________________ भौमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 3 ] [297 भाति 3-8 / एमितेगे सुमणे भवति 3 / एस्सामिति एगे सुमो भवति 3 एवं एएणं अभिलावेणं--'गंता य अगंता(य) 1 श्रागंता खलु तथा अणागंता 2 / चिट्ठित्तमचिट्टित्ता 3, णिसितिता चेव नो चेव 4 // 1 // हंता य अहंता य 5 निंदित्ता खलु तहा अछिदित्ता 6 / बूतित्ता अतित्ता 7 भासित्ता चेव णो चेव 8 // 2 // दचा य अदचा य 1 भुजित्ता खलु तथा अभुजित्ता 10 / लंभित्ता अलंभित्ता 11 पिइत्ता चेव नो चेव 12 // // 3 // सुतित्ता असुतित्ता 13 जुज्झित्ता खलु तहा अजुज्झित्ता 14 // जतित्ता अजयित्ता य 15 पराजिणित्ता य नो चेव 16 // 4 // सदा 17 रूवा 18 गंधा 11 रसा य 20 फासा 21 (2146=126+1=127) तहव ठाणा य। निस्सीलस्स गरहिता पसत्था पुण सीलवतस्स ॥५॥एवमिवकेक्के तिनि उ तिनि उ पालावगा भाणियव्वा, सह सुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति 3 एवं सुणेमीति 3 सुणिस्सामीति 3, एवं असुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति 3 न सुणेमीति 3 ण सुणिस्सामीति 3, एवं रूवाई गंधाई रसाई फासाई, एक्केक्के छ छ घालावगा भाणियवा 127 श्रालावगा भवति ॥सू० 160 // तत्रो ठाणा णिस्सीलस्स निव्वयस्स णिग्गुणस्स णिम्मेरस्स णिप्पञ्चक्खाणपोसहोववासस्स गरहिता भवंति तंजहा-अस्सि लोगे गरहिते भवइ उववाते गरहिए भवइ अायाती गरहिता भवति, ततो ठपणा सुसीलस्स सुव्वयस्स सगुणस्स सुमेरस्स सपञ्चक्खाणपोसहोववासस्स पसत्था भवंति, तंजहा-अस्ति लोगे पसत्थे भवति उववाए पसत्थे भवति श्राजाती पसत्था भवति ॥सू. 161 // तिविधा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा 1 / तिविहा सञ्चजीवा पत्नत्ता तंजहा-सम्महिट्ठी मिच्छा. दिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी य 2 / अहवा तिविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-पजतगा अपजतगा णोपजत्तगागोपजनगा 3 // एवं-सम्मदिद्विपरित्तापजत्तग सुहुमसनिभविया य ४॥सू० 162 // तिविधा लोगठिती पन्नत्ता तंजहा