जुत्तीति वा, जसेइ वा बलेति वा वीरिएइ वा पुरिसक्कारपरक्कमेति वा, तंजहा- जीवं वा अजीवं करणताते, अजीवं वा जीवं करणताते, एगसमएणं वा दो भासातो भासित्तते, सयं कडं वा कम्मं वेदेमि वा मा वा वेएमि, परमाणुपोग्गलं वा छिदित्तए वा भिंदित्तए वा अगणिकातेण वा समोदहित्तते, बहिता वा लोगंता गमणताते // सू० 471 // छज्जीवनिकाया पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया // सू० 480 // छ तारग्गहा पन्नत्ता तंजहा-सुक्के बुहे बहस्सति अंगारते सनिचरे केतू // सू० 481 // छविहा संसारसमावनगा जीवा पन्नता. तंजहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया 1 / पुढविकाइया छगइया छत्रागतिता पनत्ता, तंजहा-पुढविकातिते पुढविकाइएसु उक्वजमाणे पुढवि. Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 390 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः काइएहिंतो वा जाव तसकाइएहिंतो वा उववज्जेजा, सो चेव णं से पुढविकातिते, पुढविकातितत्तं विप्पजहमाणे पुढविकातितत्ताते वा जाव तस. कातितत्ताते वा गच्छेज्जा, बाउकातियावि छगतिता छयागतिता, एवं चेव जाव तसकातिता // सू० 482 // छविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहाश्राभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी अन्नाणी, यहवा छविधा सबजीवा पन्नत्ता तंजहा-एगिदिया जाव पंचिंदिया अणिदिया, ग्रहवा छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-थोरालियसरीरी वेउव्वियसरीरी अाहारगसरीरी तेअगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी // सू० 483 // छविहा तणवणस्सतिकातिता पन्नत्ता तंजहा-अग्गवीया मूलबीया पोरबीया खंधीया बीयरुहा संमुच्छिमा // सू० 484 // छट्टालाई सधजीवाणं गो सुलभाई भवंति, तंजहा-माणुस्सए भवे, यायरिए (यारिये) खित्ते जम्मं, सुकुने पञ्चायाती, केवलिपन्नत्तस्स धम्मरस सवणता, सुयस्स वा सद्दहणता, सदहितस्स वा पत्तितस्स वा रोइतस्स वा सम्मं कारणं फासणया // सू० 485 // छ इंदियत्था पन्नत्ता, तंजहा–सोइंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे नोइंदेयत्थे // सू० 486 // छबिहे संवरे पन्नत्ते तंजहा-सोतिदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे णोइंदितसंवरे, छब्बिहे असंवरे पन्नत्ते, तंजहा-सोइंदिअयसंवरे जाव फासिंदितअसंवरे णोइंदितअसंवरे॥ सू० 487 // छब्बिह साते पन्नत्ते, तंजहासोइंदियासाते जाव नोइंदियसाते, छबिहे असाते पन्नत्ते, तंजहासोतिंदितासाते जाव नोइंदितअसाते // सू० 488 // छविहे पायच्छित्ते पन्नत्ते, तंजहा-यालोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिह विवेगारिहे विउस्सगारिहे तवारिहे // सू० 481 // छविहा मणुस्सगा पन्नत्ता, तंजहा-जंबूदीवगा, धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धगा, धात. तिसंडदीवपचत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवडपुरथिमद्धगा, पुवखरवरदीवडपञ्चत्थिमद्धगा, अंतरदीवगा, यहवा छबिहा मणुस्सा पनत्ता, तंजहा Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धीमत्स्थानाङ्गायत्रम् :: अध्ययनं 6 ] [361 संमुच्छिममणुस्सा० ३-कम्मभूमगा 1 कम्मभूमगा 2 अंतरदीवगा 3, गब्भवक्कंतित्रमणुस्सा. ३-कम्मभूमिगा 1 अकम्मभूमिगा 2 अंतरदीवगा 3 // सू० 410 // छव्विहा इड्डीमंता मणुस्सा पन्नत्ता, तंजहा-श्ररहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विजाहरा / छविहा अणिड्डीमंता मणुस्सा पनत्ता, तंजहा-हेमवंतगा हेरनवंतगा हरिवंसगा रम्मगवंसगा कुरुवासिणो अंतरदीवगा // सू० 411 // छबिहा श्रोसप्पिणी पन्नत्ता तंजहा-सुसमसुसमा जाव दूसमदूसमा 1 / छविहा श्रोसप्पिणी पन्नत्ता तंजहा-दुस्समदुस्समा जाव सुसमसुसमा 2 // सू० 412 // जंबुद्दीवे (2) भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए मणुया छच्च धणुसहस्साई उडमुञ्चत्तेणं हुत्था, छच्च श्रद्धपलिश्रोवमाइं परमाउं पालयित्था 1 / जंबुद्दीवे (2) भरहेरवतेसु वासेसु इमीसे श्रोसप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए एवं चेव 2 / जंबूद्दीवे (2) भरहेरखते आगमेस्साते उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए एवं चेव जाव छच्च अद्धपलियोवमाई परमाउं पालतिस्संति 3 / जंबुहीवे (2) देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया छवणुस्सहस्साई उट्ठ उच्चत्तेणं पन्नत्ता, छच्च श्रद्धपलिश्रोवमाई परमाउं पालेंति 4 / एवं धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धे चत्तारि श्रालावगा जाव पुक्खरवरदीवड्डपञ्चच्छिमद्धे चनारि श्रालावगा 5 // सू० 413 // छबिहे संघयणे पन्नत्ते तंजहा-वतिरोसभणारातसंघयणे उसभणारायसंघयणे नारायसंघयणे श्रद्धनारायसंघयणे खीलितासंघयणे छे(से)व. ट्ठसंघयणे // सू. 414 // छबिहे संगणे पनत्ते तंजहा-समचउरंसे णग्गोहपरिमंडले साती खुज्जे वामणे हुँडे // सू० 415 // छठाणा श्रणतवयो अहिताते असुभाते अखमाते अनीसे(य)साए अणाणुगामियत्ताते भवंति, तंजहा-परिताते परिताले सुते तवे लाभे पूतासकारे 1 / छट्ठाणा श्रत्तवता हिताते जाव प्राणुगामियत्ताते भवंति, तंजहा-परिताते परिताले जाव पूतासकारे 2 // सू० 416 // छब्बिहा जाइबारिया मणुस्सा पन्नत्ता, Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 392 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विमानः तंजहा-अंबट्ठा य कलंदा य, वेदेहा वेदिगातिता। हरिता चुचुणा चेव, छप्पेता इन्भजातियो॥ 1 // छविधा कुलारिता मणुस्सा पन्नत्ता, तंजहाउग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाता कोरबा // सू० 417 // छविधा लोगट्ठिती पन्नत्ता तंजहा-पागासपतिट्ठिते वाए वायपतिट्टिए उदही उदधिपतिट्ठिता पुढवी पुढविपइट्ठिया तसा थावरा पाणा अजीवा जीवपइट्ठिया जीवा कम्मपतिट्ठिया // सू० 418 // छदिसायो पत्नत्तानो तंजहा--पातीणा पडीणा दाहिणा उतीणा उड्डा अधा 1 / छहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, तंजहा--पाणाते जाव अधाते 2 एवमागई 3 वक्कंती 4 श्राहारे 5 वुड्डी 6 निवुड्डी 7 विगुब्बणा 8 गतिपरिताते 1 समुग्धाते 10 कालसंजोगे 11 दंसणाभिगमे 12 णाणाभिगमे 13 जीवाभिगमे 14 अजीवाभिगमे 15, एवं पंचिंदियतिरिवखजोणियाणवि मणुरसाणवि 16 // सू० 411 // छहिं गणेहिं समणे निग्गंथे श्राहारमाहारमाणे णातिकमति, तंजहा-वेयणवेयावच्चे ईरियटाए य संजमट्ठाए। तह पाणवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए // 1 // छहि ठाणेहिं समणे निग्गंथे थाहारं वोच्छिदमाणे णातिकमति, तंजहा-यातंके उवसग्गे तितिवखणे बंभचेरगुत्तीते / पाणिदयातवहेउं सरीरवुच्छेयणट्टाए // 1 // सू० 500 // छहिं ठाणेहिं श्राया उम्मायं(उम्मायपमायं) पाउणेजा, तंजहा-यरहंताणमवराणं वदमाणे, अरहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अवन्नं वदमाणे, पायरियउवमायाणमवन्नं वदमाणे, चाउव्वनस्स संघस्स अवन्नं वदमाणे, जक्खावेसेण चेव, मोहणिजस्स चेव कम्मस्स उदएणं // सू० 501 // छबिहे पमाते पन्नत्ते, तंजहा-मजपमाए. णिदपमाते विसयपमाते कसायपमाते जूतपमाते पडिलेहणापमाए // सू० 502 // छविधा पमायपडिलेहणा पन्नत्ता, तंजहा-बारभडा संमदा वज्जेयव्वा य मोसली ततिता (अट्ठाणठवणाय)। पप्फोडणा चउत्थी वक्खित्ता वेतिया छट्ठी // 1 // छविहा अप्पमायपडिलेहणा पन्नत्ता तंजहा Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [193 श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 6 ] श्रणचावितं अवलितं श्रणाणुबंधिं अमोसलिं चे। छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणविसोहणी // 2 // सू० 503 // छ लेसाश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा 1 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं छ लेसाश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा, एवं मणुस्सदेवाणवि 2 // सू० 504 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारनो छ श्रग्गमहिसीतो पन्नत्ताश्रो, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरगणो जमस्स महारनो छ अम्गमहिसीथो पत्नत्ताश्रो // सू० 505 // ईसाणस्स णं देविंदस्स मज्झिमपरिसाए देवाणं छ पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता // सू० 506 // छ दिसिकुमारिमहतरितातो पन्नत्तात्रो, तंजहा-रूता रूतंसा सुरूवा रूपवती रूपकंता रूतप्पभा 1 / छ विज्जुकुमारिमहत्तरितातो पन्नत्तायो, तंजहाश्राला सका (श्रला मका ) सतेरा सोतामणी इंदा घणविज्जुया 2 // सू० 507 // धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ श्रग्गमहिसीयो पननायो तंजहा-श्राला सका सतेरा सोतामणी इंदा घणविज्जुया 1 // भूताणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ अगमहिसीथो, पन्नत्तात्रो, तंजहा-रुवा रूवंसा सुरूवा रूपवती स्वता स्वप्पभा 2 / जधा धरणस्स तथा सव्वेसि दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स 3 / जधा भूताणंदस्स तथा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाघोसस्स 11 // सू० 508 // धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छस्सामाणियसाहस्सीयो पराणत्तातो, एवं भूताणंदस्सवि जाव महाघोसस्स // सू० 501 // छब्बिहा उग्गहमती पत्नत्ता,तंजहा-खिप्पमोगिराहति बहुमोगिरहति बहुविधमोगिराहति धुवमोगिरहति अणिस्सियमोगिराहइ असंदिद्धमोमिराहइ 1 / छविहा ईहामती पन्नत्ता, तंजहा-खिप्पमीहति बहुमीहति जाव असंदिद्ध. मीहति // छविधा अवायमती पन्नत्ता, तंजहा-खिप्पमवेति जाव असंदिद्ध अवेति 31 छविधा धारणा पन्नत्ता, तंजहा-बहुँ धारेइ बहुविहं धारेइ पोराणं Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः धारेति दुद्धरं धारेति अणिस्सितं धारेति असंदिद्धं धारेति ४॥सू०५१० // छबिहे बाहिरते तवे पन्नत्ते तंजहा-श्रणसणं श्रोमोदरिया भिक्खातरिता रसपरिचाते कायकिलेसो पडिसंलीनता 1 / छविधे अभंतरिते तवे पन्नत्ते, तंजहा-पायच्छित्तं विणो वेयावच्चं तहेव सज्झायो झाणं विउस्सग्गो 2 / // सू० 511 // छबिहे विवादे पन्नत्ते, तंजहाश्रोसकतित्ता उस्सकइत्ता ( श्रोसल्लवइत्ता उस्सकावइत्ता ) अणुलोमइत्ता पडिलोमतित्ता भइत्ता भेलतित्ता (भेयइत्ता) // सू० 512 // छबिहा खुड्डा पाणा पन्नत्ता, तंजहा-बेदिता तेइंदित्ता चरिंदित्ता संमुच्छिमपंचिंदिततिरिक्खजोणिता तेउकातिता वाउकातिता ॥सू० 513 // छविधा गोयरचरिता पन्नत्ता, तंजहा-पेडा अद्धपेडा गोमुत्तित्ता पतंगविहित्ता संबुकवट्टा गंतुपञ्चागता // सू. 514 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स य दाहिणेणमिमीसे रतणप्पभाते पुढवीए छ अवक्कं(क) तमहानिरता पन्नत्ता, तंजहा-लोले लोलुए उदड्डे निदड्ढे जरते पज्जरते है। चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीते छ श्रवक्कंता महानिरता पन्नत्ता, तंजहाथारे वारे मारे रोरे रोरुते खाडखडे 2 // सू. 515 / / बंभलोगे णं कप्पे छ विमाणपत्थडा पन्नत्ता, तंजहा-अरते विरते गीरते निम्मले वितिमिरे विसुद्धे // सू० 516 // चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो छ णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पनत्ता, तंजहा-पुब्बाभदवया कत्तिता महा पुवाफग्गुणी मूलो पुव्वासादा 1 / चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो छ णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्डक्खेत्ता पन्नरसमुहुत्ता पन्नत्ता, तंजहा-सयभिसता भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा 2 / चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोतिसरनो छ नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता पन्नत्ता, तंजहा-रोहिणी पूणबसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासादा उत्तराभवया 3 // सू० 517 // अभिचंदे णं कुलकरे छ Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाजसत्रम् : अध्ययनं 6 ] [395 धणुसयाई उट्ट उच्चत्तेणं हुत्था // सू० 518 // भरहे णं राया चाउरंतचकवट्टी छ पुव्वसतसहस्साई महाराया हुत्था // सू० 511 // पासस्स णं अरहयो पुरिसादाणियस्स छ सता वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसाते अपराजियाणं जाव संपया होत्था। वासुपुज्जे णं अरहा छहिं पुरिससतेहिं सद्धिं मुडे जाव पव्वइते / चंदप्पभे णं श्ररहा छम्मासे छउमत्थे हुत्था // सू० 520 // तेतिंदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स छबिहे संजमे कजति, तंजहा-घाणामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति घाणामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, जिभामातो सोक्खातो अवरोवेत्ता भवइ, जिभामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति, एवं चेव फासामातोऽवि 1 / तेइंदियाणं जीवाणं समारभमाणस्स छविहे असंजमे कजति, तंजहाघाणामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति, घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति, जाव फासमतेणं दुक्खेणं संजोगेता भवति // सू० 521 // जंबुद्दीवे (2) छ अकम्मभूमीयो पन्नतायो, तंजहा-हेमवते हेरगणवते हरिवस्से रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा 1 / जंबुद्दीवे (2) छव्वासा पन्नत्ता, तंजहा-भरहे एरवते हेमवते हेरनवए हरिवासे रम्मगवासे 2 / जंबुद्दीवे (2) छ वासहरपव्वता पन्नता, तंजहा-चुलहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रूप्पि सिहरी 3 / जंबूमंदरदाहिणे णं छ कूड़ा पन्नत्ता, तंजहा-चुलहिमवंतकूडे वेसमणकूडे महाहिमवंतकूडे वेरुलितकूडे निसटकूडे स्यगकूडे 4 / जंबूमंदरउत्तरे णं छ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-नेलवंतकूडे उवदंसणकूडे रुप्पिकूडे मणिकंचणकूडे सिहरिकूडे तिगिच्छकूडे 5 / जंबूद्दीवे (2) छ महदहा पन्नत्ता; तंजहा-पउमदहे महापउमद्दहे तिगिच्छदहे केसरिहहे महापोंडरीयहहे पुंडरीयदहे 6 / तत्थ णं छ देवयायो महड्डियायो जाव पलिश्रोवमट्टितीतातो परिवसंति, तंजहा-सिरि हिरि घिति कित्ति बुद्धि लच्छी 7 / जंबूमंदर. दाहिणे णं छ महानईश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-गंगा सिंधू रोहिया रोहितंसा Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः हरी हरिकंता = / जंबूमंदरउत्तरे णं छ महानतीतो पन्नत्तायो, तंजहानरकंता नारिकता सुवन्नकूला रुप्पकूला रत्ता रत्तावती 1 / जंबूमंदरपुरच्छिमे णं सीताते महानदीते उभयकूले छ अंतरनईश्रो पन्नत्तायो, तंजहागाहावती दहावती पंकवती तत्तजला मत्तजला उम्मत्तजला 10 / जंबूमंदरपञ्चत्थिमे णं सीतोदाते महानतीते उभयकूले छ अंतरनदीयो पत्नत्तायो, तंजहाखीरोदा सीहसोता अंतोवाहिणी उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी 11 / धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धेणं छ अकम्मभूमीश्रो पनत्तायो, तंजहा-हेमवए, एवं जहा जंबुद्दीवे (2) तहा नदी जाव अंतरणदीतो 22 जाव पुवखरवरदीवद्धपञ्चत्थिमद्धे भाणितव्वं 55 // सू० 522 ॥छ उदू पन्नत्ता, तंजहा-पाउसे वरिसारत्ते सरए हेमंते वसंते गिम्हे // सू. 523 // छ श्रोमरत्ता पनत्ता, तंजहा-ततिते पव्वे सत्तमे पव्वे एकारसमे पव्वे पन्नरसमे पव्वे एगूणवीसइमे पव्वे तेवीसइमे पव्वे 1 / छ अइरत्ता पन्नत्ता, तंजहाचउत्थे पव्वे अट्ठमे पव्वे दुवालसमे पवे सोलसमे पव्वे वीसइमे पव्वे चउवीसइमे पव्वे 2 // सू० 524 // श्राभिणिबोहियणाणस्स णं छबिहे अत्थोग्गहे पन्नत्ते, तंजहा-सोइंदियत्थोग्गहे जाव नोइंदियत्थोग्गहे // सू० 525 // छबिहे श्रोहिणाणे पनत्ते, तंजहा-पाणुगामिए यणाणुगामिते वड्डमाणते हीयमाणते पडिवाती अपाडेवाती // सू० 526 // नो कप्पइ निग्गंधाण वा 2 इमाई छ अवताणाई वदित्तते, तंजहा-अलियवयणे हीलिअवयणे खिसितवयणे फरुसवयणे गारत्थियवयणे विउसवितं वा पुणो उदीरित्तते // सू० 527 // छ कप्पस्स पत्यारा पत्नत्ता, तंजहा-पाणातिवायस्स वायं वयमाणे, मुसावायस्स वादं वयमाणे, अदिनादाणस्स वादं वयमाणे, अविरतिवावं वयमाणे, अपुरिसवातं वयमाणे, दासवायं वयमाणे, इच्चेते छ कप्पस्स पत्थारे पत्थरेत्ता सम्ममपरिपूरमाणो ताणपत्ते ॥सू० 528 // छ कप्पस्स पलिमंथू, (परिमंथा) पन्नत्ता, तंजहा-कोकृतिते संजमस्स पलिमंधू, Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 397 श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 6 ] मोहरिते सच्चवयणस्स पलिमंथू, चक्खुलोलुते ईस्तिावहिताते पलिमंथू, तितिणिते एसणागोतरस्स पलिमंथू, इच्छालोभिने मोत्तिमग्गस्स पलिमंथू, भिजाणिताणकरणे मोक्खमग्गस्स पलिमंथू, सव्वस्थ भगवता अणिताणता पसत्था // सू० 521 // छविहा कप्पठिती पन्नत्ता, तंजहा-सामातितकप्पठिती छेतोवट्ठावणितकप्पठिती निविसमाणकप्पठिती णिविट्ठकप्पट्टिती जिणकप्पठिती थिविर(थेर)कप्पठिती // सू० 530 // समणे भगवं महावीरे छट्ठणं भत्तेणं अपाणएणं मुडे जाव पव्वइए। समणस्स णं भगवत्रो महावीरस्स छ?