________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 357 ोरइयाणं चत्तारि वादिसमोसरणा पन्नत्ता तंजहा-किरियावादी जाव वेणतितवादी, एवमसुरकुमाराणऽवि जाव थणियकुमाराणं एवं विगलिंदियवज्ज जाव वेमाणियाणं 2 |सू० 345 // चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-- गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता वासित्ता णाममेगे णो गजित्ता एगे गजित्तावि वासित्तावि एगे गो गजित्ता णो वासित्ता 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता 4, 2 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता विज्जुयाइत्ता णाममेगे 4, 3 / . एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-गजित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 4 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-वासित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 5 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा–वासित्ता णाममेगे णो विज्जुयाइत्ता 4, 6 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा—कालवासी णाममेगे णो अकालवासी 4, 7) एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-कालवासी णाममेगे नो अकालवासी 4, 81 चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखित्तवासी 4, 1 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-खेत्तवासी णाममेगे णो अखेत्तवासी 4, 10 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा--जणतित्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता णिम्मवइत्ता णाममेगे णो जणतित्ता 4, 11 / एवामेव चत्तारि अम्मापियरो पन्नत्ता तंजहा--जणइत्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता 4, 12 / चत्तारि मेहा पन्नत्ता तंजहा--देसवासी णाममेगे णो सव्ववासी 4, 13 / एवामेव चत्तारि रायाणो पन्नत्ता तंजहा--देसाधिवती णाममेगे णो सव्वाधिवती 4, 14 ॥सू०३४६।। चत्तारि मेहा पनत्ता तंजहा--पुवखलसंवट्टते पज्जुन्ने जीमूते जिम्हे, पुक्खलबट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दसवाससहस्साई भावेति, पज्जुन्ने णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वाससयाई भावेति, जीमूते णं महामेहे एगेणं वासेणं दुसवासाई भावेति, जिम्हे णं महामेहे बहूहिं