________________ 316 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः ॥सू० 235 // चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नए नामेगे उन्नए 1 उन्नते नाममेगे पणते 2 पणते नाममेगे उन्नते 3 पणते नाममेगे पणते '4, 1 / एवामेक चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नामेगे. उन्नते, तहेव जाव पणते नामेगे पणते 2 / चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नाममेगे उन्नतपरिणए 1 उराणए नाममेगे पणतपरिणते 2 पणते णाममेगे उन्नतपरिणते 3 पणए नाममेगे पणयपरिणए 4, 3 / एवमेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा--उन्नते नाममेगे उन्नयपरिणते. चउभंगो (चत्तारि भंगा) 4, 4 / चत्तारि रुक्खा पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नामेगे उन्नतरूवे, तहेव चउभंगो 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उन्नए नामेगे उन्नतरूवे, तहेव चउभंगो 4, 6 / चतारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-उन्नते नाममेगे उन्नतमणे तहेव चउभंगो 4, 7 / एवं संकप्पे 8 / पन्ने 1 / दिट्ठा 10 सीलायारे (सीले अायारे) 11 / ववहारे 12 / परकमे 13 // एगे पुरिसजाए पडिवक्खो नत्थि / चत्तारि रुक्खा पन्नता तंजहा--उज्जूनाममेगे उज्जू , उजू नाममेगे वंके, चउभंगो 4, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहाउज्जूनाममेगे 4, 2 / एवं जहा उन्नतपणतेहिं गमो तहा उज्जूवंकेहिवि भागियव्वो, जाव परक्कमे 26 ॥सू० 236 // पडिमापडिवनस्स णमणगारस्त कप्पंति चत्तारि भासातो भासित्तए, तंजहा-जायणी पुच्छणी अणुन्नवणी पुटुस्स वागरणी ॥सू० 237 // चत्तारि भासाजाता पन्नत्ता तंजहा--सच्चमेगं भासजायं, बीयं मोसं, तइयं सचमोसं, चउत्थं असच्चमोसं ।।मू० 238|| चित्तारि वत्था पन्नत्ता तंजहा-सुद्धे णामं एगे सुद्धे 1 सुद्धे णामं एगे असुद्धे 2. असुद्धे णामं एगे सुद्धे 3 असुद्धे णामं एगे असुद्धे 4, 1 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पन्नत्ता तंजहा-सुद्धे णाम एगे सुद्धे, चउभंगो 4-2) एवं परिणतरूवे वरथा सपडिवक्खा, चत्तारि पुरिसजाता पत्नत्ता तंजहा-सुद्धे णाम एगे सुद्धमणे, चउभंगो 4, एवं संकप्पे जाव परकम् ॥सू० 236 //