णं भत्तेणं अपाणएणं अणंते अणुत्तरे जाव समुष्पन्ने। समणे भगवं महावीरें छट्टेणं भत्तेणं : अपाणएणं सिद्धे जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे // सू० 531 // सणकुमारमाहिदेसु णं कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाई उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता, सणंकुमारमाहिंदेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सरीरगा उक्कोसेणं छ रतणीश्रो उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता // सू० 532 // छबिहे भोयणपरिणामे पन्नत्ते, तंजहा-मणुन्ने रसिते पीणणिज्जे बिहणिज्जे दीवणिज्जे(मयणणिज्जे) दप्पणिज्जे। छबिहे विसपरिणामे पन्नत्ते, तंजहा-डक्के भुत्ते निवतिते मंसाणुसारी सोणिताणुसारी अट्ठिमिजाणुसारी // सू० 533 // छब्बिहे पट्टे (अठे ) पन्नत्ते, तंजहा-संसयपठे बुग्गहपठे श्रणुजोगी अणुलोमे तहणाणे अतहणाणे // सू० 534 // चमरचंचा णं रायहाणी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिते उववातेणं 1 / एगमेगे णं इंदट्ठाणे उकोसेणं छम्मासा विरहिते उववातेणं 2 / अधेसत्तमा णं पुढवी उक्कोसेणं छम्मासा विरहिता उववातेणं 3 / सिद्धिगती णं उक्कोसेणं छम्मासा विरहिता उववातेणं 4 // सू० 535 // छविधे श्राउयबंधे पन्नत्ते, तंजहा-जातिणामनिधत्ताउते गतिणामणिवत्ताउए वितिनामनिधत्ताउते योगाहणाणामनिधत्ताउते पएसणामनिधत्ताउए अणु Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 398] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः भाषणामनिहत्ताउते 1 / नेरतियाणं छविहे ग्राउयबंधे पन्नत्ते, तंजहाजातिणामनिहत्ताउते जाव अणुभावनामणिहत्ताउए एवं जाव वेमाणियाणं 2 / नेरइया णियमा छम्मासावसेसाउता परभवियाउयं पगरेंति, एवामेव असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा, असंखेजवासाउता सन्निपंचिंदियतिरिक्खजोणिया णियम छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पगरेंति, असंखेजवासाउया सन्निमणुस्सा नियम जाव पगरिति, वाणमंतरा जोतिसवासिता वेमाणिता जहा णेरतिता 3 // सू० 536 // छविधे भावे पन्नत्ते, तंजहाश्रोजतिते उपसमिते खतिते खतोवसमिते पारिणामिते सनिवाइए // सू० 537 // छविहे पडिकमणे पन्नते, तंजहा-उच्चारपडिकमणे पासवणपडिकममे इत्तरित आवकहिते जंकिंचिमिच्छा सोमांतिने // सू० 538 // कत्तिताणक्खत्ते छतारे पराणत्ते, असिलेसाणक्खत्ते छत्तारे पन्नत्ते // सू० 531 // जीवाणं छट्ठाणनिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा 3, तंजहा-पुढविकाइयनिवत्तिते जाव तसकायणिवत्तिते, ‘एवं चिण उवचिण बंधउदीरवेय तह निजरा चेव 4 / छप्पतेसिया णं खंधा अणंता पराणत्ता, छप्पतेसोगाढा पोग्गला अणंता पराणत्ता, छसमयट्टितीता पोग्गला अणंता, छगुणकालगा पोग्गला जाव छगुणलुवखा पोग्गला अणंता पराणत्ता // सू० 540 // छट्ठाणं छ?मज्झयणं समत्तं // ॥इति षट्स्थानकास्यं पष्ठमध्ययनम् // 6 // // अथ सप्तस्थानकाख्यं सप्तममध्ययनम् // - सत्तविहे गणावकमणे पन्नत्ते, तंजहा-सम्बधम्मा रोतेमि ( सव्व धम्मं जाणामि एवं पि एगे अवकमे) 1 एगतिता रोएमि एगइया णो रोएमि 2 सव्वधम्मा वितिगिच्छामि 3 एगतिया वितिमिच्छामि एगतिया नो वितिगिच्छामि 4 सव्वधम्मा जुहुणामि 5 एगतिया जुहुणामि Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 7 ] [ 366 एगतिया णो जुहुणामि 6 इच्छामि णं भंते ! एगलविहारपडिमं उपसंपजित्ता णं विहरित्तते 7 // सू० 541 // सत्तविहे विभंगणाणे पन्नत्ते, तंजहाएगदिसिलोगाभिगमे 1 पंचदिसिलोगाभिगमे 2 किरियावरणे जीवे 3 मुदग्गे जीवे 4 अमुदग्गे जीवे 5 रुवी जीवे 6 सव्वमिणं जीवा 7 / तत्थ खलु इमे पढमे विभंगणाणे-जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेण समुप्पन्नेणं पासति पातीणं वा पडिणं वा दाहिणं वा उदीणं वा उड्ड वा जाव सोहम्मे कप्पे, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने एगदिसिं लोगाभिगमे, संतेगतिया समणा वा माहणा वा एवमाहंसु पंचदिसिं लोगाभिगमे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु पढमे विभंगनाणे 1 / ग्रहावरे दोच्चे विभंगनाणे, जता णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं पासति पातीणं वा पडिणं वा दाहिणं वा उदीणं वा उड्ढ जाव सोहम्मे कप्पे, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने पंचदिसिं लोगाभिगमे, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसुएगदिसि लोयाभिगमे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एक्माहंसु, दोच्चे विभंगणाणे 2 / ग्रहावरे तच्चे विभंगणाणे, जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं पासति पाणे अतिवातेमाणा मुसं वतेमाणे अदिन्नमादितमाणे मेहुणं पडिसेवमाणे परिग्गहं परिगिराहमाणे राइभोयणं भुजमाणे वा पावं च णं कम्मं कीरमाणं गो पासति, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने किरितावरणे जीवे, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-नो किरितावरणे जीवे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, तच्चे विभंगणाणे 3 / अहावरे चउत्थे Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 400 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः विभंगणाणे, जया णं तथारूवरस समणस्स वा माहणस्स वा जाव समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासति, बाहिरभंतरते पोग्गले परितादितित्ता पुढेगत्तं णाणत्तं फुसिया फुरेत्ता फुट्टित्ता (संवट्टिय निवट्टिय) विकुवित्ता णं विकुवित्ता णं चिट्टित्तए, तस्स णमेवं भवति-अत्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणसमुप्पन्ने, मुदग्गे जीवे, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-अमुदग्गे जीवे जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, चउत्थे विभंगनाणे 4 / ग्रहावरे पंचमे विभंगणाणे 5 / जया णं तधारूवस्स समणस्स जाव समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासति, बाहिरभंतरए पोग्गलए अपरितादितित्ता पुढेगत्तं णाणत्तं जाव विउविता णं चिट्टित्तते तस्स णमेवं भवति-अस्थि जाव समुप्पन्ने अमुदग्गे जीवे, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-मुदग्गे जीवे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, पंचमे विभंगणाणे 5 / ग्रहावरे छठे विभंगणाणे, जया णं तधाख्वस्स समग स्स वा माहणस्स वा जाव समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासति बाहिरभंतरते पोग्गले परितातित्ता वा अपरियादितित्ता वा पुढेगत्तं णाणतं फुसेत्ता जाव विकुवित्ता चिट्टित्तते, तस्स णमेरं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने, रूवी जीवे, संते गतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-अस्वी जीवे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, छठे विभंगणाणे 6 / ग्रहावरे सत्तमे विभंगणाणे जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पजति, से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं पासइ सुहुमेणं वायुकातेणं फुडं पोग्गलकार्य एतंतं वेतंतं चलंतं खुभंतं फंदंतं घट्टतं उदीरेंतं तं तं भावं परिणमंतं, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने, सव्वमिणं जीवा, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-जीवा चेव Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसत्रम् :: अध्ययनं 7 ] [ 401 अजीवा चेव, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, तस्स णमिमे चत्तारि जीवनिकाया णो सम्ममुवगता भवंति, तंजहा-पुढविकाइया पाऊकाइया तेऊकाइया वाउकाइया, इच्चेतेहिं चउहिं जीवनिकाएहिं मिच्छादंडं पवत्तेइ सत्तमे विभंगणाणे 7 // सू० 542 // सत्तविधे जोणिसंगधे पन्नत्ते, तंजहा-अंडजा पोतजा जराउजा रसजा संसेइया ( संसत्तगा) संमुच्छिमा उब्भिगा 1 / अंडगा सत्तगतिता सत्तागतित्ता पन्नत्ता, तंजहा-अंडगे अंडगेसु उववजमाणे अंडतेहिंतो वा पोतजेहिंतो वा जाव उभिएहितो वा उववज्जेजा, से चेव णं से अंडते अंडगत्तं विष्पजहमाणे अंडगत्ताते वा पोतगताते वा जाव उभियत्ताते वा गच्छेजा पोत्तगा सत्तगतिता सत्तागतित्ता, एवं चेव सत्तराहवि गतिरागती भाणियव्वा, जाव उब्भियत्ति 2 // सू० 543 // पायरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त संगहठाणा पन्नत्ता, तंजहा-पायरियउवज्झाए गणंसि श्राणं वा धारणं वा सम्म पउंजित्ता भवति, एवं जधा पंचट्ठाणे जाव थायरियउवमाए गणंसि यापुच्छियचारि यावि भवति नो अणापुच्छियचारि यावि भवति, शायरियउवज्झाए गणंसि अणुप्पन्नाई उवगरणाई सम्मं उप्पाइत्ता भवति, पायरियउवज्माए गणंसि पुवुप्पन्नाइं उवकरणाई सम्मं सारवखेत्ता संगोवित्ता भवति णो असम्मं सारक्खेत्ता संगोवित्ता भवइ 1 / पायरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त असंगहठाणा पन्नत्ता, तंजहा-बायरिय. उज्झाए गणंसि पाणं वा धारणं वा नो सम्भं पउंजित्ता भवति, एवं जाव उवगरणाणं नो सम्म सारक्खेता संगोवेत्ता भवति 2 // सू० 544 // सत्त पिंडेसणायो पन्नत्तातो 1 / सत्त पाणेसणाश्रो पन्नताश्रो 2 / सत्तउग्गेहपडिमातो पन्नत्तातो 3 / सत्तसत्तिकया पन्नत्ता 4 / सत्त महऽझयणा पराणत्ता 5 / सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिगा एकूणपराणताते रातिदिएहिमेगेण य छराणउएणं भिक्खासतेणं अहासुत्तं जाव बाराहियावि भवति 6 // सू० 545 / / Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 402 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः अहेलोगे णं सत्त पुढवीयो पन्नत्तायो, सत्त घणोदधीतो पन्नत्तायो, सत्त घणवाता सत्त तणुवाता पनत्ता, सत्त उवासंतरा पन्नत्ता, एतेसु णं सत्तसु उवासंतरेसु सत्त तणुवाया पइट्ठिया, एतेसु णं सत्तसु तणुवातेसु सत्त घणवाता पइट्ठिया, एएसु णं सत्तसु घणवातेसु सत्त घणोदधी पतिट्ठिता, एतेसु णं सत्तसु घणोदधीसु छत्तातिच्छत्तसंठाणसंठियायो पिंडलगपिहुणसंठाणसंठियायो (पिहुणपिहुणसंठियायो)सत्त पुढवीयो पन्नतायो, तंजहापढमा जाव सत्तमा, एतासि णं सत्तराहं पुढवीणं सत्त णामधेजा पन्नत्ता, तंजहाघम्मा वंसा सेला अंजणा रिट्टा मघा माघवती, एतासि णं सत्तरहं पुढवीणं सत्त गोत्ता पन्नत्ता, तंजहा-रयणप्पभा सकरप्पमा वालुअप्पमा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा // सू० 546 // सत्तविहा बायरखाउकाइया पन्नत्ता, तंजहा-पातीणवाते पडीणवाते दाहिणवाते उदीणवाते उडवाते अहोवाते विदिसिवाते // सू० 547 // सत्त संठागा पन्नत्ता, तंजहा-दीहे रहस्से वट्ट तंसे चउरंसे पिहुले परिमंडले // सू० 548 // सत्त भयाणा पन्नत्ता, तंजहा-इहलोगभते परलोगभते श्रादाणभते अकम्हाभते वेयणभते मरणभते असिलोगभते // सू० 541 // सत्तहिं ठाणेहिं छउमत्थं जाणेजा, तंजहा-पाणे अइवाएत्ता भवति, मुसं वइत्ता भवति, अदिन्नमादित्ता भवति, सद्दफरिसरसरूवगंधे श्रासादेत्ता भवति, पूतासकारमणुव्हेत्ता भवति इमं सावज्जति पराणवेत्ता पडिसेवेत्ता भवति, णो जधावादी तधाकारी यावि भवति 1 / सत्तहिं ठाणेहिं केवली जाणेजा, तंजहा-णो पाणे श्रइवाइत्ता भवति जाव जधावाती तधाकारी यावि भवति 2 / / सू० 550|| सत्त मूलगोत्ता पन्नत्ता, तंजहा-कासवा गोतमा बच्छा कोच्छा कोसिता मंडवा वासिट्ठा 11 जे कासवा ते सत्तविधा पन्नत्ता, तंजहा-ते कासवा ते संडेल्ला ते गोल्ला ते वाला ते मुजतिणो ते पव्वपेच्छतिणो ( पव्वइणो) ते वरिसकराहा 2 / जे गोयमा ते सत्तविधा पन्नत्ता, तंजहा-ते गोयमा ते Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 7 ] [ 403 गग्गा ते भारदा ते अंगिरसा ते सकराभा ते भक्खरामा ते उदगत्ताभा (उदन्नाभा) 3 / जे वच्छा ते सत्तविधा पन्नत्ता, तंजहा-ते वच्छा ते अग्गेया ते मित्तिया ते सामि(मालिणो ते सेलतता ते अडिसेणा ते वीयकम्हा / जे कोच्छा ते सत्तविधा पन्नत्ता, तंजहा-ते कोच्छा ते मोग्गलायणा ते पिंगला(गा)यणा ते कोडीणा ते मंडलिणो ते हारिता ते सोमया (सोमलि) 5 / जे कोसिया ते सत्तविधा पन्नत्ता, तंजहा-ते कोसिता ते कच्चातणा ते सालंकातणा ते गोलिकातणा ते पक्खिकायणा ते अग्गिचा ते लोहिया(बा) 6 / जे मंडवा ते सत्तविहा पन्नत्ता तंजहा-ते मंडवा ते रिट्ठा ते समुता ते तेला ते एलाबचा ते कंडिल्ला(कंडला) ते खारातणा(खातणा) 71 जे वासिहा ते सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-ते वासिट्टा ते उंजायणा ते जारे(रु)कराहा ते वग्यावच्चा ते कोडिन्ना ते सगणी ते पारासरा 8 // सू०५५१ // सत्त मूलनया पन्नत्ता, तंजहा-नेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुते सद्दे समभिरूढे एवंभूते // मू. 552 // सत्त सरा पन्नत्ता, तंजहा-सज्जे रिसभे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे। धेवते (रेवते) चेव णिसाते, सरा सत्त वियाहिता // 1 // एएसि णं सत्तरहं सराणं सत्त सरट्ठाणा पन्नत्ता, तंजहासज्जं तु अग्गजिन्भाते, उरेण रिसभं सरं। कंठुग्गतेण गंधारं, मज्झजिब्भाते मज्झिमं // 2 // णासाए पंचमं ब्रूया, दंतोठेण य धेवतं / मुद्धाणेण य णेसातं, सरठाणा वियाहिता // 3 // सत सरा जीवनिस्सिता पन्नत्ता, तंजहा-सज्ज खति मयूरो, कुक्कुडो रिसहं सरं। हंसो णदति गंधारं, मझिमं तु गवेलगा॥ 4 // यह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं / छठं च सारसा कोंचा, णिसायं सत्तमं गता // 5 // सत्त सरा अजीवनिस्सिता पन्नत्ता, तंजहा-सज्ज रवति मुइंगो, गोमुही रिसभं सरं / संखो णदति गंधारं, मज्झिमं पुण झल्लरी // 6 // चउचलणपतिट्ठाणा, गोहिया पंचमं सरं। याडंबरो रेवति(ततं, महामेरी य सत्तमं // 7 // एतेसि णं Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 404 ] [ श्रीमदागमसूधासिन्धुः : प्रथमो बिभागः सतसराणं सत्त सरलक्खणा पन्नत्ता, तंजहा-“सज्जेण लभति वित्ति, कतं च ण विणस्सति / गावो मित्ता य पुत्ता य, णारीणं चेव वल्लभो // 8 // रिसभेण उ एसज्ज, सेणावच्चं धणाणि य। वत्थगंधमलंकारं, इथियो सयणाणि व // 1 // गंधारे गीतजुत्तिराणा, वजवित्ती कलाहिता / भवंति कतिगो पन्ना, जे अन्ने सत्यपारगा // 10 // मज्झिमसरसंपन्ना, भवंति सुहजीविणो / खायती पीयती देती, मज्झिमं सरमस्सितो // 11 // पंचमसरसंपन्ना, भवंति पुढवीपती। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणणातगा // 12 // रेवतसरसंपन्ना, भवंति कलहप्पिया / साउणिता वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य // 13 // चंडाला मुट्ठिया सेवे)या, जे अन्ने पावकम्मिणो। गोघातगा य जे चोरा, णिसायं सरमस्सिता // 14 // एतेसिं सत्तरहं सराणं तो गामा पराणत्ता, तंजहा-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सजगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पत्नत्तायो, तंजहा-मंगी कोरबीया हरी य रयतणी य सारकंता य / छट्ठी य सारसी णाम सुद्धसजा य सत्तमा // 15 // मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पन्नत्तानो,तंजहा-उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा / श्रासोकंता य सोवीरा, अभिरु हवति सत्तमा // 16 // गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पन्नत्तायो, तंजहा-गदि त खुदिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा / उत्तरगंधारावित, पंचमिता हवति मुच्छा उ // 17 // सुटुतरमायामा सा छट्ठी णियमसो उ णायव्वा / श्रह उत्तरायता कोडीमातसा सत्तमी मुच्छा // 18 // सत्त सरायो को संभवंति? गेयस्स का भवंति जोणी ? कतिसमता उस्सासा? कति वा गेयस्स श्रागारा ? // 11 // सत्त सराणाभीतो भवंति गीतं च रुय(रुराण)नोणीतं / पादसमा ऊसासा तिनि य गीयस्स आगारा // 20 // श्राइमिउ श्रारभंता समुबहता य मझगारंमि / अवसाणे तज्जवितो तिनि य गेयस्स आगारा // 21 // छद्दोसे अहगुणे तिन्नि य वित्ताइं दो य भणि Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्त्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 7 ] [ 405 तीयो / जाणाहिति सो गाहिइ सुसिक्खियो रंगमज्झम्मि // 22 // भीतं दुतं रहस्सं (उप्पिच्छं) गायंतो मा त गाहि उत्तालं / काकस्सरमणुनासं च होंति गेयस्स छद्दोसा // 23 // पुन्नं 1 रत्तं 2 च अलंकियं 3 च वत्तं 4 तहा अविघुटुं५ / मधुरं 6 सम 7 सुकुमारं 8 अट्ठ गुणा होंति गेयस्स // 24 // उरकंठसिरपसत्थं च गेज्जते मउरिभित्रपदबद्धं / समतालपडुक्खेवं सत्तसरसीहरं गीयं // 25 // निदोसं सारवंतं च, हेउजुत्तमलंकियं / उवणीय सोवयारं च, मियं मधुरमेव य // 26 // सममद्धसमं चेव, सव्वत्थ विसमं च जं / तिन्नि वित्तप्पयाराई, चउत्थं नोपलब्भती // 27 // सकता पागता चेव, दुहा भणितीयो अाहिया। सरमंडलंमि गिज्जते, पसत्था इसिभासिता // 28 // केसी गातति य मधुरं ? केसी गातति खरं च रुक्खं च ? / केसी गायति चउरं? केसि विलंबं ? दुतं केसी ? // 21 // विस्सरं पुण केरिसी ? // सामा गायइ मधुरं काली गायइ खरं च रुक्खं च / गोरी गातति चउरं काण विलंबं दुतं अंधा // 30 // विस्सरं पुण पिंगला // तंतिसमं तालसमं पादसमं लयसमं गहसमं च / नीससिऊससियसमं संचारसमा सरा सत्त // 31 // सत्त सरा य ततो गामा, मुच्छणा एकवीसती। ताणा एगूणपराणासा, समत्तं सरमंडलं // 32 // सू० 553 // इति सरमंडलं समत्तं // सत्तविधे कायकिलेसे पराणत्ते, तंजहा-ठाणातिते उपकुडुयासणिते पडि. मठाती वीरासणिते सजिते दंडातिते लगंडसाती॥ सू० 554 // जंबुहोवे (2) सत्त वासा पन्नता, तंजहा-भरहे एरवते हेमवते हेरनवते हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे 1 / जंबुदीवे (2) सत्त वासहरपव्वता पन्नत्ता, तंजहा-चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे 2 / जंबुद्दीवे (2) सत्त महानदीयो पुरस्थाभिमुहीयो लवणसमुद्द समप्पेंति, तंजहा-गंगा रोहिता हिरी सीता हरकता सुवराणकूला रत्ता 3 / जंबुद्दीवे (2) सत्त महानतीयो पच्चस्थाभिमुहीयो लवणसमुद्द Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः समप्पेंति, तंजहा-सिंधू रोहितंसा हरिकंता सीतोदा णारीकंता रुप्पकूला रत्तवती, 4 / धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धे णं सत्त वासा पंन्नता, तंजहा-भरहे जाव महाविदेहे 5 / धायइसंडदीवपुरच्छिमे णं सत्त वासहरपव्वता पन्नत्ता, तंजहा-चुल्लहिमवंते जाव मंदरे 6 / धायइसंडदीवपुरच्छीमेणं सत्त महानतीनो पुरच्छाभिमुहीतो कालोयसमुह समप्पेंति, तंजहा-गंगा जाव रत्ता 7 / धायइसंडदीवपुरच्छिमझेणं सत्त महानतीयो पञ्चत्थाभिमुहीयो लवणसमुई समप्पेंति, तंजहा-सिंधू जाव रत्तवती / धायइसंडदीवे पञ्चस्थिमद्धे णं सत्त वासा एवं चेव, णवरं पुरत्थाभिमुहीयो लवणसमुद्द समप्पेंति पञ्चत्थाभिमुहीयो कालोदं, सेसं तं चेव / पुक्खरवरदीवड्डपुरच्छिमद्धे णं सत्त वासा तहेव णवरं पुरस्थाभिमुहीयो पुक्खरोदं समुद्द समप्पेंति, पञ्चत्थाभिमुहीतो कालोदं समुद्द समप्पेंति, सेसंतं चेव, एवं पचत्थिमद्धेऽवि णवरं पुरस्थाभिमुहीयो कालोदं समुद्द समप्प्येति पञ्चत्याभिमुहीयो पुवखरोदं समप्पंति 10/ सव्वस्थ वासा वासहर. पव्वता णतीतो य भाणितव्वाणि 11 // सू० 555 / / जंबुद्दीवे (2) भारहे वासे तीताते उस्स(योस)प्पिणीते सत्त कुलगरा हुत्था, तंजहा-मित्तदाम सुदामे य, सुपासे य सयंपभे / विमलघोसे सुघोसे त, महाघोसे य सत्तमे // 1 // जंबुद्दीवे (2) भारहे वासे इमीसे योसप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था-पदमित्थ विमलवाहण 1 चक्खुम 2 जसमं 3 चउत्थमभिचंद 4 / तत्तोय पसेणइ 5 पुण मरुदेवे चेव 6 नाभि य 7 // 1 // एएसि णं सत्तरहं कुलगराणं सत्त भारि. यायो हुत्था, तंजहा-चंदजसा 1 चंदकंता 2 सुरूव 3 पडिरूव 4 चवखु. कंता 5 य / सिरिकता 6 मरुदेवी 7 कुलकरइत्थीण नामाई // 2 // जंबुहीवे (2) भारहे वासे श्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा भविस्संतिमित्तवाहण सुभोमे य, सुप्पमे य सयंपमे। दत्ते सुहुमे [सुहे सुरूवे य] सुबंधू य, श्रागमेस्सि(मिस्से)ण होवखती // 1 // विमलवाहणे णं कुलकरे सत्तविधा रुक्खा उपभोगत्ताते हब्बमागच्छिसु, तंजहा-मत्तंगता. त भिंगा Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 7 ] [407 चित्तंगा चेव होंति चित्तरसा। मणियंगा त अणियणा सत्तमगा कप्परुक्खा य // 1 // सू० 556 // सत्तविधा दंडनीती पन्नत्ता, तंजहा-हक्कारे मकारे धिक्कारे परिभासे मंडलबंधे चारते छविच्छेदे // सू० 557 // एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स णं सत्त एगिदियरतणा पन्नत्ता, तंजहा-चकरयणे छत्तरयणे चम्मरयणे दंडरयणे असिरयणे मणिरयणे काकणिरयणे 1 / एगमेग्गस्स णं रनो चाउरंतचकवट्टिस्स सत्त पंचिंदियरतणा पत्नत्ता, तंजहासंणावतीरयणे माहावतिरयणे वड्डतिरयणे पुरोहितरयणे इत्थिरयणे श्रासरयणे हत्थिरयणे 2 // सू० 558 // सत्तहिं ठाणेहिं योगाढं दुस्समं जाणेज्जा, तंजहा-अकाले वरिसइ काले ण वरिसइ असाधू पुज्जति साधू ण पुज्जति गुरुहिं जणो मिच्छं पडिवन्नो मरोदुहता वतिदुहता 1 / सत्तहिं ठाणेहिं योगाढं सुसमं जाणेजा, तंजहा-अकाले न वरिसइ, काले वरिसइ, असाधू ण पुज्जंति, साधू पुज्जंति, गुरुहिं जणो सम्म पडिवन्नो, मणोसुहता वतिसुहता 2 // सू० 551 // सत्तविहा संसारसमाबनगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-नेरतिता तिरिक्खजोणिता तिरिक्खजोणिणितो मणुस्सा मणुस्सीयो देवा. देवीयो // सू० 560 // सत्तविधे पाउभेदे पन्नत्ते, तंजहाअज्झवसानिमित्ते थाहारे वेयणा पराघाते / फासे प्राणापाणू सत्तविधं भिजए बाउं // 1 // // सू० 561 // सत्तविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया श्राउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सतिकाइया तसकातिता अकातिता, अहवा सत्तविहा सवजीवा पन्नत्ता, तंनहाकराहलेसा जाव सुक्कलेसा अलेसा // सू० 562 // बंभदत्ते णं राया चाउरं. तचक्कवट्टी सत्त धणूई उट्ठ उच्चत्तेणं सत्त य वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा यधे सत्तमाए पुढवीए अप्पतिवाणे णरए णेरतितत्ताए उववन्ने ॥