________________ श्रीमत्स्थानाजसत्रम् : अध्ययनं 6 ] [395 धणुसयाई उट्ट उच्चत्तेणं हुत्था // सू० 518 // भरहे णं राया चाउरंतचकवट्टी छ पुव्वसतसहस्साई महाराया हुत्था // सू० 511 // पासस्स णं अरहयो पुरिसादाणियस्स छ सता वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसाते अपराजियाणं जाव संपया होत्था। वासुपुज्जे णं अरहा छहिं पुरिससतेहिं सद्धिं मुडे जाव पव्वइते / चंदप्पभे णं श्ररहा छम्मासे छउमत्थे हुत्था // सू० 520 // तेतिंदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स छबिहे संजमे कजति, तंजहा-घाणामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति घाणामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, जिभामातो सोक्खातो अवरोवेत्ता भवइ, जिभामएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति, एवं चेव फासामातोऽवि 1 / तेइंदियाणं जीवाणं समारभमाणस्स छविहे असंजमे कजति, तंजहाघाणामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति, घाणामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति, जाव फासमतेणं दुक्खेणं संजोगेता भवति // सू० 521 // जंबुद्दीवे (2) छ अकम्मभूमीयो पन्नतायो, तंजहा-हेमवते हेरगणवते हरिवस्से रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा 1 / जंबुद्दीवे (2) छव्वासा पन्नत्ता, तंजहा-भरहे एरवते हेमवते हेरनवए हरिवासे रम्मगवासे 2 / जंबुद्दीवे (2) छ वासहरपव्वता पन्नता, तंजहा-चुलहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रूप्पि सिहरी 3 / जंबूमंदरदाहिणे णं छ कूड़ा पन्नत्ता, तंजहा-चुलहिमवंतकूडे वेसमणकूडे महाहिमवंतकूडे वेरुलितकूडे निसटकूडे स्यगकूडे 4 / जंबूमंदरउत्तरे णं छ कूडा पन्नत्ता, तंजहा-नेलवंतकूडे उवदंसणकूडे रुप्पिकूडे मणिकंचणकूडे सिहरिकूडे तिगिच्छकूडे 5 / जंबूद्दीवे (2) छ महदहा पन्नत्ता; तंजहा-पउमदहे महापउमद्दहे तिगिच्छदहे केसरिहहे महापोंडरीयहहे पुंडरीयदहे 6 / तत्थ णं छ देवयायो महड्डियायो जाव पलिश्रोवमट्टितीतातो परिवसंति, तंजहा-सिरि हिरि घिति कित्ति बुद्धि लच्छी 7 / जंबूमंदर. दाहिणे णं छ महानईश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-गंगा सिंधू रोहिया रोहितंसा