________________ 364 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः धारेति दुद्धरं धारेति अणिस्सितं धारेति असंदिद्धं धारेति ४॥सू०५१० // छबिहे बाहिरते तवे पन्नत्ते तंजहा-श्रणसणं श्रोमोदरिया भिक्खातरिता रसपरिचाते कायकिलेसो पडिसंलीनता 1 / छविधे अभंतरिते तवे पन्नत्ते, तंजहा-पायच्छित्तं विणो वेयावच्चं तहेव सज्झायो झाणं विउस्सग्गो 2 / // सू० 511 // छबिहे विवादे पन्नत्ते, तंजहाश्रोसकतित्ता उस्सकइत्ता ( श्रोसल्लवइत्ता उस्सकावइत्ता ) अणुलोमइत्ता पडिलोमतित्ता भइत्ता भेलतित्ता (भेयइत्ता) // सू० 512 // छबिहा खुड्डा पाणा पन्नत्ता, तंजहा-बेदिता तेइंदित्ता चरिंदित्ता संमुच्छिमपंचिंदिततिरिक्खजोणिता तेउकातिता वाउकातिता ॥सू० 513 // छविधा गोयरचरिता पन्नत्ता, तंजहा-पेडा अद्धपेडा गोमुत्तित्ता पतंगविहित्ता संबुकवट्टा गंतुपञ्चागता // सू. 514 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्स य दाहिणेणमिमीसे रतणप्पभाते पुढवीए छ अवक्कं(क) तमहानिरता पन्नत्ता, तंजहा-लोले लोलुए उदड्डे निदड्ढे जरते पज्जरते है। चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीते छ श्रवक्कंता महानिरता पन्नत्ता, तंजहाथारे वारे मारे रोरे रोरुते खाडखडे 2 // सू. 515 / / बंभलोगे णं कप्पे छ विमाणपत्थडा पन्नत्ता, तंजहा-अरते विरते गीरते निम्मले वितिमिरे विसुद्धे // सू० 516 // चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो छ णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पनत्ता, तंजहा-पुब्बाभदवया कत्तिता महा पुवाफग्गुणी मूलो पुव्वासादा 1 / चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरगणो छ णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्डक्खेत्ता पन्नरसमुहुत्ता पन्नत्ता, तंजहा-सयभिसता भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा 2 / चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोतिसरनो छ नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्डखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता पन्नत्ता, तंजहा-रोहिणी पूणबसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासादा उत्तराभवया 3 // सू० 517 // अभिचंदे णं कुलकरे छ