सू. 563 // मल्ली णं अरहा अप्पसत्तमे मुंडे भवित्तायगारातो अण. गारिय पव्वइए, तंजहा-मल्ली विदेहरायवरकन्नगा 1 पडिबुद्धी इक्खागराया 2 Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 408 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः चंदच्छाये अंगराया 3 रुप्पी कुणालाधिपती 4 संखे कासीराया 5 श्रदीणसत्तू कुरूराता 6 जितसत्तू पंचालराया 7 ॥सू०५६४॥ सत्तविहे दंसणे पन्नत्ते, तंजहा-सम्मदसणे मिच्छदंसणे सम्मामिच्छदंसणे चक्खुदंसणे अचक्खुदंसणे श्रोहिदसणे केवलदंसणे // सू० 565 // छउमत्थवीयरागे णं मोहणिजवजायो सत्त कम्मपयडीयो वेयेति, तंजहा–णाणावरणिज्जं दसणावरणिज्ज वेयणियं पाउयं नामं गोतमंतरातितं // सू० 566 // सत्त ठाणाइं छउमत्थे सबभावेणं न याणति न पासति, तंजहा-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं अागासत्थिकायं जीवं असरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं सददं गंध, एयाणि चेव उप्पन्नणाणे जाव जाणति पासति, तंजहा-धम्मत्थिगातं जाव गंधं ॥सू० 567 // समणे भगवं महावीरे वयरोसभणारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते सत्त रयणीयो उडढं उच्चत्तेणं हुत्था // सू०५६८ // सत्त विकहायो पन्नत्तायो तंजहा-इथिकहा भत्तकहा देसकहा रायकहा मिउकालुणिता दंसणभेयणी चरित्तभेयणी // सू० 561 // श्रायरियउवज्मायस्स णं गणंसि सत्त अइसेसा पन्नत्ता, तंजहा-पायरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स पाते णिगिझिय (2) पफोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णातिकमति, एवं जधा पंचट्ठाणे जाव बाहिं उवरसगरस एगरातं वा दुरातं वा वसमाणे नातिक्कमति, उपकरणातिसेसे भत्तपाणातिसेसे / / सू० 570 // सत्तविधे संजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे जाव तसकातितसंजमे अजीवकायसंजमे 1 // सत्तविधे असंजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे जाव तसकातितसंजमे अजीवकायसंजमे 2 / सत्तविहे श्रारंभे पत्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितश्रारंभे जाव अजीवकातारंभे 3 / एवमणारंभेऽवि, एवं सारंभेवि, एवमसारंभेऽवि, एवं समारंभेवि, एवं असमारंभेवि, जाव अजीवकायसमारंभे 4 // सू० 571 // अथ भंते ! अदसिकुसुभकोदवकंगुरागलावराकोदूसगा]सणसरिसवमूला(मूलग)बीयाणं एतेसिं णं धन्नाणं Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं. 7 ] [ 409 कोट्टाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं जाव पिहियाणं केवतितं कालं जोणी संचिट्ठति ? गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त संवच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायती जाव जोणीवोच्छेदे पराणत्ते ॥सू० 572 // बायरग्राउकाइयाणं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई, ठिती पन्नता 1 / तच्चाए णं वालुयप्पभाते पुढवीए उक्कोसेणं नेरइयाणं सत्त सागरोवमाइंटिती पराणत्ता 2 / चउत्थीतेणं पंकप्पभाते पुटवीते जहन्नेणं नेरइयाणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पन्नता, ४॥सू० 473 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारनो मत्त अग्गमहिसीतो पन्नत्तायो, ईसाणस्स णं दविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो सत्त अग्गमहिसीतो पन्नत्ता, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो सत्त अग्गमहिसीथो पन्नत्तानो ॥सू० 574aa ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अभितरपरिसाते देवाणं सत्त पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिग्रोवमाई ठिती पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उकोसेणं सत्त पलिग्रोवमाइं ठिती पन्नत्ता ॥सू० 575 // सारस्सयमाइचाणं सत्त देवा सत्त देवसता पन्नत्ता, गहतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्त देवसहस्सा पन्नत्ता // सू० 576 // सणंकुमारे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठित्ती पन्नत्ता, माहिंदे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सातिरेगाइं सत्त सारगोवमाई ठित्ती पन्नत्ता, बंभलोगे कप्पे जहरणेणं देवाणं सत्त सागरोवमाइं ठित्ती पन्नत्ता // सू० 577 / / बंभलोयलंततेसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसत्ताई उड्डे उच्चत्तेणं पन्नत्ता // सू० 578 / / भवणवासीणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उकोसेणं सत्न रयणीयो उड्डे उच्चत्तेणं, एवं वाणमंतराणं एवं जोइसियाणं, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सरीरा सत्त रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ता ॥सू० 579 // णदिस्सरवरस्स णं दीवरस घेतो सत्त दीवा पनत्ता तंजहा-जंबुद्दीवे दीवे, धायइसंडे दीवे पोक्खरवरे वरुणवरे खीरखरे घयवरे क्षोयवरे 1 / गंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त समुद्दा Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पनसू. 580 // सत्त दहतोखहा चकवाला न अणिता सत्त आणण नट्टा 410 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः पन्नत्ता, तंजहा-लवणे कालोते पुक्खरोदे वरुणोए खीरोदे घोदे खोतोदे 2 // सू०५८० // सत्त सेढीयो पत्नत्तायो, तंजहा-उज्जुआयता एगतोवंका दुहतोवंका एगतोखुहा दुहतोखुहा चकवाला श्रद्धचकवाला // सू० 581 // चमरस्स णं अमुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सत्त श्रणिता सत्त अणिताधिपती पत्नत्ता, तंजहा-पायत्ताणीए पीढाणिए कुंजराणिए महिसाणिए रहाणिए नट्टाणिए गंधवाणिए 1 / दुमे पायत्ताणिताधिपती एवं जहा पंचट्ठाणे जाव किंनरे रधाणिताधिपती रिट पट्टाणियाहिवती गीतरती गंधव्वाणिताधिपती 2 / बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरगणो सत्ताणीया सत्त अणीयाधिपती पन्नत्ता, तंजहा-पायत्ताणिते जाव गंधवाणिते, महद्दुमे पायत्ताणिताधिपती जाव किंपुरिसे रधाणिताधिपती महारिट्टे णट्टाणिताधिपती गीतजसे गंधव्वाणिताधिपती 3 / धरणस्म णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररगणो सत्त प्रणीता सत्त अणिताधिपती पन्नना, तंजहा-पायत्ताणिते जाव गंधव्वाणिए रुद्द(दुद्दम) सेणे पायत्ताणिताधिपती जाव आणंदे रधाणिताधिपती नंदणे णट्टाणियाधिपती तेतली गंधव्वाणियाधिपती 4 / भूताणंदस्स सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई पन्नत्ता, तंजहा-पायत्ताणिते जाव गंधव्वाणीए दक्खे पायताणीयाहिवती जाव णंदुत्तरे रहाणिताधिपती रती . णट्टाणियाहिवती माणसे गंधव्याणियाहिवई, एवं जाव घोसमहाघोमाणं नेयव्वं 5 / मकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सत्त अणिया मत्त अणियाहिवती पन्नत्ता, तंजहापायत्ताणिए जाव गंधवाणिए, हरिणेगमेसी पायत्ताणीयाधिपती जाव माढरे रधाणिताधिपती सेते णट्टाणिताहिवती तुबुरू गंधव्वाणिताधिपती 6 / ईसाणस्स णं देविदस्स देवरन्नो सत्त अणीया सत्त अणियाहिबईणो पन्नत्ता, तंजहा-पायत्ताणिते जाव गंधवाणिते लहुपरक्कमे पायत्ताणियाहिवती जाव महासेते णट्टाणियाहिवती रते गंधव्वाणिताधिपती सेमं जहा पंचट्ठाणे, एवं जाव अच्चुतस्सवि नेतव्वं 7 // सू० 582 // चमरस्स णं असुरिंदस्स Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 7 ] [ 111 असुरकुमारनो दुमस्स पायत्ताणिताहिवतिस्स सत्त कच्छायो पन्नत्तायो, तंजहा-पढमा कच्छा जाव सत्तमा कच्छा, 1 / चमरस्स णमसुरिंदस्स असुरकुमारनो दुमस्स पायत्ताणिताधिपतिस्स पढमाए कच्छाए चउसद्धिं देवसहस्सा पन्नत्ता 2 / जावतिता पढमा कच्छा तब्बिगुणा दोचा कच्छा तब्बिगुणा तचा कच्छा एवं जाव जावतिता छट्ठा कच्छा, तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा 3 / एवं बलिस्तवि, णवरं महद्दुमे सट्टिदेवसाहस्सितो, सेसं तं चेव, धरणस्स एवं चेव, णवरमट्ठावीसं देवसहस्सा, सेसं तं चेव, जधा धरणस्स एवं जाव महाघोसस्स, नवरं पायत्ताणिताधिपती अन्ने ते पुव्वभणिता 4 / सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छायो पन्नत्ताश्रो, तंजहा-पढमा कच्छा एवं जहा चमरस्स तहा जाव अच्चुतस्स, णाणत्तं पाय; ताणिताधिपतीणं ते पुवभणिता, देवपरीमाणमिमं सकस्स चउरासीतिं देवसहस्सा, ईसाणस्स असीती देवसहस्साई 5 / देवा इमाते गाथाते अणुगंतव्वा-चउरासीति असीति बावत्तरि सत्तरी य सट्ठीया / पन्ना चत्तालीसा तीसा वीसा दससहस्सा / / 1 // जाव अच्चुतस्स लहुपरक्कमस्स दसदेवसहस्सा जाव जावतिता छट्ठा कच्छा तब्बिगुणा सत्तमा कच्छा 6 // सू० 583 // सत्तविहे वयणविकप्पे पन्नत्ते, तंजहा-श्रालावे अणालावे उल्लावे अणुल्ला(ला)वे संलावे पलावे विप्पलावे / सू० 584 // सत्तविहे विणए पन्नत्ते, तंजहा–णागविणए दंसणविणए चरित्नविणए मणविणए वतिविणए कायविणए लोगोश्यारविणए 1 / पसत्थमणविणए सत्तविधे पन्नत्ते, तंजहाअपावते असावज्जे अकिरिते निरुवक से अणराहकरे अच्छविकरे अभूताभिसंकणे 2 / अप्पमत्थमणविणए सत्तविधे पन्नत्ते, तंजहा-पावते सावज्जे सकिरिते सउपक्केसे अराहकरे छविकरे भूताभिसंकणे 3 / पसत्थवइविणए सत्तविधे पत्रत्ते, तंजहा-अपावते असावज्जे जाव अभूताभिसंकणे 4 / अपसत्थवइविणते सत्तविधे पन्नत्ते, तंजहा-पावते जाव भूताभिसंकणे 5 / Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 412 ] [ श्रीमदाममसुधासिन्धुः // प्रथमो विभागा पसत्थकातविणए सत्तविधे पन्नत्ते, तंजहा-याउत्तं गमणं थाउत्तं ठाणं थाउत्तं निसीयणं अाउतं तुपट्टणं थाउत्तं उल्लंघणं अाउत्तं पल्लंघणं अाउत्तं सबिदितजोगजुजणता 6 / अपसस्थकातविणते सत्तविधे पन्नने, तंजहायणाउत्तं गमणं जाव प्रणाउत्तं सबिदितजोगजुजणता,७। लोगोवतारविणते सत्तविधे पन्नत्ते, तंजहा-प्रभासवत्तितं परच्छंदाणुवत्तितं कजहेउं कतपडि. कितिता अत्तगवसणता देसकालराणुता सब्बत्थेसु यापडिलोमता 8 // सू० 585 / / सत्त समुग्धाता पन्नत्ता, तंजहा- वेयणासमुग्घाए कसायसमुराए मार. णंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाते तेजससमुग्घाए श्राहारगसमुग्घाते केवलिसमुग्धाते 1 / मणुस्साणं सत्त समुग्धाता पन्नत्ता, एवं चेव / सू० 586 // समणस्स णं भगवो महावीरस्स तित्थंसि सत्त पवतणनिराहगा पन्नत्ता, तंजहा-बहुरता जीवपतेसिता अवत्तिता सामुच्छेइता दोकिरिता तेरासिता अबद्धिता 1 / एएसि णं सत्तराहं पवयणनिराहगाणं सत्त धम्मातरिता हुत्था, तंजहा-जमालि तीसगुत्ते यासाढे थासमित्ते गंगे छलुए गोट्ठामाहिले 2 / एतेसि णं सत्तराहं पवयणनिराहगाणं सत्तुप्पत्तिनगरा होत्था, तंजहा- सावत्थी उसभपुरं सेतविता मिहिलमुलगातीरं। पुरिमंतरंजि दमपुर णिगहगउप्पत्ति नगराई // 1 // सू० 587 / / सातावेयणिजस्म कम्मस्स सत्तविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-मणुन्ना सदा मणुराणा रूवा जाव मणुन्ना फासा मणोसुहता वतिसुहता 1 / असातावेयणिजस्म णं कम्मस्स सत्तविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-अमणुन्ना सदा जाव वतिदुहता // सू० 588 // महाणक्खत्ते सत्ततारे पन्नत्ते 1 / अभितीयापिता सत्त णवखत्ता पुव्वदारिता पन्नत्ता, तंजहा-अभिती सवणो धणिट्टा सतभिसता पुव्वा भवता उनरा भद्दवता रेवति 2 / अस्सणितादिता णं सत्त णक्खत्ता दाहिणदारिता पन्नत्ता, तंजहा-अस्सिणी भरणी कित्तिता रोहिणी मिगसिरे श्रद्दा पुणब्वसू 3 / पुस्तादिता णं सत्त णक्खत्ता अवरदारिता पन्नत्ता, तंजहा-पुस्सो असिलेसा Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् : अन्पयनं 7 ] [ 413 मघा पुव्वा फग्गुणी उत्तरा फग्गुणी हत्यो चित्ता 1 // सातितातिया णं सत्त णक्खत्ता उत्तरदारिता पन्नत्ता, तंजहा-साति विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो पुवासाढा उत्तरासादा 5 // सू० 586 // जंबूदीवे दीवे (2) सोमणसे वक्खारपब्वते सत्त कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 सोमणसे 2 तह बोद्धब्बे मंगलावतीकूडे 3 / देवकुरु 4 विमल 5 कंचण 6 विसिट्ठकूडे 7 त बोद्धव्वे // 1 // जंबूदीवे (2) गंधमायणे वक्खारपवते सत्त कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे त गंधमातण बोद्धव्वे गंधिलावतीकूडे / उत्तरकुरू फलिहे लोहितक्ख पाणंदणे चेव // 1 // सू० 510 // बितिंदिताणं सत्त जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पन्नत्ता // सू० 511 // जीवा णं सत्तट्ठाणनिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तंजहा–नेरतियनिव्वत्तिते जाव देवनिव्वत्तिए एवं चिण जाव णिजरा चेव // सू० 512 // सत्तपतेसिता खंधा अणंता पराणत्ता सत्तपतेसोगाढा पोग्गला जाव सत्तगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पराणत्ता // सू० 513 // // सत्तमट्ठाणं सम्मत्तं // सत्तमं श्रज्मयणं सम्मत्तं // ॥इति सप्तमस्थानाख्यं सप्तममध्ययनम् // 7 // // अथाष्टमस्थानकाख्यमष्टममध्ययनं // श्रहिं ठाणेहिं संपन्ने श्रणगारे अरिहति एगल्लविहारपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरित्तते, तंजहा-सड्डी पुरिसजाते सच्चे पुरिसजाए मेहावी पुरिसजाते बहुस्सुते पुरिसजाते सत्तिमं अप्पाहिकरणे घितिमं वीरितसंपन्ने // सू० 514 // अट्ठविधे जोणिसंगहे पन्नत्ते, तंजहा-अंडगा पोतगा जाव उब्भिगा उववातिता 1 / अंडगा अगतिता अट्ठागइथा पनत्ता, तंजहा-अंडए अंडएसु उववजमाणे अंडएहिंतो वा पोततेहिंतो वा जाव उववातितेहितो वा उववज्जेजा, से चेव णं से अंडते अंडगत्तं विप्पजह Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 414 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / प्रथमो विभागः माणे अंडगत्ताते वा पोतगत्ताते वा जाव उववातितत्ताते वा गच्छेजा, एवं पोतगावि, जराउजावि, सेसाणं गतीरागती णत्थि, 2 // सू० 515 // जीया मट्ठ कम्मपगडीतो चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तंजहाणाणावरणिज्जं दरिसणावरणिज्ज वेयगिज्ज मोहणिज्ज अाउयं नामं गोत्तं अंतरातितं 1 / नेरइया णं अट्ठ कम्मपगडीयो चिणिंसु वा 3, एवं चेव, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 24, 2 / जीवा णम? कम्मपगडीयो उवचिणिंसु वा 3 एवं चेव, 3 / 'एवं चिण 1 उवचिण 2 बंध 3 उदीर 4 वेय 5 तह णिजरा 6 चेव / ' एते छ चउवीसा 24 दंडगा भाणियवा / सू० 516 // अट्ठहिं ठाणेहिं माती मायं कटु नो पालोतेजानो पडिकमेजा जाव नो पडिवज्जेजा, तंजहा-करिंसु वाऽहं 1 करेमि वाहं 2 करिस्सामि वाऽहं 3 अकित्ती वा मे सिया 4 अवराणे वा मे सिया 5 अव(वि)णए वा में सिया 6 कित्ती वा मे परिहाइस्सइ 7 जसे वा मे परि. हाइस्सइ 8, 1 / अट्टहिं ठाणेहिं माई मायं कटु आलोएजा जाव पडिवज्जेजा, तंजहा-मातिस्स णं अस्सि लोए गरहिते भवति 1 उवयवाए गरहिते भवति 2 ग्राजाती गरहिता भवति 3 एगमवि माती मातं कटु नो पालोएजा जाव नो पडिवज्जेजा गत्थि तस्स यागहणा 4 एगमवि मायो मायं कटु आलोएजा जाव पडिबज्जेज्जा अस्थि तस्स याराहणा 5 बहुतोवि माती मायं कटु नो बालोएजा जाव नो पडिवज्जेजा नस्थि तस्स अाराधणा 6 बहुयोवि माती मायं (मायायो) कट्ट बालोएजा जाब अत्थि तस्स याराहणा 7 यायरियउवज्झायस्स वा म यतिसेसे नाणदंसणे समुप्पज्जेजा, से तं मममालोएजा माती णं एसे 8, 2 / माती णं मातं कटु से जहा नामए अयागरेति वा तंबागरेति वा तउयागरेति वा सीसागरेति वा रुप्पागरेति वा सुवन्नागरेति वा तिलागणीति वा तुसा- : गणीति वा बुसागणीति वा णलागणीति वा दलागणीति वा सोंडितालि Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 8] [ 415 च्छाणि वा भंडितालिच्छाणि वा गोलियालिच्छाणि वा कुंभारावातेति वा कवेल्लुवावातेति वा इट्टावातेति वा जंतवाडचुल्लीति वा लोहारंबरिसाणि वा तत्ताणि समजोतिभूताणि किंसुकफुल्लसमाणाणि उक्कासहस्साई विणिम्मुतमाणाई (2) जालासहस्साई पमुचमाणाइं इंगालसहस्साई परिकिरमाणाई अंतो (2) झियायंति, 3 / एवामेव माती मायं कट्टु अंतो (2) झियायइ जतिवि त णं अन्ने केति वदति तंपि त णं माती जाणति अहमेसे अभिसङ्किजामि 4 / माती णं मातं कट्टु (से णं तस्स) अणालोतितपडिवकते कालमासे कालं किचा श्ररणतरेसु देवलोगेसु देवदत्ताते उववत्तारो भवंति, तंजहा-नो महिड्डिएसु जाव नो दूरंगतितेसु नो चिरहितीएसु, से णं तत्थ देवे भवति णो महिद्धिए जाव नो चिरठितीते, जावि त से तत्थ बाहिरभतरिया परिसा भवति साऽविय णं नो अाढाति नो परियाणाति णो महरिहेणमासणेणं उवनिमंतेति, भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव श्रभुठंति-मा बहुँ देवे ! भासउ 5 / से णं ततो देवलोगायो ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठितिक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाइं कुलाई भवंति, तंजहा-अंतकुलाणि वा पंतकुलाणि वा तुच्छकुलाणि वा दरिदकुलाणि वा भिवखागकुलाणि वा किवण कुलाणि वा तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताते पचायाति, से णं तत्थ पुमे भवति दुरूवे दुवन्ने दुग्गंधे दुरसे दुफासे अणिठे अकते अप्पिते अमणुराणे श्रमणामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणि?