________________ 37 ] [ श्रीमंदागमसुधासिन्धुः - प्रथमो विभागः मेतेणं गमएणं दित्तचित्ते जक्खातिटठे उम्मायपत्ते निग्गंथीपव्वावियते समणे णिग्गंथेहिं अविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं णिग्गंथीहिं सद्धिं संवसमाणे णातिकमंति 3 // सू. 417 // पंच यासवदारा पन्नत्ता तंजहामिच्छत्तं अविरती एमादे कसाया जोगा / पंच संवरदारा पन्नत्ता तंजहासम्मत्तं विरती अपमादो अकसातित्तमजोगित्तं 2 / पंच दंडा पन्नत्ता तंजहाअट्टादंडे यणट्ठादंडे हिंसादंडे अकस्मातदंडे दिट्टीविप्परियासितादंडे 3 // सू०४१८॥मिच्छदिट्ठियाण पंच किरितायो पन्नत्तायो तंजहा-श्रारंभिता परिग्गहिता मातावत्तिता अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिता १।मिच्छदिट्ठि याण नेरइयाणं पंच किरियायो पन्नत्तायो तंजहा-जाव मिच्छादसणवत्तिया एवं सव्वेसि निरन्तरं जाव मिच्छदिद्वितःणं वेमाणिताणं, नवरं विगलिंदिता मिच्छट्टिी ण भन्नति, सेसं तहेव 2 | पंच किरियातो पन्नत्तायो तंजहा-कातिता अहिगरिणता पातोसिया पारितावणिया पाणातिवात. किरिया 3 णेरइयाणं पंच एवं चेव निरन्तरं जाव वेमाणियाणं 1, 4 / पंच किरितायो पन्नत्तायो तंजहा-श्रारंभिता जाव मिच्छादसणवत्तिता 4, णेरइयाणं पंच किरिता, निरंतरं जाव वेमाणियाणं 2, 5 / पंच किरियातो पन्नत्तायो तंजहा-दिट्ठिया पुट्ठिया पाडुचि(पाडोचित्ता) . सामंतोवणिवाइया साहत्थिता एवं णेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 24, 3, 6 / पंच किरियातो पन्नत्तानो तंजहा-णेसत्थिता पाणवणिता वेयारणिया अणाभोगवत्तिता श्रणवकंखवत्तिता एवं जाव वेमाणियाणं 24, 4, 7 पंच किरियायो पन्नत्तायो, तंजहा-पेजवत्तिता दोसवत्तिता पयोगकिरिया समुदाणकिरिया ईरियावहिया एवं मणुस्साणवि, सेसाणं नत्थि 5, 8 // सू० 416 // पंचविहा परिन्ना पन्नत्ना, तंजहा-उवहिपरिन्ना उवस्सयपरिन्ना कसायपरिन्ना जोगपरिन्ना भत्तपाणपरिन्ना // सू० 420 // पंचविहे ववहारे पन्नत्ते, तंजहा-यागमे सुते पाणा धारणा जीते, जहा से तत्थ यागमे सिता