________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 327 अजवित्ती 11 / अजजाती 12 / अजभासी 13 / अजयोभासी 14 / अजसेवी 15 / एवं अजपरियाए 16 / अजपरियाले 17 / एवं सत्तर अालावगा, जहा दीणेणं भणिया तहा अज्जेणवि भाणियव्वा / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अज्जे णाममेगे अजभावे, अज्जे नाममेगे अणजभावे, अणज्जे नाममेगे अजभावे, अणज्जे नाममेगे अणजभावे 18 सू० 280 // चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने ख्वसंपन्ने 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने जाव रूवसंपन्ने 2 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने णामं एगे नो कुलसंपराणे, कुलसंपराणे नामं एगे नो जाइसंपराणे, एगे जातिसंपराणेऽवि कुलसंपराणेऽवि, एगे नो जातिसंपराणे नो कुलसंपन्ने 3 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--जातिसंपन्ने नाममेगे 4, 4 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जातिसंपन्ने नामं एगे नो बलसंपन्ने 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा—जातिसंपन्ने 4,6 / चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-जाइसंपन्ने नाम एगे नो स्वसंपन्ने 4,7 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा-जातिसंपन्ने नाम एगे नो रूवसंपन्ने, स्वसंपन्ने णाममेगे ह-४।८। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तजहा-कुलसंपन्ने नाम एगे नो बलसंपन्ने ह-४ / / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने नाममेगे नो बलसंपन्ने ह-४।१०। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंपन्ने, ह्व-४।११। एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-कुलसंपन्ने नाममेगे णो रूवसंपन्ने ह्व-४।१२। चत्तारि उसभा पन्नत्ता तंजहाबलसंपन्ने णामं एगे नो रूवसंपराणे ह्व।४।१३। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पराणत्ता तंजहा-बलसंपराणे नाममेगे नो ख्वसंपन्ने 4,14 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा--भद्दे मंदे मिते संकिन्ने 15 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-भद्दे मंदे मिते संकिन्ने 16 / चत्तारि हत्थी पन्नत्ता तंजहा