सरे अकंतसरे अपितस्सरे अमणुराणस्सरे अमणामस्सरे श्रणाएजवयणपञ्चायाते, जाऽविय से तत्थ बाहिरभंतरिता परिसा भवति साऽवि त णं णो श्रादाति णो परिताणति नो महरिहेणं श्रासणेणं उपणिमंतेति, भासंपि त से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच जणा अवुत्ता चेव अभुट्ठेति-मा बहुँ अजउत्तो! भासउ (2),6 / माती णं मातं कटु आलोचितपडिकते कालमासे कालं किच्चा अराणतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 416 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः भवंति, तंजहा-महिडिएसु जाव चिरद्वितीएसु, से णं तत्थ देवे भवति महिड्डीए जाव विरद्वितीते हारविरातितवच्छे कडकतुडितथंभितभुते अंगदकुंडलमउडगंडतलकनपीढधारी विचित्तहत्थाभरणे विचित्तवत्थाभरणे विचित्तमालामउली कलाणगपवरवत्थपरिहिते कल्लाणगपवरगंधमल्लाणुलेवणधरे भासुरबोंदी पलंबवणमालधरे दिवेणं वन्नेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं रसेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघातेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिवाए इड्डीते दिबाते जूतीते दिव्याते पभाते दिवाते छायाते दिवाए अञ्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाते लेस्साए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा महयाऽहतणट्ट-गीतवातित-तंतीतलताल-तुडितघणमुत्तिंग-पडुप्पवातितरवेणं दिवाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ जावि त से तत्थ वाहिरभंतरिता परिसा भवति सावि त माढाइ परियाणाति महारिहेण ग्रासणेणं उवनिमंतेति भामंपित से भासमाणस्त जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अमुट्ठिति-बहुँ देवे ! भासउ (2), 7) से णं तो देवलोगातो थाउक्खएणं 3 जाव चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाइं कुलाई भवंति, इ(घ)ट्ठाई जाव बहुजणस्स अपरिभूताई तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताते पञ्चाताति, से णं तत्थ पुमे भवति सुरूवे सुवन्ने सुगंधे सुरसे सुफासे इ8 कते जाव मणामे ग्रहीणस्सरे जाव मणामस्सरे ग्रादेजवतणे पञ्चावाते, जाऽविय से तत्थ बाहिरभंतरिता परिसा भवति सावि त णं बादाति जाव बहुमजउत्ते ! भासउ (2), 8 // सू० 517 // अट्ठविहे संवरे पन्नत्ते, तंजहा-सोइंदियसंवरे जाव फासिदियसंवरे मणसंवरे वतिसंवरे कायसंवरे 1 / अविहे असंवरे पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदिययसंवरे जाव काययसंवरे // सू० 518 // अट्ट फासा पन्नत्ता, तंजहा-ककडे मरते गरुते लहुते सीते उसिणे निद्धे लुक्खे // सू. 511 // अट्ठविधा लोगठिती पन्नत्ता, तंजहाश्रागासपतिहिते वाते 1 वातपतिट्ठिते उदही 2 एवं जया छट्ठाणे जाव जीवा Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययन ] . [117 कम्मपतिट्ठिता अजीवा जीवसंगहीता जीवा कम्मसंगहीता // सू० 600 // अट्ठविहा गणिसंपता पनत्ता, तंजहा-अाचारसंपया सुयसंपता सरीरसंपता वतणसंपता वातणासंपता मतिसंपता पतोगसंपता संगहपरिगणाणाम अट्ठमा / / सू० 601 // एगमेगे णं महानिही श्रट्ठचकवालपतिट्ठाणे अट्ठजोयणाई उद्धं उच्चतेणं पन्नत्ते // सू०.६०२ // अट्ठ समितीतो पन्नत्तायो, तंजहाईरियासमिति भासासमिति * एसणासमिति श्रायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिति उच्चारपासवणखेलजल्लसिघाणपारिट्ठावणियासमिति मणसमिति बइसमिति कायसमिति // सू० 603 // अट्ठहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति बालोतणा पडिच्छित्तए, तंजहा-श्रातारवं श्राहारवं ववहारवं श्रोवीलए पकुव्वते. परिस्साती निजावते अवातदंसी 1 / अट्टहिं गणेहिं संपन्ने अंणगारे अरिहति अत्तदोसमालोइत्तते, तंजहा-जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने विणयसंपन्ने णाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने खते दंते सू. 604 / अट्टविहे पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहा-बालोयंणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे. विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलरिहे // सू० 605 // अट्ट मतट्ठाणा पन्नत्ता तंजहा-जातिमते कुलमते बलमते रूवमते तवमते सुतमते लाभमते इस्मरितमते // सू० 606 // अट्ठ अकिरियावाती पन्नत्ता, तंजहा-एगागती अणेगावाती मितवादी निम्मितवादी सायवाती समुच्छेदवाती णिनावादी ण संति परलोगवाती // सू० 607 // अट्ठविहे महानिमित्ने पनत्ते, तंजहा-भोमे उप्पाते सुविणे अंतलिक्खे अंगे सरे लक्खणे वंजणे // सू० 608 // अट्ठविधा वयणविभत्ती पन्नता, तंजहा-निद्दे से पढमा होती, बीतिया उबतेसणे / ततिता करणंमि कता, चउत्थी संपदावणे // 1 // पंचमी त वाताणे, छट्ठी सस्सामिवायणे। सत्तमी सनिहाणत्थे, अट्ठमी श्रामंतणी भवे // 2 // तत्थ पढमा विभत्ती निद्द से सो इमो अहं वत्ति / बितीता उण उवतेसे Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 41] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विमागः भण कुण व तिमं व तं वत्ति // 3 // ततिता करणंमि कया णीतं च कतं व तेण व मते वा / हंदि णमो साहाते हवति चउत्थी पदाणंमि // 4 // श्रवणे गिराहसु तत्तो इत्तोत्ति व पंचमी अवादणे / छट्टी तस्स इमस्स व गतस्स वा सामिसंबंधे // 5 // हवइ पुण सत्तमी तमिमंमि अाहारकालभावे त श्रामंतणी भवे पट्ठमी उ जह हे जुगाणत्ती // 6 // सू. 601 // अट्ठ ठाणाई छउमत्थेणं सब्वभावेणं ण याणति न पामति, तंजहा-धम्मस्थिगातं जाव गंधं वातं, एताणि चेव उप्पननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जाणइ पासइ जाव गंधं वातं // सू० 610 ॥ट्ठविधे श्राउवेदे पन्नत्ते, तंजहा-कुमारभिच्चे कायतिगिच्छा सालाती सल्लहत्ता जंगोली भूतवेजा खारतंते रसातणे // सू० 611 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अट्ठग्गमहिसीनो पन्नत्तायो, तंजहा-पउमा सिवा सती (सूती) अंजू अमला अच्छरा णवमिया रोहिणी 1 / ईसाणस्स णं देविंदस्म देवरन्नो अट्ठग्गमहिसीयो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा कराहराती रामा रामरक्खिता वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा 2 / सकस्म णं देविंदस्स देवरंनो सोमस्स महारन्नो अट्टग्गमहिसीयो पनत्तायो 3 / ईमाणस्स णं देविंदस्त देवरन्नो वेसमणस्स महारनो अट्ठग्गमहिसीयो पनत्तायो, 4 / अट्ठ महग्गहा पन्नत्ता, तंजहाचंदे सूरे सुक्के बुहे बहम्सती अंगारे सणिचरे केऊ 5 // सू० 612 // अट्ठविधा तणवणस्सतिकातिया पन्नत्ता, तंजहा-मूले कदे खंधे त्या साले पवाले पत्ते पुप्फे // सू० 613 // चरिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स अट्ठविधे संजमे कजति, तंजहा-चक्खुमातो सोक्खातो अववरोवित्ता भवति, चक्खुमतेणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, एवं जाव फासामातो सोक्खातो श्रववरोवेत्ता भवति फासामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति / चउरिंदिया णं जीवा समारभमाणस अविधे यसंजमे कजति, तंजहा-चवखुमातो सोक्खायो ववरोवेत्ता भवति, चम्खुमतेणं दुक्खेणं संजोमेत्ता भवति, एवं Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 8 ] [ 416 जाव फासामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति // सू० 614 // अट्ठ सुहुमा पन्नत्ता, तंजहा-पाणसुहमे पणगसुहुमे बीयसुहुमे हरितसुहुमे पुप्फसुहुने अंडसुहुमे लेणसुहुमे सिणेहसुहुमे // सू० 615 // भरहस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स अट्ठ पुरिसजुगाइं अणुबद्धं सिद्धाइं जाप सवदुक्खप्पही. णाई, तंजहा-श्रादिच्चजसे महाजसे अतिबले महाबले तेतवीरिते कित्तवीरिते दंडवीरिते जलवीरिते // सू० 616 // पासस्स णं श्ररहयो पुरिसादाणितस्स अट्ठ गणा श्रट्ट गणहरा होत्था, तंजहा-सुभे अजघोसे वसिठेबंभचारी सोमे सिरिधरिते वीरिते भद्दजसे // सू० 617 // अविधे दंसणे पन्नत्ते, तंजहा-सम्मदसणे मिच्छदंसणे सम्मामिच्छदंसणे चक्खुदंसणे जाव केवलदसणे सुविणदंसणे // सू० 618 // अट्ठविधे श्रद्धोवमिते पन्नत्ते, तंजहा-पलितोवमे सागरोवमे उस्सप्पिणी श्रोसप्पिणी पोग्गलपरियट्टे तीतद्धा अणागतद्धा सव्वद्धा // सू० 611 // श्ररहतो णं अरिट्टनेमिस्स जाव अट्ठमातो पुरिसजुगातो जुगंतकरभूमी दुवासपरियाते अंतमक्कासी // सू० 620 // समणेणं भगवता महावीरेणं अट्ठ रायाणो मुडे भवेत्ता अगारातो यणगारितं पब्वाविता, तंजहा-वीरंगय वीरजसे संजयएणिजते य रायरिसी / सेयसिवे उदायणे तह संखे कासितवद्धणए ॥सू० 621 // अट्टविहे श्राहारे पन्नत्ते, तंजहा-मणुराणे असणे पाणे साइमे साइमे श्रमणुगणे जाव साइमे // सू. 622 // उपि सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेटिं बंभलोगे कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थडे एत्थ णमक्खाडगसमचउरंससंठाणसंठितातो अट्ट कराहरातीतो पन्नत्तायो, तंजहा-पुरच्छिमेणं दो कराहरातीतो दाहिणेणं दो कराहराइयो पञ्चच्छिमेणं दो कराहराइयो उत्तरेणं दो कराहराइयो, पुरच्छिमा अभंतरा कराहराती दाहिणं बाहिरं कराहराइं पुट्ठा, दाहिणा अभंतरा कराहराती पञ्चच्छिमगं बाहिरं कगहराई पुट्ठा, पच्चच्छिमा अभंतरा कराहराती उत्तरं बाहिरं कराहराई पुटा, उत्तरा अभंतरा Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 420 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः कगहराती पुरच्छिमं बाहिरं कराहराती पुढा, पुरच्छिमपञ्चच्छिमिल्लायों बाहिरायो दो कराहरातीतो छलंसातो, उत्तरदाहिणायो बाहिरायो दो कराहरातीतो तंसायो, सब्वायोऽविणं अभंतरकराहरातीतो चउरंसायो 1) एतासि णं अट्ठराहं कराहरातीणं अट्ट नामधेजा पन्नत्ता, तंजहा–कण्हरातीति वा मेहरातीति वा मघाति वा माघवतीति वा वातफलिहेति वा वातपलिक्खोभेति वा देवपलिहे वा देवपलिक्खोभेति वा 2 / एतासि णं अट्ठराहं कराहरातीणं अट्ठसु उवासंतरेसु अट्ठ लोगंतितविमाणा पन्नत्ता तंजहा-यची अचिमाली वतिरोपणे पभंकरे चंदामे सूराभे सुपइट्टाभे अग्गिचामे 3 // एतेसु णं अट्ठसु लोगंतितविमाणेसु अट्ठविधा लोगंतिता देवा पन्नत्ता, तंजहा-सारसतमाइचा वराही वरुणा य गहतोया य। तुसिता श्रव्वाबाहा अग्गिचा चेव बोद्धव्वा // 1 // 4 // एतेसि णमट्टराहं लोगंतितदेवाणं अजहगणमणुकोसेणं अट्ठ सागरोवमाइं ठिती पराणत्ता 5 // सू. 623 // अट्ठ धम्मत्थिगातमझतेसा पन्नसा, अट्ठ अधम्मत्थिगातमज्भपतेसा पन्नत्ता, एवं चेव अट्ठागासत्थिगातमज्भपतेसा पन्नत्ती, एवं चैव अट्ठ जीवमझपएसा पन्नत्ता // सू० 624 // श्ररहंता णं महापउमे अट्ट रायाणो मुंडा भवित्ता अंगारातो अणगारितं पव्वावेस्सति, जहा-पउमं पउमगुम्मं नलिम नलिनगुम्मं पउमद्धतं धणुद्धतं कणगरहं भरहं // सू० 625 // कराहस्स णं वासुदेवस्स अट्ठ अग्गमहिसीयो अरहतो णं पारटुनेमिस्स अंतिते मुडा भवेत्ता अगारातो अणगारितं पव्वतिता सिद्धायो जाव सव्वदुक्खप्पही'णाश्रो, तंजहा-पउमावती गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा जंबवती सच्चभामा रुप्पिणी कराहअग्गमहिसीयो // सू० 626 // वीरितपुव्वस्स णं अट्ट वत्थू अट्ठ चूलिया(चूल)वत्थू पन्नना // सू० 627 // अट्ठ गतितो पन्नत्तायो, तंजहा-णिरतगती तिरियगई जाव सिद्धिगती गुरुगती पणोल्लगगती पभारगती // सू० 628 // गंगासिंधुरत्तारत्तवतिदेवीग दीवा अट्ट (2) Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसत्रम्.:: अध्ययनं 8] [ 421 जोयणाई आयामविक्खंभेणं पन्नत्ता // सू० 626 // उक्कामुहमेहमुहविज्जुमुहविज्जुदंतदीवाणं दीवा अट्ट (2) जोयणसयाई प्रायामविक्खंभेणं पन्नत्ता // सू० 630 // कालोते णं समुद्दे अट्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ते // सू. 631 // अभंतरपुवखरद्धे णं अट्ट जोयणसय. सहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नत्ता, एवं बाहिरपुक्खरद्धेवि // सू० 632 // एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिस्स अट्ठसोवन्निते काकिणिरयणे छत्तले दुवालसंसिते अट्टकरिणते अधिकरणिसंठिते पन्नत्ता // सू० 633 // मागधस्स णं जोयणस्स अट्ट धणुसहस्साई निहारे (निहत्ते) पन्नत्ते // सू० 634 // जंबू णं सुदंसणा अट्ट जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं बहुमज्मदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं सातिरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पन्नत्ता 1 / कूडसामली णं अट्ठ जोयणाई, एवं चेव 2 // सू० 635 // तिमिसगुहा णमट्ट जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं 3 / खंडप्पवातगुहा णं अट्ठ जोयणाई उद्धं उच्चत्तेणं एवं चेव 4 // सू० 636 // जंबूमंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उभतोकूले अट्ट वक्खारपव्वया पन्नत्ता, तंजहा-चित्तकूडे पम्हकूडे नलिणकूडे एगसेले तिकूडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे 1 / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीतोताते महानतीते उभतोकूले अट्ठ वक्खारपबता पन्नत्ता, तंजहा-अंकावती पम्हावती अासीवीसे सुहावहे चंदपवते सूरपवते णागपवते देवपवते 2 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उत्तरेणं अट्ठ चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-कच्छे सुकच्छे महाकच्छे कच्छगावती श्रावत्ते जाव पुक्खलावती 3 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणेणमट्ट चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-बच्छे सुवच्छे जाव मंगलावती 4 / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेण सीतोतामहानदीते दाहिणेणं अट्ठ चकवट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-पम्हे जाव सलिलावती 5 / जंबूमंदरपचत्थिमेणं सीतोताए महानदीए उत्तरेणं अट्ट चकव Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 422 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथरे विभागः ट्टिविजया पन्नत्ता, तंजहा-चप्पे सुवप्पे जाव गंधिलावती 6 / जंडूमंदर. पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उत्तरेणमट्ठ रायहाणीतो पत्नत्तायो, तंजहाखेमा खेमपुरी चेव जाव पुंडरीगिणी 7 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताए महाणईएदाहिणेणं अट्ठ रायहाणीतो पन्नत्तायो, तंजहा-सुसीमा कुंडला चेव जाव रयणसंचया 8 / जंडूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीयोदाते महाणदीते दाहिणेणं घट्ट रायहाणीयो पन्नत्तायो, तंजहा-यासपुरा जाव वीनसोगा / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेण सीतोताते महानतीते उत्तरेणमट्ठ रायहाणीयो पन्नतायो, तंजहा-विजया वेजयंती जाव अउज्झा 10 // सू० 637 // जंबूमंदरपुरपञ्चच्छिमेणं सीताते महाणदीए उत्तरेणं उक्कोसपए अट्ठ अरहंता अट्ठ चकवट्टी अट्ट बलदेवा अट्ठ वासुदेवा उप्पजिंसु वा उप्पति वा उप्पजिस्संति वा 11 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव 12 / जंबूमंदरपञ्चत्थिमेणं सीयोयाते महाणदीए दाहिणेणं उक्को. सपए एवं चेव 13 / एवं उत्तरेणयि 14 // सू० 638 // जंमंदरपुर. च्छिमेणं सीताते महानईए उत्तरेगणं अट्ठ दीहवेयड्डा अट्ठतिमिसगुहायो घट्ट खंडगप्पवातगुहा अट्ट कयमालगा देवा अट्ट गट्ठमालगा देवा अट्ट गंगा कुंडा अट्ट सिंधु कुंडा अट्ट गंगातो पट्ट सिंधूयो ग्रह उसभकूड़ा पब्बता अट्ट उसभकूडा देवा पन्नत्ता 15 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणेगां अट्ठ दीहवेअड्डा एवं चेव जाव अट्ट उसभकूडा देवा पन्नत्ता, नवरमेत्य रत्तारत्ता. वतीतो तासिं चेव कुंडा 16 / जंबूमंदरपञ्चच्छिमेणां सीतोतार महानदीते दाहिणेणं अट्ट दीहवेयड्डा जाव अट्ट नट्टमालगा देवा य? गंगाकुडा अट्ठ सिंधुकुडा अट्ठ गंगातो पट्ट सिंधूयो ? उसभकूडपब्वता अट्ठ उमभकूडा देवा पराणत्ता 17 / जंबूमंदरपञ्चस्थिमेणं सीयोताते महानतीते उत्तरेणं अट्ठ दीहवेयड्ढा जाव अट्ट नट्टमालगा देवा श्रट्ट रत्तकुडा घट्ट रत्तावतिकुडा अट्ठ रत्तायो जाव घट्ट उसभकूडा देवा पन्नत्ता 18 // सू०६३६ // मंदरचूलिया Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानागपत्रम् :: अध्ययनं 8 ] [ 423 णं बहुमज्झदेसभाते अट्ठ जोयणाई विक्खंभेगां पन्नत्ते 11 // सू० 640 // धायइसंडदीवे पुरथिमद्धेणां धायतिरुक्खे अट्ट जोयणाई उड्ड उच्चत्तेणं पन्नत्ते, बहुमज्भदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पनत्ते, एवं धायइरुखातो श्राडवेत्ता सच्चेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियव्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पञ्चच्छिमद्धेवि महाधाततिरुवखातो बाढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुवखरवरदीवड्डपुरच्छिमद्धेवि पउमरुक्खायो बाढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरखरदीवपञ्चत्थिमद्धेवि महापउमरुक्खातो जाव मंदरचूलितत्ति // सू० 641 // जबूदीवे (2) मंदरे पव्वते भद्दसालवणे अट्ट दिसाहत्थिकूडा पन्नत्ता, तंजहा-पउमुत्तर नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी कुमुते य / पलासते वडिंसे (अट्ठमए) रोयणागिरी // 1 // 1 / जंबूदीवस्स णं दीवस्स जगती अट्ट जोयणाई उखु उच्चत्तेण बहुमज्झ देसभाते अट्ट जोयणाई विक्खंभेणं 2 // सू० 642 // जंबूदीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं महाहिमवंते वासहरपवते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे महहिमवंते हिमवंते रोहिता हरीकूडे / हरिकंता हरिवासे वेरुलिते चेव कूडा उ // 1 // 1 / जंबूमंदरउत्तरेणं रुप्पिमि वासहरपब्बते अट्ठ कूडा पन्नता, तंजहा-सिद्धे य रुप्पी रम्मग नरकंता बुद्धि रुप्पकूडे या। हिरण्णवते मणिकंचणे त रुप्पिमि कूडा उ // 1 // 2 / जंबूमंदरपुरच्छिमेणं रुयगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-रिट्टे तवणिज कंचण रयत दिसासोत्थिते पलंबे य / अंजण ग्रंजणपुलते रुयगरम पुरच्छिमे कूडा // 1 // 3 / तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरितातो महिड्डियातो जाव पलिग्रोवमट्टितीतातो परिवसंति, तंजहा-णंदुत्तरा य णंदा, पाणंदा णंदिवद्धणा / विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया // 1 // 4 / जंबूमंदरदाहिणेणं रुतगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-कणते कंचणे पउमे नलिणे ससि दिवायरे चेव / वेसमणे वेरुलिते स्यगस्स उ दाहिणे कूडा // 1 // 5 / तत्थ णं अट्ठ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 424 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः दिसाकुमारिमहत्तरियातो महिड्डियातो जाव पलिग्रोवमट्टितीतातो परिवसंति तंजहा-समाहारा सुप्पतिराणा, सुप्पबुद्धा जसोहरा / लच्छिवती सेसवती, चित्तगुत्ता वसुंधरा॥