________________ मौमत्स्थानाङ्गस्त्रम् / अध्ययनं 3 ] ! / 295 . // अथ अध्ययनं 3 उद्देशकः 2. // तिविहे लोगे पन्नते तंजहा- णामलोगे ठवणलोगे दबलोगे है। तिविधे लोगे पन्नत्ते तंजहा-णाणलोगे दंसणलोगे चरित्तलोगे 2 / तिविहे लोगे पन्नत्ते तंजहा-उद्धलोगे श्रहोलोगे तिरियलोगे 3 ॥सू. 153 // मरस्स णं असुरिंदरस सुरकुमाररन्नो ततो परिसातो पन्नत्तायों तंजहारुमिता चंडा जाया, अभितरिता समिता मज्झिमता चंडा बाहिरता जाया 1 / चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो सामाणिताणं देवाणं तता परि. सातो पन्नत्तायो तंजहा-समिता जहेब चमरस्स 2 // एवं तायत्तीसगाणवि, लोगपालाणं तुबा तुडिया पवा, एवं अग्गमहिसीणवि, बलिस्सवि एवं चेव, जाव अग्गमहिसीणं 3 // धरणरस य सामाणियतायत्तीसगाणं च समिता चंडा जाता, लोगपालाणं अग्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा, जहा धरणस्त तहा सेसाणं भवणवासीणं 4 / कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरगणो तयो परिसायो पन्नत्ताबा तंजहा-ईसा तुडिया दढरहा 5 / एवं सामाणियअग्गमहिसोणं, एवं जाव गीयरतिगीयजसाणं 6 / चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो ततो परिसातो. पन्नत्तायो तंजहा-तुबा तुडिया पव्वा / एवं सामाणियअग्गमहिसीणं, एवं सूरस्सवि 8 सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो ततो परिसायो पन्नत्तायो तंजहा-समिता चंडा जाया / / एवं जहा चमरस्स जाव अग्गमहिसीणं; एवं जाव अच्चुतस्स लोमपालाणं 10 ॥सू० 154 // ततो जामा पत्रता तंजहां-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तिहिं जामेहिं श्राता केवलिपन्नतं धम्मं लभेज सवणताते-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिो जामे, एवं जाव केवलनाणं उम्पाइजा पढमे जामे मज्झिमे जामे पंच्छिमे. जामे / ततो वया पन्नत्ता- तजहा-पदमे वते मज्झिमे वते पच्छिमे वए, तिहिं वतेहि श्राया केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज सवणयाए.