________________ 264 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागा खीणकसायवीतरागसंजमे दु बहे पन्नत्ते तंजहा-छउमत्थखीणकमायवीयरागसंजमे चेव केवलिखीणकसायवीयरागमंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवीपरागसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-सयंबुद्धछउपस्थखीणकसाय० बु. हियछउमत्थ०, सयंबुद्रछउमस्थ० दुविहे पंन्नते तंजहा-पढमसमय० अपत्मसमय. ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, बुद्धबोहियछउमथखीण० दुविर पन्नत्ते तंजहा-पढमसमय. अपढमसमय०, ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, केवलिखीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पंन्नत्ते तंजहा-सजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे अजोगिकेवलि खीणकसायवीयराग०, सजोगिकेवलिखीणकसायसंजमे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-पढमसमय० अपढमसमय०, ग्रहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, अजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुविहे पन्नत्त तंजहा--पढमसमय. अपढमसमय. अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय० ॥सू. 72 // दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहा-सुहमा चेव बायरा चेव 1, एवं जाव दुविहा वणस्सइकाइया पन्नत्ता तंजहा-सुहुमा चेव बायरा चेव 5, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहा-पज्जत्तगा चेव अपज्जत्तगा चेव 1, एवं जाव वणस्मइकाइया 10, दुविहा पुढविकाइया पन्नत्ता तंजहापरिणया चेव अपरिणया चेव 11, एवं जाव वणस्सइकाइया 15, दुविहा दवा पन्नत्ना तंजहा-परिणता चेव अपरिणता चेव 16, दुविहा पुढवि. काझ्या पत्नत्ता तंजहा-गतिसमावन्नगा घेव अगइसमावन्नगा चेव 17, एवं जाव वणस्सइकाइया 21, दुविहा दवा पन्नत्ता तंजहा-गतिसमावन्नगा चेव श्रगतिसमावन्नगा चेव 22, दुविहा पुढविकाइया पत्नत्ता तंजहा-यगांतगे. गाढा चेव परंपरोगाढा चेव 23, जाव दुविहा दव्वा पन्नत्ता जहा-अगांतरोगाढा चेव परंपरोगाढा चेव 28 ॥सू० 73|| दुविहे काले पन्नत्ते तंजहा-योसप्पिणीकाले चे उस्सप्पिणीकाले चेच, दुविहे यागासे पन्नत्ते तंजहा-लोगागासे चेव अलोगागासे चेव, ॥सू० 7 // णेरड्यासां दो