१॥ 6 / जंबूमंदरपञ्चत्थिमेणं स्यगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सोत्थिते त अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा। मगे रुतगुत्तमे चंदे, अट्ठमे त सुदंसणे // 1 // 7 / तत्थ णमट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियायो महिड्डियातो जाव पलियोवमट्टितीतातो परिखसंति तंजहा-इलादेवी सुरादेवी पुढवी पउमावती / एगनासा णवमिता, सीता भद्दा त अट्ठमा // 1 // 8 / जंबूमंदरउत्तररुअगवरे पव्वते अट्ठ कूडा पन्नता, तंजहा-रयणे रयणुचते ता, सव्वरयण रयणसंचते चेव / विजये य विजयंते जयंते अपराजिते // 1 // तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियातो महडितायो जाव पलिश्रोवमट्टितीतायो परिखसंति तंजहा-अलंबुसा मितकेसी पोंडरि गीतवारुणी। यासा य सव्वगा चेव, सिरी हिरी चेव उत्तरतो // 1 // 10 / अट्ठ अहेलोगवस्थव्वातो दिसाकुमारिमहत्तरितातो पनत्तायो, तंजहा-भोगंकरा भोगवती, सुभोगा भोगमालिणी / सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा // 1 // 11 / श्रट्ठ उड्डलोगवत्थव्वाश्रो दिसाकुमारिमहत्तरितातो पन्नत्तायो, तंजहामेघंकरा मेघवती, सुमेघा मेघमालिणी। तोयधारा विचित्ता य, पुप्फमाला अणिदिता // 1 // 12 // सू० 643 // अट्ट कप्पा तिरितमिस्सोववन्नगा पन्नत्ता, तंजहा-सोहम्मे जाव सहस्सारे 1 / एतेसु णमट्ट कप्पेसु अट्ठसु इंदा पन्नत्ता, तंजहा-सक्के जाव सहस्सारे 2 / एतेसि णं अट्टराहमिदाणं अट्ठ परियाणिया विमाणा पन्नत्ता, तंजहा-पालते पुप्फते सोमणसे सिरिवच्छे णंदा(दिया)वत्ते कामकमे पीतिमणे विमले 3 // सू० 644 // अट्ठमियाणं भिक्खुपडिमाणं चउसट्ठीते राइदिएहि दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं ग्रहासुत्ता जाव अणुपालितावि भवति // सू० 615 // अट्ठविधा संसार. समावनगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरतिता अपढमसमयनेरतिता एवं Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गमनम् :: अभ्ययनं 8 ] [ 425 जाव अपढमसमयदेवा 1 / अविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तजहा-नेरतिता तिरिक्खजोणिता तिरिक्खजोणिणीश्रो मणुस्सा मणुस्सीनो देवा देवीश्रो सिद्धा 2 / अथवा अट्ठविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-श्राभिणिबोहितनाणी जाव केवलनाणी मतिअन्नाणी सुतयाणाणी विभंगणाणी 3 // सू० 646 // अट्ठविधे संजमे पन्नत्ते, तंजहा-पढमसमयसुहुमसंपरागसरागसंजमे अपढमसमयसुहुमसंघरायसरागसंजमे पढमसमयबादरसंजमे अपढमसमयबादरसंयमे पढ़मसमयउवसंतकसायवीतरायसंजमे थपढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे पढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे अपढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे // सू० 647 // अट्ठ पुढवीयो पन्नत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव अहे. सत्तमा ईसिपमारा 1 // ईसीपभाराते णं पुढवीते बहुमज्झदेसभागे अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / ईसिपब्भाराते णं पुढवीते श्रट्ट नामधेजा पन्नत्ता, तंजहा-ईसित्ति वा इसिपभाराति वा तणूति वा तणुतणूइ वा सिद्धीति वा सिद्धालतेति वा मुत्तीति वा मुत्तालतेति वा 3 // सू० 648 // अट्ठहिं गणेहिं संमं संघडितव्वं जतितवं परकमितव्वं अस्सि च णं अट्ठे णो पमातेतव्वं भवति-असुयाणं धम्माणं सम्मं सुणणताते अब्भुठेतव्वं भवति 1 / सुताणं धम्माणं श्रोगिराहणयाते उवधारणयाते अब्भुठेतव्वं भवति 2 / पा(ण)वाण कम्माणं संजमेणमकरणताते अब्भुट्टेयव्वं भवति 3 / पोराणाणं कम्माणं तवसा विगिवणताते विसोहणताते अब्भुठेतव्वं भवइ 4 // असंगिहीतपरितणस्स संगिराहणताते भुट्ठेयव्वं भवति 5 / सेहं पायारगोयरगहणताते श्रभुठेयवं भवति 6 / गिलाणस्स अगिलाते वेयावच्चकरणताए अब्भुठेयव्वं भवति 7 / साहम्मिताणमधिकरणंसि उप्पराणंसि तत्थ अनिस्सितोवस्सितो अपक्खग्गाही मज्झत्थभावभूते कह णु साहम्मिता थप्पसदा अप्पझंझा अप्पतुमंतुमा उवसामणताते अभुट्ट्यब्वं भवति 8 // सू० 641 // महा Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 426 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः सुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा अट्ट,जोयणसताई उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता H सू० 650 // अरहतो'णं रिट्टनेमिस्स अट्टसया वादीणं सदेवमणुयासुरांते. परिसाते वादे अपराजिताणं उकोसियां वादिसंपया हुत्या // सू० 651 // अट्ठसमतिएं केवलीसमुग्घाते पत्नत्ते, तंजहा-पढमें समएं दंड करेति, बीए समए कवाडं करेति, ततिए समते. मंथानं करेति, चउत्थे समते लोग पूरेति, पंचमे समए लोगं पड़िसाहरति, छठे समए मंथं पडिंसाहरति, सत्तमे समए कवाडं पृडिसाहरति, अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरति // सू० 652 // समणस्स णं भगवतो महावीरस्स अट्ठ सया अणुत्तरोववातियाणं गतिकल्लाणाणं जाव श्रागमेसिभदाणं उक्कोसिता अणुत्तरोववातितसंपया हुत्था॥ सू० 653 // अट्ठविधा वाणमंतरा देवा पन्नत्ता तंजहा-पिसाया भूता जक्खा रवखसा किन्नरा किंपुरिसा महोरंगा गंधव्वा / एतेसि णं अट्टराह(विहाणं) वाणमंतरदेवाणं अट्ठ चेतितरुक्खा पन्नत्ता, तंजहा-कलंबो अ पिसायाणं, वडो जक्खाण घेतितं / तुलसी भूयाणं भवे, खखसाणं च कंडो॥१॥ असोयो किन्नराणं च, किंपुरिसाण यं चंपतों / नागरुक्खो भुयंगाणं, गंधवाण य तेंदुओ // 2 // 2 // सू० 654 // इमीसे रयणप्पभाते पुढवीते बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो अट्ठजोयणसते उडवाहाने सूरविमाणे चारं चरति ॥सू० 655 / / अट्ठ नवखत्ता चंदेणं सद्धिं पमदं जोगं जोति, तंजहा-कत्तिता रोहिणी पुराणव्वसू महा चित्ता विस्साहा अणुराधा जेट्टा // सू० 656 // जंबुद्दीवस्स णं दीवम्स दारा अट्ठजोयणाई उड्ढ़ उच्चत्तेणं पन्नत्ता 1 / सव्वेसिपि दीवसमुदाणं दारा अट्ठजोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता 2 // सू० 657 // पुरिसवेयणिज्जरस णं कम्मस्स जहन्नेणं अट्ठसंवच्छराई बंधठिती पन्नत्ता 1 / जसोकित्तीनामएणं कम्मस्स जहराणेणं अट्ठ मुहुत्ताई बंधठिती पन्नत्ता 2 / उच्चगोयस्स णं कम्मस्स एवं चेव 3 ॥सू. 658 // तेइंदियाणमट्ठ जातीकुलकोडीजोणीपमुहसत सहस्सा पन्नत्ता // सू० Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 8 ] [ 425 651 // जीवा णं अट्ठाणणिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तंजहा-पढमसमयनेरतितनिव्वत्तिते जाव अपढमसमयदेवनिव्वत्तिते, एवं चिण उवचिण जाव निजरा चेव, अट्ठपतेसिता खंधा अणंता पराणत्ता, अट्ठपतेसोगाढा पोग्गला श्रणंता पराणत्ता जाव अट्टगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पराणत्ता // सू० 660 // अट्ठमं ठाणं सम्मत्तं // अट्टमं अज्झयणं सम्मत्तं / / ॥.इति अष्टस्थानाक्यमष्टममध्यपनम् // 8 // : // अथ नवस्थानकाख्यं नवममध्ययनम् // ‘नवहिं गणेहिं समणे णिग्गंथे संभोतितं विसंभोतितं करेमाणे णातिकमति, तंजहा थायरियपडिणीयं उवज्झायपडिणीयं थेरपडिणीयं कूलपडिणीयं गणपडिणीयं संघपडिणीय नाणपडिणीयं दंसणपडिणीयं चरित्तपडिणीयं // सू० 661 / / णव बंभचेरा पन्नत्ता तंजहा-सस्थपरिन्ना लोगविजयो जाव उवहाणसुयं महापरिगणा // सू० 662 // नव बंभचेरगुत्तीतो पन्नत्तायो, तंजहा-विवत्ताई सयणासणाइं सेवित्ता भवति णो इत्थिसंसत्ताई नो पसुसंसत्ताई नो पंडगसंसत्ताई 1 नो इत्थिणं कहं कहेत्ता 2 नो इत्थिठाणाई सेवित्ता भवति 3 णो इत्थीणमिंदिताई मणोहराई मणोरमाई थालोइत्ता निज्माइत्ता भवइ 4 णो पणीतरसभोती 5 णो पाणभोयणस्स अतिमत्त(मातं) श्राहारते सता भवति 6 णो पुवरतं पुन्वकीलियं समरेत्ता भवति 7 णो सदाणुवाती णो रूवाणुवाती णो सिलोगाणुवाती 8 णो सातसोक्खपडिबद्धे यावि भवति 1, 1 / णव बंभचेरगुत्तीयो पन्नत्तायो, तंजहा–णो विवत्ताई सयणासणाई सेवित्ता भवइ, इत्थीसंसत्ताई पसु. संसत्ताइं पंडगसंसत्ताई इत्थीणं कहं कहेत्ता भवइ, इत्थीणं ठाणाई सेवित्ता भवति, इत्थीणं इंदियाइं जाव निज्माइत्ता भवति, पीयरसभोई पाराभोय. Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 428 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागा णस्स अइमायमाहारए सया भवइ, पुव्वरयं पुव्वकीलियं सरित्ता भवइ, सहाणुवाई रुवाणुवाई सिलोगाणुवाई जाव सायासुक्खपडिबद्धे यावि भवति // सू० 663 // अभिणंदणाणो णं अरहयो सुमती अरहा नवहिं सागरोवमकोडीसयसहस्सेहिं विइक्कतेहिं समुष्पन्ने / सू० 664 // नव सब्भावपयत्था पन्नत्ता, तंजहा-जीवा अजीवा पुराणं पावो पासवो संवरो निजरा बंधो मोक्खो // सू० 665 // णवविहा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया बेइंदिया जाव पंचिंदितत्ति 1 / पुढविकाइया नवगइया नवयागतिता पन्नत्ता, तंजहां-पुढवीकाइए पुढवि. काइएसु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा जाव पंचिंदियेहितो वा उववज्जेजा, से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकायत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए जाव पंचिदियत्ताते वा गच्छेज्जा 2 एवमाउकाइयावि 3 जाव पंचिंदियत्ति 2 / णवविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया नेरतिता पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा 3 / अथवा णवविहा सव्वजीवा पनत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरतिता अपढमसमयनेरतिता जाव अपदमसमयदेवा सिद्धा 4 / नवविहा सव्वजीवोगाहणा पत्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइयोगाहणा अाउकाइयो. गाहणा जाव वणस्सइकायउगाहणा बेइंदियश्रोगाहणा तेइंदिययोगाहणा चरिंदियोगाहणा पंचिंदिययोगाहणा 5 / जीवाणं नवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिंसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति वा, तंजहा-पुढविकाइयत्ताए जाव पंचिंदियताए 6 // सू० 666 // णवहिं ठाणेहिं रोगुप्पत्ती सिया तंजहा-अचा. सणाते अहितासणाते अतिणिदाए अतिजागरितेण उच्चारनिरोहेणं पासवणनिरोहेणं श्रद्धाणगमणेणं भोयणपडिकूलताते इंदियत्थविकोवणयाते / / सू० 667 // गावविधे दरिसणावरणिज्जे कम्मे पन्नत्ते, तंजहा-निद्दा निहानिद्दा पयला पयलापयला थीणगिद्धी चक्खुदंसणावरणे अचवखुदंस Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गवत्रम्.अध्ययनं 6] [ 426 णावरणे अवधिदंसणावरणे केवलदंसणावरणे // सू० 668 // अमिती णं णक्खते सातिरेगे नव मुहुते चंदेण सद्धिं जोगं जोतेति, अभीतिश्रातिश्रा णं णवनक्खत्ता णं चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोतेंति, तंजहा-अभीती सवणो धणिट्ठा जाव भरणी ॥सू० 66 // इमीसे णं रयणप्पभाते पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो णवजोत्रणसताई उद्धं अबाहाते उ(अ)वरिल्ले तारारुवे चारं चरति // सू० 670 // जंबूदीवे णं दीवे णवजोयणिश्रा मछा पविसिंसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा // सू० 671 // जंबूद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे श्रोसप्पिणीते णव बलदेववासुदेवपियरो हुत्था तंजहा-पयावती त बंभे य, रोहे सोमे सिवेतिता / महासीहे अग्गिसीहे, दसरह नवमे.य वसुदेवे // 1 // इत्तो थाढत्तं जधा समवाये निरवसेसं जाव एगा से गम्भवसही सिज्झिस्सति थागमेस्सेणं 1 / जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीते नव बलदेववासुदेवपितरो भविस्संति 2 / नव बलदेववासुदेवमायरो भविस्संति एवं जधा समवाते निरवसेसं जाव महाभीमसेण सुग्गीवे य अपच्छिमे 3 / एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / सव्वेवि चक्कजोही हम्मेहंती सचक्केहिं // 1 // सू० 672 // एगमेगे णं महानिधी णं णव णव जोयणाई विक्खंभेणं पराणत्ते एगमेगस्स णं रन्नो चाउरंतचकवट्टिरस नव महानिहो पन्नत्ता तंजहा-“णेसप्पे 1 पंडुयए 2 पिंगलते 3 सव्व रयण 4 महापउमे 5 / काले य 6 महाकाले 7 माणवग 8 महानिही संखे 1 // 1 // पप्पंमि निवेसा गामागरनगरपट्टणाणं व / दोणमुहमडवाणं खंधाराणं गिहाणं च // 2 // गणियस्स य बीयाणं माणुम्माणुस्स जं पमाणं च / धनस्स य बीयाणं उप्पत्ती पंडुते भणिया // 3 // सव्वा श्राभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं / श्रासाण य हत्थीण य पिंगलगनिहिमि सा भणिया // 4 // रयणाई सव्वरयणे चोइस पवराइं चकवट्टिस्स / Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 430 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः उप्पज्जंति एगिदियाइं पंचिंदियाई च // 5 // वत्थाण य उप्पत्ती निप्पत्ती चेव सव्वभत्तीणं / रंगाण य धोयाण य सव्वा एसा महापउमे // 6 // काले कालराणाणं भवपुराणं च तीसु वासेसु / सिप्पसतं कम्माणि य तिन्नि पयाए हियकराई // 7 // लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकालि अागराणं च / रुप्पस्स सुवन्नस्स य मणिमोतिसिलप्पवालाणं // 8 // जोधाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणं च / सव्वा य जुद्धनीती माणवते दंडनीती य॥१॥ नट्टविही नाडगविही कव्वस्स चउब्विहस्स उप्पत्ती / संखे महानिहिम्मी तुडियंगाणं च सव्वेसि // 10 // चकट्टपइट्ठाणा अठुस्सेहा य नव य विक्खंभे / बारसदीहा मंजूससंठिया जह्नवीई मुहे // 11 // वेरुलियमणिकवाडा कणगमया विविधरयणपडिपुन्ना / ससिसूरचक्कलक्खणअणुसमजुगबाहुवतणा त॥१२॥ पलियोवमद्वितीया णिहिसरिणामा य तेसु खलु देवा / जेसिं ते श्रावासा अक्विजा श्राहिवचा वा // 13 // एए ते नवनिहयो पभूतधणरयणसंचयसमिद्धा / जे वसमुवगच्छंती सव्वेसि चकवट्टीणं // 14 // ॥सू० 673 // एव विगतीतो पन्नत्तायो, तंजहा-खीरं दधिं णवणीतं सप्पिं तेलं गुलो महुँ मज्जं मंसं ॥सू. 674 // गावसोतपरिस्सवा बोंदी पराणत्ता, तंजहा-दो सोत्ता दो ोत्ता दो घाणा मुहं पोसे पाऊ / / सू०६७५ // णवविधे पुन्ने पन्नत्ते, तंजहा-अन्नपुन्ने पाणपुराणे वत्थपुन्ने लेणपुराणे सयणपुन्ने मणपुन्ने वतिपुराणे कायपुराणे नमोकारपुराणे // सू० 676 / / णव पावस्सायतणा पत्नत्ता, तंजहा-पाणातिवाते मुसावाते जाव परिग्गहे कोहे माणे माया लोभे // सू० 677 // नवविधे पावसुयपसंगे पन्नत्ते, तंजहा-उप्पाते निमित्ते मंते अातिक्खिते तिगिच्छते / कला श्रावरणेऽन्नाणे मिच्छापावतणेति त // 1 // ॥सू० 678 // नव उणिता वत्थू पन्नत्ता, तंजहा-संखाणे निमित्ते कातिते पोराणे पारिहत्थिते परपंडिते वातिते भूतिकम्मे तिगिच्छिते ॥सू० 676 // Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 6 ] [ 431 समणस्स णं भगवतो महावीरस्स णव गणा हुत्था, तंजहा-गोदासे गणे उत्तरबलिस्सहगणे उद्देहगणे चारणगणे उद्दवातितगणे विस्सवातितगणे कामड्डितगणे माणवगणे कोडितगणे ॥सू०६८०॥ समणेणं भगवता महा. वीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णवकोडिपरिसुद्धे भिक्खे पन्नत्ते, तंजहाण हणइ ण हणावइ हणंतं णाणुजाणइ ण पतति ण पतावेति पतंतं णाणुजाणति ण किणति ण कितावेति किणंतं णाणुजाणति // सू० 681 // ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरराणो वरुणस्स महारनो णव अग्गमहिसीनो पन्नतायो // सू० 682 // ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरगणो अग्गमहिसीणं णव पलिग्रोवमाई -ठिती पन्नत्ता, 1 / ईसाणे कप्पे उक्कोसेणं देवीणं णव पलिग्रोवमाइं ठिती पन्नत्ता, 2 / / सू० 683 // नव देवनिकाया पन्नत्ता, तंजहा-सारस्सयमाइचा वराही वरुणा य गद्दतोया य / तुसिया अव्वाबाहा अग्गिचा चेव रिट्ठा य // 1 // अब्वाबाहाणं देवाणं नव देवा नव देवसया पन्नत्ता, एवं अग्गिञ्चावि, एवं रिट्ठावि // सू० 684 // णव गेवेजविमाणपत्थडा पनत्ता, तंजहाहेट्ठिमहेट्ठिमगेविजविमाणपत्थडे हेटिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे हेट्ठि मउवरिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमहेट्ठिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिममझिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिमहेटिमगेविजविमाणपत्थडे उरिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे उवरिमरगेविजविमाणपत्थडे 1 / एतेसि णं णवरहं गेविजविमाणपत्थडाणं णव नामधिज्जा पन्नता, तंजहा-भद्दे सुभद्दे सुजाते सोमणसे पितदरिसणे / सुदंसणे अमोहे य सुप्पबुद्धे जसोधरे // 1 // सू. 