________________ भीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : अध्ययनं 5] [ 375 नाणे अणुत्तरे दसणे अणुत्तरे चरित्ते अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिते 1 // सू० 410 // पउमप्पहे णमरहा पंचचित्ते हुत्था, तंजहा-चित्ताहिं चुते चइत्ता गम्भं वक्कते चित्ताहिं जाते चित्ताहिं मुडे भवित्ता अगारात्रो अणगारितं पव्वइए चित्ताहिं अणंते अणुत्तरे णिवाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने चित्ताहिं परिणिते, पुष्पदंते णं अरहा पंचमूले हुत्था, मूलेणं चुने चइत्ता गम्भं वक्कते, एवं चेव एवमेतेणं अभिलावेणं इमातो गाहातो अणुगंतव्वातो 1 / पउमप्पभस्स चित्ता 1 मूले पुण होइ पुप्फदंतस्स 2 / पुव्वाइं श्रासादा 3 सीयलस्सुत्तर विमलस्स भद्दवता 4 // 1 // रेवतिता श्रणंतजिणो 5 पूसो धम्मस्स 6 संतिणो भरणी 7 / कुंथुस्स कत्तियायो 8 अरस्स तह रेवतीतो य 1 // 2 // मुणिसुब्बयस्स सवणो 10 श्रासिणी णमिणो 11 य नेमिणो चित्ता 12 / पासस्स विसाहायो 13 पंच य हत्युत्तरो वीरो 14 // 3 // समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे होत्था तंजहा-हत्युत्तराहिं चुए चइत्ता गर्भ वक्कते हत्युत्तराहिं गभायो गम्भं साहरिते हत्थुत्तराहिं जाते हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए हत्युत्तराहिं अणंते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदसणे समुप्पंन्ने 2 // सू० 411 // इति पंचमट्ठाणस्स पढमो उद्देसश्रो समत्तो / // इति पञ्चमस्थानकस्य प्रथमोद्देशकः / / 5-1 // // अथ पञ्चमस्थानके द्वितीय उद्देशकः // नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमायो उहिट्ठायो गणियायो वितंजितातो पंच महराणवातो महाणदीयो अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा, तंजहा-गंगा जउणा सरऊ एरावती मही 1 / पंचहिं ठाणेहिं कप्पति, तंजहा-भतंसि वा 1 दुभिक्खंसि वा 2 फवहेज व णं कोई 3 दोघंसि वा एजमाणंसि