________________ [193 श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 6 ] श्रणचावितं अवलितं श्रणाणुबंधिं अमोसलिं चे। छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणविसोहणी // 2 // सू० 503 // छ लेसाश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा 1 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं छ लेसाश्रो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा, एवं मणुस्सदेवाणवि 2 // सू० 504 // सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारनो छ श्रग्गमहिसीतो पन्नत्ताश्रो, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरगणो जमस्स महारनो छ अम्गमहिसीथो पत्नत्ताश्रो // सू० 505 // ईसाणस्स णं देविंदस्स मज्झिमपरिसाए देवाणं छ पलिश्रोवमाई ठिती पन्नत्ता // सू० 506 // छ दिसिकुमारिमहतरितातो पन्नत्तात्रो, तंजहा-रूता रूतंसा सुरूवा रूपवती रूपकंता रूतप्पभा 1 / छ विज्जुकुमारिमहत्तरितातो पन्नत्तायो, तंजहाश्राला सका (श्रला मका ) सतेरा सोतामणी इंदा घणविज्जुया 2 // सू० 507 // धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ श्रग्गमहिसीयो पननायो तंजहा-श्राला सका सतेरा सोतामणी इंदा घणविज्जुया 1 // भूताणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ अगमहिसीथो, पन्नत्तात्रो, तंजहा-रुवा रूवंसा सुरूवा रूपवती स्वता स्वप्पभा 2 / जधा धरणस्स तथा सव्वेसि दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स 3 / जधा भूताणंदस्स तथा सव्वेसिं उत्तरिलाणं जाव महाघोसस्स 11 // सू० 508 // धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छस्सामाणियसाहस्सीयो पराणत्तातो, एवं भूताणंदस्सवि जाव महाघोसस्स // सू० 501 // छब्बिहा उग्गहमती पत्नत्ता,तंजहा-खिप्पमोगिराहति बहुमोगिरहति बहुविधमोगिराहति धुवमोगिरहति अणिस्सियमोगिराहइ असंदिद्धमोमिराहइ 1 / छविहा ईहामती पन्नत्ता, तंजहा-खिप्पमीहति बहुमीहति जाव असंदिद्ध. मीहति // छविधा अवायमती पन्नत्ता, तंजहा-खिप्पमवेति जाव असंदिद्ध अवेति 31 छविधा धारणा पन्नत्ता, तंजहा-बहुँ धारेइ बहुविहं धारेइ पोराणं