685 || नवविहे श्राउपरिणामे पन्नत्ते, तंजहा-गतिपरिणामे गतिबंधणपरिणामे ठिइपरिणामे ठितिबंधणपरिणामे उड्ढगारवपरिणामे अहेगारवपरिणामे तिरितंगारवपरिणामे दीहंगारवपरिणामे रहस्संगारवपरिणामे // सू० 686 // णवणवमिता णं Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 432 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः भिक्खुपडिमा एगासीते रातिदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासतेहि अधासुत्ता जाव बाराहिता तावि भवति / / सू० 687 // णवविधे पायच्छित्ते पन्नत्ते तंजहा-बालोयणारिहे जाव मूलारिहे श्रणवठप्पारिहे // सू० 688 // जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे दीहवेतड्ढे नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 भरहे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ढ 5 पुन्न 6 तिमिसगुहा 7 / भरहे 8 वेसमणे 1 या भरहे कूडाण णामाई // 1 // जंबूमंदिरदाहिणेणं निसभे वासहरपवते णव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 निसहे 2 हरिवास 3 विदेह 4 हरि 5 धिति 6 अ सीतोता 7 / अवरविदेहे 8 रुयगे 1 निसभे कूडाण नामाणि // 1 // जंबूमंदरपब्बते णंदणवणे णव कूडा पन्नत्ता, तंजहाणंदणे 1 मंदरे 2 चेव निसहे 3 हेमवते 4 रयय 5 रुयए 6 य / सागरचित्ते 7 वइरे 8 बलकूडे 1 चेव बोद्धव्वे // 1 // जंबूमालवंतवक्खारपवते णव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 य मालवंते 2 उत्तरकुरु 3 कन्छ 4 सागरे 5 रयते 6 / सीता 7 तह पुराणाणामे 8 हरिस्सहकूडे 1 य बोद्धब्वे // 1 // जंबूमालवंतवक्खारपवते कच्छे दीहवेयड्ढे नव कूडा पन्नत्ता तंजहा-सिद्धे 1 कच्छे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ड 5 पुण 6 तिमिस गुहा 7 / कच्छे 8 वेसमणे या 1 कच्छे कूडाण णामाई // 1 // जंबूमालवंत. वक्खारपव्वते सुकच्छे दीहवेयड्ढे णव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-मिद्धे 1 सुकच्छे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ड 5 पुन्न 6 तिमिसगुहा 7 / सुकच्छे 8 वेसमणे 1 ता सुकच्छि कूडाण णामाइं // 1 // एवं जाव पोक्खलावतिमि दीहवेयड्ढे, एवं वच्छे दीहवेयड्ढे एवं जाव मंगलावतिमि दीहवेयड्डे / जंबूविज्जुप्पभे वक्खारपब्वते नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 अ विज्जुणामे 2 देवकूरा 3 पम्ह 4 काग 5 सोवत्थी 6 / सीतोताते 7 सजले 8 हरि. कूडे 1 चेव बोद्धब्बे // 1 // जंबूविज्जुप्पभे वक्खारपवते पम्हे दीहवेयड्ढे णव कूड़ा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 पम्हे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ड 5 Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् :: अध्ययनं 9 ] [ 433 एवं चेव जाव सलिलावतिमि दीहवेयड्डे, एवं वप्पे दीहवेयड्ड एवं जाव गंधिलावतिमि दीहवेयड्ढे नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 गंधिल 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ढ 5 पुन 6 तिमिसगुहा 7 / गंधिलावति 8 वेसमण 1 कूडाणं होंति णामाई // 1 // एवं सव्वेसु दीहवेयड्ढसु दो कूडा सरिसणामगा सेसा ते चेव, जंबूमंदरेणं उत्तरेणं नेलवंते वासहरपवते णव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 निलवंत 2 विदेह 3 सीता 4 कित्ती त 5 नारिकता 6 य / अवरविदेहे रम्मगकूडे 8 उवदंसणे 1 चेव // 1 // जंबूमंदरउत्तरेणं एरवते दीहवेतड्ढे नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 रयणे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ड 5 पुराण 6 तिमिसगुहा 7 / एरवते 8 वेसमणे 1 एरवते कूडणामाइं // 1 // सू० 681 // पासे णं अरहा पुरिसादाणिए वज्जरिसहणारातसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते नव रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं हुत्था // सू० 610 // समणस्स णं भगवतो महावीरस्स तित्थंसि णवहिं जीवेहिं तित्थगरणामगोत्ते कम्मे णिब्बतिते,सेणितेणं सुपासेणं उदातिणा पोट्टिलेणं श्रणगारेणं दढाउणा संखेणं सततेणं सुलसाए साविताते रेवतीते 1 // सू० 611 // एस णं अजो! कणहे वासुदेवे 1 रामे बलदेवे 2 उदये पेढोलपुत्ते 3 पुट्टिले 4 सतते गाहावती 5 दारुते नितंठे 6 सच्चती नितंठीपुत्ते७ सावितबुद्धे अम्बडे परिवायते 8 अजाविणं सुपासा पासावचिज्जा 1 श्रागमेस्साते उस्सप्पिणीते चाउजामं धम्म पन्नवतित्ता सिज्झिहिन्ति जाव अंतं काहिति // सू० 612 // एस णं अजो! सेणिए राया भिंभिसारे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीते सीमंतते नरए चउरासीतिवाससहस्सट्टितीयंसि निरयसि ओरइयत्ताए उववजिहिति, से णं तत्थ ोरइए भविस्सति काले कालोभासे जाव परमकिराहे वन्नेणं, से णं तत्थ वेयणं वेदिहिती उज्जलं (विउल) जाव दुरहियासं 1 / से णं ततो नरतातो उवढेत्ता श्राग Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 434 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः मेसाते उस्मप्पिणीते इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले पुडेसु जणवतेसु सतवारे गागरे संमुइस्स कुलकरस्स भदाए भारियाए कुच्छिसि पुमत्ताए पञ्चायाहिती, तए णं सा भद्दा भारिया नवराहं मासाणं बहुपडिपुराणाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपातं ग्रहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजण जाव सुरूवं दारगं पयाहिती 2 / जं रयणिं च णं से दारए पयाहिती तं रयगि च णं सतदुवारे णगरे सभितरबाहिरए भारग्गसो य कुंभग्गसो त पउमवासे त रयणवासे त वासे वासिहिती, तए णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो एकारसमे दिवसे वइक्कंते जाव बारसाहे दिवसे अयमेयास्वं गोराणं गुणनिष्फरणं नामधिज्जं काहिति जम्हा णं श्रम्हमिमंसि दारगंसि जातंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भितरबाहिरए भारग्गसो य कुभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वुठे तं होऊ णमम्हमिमस्स दारगस्स नामधिज्ज महापउमे 2, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्ज काहिंति-महापउमेत्ति 3 / तए णं महापउमं दारगं अम्मापितरो सातिरेगं अट्ठवासजातगं जाणित्ता महता रायाभिसेएणं अभिसिंचिहिति, से णं तत्थ राया भविस्सति महता हिमवंतमहंतमलयमंदररायवन्नतो जाव रज्जं पसाहेमाणे विहरिस्सति / तते णं तस्स महापउमस्स रन्नो अन्नया कयाइ दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा सेणाकम्म काहिती, तंजहा-पुन्नभद्दते माणिभदते, तए णं मतदुवारे नगरे बहवे राती. सर-तलवर-माडंबित-कोडुबित-इब्भसेडिसेणावति-सत्थवाहप्पभितयो अन्नमन्नं सहावेहिंति एवं वतिस्संति जम्हा णं देवाणुप्पिया ! अम्हं महापउमरस रन्नो दो देवा महिड्डिया जाव महेसक्खा सेनाकम्मं करेंति, तंजहा-पुन्नभद्दे त माणिभद्दे य, तं होऊ णमम्हं देवाणुप्पिया ! महापउमस्स रन्नो दोच्चेऽवि नामधेज्जे देवसे, तते णं तस्स महापउमस्स दोच्चेवि नामधेज्जे भविस्सइ देवसेणेति 2, तए णं तस्स देवसेणस्स रनो अन्नता Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / / अध्ययनं 6 ] [ 435 कताती सेयसंखतलविमलसन्निकासे चउद्दते हत्थिरयणे समुप्पजिहिति, 5 // तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमलसन्निकासं चउद्दतं हत्थिरयणं दुरुढे समाणे सतदुवारं नगरं मझमझेणं अभिक्खणं (2) अतिजाहि त णिजाहि त, तते णं सतदुवारे णगरे-बहवे रातीसरतलवर जाव अन्नमन्नं सदाविति (2) एवं वइस्संति-जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रनो सेते संखतलविमलसन्निकासे चउदंते हत्थिरयणे समुप्पन्ने तं होऊ णमम्हं देवाणुप्पिया ! देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि नामधेज्जे विमलवाहणे, तते णं तस्स देवसेणस्स रन्नो तच्चेवि णामधेज्जे भविस्सति विमलवाहणे 2, 6 / तए णं से विमलवाहणे राया तीसं वासाई अगारवासमज्झे वसित्ता अम्मापितीहिं देवत्तगतेहिं गुरुमहत्तरतेहिं अब्भणुनाते समाणे उमि सरए संबुद्धे अणुत्तरे मोक्खमग्गे पुणरवि लोगंतितेहिं जीयकप्पितेहिं देवेहिं ताहिं इटाहि कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं धनाहिं सिवाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीबाहिं वग्गूहिं अभिणदिज्जमाणे अमिथुवमाणे य बहिया (संबोहिए) सुभूमिभागे उजाणे एगं देवदूसमादाय मुडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वयाहिति, तस्स णं भगवंतस्स साइरेगाई दुवालस वासाइं निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केई उवसग्गा उप्पजति तंजहादिव्या वा माणुसा वा तिरिवखजोणिया वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्खिस्सइ अहियासिस्सइ 7 तए गां से भगवं ईरियासमिए भासाममिए जाव गुत्तवंभयारि अममे यकिंचणे छि(कि)नगं(ग)थे निरुवलेवे कंसपाईव मुक्कतोए जहा भावणाए जाव सुहयहयासणेविव तेयसा जलंते 8 / कंसे संखे जीवे गगणे वाते य सारए सलिले / पुक्खरपत्ते कुंभे विहगे खग्गे य भारंडे // 1 // कुंजर वसहे सीहे नगराया चेव सागरमखोमे / चंदै सूरे कणगे वसुंधरा चेव सुहुयहुए // 2 // नत्थि णं तस्स भगवंतस्स कथइ पडिबंधे भवइ,से य पडिबंधे चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-अंडए वा पोयएइ वा उग्गहेइ Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 436 ] [ श्री मदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः वा पग्गहिएइ वा 1 / जंणं जं णं दिसं इच्छइ तं णं तं णं दिसं अपडिबद्धे सुचिभूए लहुभूए अणुप्पगंथे संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरिस्सइ, तस्स णं भगवंतस्स अणुत्तरेणं नाणेणं अणुत्तरेणं दंसणेणं अणुवचरिएणं एवं बालएणं विहारेणं अजवे मद्दवे लाघवे खंती मुत्ती गुत्ती सच्च संजम तवगुणसुचरिय-सोवचिय-फलपरिनिव्वाणमग्गेणं अप्पाणं भावमाणस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति, 10 / तए णं से भगवं यरहे जिणे भविस्सइ, केवली सव्वन्नू सव्वदरिसी सदेवमणुासुरस्स लोगस्स परियागं जाणइ पासइ, सव्वलोए सव्वजीवाणं श्रागइं गति ठियं चयणं उववायं तवकं मणोमाणसियं भुत्तं कडं परिसेवियं श्रावीकम्मं रहोकम्मं अरहा अरहस्म भागी तं तं कालं मणसवयसकाइए जोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सव्वजीवाणं सब्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ 11 / तए णं से भगवं तेणं अणुत्तरेणं केवलवरनाणदंसणेणं सदेवमणुासुरलोगं अभिसमिच्चा समणाणं निग्गंथाणं [ सेणं भगवं जं चेव दिवसं मुडे भवित्ता जाव पव्वयाहि तं चेव दिवसं सयमेतारुवमभिग्गहं अभिगिरिहहिति जे केइ उबसग्गा उप्पज्जंति, तंजहादिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा, ते उप्पन्ने सम्मं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्खिस्सइ अहियासिस्सइ, तते णं से भगवं श्रणगारे भविस्सति ईरियासमिते भाससमिते एवं जहा वद्धमाणसामी तं चेव निरवसेसं जाव अबावारविउसजोगजुत्ते, तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स दुवालसहिं संवच्छरेहिं वीतिक्कतेहिं तेरसहि य पक्खेहिं तेरसमस णं संवच्छरस्स यंतरा वट्टमाणस्स अणुत्तरेणं णाणेणं जहा भावणाते केवलवरनागदसणे समुप्पजिहिन्ति जिणे भविस्सति केवली सव्वन्नू सव्वदरिसी सणरईए जाव ] पंच महव्वयाई सभावणाई छच्च Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 8 ] [ 437 जीवनिकायधम्म देसेमाणे विहरिस्सति 12 / से जहाणामते अजो ! मते समणाणं निग्गंथाणं एगे श्रारंभठाणे पराणत्ते, एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं एगं प्रारंभट्ठाणं पराणवेहिति, से जहाणामते अजो मते समणाणं निग्गंथाणं दुविहे बंधणे पनवेहिति, तंजहापेजबंधणे दोसबंधणे, एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं दुविहं बंधणं पनवेहिति तंजहा-पेजबंधणं च दोसबंधणं च 13 / से जहानामते अजो. मते समणाणं निग्गंथाणं तयो दंडा पनवेहिति तंजहा-मणदंडे (3), एवामेव महापउमेऽवि समणाणं निग्गंथाणं ततो दंडे पराणवेहिति, तंजहा-मणोदंडं (3), से जहा नामए एएणं अभिलावेणं चत्तारि कसाया पनवेहिति तंजहा-कोहकसाए (4), पंच कामगुणे पन्नवेहिति, तंजहा-सद्दे (5), छजीवनिकाता पनवेहिति, तंजहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया, एवामेव जाव तसकाइया, से जहाणामते एएण अभिलावेणं सत्त भयट्ठाणा पन्नवेहिति तंजहा-एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं निग्गंथाणं सत्त भयट्ठाणा पनवेहिति, एवमट्ठ मयट्ठाणे, णव बंभचेरगुत्तीयो दसविधे समणधम्मे एवं जाव तेत्तीसमासातणाउत्ति 14 / से जहानामते अजो ! मते समणाणं निग्गंथाणं नग्गभावे मुडभावे राहाणते अदंतवणे अच्छत्तए अणुवाहणते भूमिसेजा फलगसेजा कट्ठसेजा केसलोए बंभचेवासे परघरपवेसे जाव लद्धावलद्धवित्तीउ पन्नतायो एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं निग्गंयाणं णग्गभावं जाव लद्धावलद्धवित्ती पराणवेहिती 15 / से जहाणामए अजो ! मए समणाणं निग्गंथाणं श्राधाकम्मिएति वा उद्दसितेति वा मीसज्जाएति वा अझोयरएति वा प्रतिएति वा कीतेति वा पामिच्चेति वा अच्छेज्जेति वा अणिसट्ठति वा अभिहडेति वा कंतारभत्तेति वा दुभिक्खभनेति वा गिलाणभत्तेति वा वदलिताभत्तेइ वा पाहुणभत्तेइ वा मूलभोयणेति वा कंदभोयणेति फलभोयणेति बीयभोयणेति Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 438 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: प्रथमो विभागः हरियभोयणेति वा पडिसिद्धे एकामेव महापउमेवि अरहा समणाणं निग्गंथाणं श्राधाकम्मितं वा जाव हरितभोयणं वा पडिसेहिस्सति 16 / से जहानामते अजो ! मए समणाणं निग्गंथाणं पंचमहव्वतिए सपडिक्कमणे अचेलते धम्मे पगणत्ते एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं पंचमहव्वतितं जाव अचेलगं धम्मं पराणवेहिती 17 / से जहानामए अजो ! मए पंचाणुबतिते सत्तसिवखावतिते दुवालसविधे सावगधम्मे पराणत्ते एवामेव महापउमेऽवि अरहा पंचाणुव्वतितं जाव सावगधम्मं पराणवेस्सति 18 / से जहानामते अजो ! मए समणाणं निग्गंथाणं सेज्जातरपिंडेति वा रायपिं. डेति वा पडिसिद्धे एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं निग्गंथाणं सेजातर. पिंडेति वा पडिसेहिस्सति 11 / से जधाणामते अजो! मम णव गणा इगारस गणधरा एयामेव महापउमस्सऽवि अरिहतो णव गणा एगारस गणधरा भविस्संति 20 / से जहानामते अजो ! अहं तीसं वासाइं अगारवासमझे वसित्ता मुडे भवित्ता जाव पव्वतिते दुवालस संवच्छराई तेरस पवखा छउमस्थपरियागं पाउणित्ता तेरसहिं पक्खेहिं उणगाई तीसं वासाई केवलिपरियागं पाउणित्ता बायालीसं वासाइं सामराणपरियागं पाउणित्ता बावत्तरि वासाई सव्वाउयं पालइत्ता सिझिस्सं जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सं एवामेव महापउमेऽवि अरहा तीसं वासाई यागारवासमझे वसित्ता जाव पविहिती दुवालम संवच्छाराइं जाव बावत्तरिवासाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिज्झिहिती जाव सव्वदुक्खाणमंतं काहिती-“जंसीलसमायारो अरहा तित्थंकरो महावीरो। तस्सीलसमायारो होति उ थरहा महापउमे // 1 // // सू० 613 // इति श्री महापद्मचारित्रं संपूर्णमिति / / णव णवखत्ता चंदस्स पन्छभागा पन्नत्ता, तंजहा-अभिती समणो धणिट्ठा रेवति अस्मिणि मग्गसिर पूसो। हत्थोचित्ता य तहा पच्छंभागा णव हवंति॥१॥ सू० 614 // ग्राणतपाणत यारणच्चुतेसु कप्पेसु विमाणा णव जोयण,सयाई उद्धं उच्चत्तेणं पन्नत्ता / / सू० 615 // Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 10 ] [ 1 विमलवाहणे णं कुलकरे णव धणुसताई उद्धं उच्चत्तेणं हुत्था // सू० 616 // उसभेणं परहा कोसलिते णं इमीसे श्रोसप्पिणीए णवहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं विईक्कंताहिं तित्थे पवत्तिते // सू० 617 // घणदंतलठ्ठदंतगूढदंत-सुद्धदंतदीवाणं दीवा णवणवजोयणसताई अायामविक्खंभेणं पण्णत्ता // सू० 618 // सुक्कस्स णं महागहस्स णव वीहीरो पन्नत्तायो तंजहाहयवीही गतवीही णागवीही वसहवीही गोवीही उरगवीही श्रयवीही मितवीही वेसाणरवीही // सू० 611 // नवविधे नोकसायवेयणिज्जे कम्मे पन्नत्ते, तंजहा-इत्थिवेते पुरिसवेते णपुंसगवते हासे रत्ती अरइ भये सोगे दुगुंछे // सू० 700 // चरिंदियाणं णव जाइकुलकोडी-जोणिपमुहसयसहस्सा पराणत्ता, भुयगपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं नवजाइकुलकोडि-जोणिपमुह-सयसहस्सा परणत्ता // सू०७०१॥ जीवा णं णवट्ठाणनिवनिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा (3) पुढविकाइयनिवत्तिते जाव पंचिंदितनिवत्तिते, एवं चिणउवचिण जाव णिजरा चेव // सू० 702 // णव पएसिता खंधा अणंता पराणत्ता, नवपएसोगाढा पोग्गला अणंता पराणत्ता जाव णवगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पराणत्ता ।।सू० 703 // नवमं ठाणं नवमझयणं समत्तं // // इति नवस्थानकास्यं नवममध्ययनम् // 9 // // अथ दशमस्थानकाख्यं दशममध्ययनम् // दसविधा लोगट्टिती पन्नत्ता, तंजहा-जगणं जीवा उद्दाइत्ता (2) तत्थेव (2) भुजो (2) पञ्चायंति एवं एगा लोगट्टिती पराणत्ता 1 / जगणं जीवाणं सता समियं पावे कम्मे कजति एवंप्पेगा लोगट्टिती पराणत्ता 2 / जराणं जीवा सया समितं मोहणिज्जे पावे कम्मे कजति एवंप्पेगा लोगट्टिती पराणत्ता 3 / ण एवं भूतं वा भव्वं वा भविस्सति वा जं जीवा अजीवा Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 440 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः भविस्संति अजीवा वा जीवा भविस्संती एवंप्पेगा लोगट्टिती पण्णत्ता 4 / ण एवं भूतं (3) जं तमा पाणा वोच्छिजिस्संति थावरा पाणा (भविस्संति थावरा पाणा) वोच्छिजिस्संति तसा पाणा भविस्संति वा एवंप्पेगा लोगद्विती पराणत्ता 5 / ण एवं भूतं (3) जं लोगे अलोगे भविस्सति अलोगे वा लोगे भविस्सति एवंप्पेगा लोगठिती पराणत्ता 6 / ण एवं भूतं वा(३) जं लोए अलोए पविस्सति अलोए वा लाए पविस्सति एवंप्पेगा लोगट्टिती 7 / जाव ताव लोगे ताव ताव जीवा जाव ताव जीवा ताव ताव लोए एवंप्पेगा लोगट्टिती 8 / जाव ताव जीवाण त पोग्गलाण त गतिपरिताते ताव ताव लोए जाव ताव लोगे तार ताव जीवाण य पोग्गलाण त गतिपरिताते एवंप्पेगा लोगद्विती 1 / सव्वेसुवि णं लोगंतेसु अबद्धपासपुट्ठा पोग्गला लुबखत्ताते कजति जेणं जीवा त पोग्गला त नो संचायंति बहिता लोगंता गमणयाते एवंप्पेगा(एवमेगा)लोगट्टिती पराणत्ता 10 ॥सू० 704 // दसविहे सद्दे पन्नत्ते, तंजहा-नीहारि 1 पिंडिमे 2 लुक्खे 3, भिन्ने 4 जजरिते 5 इत / दीहे 6 रहस्से 7 पुहुत्ते = त, काकणी 1 खिंखिणि स्सरे 10 // 1 // सू० 705 // दस इंदियस्थातीता पराणत्ता, तंजहादेसेणवि एगे सदाइं सुणिंसु सव्वेणवि एगे सदाइं सुणिंसु देसेणवि एगे स्वाइं पासिंसु सव्वेणवि एगे रुवाई पासिंस, एवं गंधाइं रसाई फासाइं जाव सव्वेणवि एगे फासाई पडिसंवेदंसु, 1 / दस इंदियत्था पडुप्पन्ना पन्नत्ता, तंजहा-देसेणवि एगे सद्दाइं सुणेति सव्वेणवि एगे सदाइं सुणेति, एवं जाव फासाई, दस 2 / इंदियस्था अणागता पन्नत्ता, तंजहा-देसेणवि एगे सद्दाई सुणिस्संति सव्वेणवि एगे सदाईसुणेस्संति एवं जाव सव्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेस्सति॥