________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 1 अध्ययनं 1 ] [ 273 यायो महापउमइहायो (दहायो) दो महाणईयो पवहंति, तंजहारोहियच्चेव हरिकंतच्चेव, एवं निसटायो वासहरपब्वतायो तिगिछिद्दहायो दो महानईयो पवहति तंजहा-हरिच्चेव सीयोअच्चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं नीलवंतायो वासहरपव्वतायो केसरिदहायो दो महानईयो पवहंति, तंजहासीता चेव नारिकंता चेव, एवं रुप्पीग्रो वासहरपब्वत्तायो महापोंडरीयदहायो दो महानईयो पवहंति, तंजहा–णरकता चेव रुप्पकूला चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे वासे दोपवायदहा पन्नत्तातंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-गंगप्पवातइहे चेव सिंधुप्पाय(हे चेव / एवं हिमवए वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव तंजहा-रोहियप्पवानहहे चेव रोहियंसपवातहहे चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं हरिबासे वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला तंजहा-हरिपकातहहे चेव हरिकंतपवातहहे चेव, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहवासे दो पवायदहा पन्नता बहुसमतुल्ला जाव सीअप्पवातदहे चेव सीतोदप्पवायदहे चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रम्मए वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला जाव नरकंतप्पवायदहे चेव णारीकंतप्पवायदहे चेव, एवं हेरनवते वासे दो पवायदहा पन्नता तंजहा-बहुसमतुल्ला सुवन्नकूलप्पवायदहे चेव रुप्पकूलप्पवायदहे चेव, जंबूमंदरउत्तरेणं एरवए वासे दो पवायदहा पनत्ता बहुसमतुल्ला जाव रत्तापवायदहे चेव रत्तावइप्पवायदहे चेव,जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे वासे दो महानईयो पन्नत्तायो बहुसमतुल्ला जाव गंगा चेव सिंधू चेव, एवं जघा पवातदहा एवं णईश्रो भाणियव्यायो, जाव एरवए वासे दोमहानईअो पन्नत्तायो-बहुसमतुल्लायोजाव रत्ता चेव रत्तवती चेव।।सू०८८॥ जंबुद्दीवे 2 भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीयो काले होत्था 1 / एवमिमीसे अोसप्पिणीए जाव पन्नत्ते 2 / एवं श्रागमिस्साए उस्सप्पिणीए जाव भविस्सति 3 / जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाई