________________ 380] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। प्रथमो विभागः वदमाणे जाव विवक्तवबंभचेराणं देवाणं वन्नं वदमाणे 2 // सू० 426 // पंच पडिसंलीणा पत्नत्ता, तंजहा-सोइंदियपडिसंलीणे जाव फासिंदियपडिसंलीणे / पंच अप्पडिसंलीणा पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदिहश्रप्पडिसंलीणे जाव फासिंदियअप्पडिसंलीणे / पंचविधे संवरे पन्नत्ते, तंजहासोतिंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे, पंचविहे असंवरे पन्नत्ते तंजहासोइंदियश्रसंवरे जाव फासिंदियश्रसंवरे // सू० 427 // पंचविधे संजमे पन्नत्ते तंजहा-सामातितसंजमे छेदोवट्ठावणियसंजमे परिहारविसुद्धितसंजमे सुहुमसंपरागसंजमे अहवखायचरित्तसंजमे // सू० 428 // एगिदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तंजहा–पुढविकातियसंजमे जाव वणस्सतिकातितसंजमे 1 / एगिदिया णं जीवा समारभमाणस्स पंचविहे असंजमे कन्जति, तंजहा-पुढविकातितश्रसंजमे जाव वणस्सतिकातितअसंजमे 2 // सू० 421 // पंचिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तंजहा-सोतिंदितसंजमे जाव फासिंदियसंजमे, 1 / पंचिंदिया णं जीवा समारंभमाणस्स पंचविधे असंजमे कन्जति, तंजहा-सोतिदियअसंजमे जाव फासिंदियश्रसंजमे, 2 / सव्वपाणभूयजीवसत्ता णं असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति, तजहा-एगि. दितसंजमे जाव पंचिंदियसंजमे 3 / सव्वपाणभूतजीवसत्ता णं समारंभमाणस्स पंचविधे असंजमे कजति, तंजहा-एगिदितसंजमे जाव पंचिं. दियश्रसंजमे 4 // सू० 430 // पंचविधा तणवणस्सतिकातिता पन्नत्ता तंजहा-अग्गबीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया बीयरहा / / सू० 431 // पंचविधे पायारे पन्नत्ते तंजहा-णाणायारे दंसणायारे चरित्तायारे तवायारे वीरियायारे // सू. 432 // पंचविधे श्रायारपकप्पे पन्नत्ते तंजहामासिने उग्घातिते मासिए अणुग्घाइए चउमासिए उग्घाइए चाउम्मासिए अणुग्घातीते आरोवणा। श्रारोवणा पंचविहा पन्नता तंजहा-पट्टविया