________________ 390 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / प्रथमो विभागः काइएहिंतो वा जाव तसकाइएहिंतो वा उववज्जेजा, सो चेव णं से पुढविकातिते, पुढविकातितत्तं विप्पजहमाणे पुढविकातितत्ताते वा जाव तस. कातितत्ताते वा गच्छेज्जा, बाउकातियावि छगतिता छयागतिता, एवं चेव जाव तसकातिता // सू० 482 // छविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तंजहाश्राभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी अन्नाणी, यहवा छविधा सबजीवा पन्नत्ता तंजहा-एगिदिया जाव पंचिंदिया अणिदिया, ग्रहवा छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-थोरालियसरीरी वेउव्वियसरीरी अाहारगसरीरी तेअगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी // सू० 483 // छविहा तणवणस्सतिकातिता पन्नत्ता तंजहा-अग्गवीया मूलबीया पोरबीया खंधीया बीयरुहा संमुच्छिमा // सू० 484 // छट्टालाई सधजीवाणं गो सुलभाई भवंति, तंजहा-माणुस्सए भवे, यायरिए (यारिये) खित्ते जम्मं, सुकुने पञ्चायाती, केवलिपन्नत्तस्स धम्मरस सवणता, सुयस्स वा सद्दहणता, सदहितस्स वा पत्तितस्स वा रोइतस्स वा सम्मं कारणं फासणया // सू० 485 // छ इंदियत्था पन्नत्ता, तंजहा–सोइंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे नोइंदेयत्थे // सू० 486 // छबिहे संवरे पन्नत्ते तंजहा-सोतिदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे णोइंदितसंवरे, छब्बिहे असंवरे पन्नत्ते, तंजहा-सोइंदिअयसंवरे जाव फासिंदितअसंवरे णोइंदितअसंवरे॥ सू० 487 // छब्बिह साते पन्नत्ते, तंजहासोइंदियासाते जाव नोइंदियसाते, छबिहे असाते पन्नत्ते, तंजहासोतिंदितासाते जाव नोइंदितअसाते // सू० 488 // छविहे पायच्छित्ते पन्नत्ते, तंजहा-यालोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिह विवेगारिहे विउस्सगारिहे तवारिहे // सू० 481 // छविहा मणुस्सगा पन्नत्ता, तंजहा-जंबूदीवगा, धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धगा, धात. तिसंडदीवपचत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवडपुरथिमद्धगा, पुवखरवरदीवडपञ्चत्थिमद्धगा, अंतरदीवगा, यहवा छबिहा मणुस्सा पनत्ता, तंजहा