सू०७०६॥दसहिं अणेहिमच्छिन्ने पोग्गले चलेजा,तंजहा-पाहारिजमाणे वा चलेजा परिणामेजमाणे वा चलेजा उस्ससिजमाणे वा चलेजा निस्ससिजमाणे वा चलेजा वेदेजमाणे वा चलेजा णिजरिजमाणे वा चलेजा Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 10 ] [ 441 विउविजमाणे वा चलेजा परियारिजमाणे वा चलेजा जक्खातिट्टेवा चलेजा वातपरिग्गहे (परिगते) वा चालेजा // सू० 707 // दसहिं गणेहिं कोधुप्पत्ती सिया तंजहा-मणुनाई मे सदफरिसरसरूवगंधाइमवहरिसु 1 श्रमणुनाइं मे सदफरिसरसख्वगंधाइं उवहरिंसु 2 मणुराणाई मे सदफरिसरसरूवगंधाई अवहरइ 3 श्रमणुनाई मे सद्दफरिस जाव गंधाई उवहरति / मणुराणाई मे सद्द जाव अवहरिस्सति 5 अमणुराणाई मे सद्द जाव उवहरिस्सति 6 मणुराणाई मे सद्द जाव गंधाइं अवहरिंसु वा अवहरइ वा अवहरिस्सति 7 श्रमणुराणाई मे सद्द जाव उवहरिंसु वा उवहरति वा उवहरिस्सति वा मणुराणामणुराणाई सद्द जाव अवहरिंसु अवहरति अवहरिस्सइ उवहरिंसु उवहरति उवहरिस्सति 1 श्रहं च णं पायरियउवझायाणं सम्मं वट्टामि ममं च णं थायरियउवज्माया मिच्छं पडिवन्ना 10 // सू० 708 // दसविधे संजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे जाव वणस्सतिकायसंजमे बेइंदितसंजमे तेंदितसंजमे चउरिदितसंजमे पंचिंदियसंजमे अजीवकायसंजमे 1 / दसविधे असंजमे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकातितसंजमे थाउकायसंजमे : तेउकायसंजमे वाउकायसंजमे वणस्सतिकायसंजमे जाव अजीवकायअसंजमे 2 / दसविधे संवरे पन्नते तंजहा-सोतिदियसंवरे जाव फासिंदितसंवरे मणसंवरे वयसंवरे कायसंवरे उवकरणसंवरे सूचीकुसग्गसंवरे। दसविधे असंवरे पन्नत्ते. तंजहा-सोतिदितश्रसंवरे जाव सूचीकुसग्गसंवरे॥सू०७०१ ॥दसहिं गणेहिं अहमंतीति थंभिजा, तंजहा-जातिमतेण वा कुलमएण वा जाव इस्सरियमतेण वा 8 णागसुवन्ना वा मे अंतितं हव्वमागच्छति 1 पुरिसधम्मातो वा मे उत्तरिते अहोधिते णाणदंसणे समुप्पन्ने 10 // सू० 710 // दसविधा समाधी पत्नत्ता, तंजहा-पाणातिवायवेरमणे मुसावायवेरमणे श्रदिन्नायणवेरमणे मेहुणवेरमणे परिग्गहावेरमणे ईरितासमिती भासासमिती एसणासमिती श्रायाणभंडमत्तनिक्खेतणसमिती उच्चारपासवणखेल Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 442 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभाग सिंघाणगपारिट्ठावणितासमिती १।दसविधा असमाधी पन्नत्ता,तंजहा-पाणातिवाते जाव परिंग्गहे ईरिताऽसमिती जाव उच्चारपासवणखेलसिंघाणगपारिट्ठावणियाऽसमिती 2 // सू० 711 // दसविधा पव्वज्जा पन्नत्ता, तंजहा-छंदा रोसा परिजुन्ना सुविणा पडिस्सुता चेव / सारणिता रोगिणीता अणाढिता देवसन्नत्ती // 1 // वच्छाणुबंधिता, 1 / दसविधे समणधम्मे पनत्ते तंजहाखंती मुत्ती अजवे मद्दवे लाघवे सच्चे संजमे तवे चिताते बंभचेरवासे 2 / दसविधे वेयावच्चे पन्नत्ते, तंजहा-पायरियवेयावच्चे उवज्झायवेयावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सिवेयावच्चे गिलाणवेयावच्चे सेहवेयावच्चे कुलवेयावच्चे गणवेयावच्चे संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे // सू० 712 // दसविधे जीवपरिणामे पन्नत्ते, तंजहा-गतिपरिणामे इंदितपरिणाम कसायपरिणामे लेसापरिणामे जोगपरिणामे उवयोगपरिणामे णाणपरिणामे दंसणपरिणाम चरित्तपरिणामे वेतपरिणामे 1 / दसविधे अजीवपरिणामे पन्नत्ते, तंजहाबंधणपरिणामे गतिपरिणामे संठाणपरिणामे भेदपरिणामे वगणपरिणामे रसपरिणामे गंधपरिणामे फासपरिणामे अगुरुलहुपरिणामे सद्दपरिणामे // सू० 713 // दसविधे अंतलिविखते असन्माइए पन्नते, तंजहा-उक्कावाते दिसिदाधे गजिते विज्जुते निग्याते जूते जक्खालिने धूमिता महिता रतउग्घाते 1 / दसविहे श्रोरालिते असमातिते पन्नत्ते तंजहा-ट्ठि मंसं सोणिते श्रसुतिसामंते सुसाणमामंते चंदोवराते सूरोवराए पडणे रायबुग्महे उवसयस्स अंतो बोरालिए सरीरगे 2 ॥सू०७१४॥ पंचिंदियाणं जीवाणं अममारभमाणस्स दसविधे संजमे कजति, तंजहा-सोयामतायो सुक्खायो यववरोवेना भवति सोतामतेणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति एवं जाव फासामतेणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, एवं असंयमोऽवि भाणितव्यो / सू० 715 // दस सुहुमा पन्नत्ता, तंजहा-पाणसुहुमे पणगसुहुमे जाव सिगोहसुहुने गणियसुहुने भंगसुहुमे // सू० 716 // जंबूमंदिरदाहिणेणं गंगासिंधुमहा Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 10 ] , [443 नदीयो दस महानतीयो समप्पेंति, तंजहा-जउणा सरऊ श्रावी कोसी मही सिंधू (सतहु) विवच्छा विभासा एरावती चंद्रभागा 1 / जंबूमंदरउत्तरेणं रत्तारत्तवतीयो महानदीयो दस महानदीयो समति, तंजहा-किराहा महाकिराहा नीला महानीला तीरा महातीरा इंदा जाव महाभोगा 2 / // सू० 717 // जंबुद्दीवे (2) भरहवासे दस रायहाणीयो पन्नत्ताश्रो, तंजहा-चंपा महुरा वाणारसी य सावत्थी तहत सातेतं / हत्थिणउर कंपिल्लं मिहिला कोसंबि रायगिहं // 1 // एयासु णं दसरायहाणीसु दस रायाणो मुंडा भवेत्ता जाव पव्वतिता, तंजहा-भरहे सगरो मघवं सणंकुमारो संती कुंथू अरे महापउमे हरिसेणो जयणामे // सू० 718 // जंबुद्दीवे (2) मंदरे पव्वए दस जोयणसयाइं उव्वेहेणं धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दसजोयणसयाई विक्खंभेणं दसदसाइं जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते // सू० 711 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्म बहुमज्झदेसभागे इमीसे रयणप्पभाते पुढवीते उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपतरेसु, एत्थ णमट्ठपतेसिते रुयगे पन्नत्ते, जो णमिमातो दस दिसायो पवहंति, तंजहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा दाहिणा दाहिणपञ्चत्थिमा पचत्थिमा पञ्चत्थिमुत्तरा उतरा उत्तरपुरच्छिमा उद्धा श्रहो 1 / एएसि णं दसराहं दिसाणं दस नामधिज्जा पन्नत्ता, तंजहा-इंदा अग्गीइ जमा णेरती वारुणी य वायव्वा / सोमा ईसाणाविय विमला य तमा य बोद्धव्वा // 1 // 2 / लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साई गोतित्थविरहिते खेत्ते पन्नत्ते, लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साई उदगमाले पन्नत्ते, 3 / सव्वेऽवि णं महापाताला दसदसाई जोयणसहस्साइमुव्वेहेणं पराणत्ता, मूले दस जोयणसहस्साई विखंभेणं पत्नत्ता, बहुमज्मदेसभागे एगपएसिताते सेढीए दसदसाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पनत्ता, उवरिं मुहमूले दस जोयण Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 444 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागेः सहस्साई विक्खंभेणं पराणत्ता, तेसि णं महापातालाणं कुट्ठा सव्ववइरामया सव्वत्थसमा दस जोयणसयाई बाहल्लेणं पन्नत्ता 4 / सव्वेऽवि णं खुद्दा पाताला दस जोयणसताइं उव्वेहेणं पन्नता, मूले दसदसाइं जोयणाई विक्खंभेणं, बहुमज्झदेसभागे एगपएसिताते सेढीते दस जोयणसताई विक्खंभेणं पन्नत्ता, उपरि मुहमूले दसदसाइं जोयणाई विक्खंभेणं पन्नत्ता, तेसि णं खुड्डापातालाणं कुड्डा सव्ववइरामता सव्वत्थ समा दस जोयणाई बाहल्लेणं पराणत्ता 5 // सू० 720 // धायतिसंडगा णं मंदरा दसजोयणसयाइं उन्हेणं धरणितले देसूणाई दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसयाई विखंभेणं पन्नत्ता / पुक्खरवरदीवद्धगा णं मंदरा दस जोयण एवं चेव // सू० 721 // सव्वेऽवि णं वट्टवेयद्धपव्वता दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसयाइमुव्वेहेणं सव्वत्थसमा पल्लंगसंठाणसंठिता, दस जोयणसयाई विक्खं. भेणं पन्नत्ता // सू० 722 // जंबद्दीवे (2) दस खेत्ता पन्नत्ता, तंजहाभरहे एरवते हेमवते हेरन्नवते हरिवस्से रम्मगवस्से पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा // सू० 723 ॥माणुसुत्तरे णं पव्वते मूले दस बावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पन्नत्ते // सू० 724 // सव्वेऽवि णमंजणगपव्वता दस जोयणसयाइमुब्बेहेणं मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसताई विखंभेणं पन्नत्ता 1 / सव्वेऽवि णं दहिमुहपब्वता दस जोयणसताई उव्वेहेणं सव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं पन्नत्ता 2 / सवेऽवि णं रतिकरगपवता दस जोय. सताई उद्धं उच्चत्तेणं दसगाउयसत्ताइं उव्वेहेणं सव्वत्थसमा झलरिसंठिता दस जोयणसहस्साइं विवखंभेणं पन्नत्ता 3 // सू० 725 // रुयगवरे णं पव्वते दस जोयणसयाई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विवखंभेणं उवरिं दस जोयणसताई विक्खंभेषणं पन्नत्ते / एवं कुंडलवरेऽवि // सू० 726 // Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 10 ] [445 दसविहे दवियाणुयोगे पन्नत्ते, तंजहा-दवियाणुयोगे माउयाणुरोगे एगट्ठियाणुयोगे करणाणुगोगे अप्पितऽणप्पिते भाविताभाविते बाहिराबाहिरे सासयासासते तहणाणे अतहणाणे // सू० 727 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो तिगिच्छिकूडे उप्पातपवते मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पन्नत्ते / / चमरस्त णं असुरिंदस्स असुरकुमारन्नो सोमस्स महारनो सोमप्पभे उप्पातपव्वते दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसताई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पन्नत्ते 2 / चमरस्स णमसुरिंदस्स असुरकुमाररगणो जमस्स महारन्नो जमप्पमे उप्पातपव्वते एवं चेव, एवं वरुणस्सवि, एवं वेसमणस्सवि 3 / बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वतिरोतणरन्नो स्यगिंदे उप्पातपवते मूले दसबावीसे जोय. मासते विक्खंभेणं पन्नते 4 ।बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स सोमस्स एवं चेव जधा चमरस्स लोगपालाणं तं चेव बलिस्सवि 5 / धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररन्नो धरणप्पभे उप्पातपब्बते दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसताई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसताई विक्खंभेणं 6 / धरणस्स नागकुमारिंदस्स णं नागकुमाररराणो कालवालस्स महारराणो महाकालप्पभे उप्पातपव्वते जोयणसयाई उद्धं एवं चेव, एवं जाव संखवालस्स, एवं भूताणंदस्सवि, एवं लोगपालाणंपि से जहा धरणस्स एवं जाव थणितकुमाराणं सलोगपालाणं भाणियव्वं, सव्वेसिं उप्पायपव्वया भाणियब्वा सरिसणामगा 7 / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरगणो सकप्पमे उप्पातपवते दस जोयणसहस्साई उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसहस्साइ उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पन्नत्ते 8 / सक्कस्स णं देविंदस्स देवरगणो सोमस्स महारनो सोमप्पभे उप्पातपव्वते दस जोयणसहस्साई, उद्धं उच्चत्तेणं दस गाउयसहस्साई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पन्नत्ते राजधा सकस्स तथा सव्वेसिं लोगपालाणं सव्वेसिं च इंदाणं जाव अच्चुयत्ति, सव्वेसिं पमाणमेगं 10 // सू० 728 // Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 446 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः बायरवणस्सतिकातिताणं उक्कोसेणं दस जोयणसयाई सरीरोगाहणा पण्णत्ता 1 / जलचरपंचेदियतिरिक्खजोणिताणं उक्कोसेणं दस जोयणसताई सरीरोगाहणा पन्नत्ता, 2 / उरपरिसप्पथलचरपंचिंदिततिरिक्खजोणिताणं उक्कोसेणं एवं चेव 3 // सू० 726 // संभवायो णमरहातो अभिनंदणे अरहा दसहिं सागरोवमकोडिसतसहस्सेहिं वीतिक तेहिं समुप्पन्ने ॥सू०७३० // दसविहे अणंतते पन्नत्ते, तंजहा-णामाणंतते ठवणाणंतते दव्वाणंतते गणणाणंतते पएसाणंतते एगतोऽणंतते दूहतोऽणंतते देसवित्थाराणंतते सव्ववित्थाराणंतते सासयाणंतते // सू० 731 // उप्पायपुव्वस्त णं दस वत्थू पन्नत्ता, अत्थिणस्थिप्पवातपुवस्स णं दस चूलवत्थू पन्नत्ता // सू० 732 // दसविहा पडिसेवणा पन्नत्ता, तंजहा-दप्प पमाय णाभोगे ग्राउरे श्रावतीसु त / संकिते सहसकारे भय प्पयोसा य वीमंसा // 1 // 1 / दस बालोयणादोसा पन्नत्ता, तंजहा-श्राकंपइत्ता अणुमाणइत्ता जंदिटुं बायरं च सुहुमं वा / छगणं सदाउलगं बहुजण अव्वत्त तस्सेवी // 1 // 2 / दसहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे थरिहति अत्तदोसमालोएत्तते, तंजहा-जाइसंपन्ने, कुलसंपन्ने एवं जधा अट्ठाणे जाव खते दंते अमाती अपच्छाणुतावी / दसहिं गणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति बालोयणं पडिच्छित्तए, तंजहा-पायारवं अवहारवं जाव वातदंसी पितधम्मे दधम्मे 4 / दसविधे पायच्छित्ते पन्नत्ते, तंजहा-पालोयणारिहे जाव अणवट्टप्पारिहे पारंचियारिहे // सू० 733 / / दसविधे मिच्छत्ते पन्नते, तंजहा-अधम्मे धम्मसराणा धम्मे अधम्मसराणा उम्म(यम)ग्गे मग्गसराणा, मग्गे उम्म(अम्म)ग्गसन्ना, अजीवेसु जीवसन्ना, जीवेसु श्रजीवसन्ना, असाहुसु साहुसन्ना, साहुसु असाहुसराणा, यमुत्तेसु मुत्तसन्ना, मुत्तेसु अमुत्तसराणा // सू० 734 // चंदप्पभे णं अरहा दस पुवसतसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे 1 / धम्मे णमरहा दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावणहीणे 2 / णमी Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्स्थानाङ्गसन्नम् / अध्ययनं 10 ] [ 447 णमरहा दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे 3 / पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साइं सब्वाउयं पालइत्ता छट्टीते तमाए पुढवीए नेरतित्ताते उववन्ने 4 / णेमी णं घरहा दस धणूई उड्डे उच्चत्तेणं दस य वासमयाइं सव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे जावप्पहीणे 5 / कराहे णं वासुदेवे दस धणूई उद्धं उच्चत्तेणं दस य वासस पाइं सव्वाउयं पालइत्ता तचाते वालुयप्पभाते पुढवीते नेरतियत्ताते उववन्ने 6 / // सू० 735 // दमविहा भवणवासी देवा पन्नता, तंजहा-असुरकुमारा जाव थणियकुमारा 1 / एएसि णं दसविधाणं भवणवासीणं देवाणं दस चेतितरुत्रखा पत्नत्ता, तंजहा-बासत्थ सत्तिवन्ने सामलि उंबर सिरीस दहिवन्ने वंजुल पलास वप्पे तते त कणिताररुक्खे य॥ 1 // सू० 736 // दसविधे सोक्खे पन्नत्ते, तंजहा-श्रारोग्ग दीहमाउं अज्ज काम भोग संतोसे / अस्थि सुहभोग निक्खम्ममेव तत्तो प्रणाबाहे // 1 // // सू० 737 // दसविधे उवघाते पन्नत्ते, तंजहा-उग्गमोवघाते उप्पायणोवघाते जह पंचठाणे जाव परिहरणोवघाते णाणोवघाते दंसणोवघाते चरित्तोवघाते अचियत्तोवघाते सारक्खणोवघाते 1 / दसविधा विसोही पन्नत्ता, तंजहा-उग्गमविसोही उप्पायणविसोही जाव सारक्खणविसोही 2 // सू० 738 // दसविधे संकिलेसे पन्नत्ते, तंजहा-उबहिसंकिलेसे उवस्मयसंकिलेसे कसायसंकिलेसे भत्तपाणसंकिलेसे मणसंकिलेसे वतिसंकिलेसे कायसंकिलेसे णाणसंकिलेसे दसणसंकिलेसे चरित्तसंकिलेसे 1 / दसविहे असंकिलेसे पन्नत्ते, तंजहाउबहिअसंकिलेसे जाव चरित्तसंकिलेसे 2 / / सू० 731 // दमविधे बले पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदितबले जाव फासिदितबले णाणबले दसणवले चरित्तबले तवबले वीरत्तबले // सू० 740 // दसविहे सच्चे पराणत्ते तंजहा-'जणवय सम्मय ठवणा नामे रुवे पडुच्चसच्चे य। ववहार भाव जोगे दसमे श्रोवम्मसच्चे य // 1 // 1 / दसविधे मोसे पन्नत्ते, तंजहा Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 448 ] [ श्रीमदागम सुधासिन्धुः प्रथमो विभागः कोधे माणे माया लोभे पिज्जे तहेव दोसे य। हास भये अक्खातित उवघातनिस्सिते दसमे // 2 // 2 / दसविधे सच्चामोसे पन्नत्ते, तंजहाउप्पन्नमीसते विगतमीसते उप्पराणविगतमीसते जीवमीसए अजीवमीसए जीवाजीवमीसए अणंतमीसए परित्तमीसए श्रद्धामीसए श्रद्धद्धामीसए 3 // सू० 741 // दिट्टिवायस्स णं दस नामधेज्जा पन्नत्ता, तंजहादिट्टिवातेति वा हेउवातेति वा भूयवातेति वा तबावातेति वा सम्मावातेति वा धम्मावातेति वा भासाविजतेति वा पुव्वगतेति वा अणुजोगगतेति वा सबपाणभूतजीवसत्तसुहावहेति वा // सू० 742 // दसविधे सत्थे पन्नत्ते, तंजहा-'सत्थमग्गी विसं लोणं, सिणेहो खारमंबिलं / दुप्पउत्तो मणो वाया, काया भावो त अविरती // 1 // 1 / दसविहे दोसे पन्नत्ते, तंजहातजातदोसे मतिभंगदोसे पसत्थारदोसे परिहरणदोसे / सलक्खणकारणहेउदोसे, संकामणं निग्गह वत्थुदोसे // 1 // 2 / दमविधे विसेसे पन्नते, तंजहा-वत्थु तज्जातदोसे त, दोसे एगट्ठितेति त / कारणे त पडुप्पणे दोसे निच्चे हि अट्ठमे // 1 // अत्तणा उवणीते त, विसेसेति त, ते दस 3 // सू० 743 // दसविधे सुद्धावाताणुयोगे पनते, तंजहा-चंकारे मंकारे पिंकारे सेयंक(का)रे सायंकरे एगत्ते पुधत्ते संजूहे संकामिये भिन्ने // सू० 744 // दसविह दाणे पनते, तंजहा-अणुकंपा संगहे चेव, भये कालुणितेति य / लजाते गारवणं च ग्रहम्मे उण सत्तमे // 1 // धम्मे त अट्ठमे वुते काहीति त कति त 1 / दसविधा गती पन्नत्ता, तंजहा-निरयगती निरयविग्गहगई तिरियगती तिरियविहग्गगई एवं जाव सिद्धिगई सिद्धिविग्गहगती 2 // सू० 745 // दस मुडा पन्नत्ता, तंजहा-सोतिंदितमुडे जाव फासिंदितमुडे कोहमुडे जाव लोभमुंडे दसमे सिरमुंडे // सू० 746 // दसविधे संखाणे पनत्ते, तंजहा-परिकम्म ववहारो रज्जू रासी कलासवन्ने य / जावं(जावति)तावति वग्गो Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 10 ] [ 449 घणो त तह वग्गवग्गोऽवि // 1 // कप्पो त // सू० 747 // दसविधे पचक्खाणे पन्नत्ते, तंजहा-श्रणागयमतिक्कं कोडीसहियं नियंटितं चेव / सागारमणागारं परिमाणकडं निरवसेसं // 1 // संकेयं चेव श्रद्धाए, पञ्चक्खाणं दसविहं तु // सू०७४८ // दसविहा सामायारी पन्नत्ता, तंजहाइच्छा मिच्छा तहक्कारो, श्रावस्तिता निसीहिता / श्रापुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य निमंतणा // 1 // उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ॥ सू० 741 // समणे भगवं महावीरे छउमस्थकालिताते अंतिमरातितंसी इमे दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे, तंजहा-एगं च णं महाघोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुमिणे पराजितं पासित्ता णं पडिबुद्धे 1, एगं च णं महं सुकिलपक्खगं पुसकोइ नगं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 2, एगं च णं महं चित्तविचित्तपक्खगं पुसकोइलं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 3, एगं च णं महं दामदुगं सब्वरयणामयं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 4 एगं च णं महं सेतं गोवग्गं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 5, एगं च णं महं पउमसरं सव्वो समंता कुसुमितं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 6, एगं च णं महासागरं उम्मीवीचीसहस्सकलितं भुयाहिं तिराणं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 7, एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलंत सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 8, एगं च णं (एगेण) महं हरिवेरुलितवनाभेणं नियतेणमंतेणं माणुसुत्तरं पव्वतं सव्वतो समंता श्रावेढियं परिवेढियं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 1, एगं च णं महं मंदरे पव्वते मंदरचूलियातो उवरिं सीहासणवरगयमत्ताणं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धे 10, 1 / जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसातं सुमिणे परातितं पासित्ता णं पडिबुद्धे तन्नं समणेणं भगवता महावीरेणं मोहणिज्जे कम्मे मूलायो उग्घाइते 1, जं णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सुकिलपवखगं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे सुकमाणोवगए विहरइ 2, जं Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 450 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः णं समणे भगवं महावीरे एगं महं चित्तविचित्तपक्खगं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे ससमत-परसमयितं चित्तविचित्तं दुवालसंगं गणिपिडगं श्राघवेति पराणवेति परूवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति तंजहा-पायारं जाव दिट्ठीवायं ३,जं णं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुगं सव्वरयणा जाव पडिबुद्धे तं गां समणे भगवं महावीरे दुविहं धम्मं पराणवेति, तंजहाअगारधम्मं च अणगारधम्मं च 4, जं णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेतं गोवग्गं सुमिणे जाव पडिबुद्धे तं णं समणस्त भगवयो महावीरस्स चाउव्वराणाइराणे संघे तंजहा-समणा समणीयो सावगा सावियायो 5, जं णं समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे चउविहे देवे पराणवेति, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसवाप्ती वेमाणवासी 6, जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं उम्मीवीची जाव पडिबुद्धे तं णं समणेणं भगवता महावीरेणं अणातीते श्रणवदग्गे दीहमद्धे चाउरंतसंसारकंतारे तिन्ने 7, जराणं समणे भगवं महावीरे एगं महं दिणकरं जाव पडिबुद्धे तन्नं समणस्म भगवतो महावीररस अणते अणुत्तरे जाव समुप्पन्ने 8, जराणं समणे भगवं महावीरे एगं महं हरिवेरुलित जाव पडिबुद्धे तराणं समणस्स भगवतो महावीरस्स सदेवमणुयासुरे लोगे उराला कित्तिवनसहसिलोगा परिगुवंति (परिगुयाँते, परिभमंति) इति खलु स्मणे भगवं महावीरे इति 1, जराणं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वते मंदरचलिताए उरि जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराते परिसाते मझगते केवलिपनत्तं धम्मं श्रावेति पराणवेति जाव उवदंसेति 10, 2 // सू० 750 // दसविधे सरागसम्मबसणे पन्नत्ते, तंजहा-निमगुवतेतराई श्राणरुती सुत्तवीतरुईमेव / अभिगम वित्थारस्ती किरिया संखेव धम्मरती // 1 // सू० 751 // दस सराणायो पनत्तायो, तंजहा-याहारसराणा जाव परिग्गहसराणा 4 कोहसराणा जाव लोभसरणा = लोगसराणा 1 Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 10 ] [451 श्रोहसराणा 10, नेरतिताणं देस सराणातो एवं चेव, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 24 // सू० 752 // नेरइया णं दसविधं वेयणं पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-सीतं उसिणं खुधं पिवासं कंडु परमं भयं सोगं जरं वाहिं // सू० 753 // दस गणाई छउमत्थे णं सबभावेणं न जाणति ण पासति, तंजहा-धम्मत्थिगातं जाव वातं, अयं जिणे भविस्सति वा ण वा भविस्सति, अयं सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सति वा ण वा करेस्सति, एताणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जाव अयं सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सति वा ण वा करेस्सति // सू० 754 // दस दसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कम्मविवा. गदसायो उवासगदसायो अंतगडदसायो अणुत्तरोववायदसायो पायारदसायो पराहावागरणदसायो बंधदसायो दोगिद्धिदसायो दीहदसायो संखेवितदसायो 1 / कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा पन्नात्ता, तजहामियापुत्ते त गोत्तासे, अंडे सगडेति यावरे / माहणे णंदिसेणे त, सोरियत्ति उदुंबरे // 1 // सहसुद्दाहे श्रामलते कुमारे सेच्छती इति // 2 / उवासगदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-पाणंदे कामदेवे श्र, गाहावति चूलणीपिता / सुरादेवे चुल्लसतते, गाहावति कुडकोलिते // 1 // सदालपुत्ते महासतते, णंदिणीपिया सालतियापिता // 3 / अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-णमि मातंगे सोमिले रामगुत्ते सुदंसणे चेव / जमाली त भगाली त किंकमे पलतेतिय // 1 // फाले अंबडपुत्ते त, एमेते दस ग्राहिता // 4 / अणुत्तरोववातियदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहाईसिदासे य धरणे त, सुणक्खत्ते य कातिते तिय / सट्टाणे सालिभद्दे त, पाणंदे तेतली तित // 1 // दसन्नभद्दे अतिमुत्ते, एमेते दस श्राहिया // 5 / श्रायारदसाणं दस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-वीसंग्रलमाहिट्ठाणा 1 एगवीसं सबला 2 तेतीसं अासायणातो 3 अट्ठविहा गणिसंपया 4 दस चित्तसमाहिट्ठाणा 5 एगारस उवासगपडिमातो 6 बारस भिक्खुपडिमातो 7 पजोसवणा कप्पो Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 452 ] [ श्रीमदागमनुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः 8 तीसं मोहणिजट्टाणा 1 श्राजाइट्ठाणं 10.6 / पराहावागरणदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-उवमा १संखा 2 इसिभासियाई 3 श्रायरियभासिताई 4 महावीरभासियाई 5 खोमगपसिणाई 6 कोमलपसिणाई 7 अदागपसिणाई 8 अंगुठ्ठपसिणाई 1 बाहुपसिणाई 107 / बंधदसाणं दस अभयणा पन्नत्ता, तंजहा-बंधे 1 य मोक्खे 2 य देवद्धि 3 दसारमंडले वित 4 पायरियविप्पडिवत्ती 5 उवन्मातविप्पडिवत्ती 6 भावणा 7 विमुत्ती 8 सातो ( सासते ) 1 कम्मे 10.8 / दोगेहिदसाणं दस अज्झयणा पनत्ता, तंजहा-वाते 1 विवाते 2 उववाते 3 सुक्खित्ते कसिंणे 4 बायालीसं सुमिणे 5 तीसं महासुमिणा 6 बावत्तरि सव्वसुमिणा 7 हारे 8 रामे 1 गुत्ते 10 एमेते दस पाहीता 1 / दीह दसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-चदे सूरते सुक्के त सिरिदेवी पभावती दीव-समुद्दो-बवती बहूपुत्ती मंदरेति थेरे संभूतविजते थेरे पम्ह ऊसासनीसासे 10 / संखेवितदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-खुड्डिया विमाणपविभत्ती 1 महल्लिया विमाणपविभत्ती 2 अंगचूलिया 3 वगचूलिया 4 विवाहचूलिया 5 अरुणोववाते 6 वरुणोक्वाए 7 गरुलोववाते 8 वेलंधरोदवाते 1 वेसमणोववाते 10-11 // सू० 755 // दस सागरोवमकोडाकोडीयो कालो उस्सप्पिणीते दस सागरोवमकोडाकोडीयो कालो योसाँप्पणीते॥सू.७५६ // दसविधा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा-अणंतरोक्वन्ना परंपरोक्वन्ना अणंतरावगाढा परंपरावगाढा अणंतराहारगा परंपराहारगा यणंतरपजत्ता परंपरपजत्ता चरिमा अचरिमा, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 24, 1 / चउत्थीते णं पंकप्पभाते पुढबीते दस निरतावाससतसहस्सा पनत्ता 1 / रयणप्पभाते पुढवीते जहन्नेणं नेरतिताणं दसवाससहस्साई ठिती पन्नत्ता. 2 / चउत्थीते णं पंकप्पभाते पुढवीते उक्कोसणं नेरतिताणं दस सागरो. वमाइं ठिती एगणत्ता 3 / पंचमाते णं धूमप्पभाते पुखीते जहन्नेणं Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् / अध्ययनं 10 ] . [ 456 नेरइयाणं दस सागरोवमाइं ठिती पन्नता 4 / असुरकुमाराणं जहन्नेणं दसवाससहस्साई ठिती पन्नत्ता, 5 / एवं जाव थणियकुमाराणं 14 बायरखणस्सतिकातिताणं उक्कोसेणं दसवाससहस्साई ठिती पनत्ता 15 / वाणमंतरदेवाणं जहराणेणं दस वाससहस्साई ठिई पन्नत्ता 16 / बंभलोगे कप्पे उक्कोसेणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता 17 / लंतते कप्पे देवाणं जहराणेणं दस सागरोवमाइं ठिती पनत्ता 18, 2 // सू० 757 // दसहिं ठाणेहिं जीवा श्रागमेसिभदत्ताए कम्मं पगरेंति, तंजहा-अणिदाणताते 1 दिट्ठिसंपन्नयाए 2 जोगवाहियत्ताते 3 खंतिखमणताते 4 जितिंदियताते. 5 अमाइल्लताते 6 अपासत्थताते 7 सुसामराणताते 8 पवयणवच्छल्लयाते 1 पवयणउम्भावणताए 10 ॥सू० 758 // दसविहे श्रासंसप्पयोगे पन्नते, तंजहा-इहलोगासंसप्पयोगे 1 परलोगासंसप्पयोगे 2 दुहतोलोगासंसप्पतोगे 3 जीवियासंसप्पतोगे 4 मरणासंसप्पतोगे 5 कामासंसप्पतोगे 6 भोगासंसप्पतोगे 7 लाभासंसप्पतोगे 8 पूयासंसप्पतोगे 1 सकारासंसप्पतोगे 10 // सू० 751 // दसविधे धम्मे पन्नत्ते, तंजहा-गामधम्मे नगरधम्मे रटुधम्मे पासंडधम्मे कुलधम्मे गणधम्मे संघधम्मे सुयधम्मे चरित्तधम्मे अस्थिकायधम्मे // सू० 760 // दस थेरा पन्नत्ता, तंजहा–गामथेरा नगरथेरा रहथेरा पसत्थारथेरा कुलथेरा गणथेरा संघथेरा जातिथेरा सुअथेरा परितायथेरा // सू० 761 // दस पुत्ता पनत्ता, तंजहा-अत्तते खेत्तते दिनते विराणते उरसे मोहरे सोंडीरे संबुद्धे उवयातिते धम्मंतेवासी // सू० 762 // केवलिस्स णं दस अणुत्तरा पन्नत्ता, तंजहा-अणुत्तरेणाणे, अणुत्तरे दसणे, अणुत्तरे चरित्ते, श्रणुत्तरे तवे, अणुत्तरे वीरिते, अणुत्तरा खंती, अणुत्तरा मुत्ती, श्रणुत्तरे अजवे, अणुत्तरे महवे, अणुत्तरे लाघवे // सू० 763 // समतखेत्ते णं दस कुरातो पनत्तायो, तंजहा-पंच देवकुरातो, पंच उत्तरकुरातो 1 / Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 454 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः तत्थ णं दस महतिमहालया महादुमा पन्नत्ता, तंजहा-जंबू सुदंसणा 1 धायतिरुक्खे 2 महाधायतिक्खे 3 पउमरुक्खे 4 महापउमरुक्खे 5 पंच कूडसामलीयो 10, 2 / तत्थ णं दस देवा महिदिया जाव परिवसंति, तंजहा-श्रणाढिते, जंबुद्दीवाधिपती, सुदंसणे, पियदंसणे, पोंडरीते, महापोंडरीते, पंच गरुला वेणुदेवा 10, 3 // सू. 764 // दसहिं ठाणेहिं योगाढं दुस्प्तमं जाणेजा, तंजहा-अकाले वरिसइ, काले ण वरिसइ, असाहू पूइज्जति साहू ण पूइज्जति, गुरुसु जणो मिच्छं पडिवन्नो, श्रमणुराणा सदा जाव फासा 10, 4 / दसहिं ठाणेहिं योगाढं सुसमं जाणेजा तंजहा-अकाले न वरिसति तं चेव विपरीतं जाव मणुराणा फासा 5 // सू० 765 // सुसमसुसमाए णं समाए दसविहा रुक्खा उपभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, तंजहा-मत्तंगता 1 य भिंगा 2 तुडितंगा 3 दीव 4 जोति 5 चित्तंगा 6 / चित्तरसा 7 मणियंगा 8 गेहागारा 1 अणितणा 10 त // सू० 766 // जंबूदीवे (2) भरहे वासे तीताते उस्सप्पिणीते दस कुलगरा हुत्था, तंजहा“सयजले सयाऊ य श्रणंतसेणे त अमि(भि,जि)तसेणे त / तकसेणे भीमसेणे महाभीमसेणे त सत्तमे // 1 // दढरह दसरहे .सयरहे // जंबूदीवे (2) भारहे वासे भागमीसाते उस्सप्पिणीए दस कुलगरा भविस्मंति, तंजहा-सीमंकरे सीमंधरे खेमकरे खेमंधरे विमलवाहणे संमुती पडिसुते दढधणू दसधणू सतधणू // सू० 767 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उभतो कूले दस वक्खारपव्वता पनत्ता, तंजहा-मालवते चित्तकूडे विचित्तकूडे बंभकूडे जाव सोमणसे 1 / जंबुमंदरपञ्चत्थिमे णं सीयोताते महानतीते उभतो कूले दस वक्खारपव्वता पन्नत्ता, तंजहा-विज्जुप्पभे जाव गंधमातणे, 2 / एवं धायइसंडपुरच्छिमद्धेऽवि वक्खारा भाणिवा जाव पुक्खरखरदीवद्धपचत्थिमद्धे 3 // सू० 768 // Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 455 श्रीमत्स्थानाङ्गमूत्रम् :: अध्ययनं 10 ] दस कप्पा इंदाहिट्टिया पन्नत्ता, तजहा-सोहम्मे जाव सहस्सारे पाणते अच्चुए 1 / एतेसु णं दससु कप्पेसु दस इंदा पनत्ता, तंजहा-सक्के ईसाणे जाव अच्चुते 2 / एतेसु णं दसराहं इंदाणं दस परिजाणितविमाणा पन्नत्ता, तंजहा-पालते पुप्फए जाव विमलवरे सव्वतोभद्दे 3 // सू० 761 // दम दसमिता णं भिक्खुपडिमा णं एगेण रातिदियसतेणं श्रद्धछट्ठोहि य भिक्खासतेहिं ग्रहासुत्ता जाव पाराधितावि भवति // सू० 770 // दसविधा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता, तंजहा-पदमसमयएगिदिता अपढमसमयएगिदिता एवं जाव अपढमसमयपंचिंदिता 1 / दसविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकातिता दिया जाव पंचेंदिता अणिदिता 2 / अथवा दसविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमयनेरतिया अपढमसमयनेरतिता जाव अपढमसमयदेवा पढमसमयसिद्धा अपदमसमयसिद्धा ३॥सू. ७७१॥वाससताउस्स णं पुरिसस्स दस दसायो पनत्तात्रो, तंजहा-बाला किड्डा य मंदा य, बला पन्ना य हायणी / पवंचा पब्भारा य, मुंमुही सावणी तधा 1 // सू० 772 // दसविधा तणवणस्मतिकातिता पन्नत्ता, तंजहामूले कंदे जाव पुप्फे फले बीये // सू० 773 // सव्वतोऽवि णं विजाहरसे. दीनी दसदसजोयणाई विक्खंभेणं पराणत्ता, सव्वतोऽवि णं अभियोगसेढीयो दस दम जोयणाई विखंभेणं पन्नत्तायो / सू. 774 // गेविजगवि. माणाणं दस जोयणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं पराणत्ता // सू० 775 // दसहिं ठाणेहि सह तेतसा भासं कुजा, तंजहा-केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा, से य अचासातिते समाणे परिकुविते, तस्स तेतं निसिरेजा, सेतं परितावेति, सेत्तं परितावेत्ता तामेव सह तेतसा भासं कुन्जा 1, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा से य अचासातिते समाणे देवे परिकुविए तस्म तेयं निसिरेजा सेत्तं परितावेति सेत्तं (2) तमेव सह तेतसा भासं कुन्जा 2, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा पदासातेजा, से य पच्चासातिते समाणे परिकुविए Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 456 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः देवे त परिकुविते, दुहतो पडिराणा तस्स तेयं निसिरेजा ते तं परितावितिते तं परितावेत्ता तमेव सह तेतसा भासं कुजा 3, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासादेज्जा से य अचासातिते परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा तत्थ फोडा संमुच्छंति ते फोडा भिज्जति ते फोडा भिन्ना समाणा तामेव सह तेतसा भासं कुजा 4, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा से य अन्नासादिते देवे परिकुविए तस्त तेयं निसिरेजा, तत्थ फोडा संमुच्छंति, ते फोडा भिज्जंति, ते फोडा भिन्ना समाणा तमेव सह तेतसा भासं कुन्जा 5, केति तहास्वं समणं वा माहणं वा बच्चासाएजा से त अचासातिते परिकुविए देवेऽवि य परिकुविए ते दुहतो पडिराणा ते तस्स तेतं निसिरेजा, तत्थ फोडा संमुच्छंति सेसं तहेव जाव भासं कुजा 6, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा से य अचासातिते परिकुविए तस्स तेतं निसिरेजा, तत्थ फोडा संमुच्छंति ते फोडा भिज्जति तत्थ पुला संमुच्छंति ते पुला भिज्जंति ते पुना भिन्ना समाणा तामेव सह तेयसा भासं कुन्जा 7, एते तिनि पालावगा भाणितव्वा 1, केति तहास्वं समणं वा माहणं वा अचासातेमाणे तेतं निसिरेजा से त तत्थ णो कम्मइ णो पकम्मति, अंचियं (2) करेति करेत्ता श्राताहिणपयाहिणं करेति (2) उड्ढ वेहासं उप्पतति (2) से णं ततो पडिहते पडिणियत्तति (2) तमेव सरीरगमणुदहमाणे (2) सह तेतसा भासं कुज्जा, जहा वा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेतेते 10 // सू० 776 // दस अच्छेरगा पन्नत्ता, तंजहा-उवसग्ग 1 गब्भहरणं 2 इत्थीतित्थं 3 प्रभाविया परिसा 4 / कराहस्स अवरकंका 5 उत्तरणं चंदसूराणं 6 // 1 // हरिवंसकुलुप्पत्ती 7 चमरुप्पातो त 8 अट्ठसयसिद्धा 1 / अस्संजतेसु पूया 10, दसवि अणंतेण कालेण // 2 // // सू० 777 // इमीसे णं रयणप्पभाते पुढवीए रयणे कंडे दस जोअणसयाई बाहल्लेणं पनत्ते 1 / इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए वतरे कंडे दस जोयणसताई बाहल्लेणं पराणत्ते 2 / एवं Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्स्थानास्त्रम् / अध्ययनं 10 ] [ 457 वेरुलिते 1 लोहितक्खे 2 मसारगल्ले 3 हंसगन्भे 4 पुलते 5 सोगंधिते 6 जोतिरसे 7 अंजणे 8 अंजणपुलते 1 रतते 10 जातरूवे 11 अंक 12 फलिहे 13 रिट्ठ 14, जहा रयणे तहा सोलसविधा भाणितव्वा 3 // सू० 778 // सव्वेऽवि णं दीवसमुद्दा दसजोयणसताई उव्वेहेणं पराणत्ता 1 / सन्वेऽवि णं महादहा दस जोयणाई उव्वेहेणं पराणत्ता 2 / सव्वेवि णं सलिलकुंडा दसजोयणाई उव्वेहेणं पराणत्ता 3 / सियासीबोया णं महानदीयो मुहमूले दस दस जोयणाई उव्वेहेणं पराणत्तायो 4 // सू०७७१ / / कत्तियाणक्खत्ते सव्वबाहिरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति 1 / श्रणुराधानक्खत्ते सव्वन्भंतरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति 2 // सू० 780 // दस णक्खत्ता णाणस्स विद्धिकरा पराणत्ता, तंजहामिगसिरमदा पुस्सो तिनि य पुवाई मूलमस्सेसा। हत्थो चित्ता य तहा दस बुद्धिकराई णाणस्स // 1 // सू० 781 // चउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पराणत्ता 1 / उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमु. हसतसहस्सा पराणत्ता 2 // सू० 782 // जीवाणं दसठाणनिव्वत्तिता पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा (3), तंजहा-पढमसमयएगिदियनिवत्तिए जाव फासिंदियनिव्वत्तिते, एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेय तह णिजरा चेव' 1 / दसपतेसिता खंधा अणंता पराणत्ता, दसपतेसोगाढा पोग्गला अणंता पराणत्ता, दससमतठितीता पोग्गला अणंता पराणत्ता, दसगुणकालगा पोग्गला अणंता पराणत्ता, एवं वन्नेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पराणत्ता 2 // सू० 783 // दसमं ठाणं सम्मत्तं 10 // दसमं अज्मयणं सम्मत्तं // 10 // ॥इति दशस्थानकाख्यं दशममध्ययनम् / / 10 // // इति तृतीयं श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् // 3 // (ग्रन्धाग्रं 3700) Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (00000000000 है // तृतीयं - 2 श्रीमत्स्थानाङ्ग-सूत्रं 6 समाप्तम् // (0000000000) Page #210 -------------------------------------------------------------------------- _