________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3 ] [ 287 तेहिं तिहिं गणेहिं जीवा सुहदीहाउतत्ताते कम्म पगरेति ॥सू० 125 // ततो गुनीतो पन्नत्तायो, तंजहा–मणगुत्ती वतिगुत्ती कायगुत्ती 1 / संजयमणुस्साणं ततो गुतीयो पन्नत्तायो तंजहा - मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुत्ती 2) तो अगुतीयो पन्नत्तायो तंजहा–मणयगुत्ती वइयगुत्ती कायश्रगुत्ती 3 / एवं नेरइताणं जाव थणियकुमाराणं 4 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं असंजतमणुस्माणं वाणमंतराणं जोइमियाणं वेमाणियाणं 5 / ततो दंडा पन्नत्ता तंजहा--मणदंडे वयदंडे कायदंडे 6 / नेरझ्याणं तयो दंडा पगणत्ता, तंजहा-- मणदंडे वइदंडे कायदंडे 7 / विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणियाणं 8 ॥सू. 126 // तिविहा गरहा पन्नत्ता तंजहा–मणसा वेगे गरहति, वयसा वेगे गरहति, कायसा वेगे गरहति पावाणं कम्माणं अकरणयाए 1 / अथवा गरहा तिविहा पन्नत्ता तंजहा–दीहंपेगे श्रद्धं गरहति, रहस्संपेगे अद्धंगरहति, कायंपेगे पडिसाहरति पावाणं कम्माणं यकरणयाए 2 / तिविहे पञ्चक्खाणे पन्नत्ते तंजहा—मणसा वेगे पञ्चक्खाति वयसा वेगे पच्चक्खाति कायसा वेगे पञ्चक्खाइ, एवं जहा गरहा तहा पञ्चक्खाणेवि दो पालावगा भाणियव्वा 3 ॥सू. 127 // ततो रुक्खा पन्नत्ता तंजहा–पत्तोवते फलोवते पुष्फोवते 1 / एवामेव तयो पुरिमजाता पन्नत्ता तंजहा—पत्तोवारुखसा. माणा पुष्फोवारुक्खसामाणा फलोवारुक्खसामाणा 2 / ततो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–नामधुरिसे ठवणपुरिसे दवपुरिसे 3 / तयो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-नाणपुरिसे दंसणपुरिसे चरित्तपुरिसे 4 / तयो पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-वेदपुरिसे चिंचपुरिसे अभिलावपुरिसे 5 / तिविहा पुरिसजाया पन्नता तंजहा-उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा जहन्नपुरिमा 6 / उत्तमपुरिसा तिविहा पन्नता तंजहा-धम्मपुरिसा भोगपुरिसा कम्मपुरिसा, धम्मपुरिसा रिता भोगपुरिसा चकवट्टी कम्मपुरिमा वासुदेवा 7 मभिमपुरिसा तिविहा पन्नत्ता तंजहा-उग्गा भोगा गयन्ना / जहन्नपुरिसा तिविहा