________________ 264 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः जहन्नेणं णेरइयाणं तिन्नि सागरोवमाई ठिती पराणत्ता 2 ॥सू० 146 // पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिनि निरयावाससयसहस्सा पन्नत्ता, तिसु णं पुटवीसु णेरइयाणं उसिणवेयणा पनत्ता तंजहा-पढमाए दोबाए तचाए, तिसुणं पुढवीसु णेरड्या उमिणवेयणं पचणुभवमाणा विहरंति-पटमाए दोबाए तच्चाए ।सू. 147 // ततो लोगे समा सपक्खि सपडिदिसि पन्नत्ता तंजहा-अप्पइट्ठाणे णरए जंबुद्दावे दीवे सवट्ठसिद्धे महाविमाणे, तो लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पन्नत्ता तंजहा-सीमतए णं णरए समयक्खेत्ते ईसीफ्भारा पुढवी ॥सू. 148 // तत्रो समुद्दा पगईए उदगरसेणं पन्नत्ता तंजहा-कालोदे पुक्खरोदे सयंभुरमणे 3, तो समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइराणा पन्नत्ता तंजहा--लवणे कालोदे सयंभुरमणे ॥सू. 14 // तो लोगे णिस्सीला णिव्वता णिग्गुणा निम्मेरा णिप्पच्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए अप्पतिट्ठाणे णरए णेरइयत्ताए उववज्जति, तंजहा-रायाणो मंडलीया जे य महारंभा कोडुबी / तो लोए सुसीला सुव्वया सग्गुणा समेरा मपञ्चक्खाणपोसहोववामा, कालमासे कालं किचा सबट्टसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-रायाणो परिचत्तकामभोगा सेणावती पसत्थारो / सू० 150 // बंभलोगलंतएसु णं कम्येसु विमाणा तिवराणा पन्नत्ता तंजहा- किराहा नीला लोहिया, पाणयपाणयारणच्चुतेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जसरीरा उक्कोसेणं तिरिण रयणीयो उद्धं उच्चत्तेणं परणत्ता ।।सू० 151 // तयो पन्नत्तीयो कालेणं अहिज्जंति, तजहा-चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती ॥सू० 152 // तिट्ठाणस्स पढमो उद्दे सो समत्तो॥ इति निस्थानकस्य प्रथमोद्देशकः // 3-1 //