________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 3] [ 279 सिंदा पन्नत्ता तंजहा-सप्पुरिसे चेव महापुरिसे चेव 16 / दो महोरगिंदा पन्नत्ता तंजहा-अतिकाए चेव महाकाए चेव 17 / दो गंधविदा पनत्ता तंजहा-गीतरती चेव गीयजसे चेव 18 / दो श्रणपनिंदा पन्नत्ता तंजहासंनिहिए चेव सामराणे चे 11 / दो पणपन्निदा पन्नत्ता तंजहा-धाए चेव विहाए चेर 20 / दो इसिवाइंदा पन्नत्ता तजहा-इसिच्चेव इसिवालए चेव 21 / दो भूतबाइंदा पन्नत्ता, तंजहा-इस्सरे चेव महिस्सरे चे 22 / दो कंदिदा पन्नत्ता तंजहा-सुवच्छे चेव विसाले चेव 23 / दो महाकंदिदा पन्नत्ता तंजहा-हस्से चेव हस्सरती चेर 24 / दो कुभंडिंदा पन्नत्ता तंजहासेए चेव महासेए चेव 25 // दो पतइंदा पनत्ता तंजहा-पतए चेव पतयवई चेव 26 / जोइसियाणं देवाणं दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-चंदे चेव सूरे चेव 27 / सोहम्मीसाणेसुणं कपेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-सबके चेव ईसाणे चेव 28 / एवं सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेसु दो इंदा पनत्ता तंजहा–सणंकुमारे चेव माहिंदे चेव 21 / बंभलोगलंतएसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहाअंभे चेव लंतए चेव 30 / महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दो इंदा पनत्ता संजहा-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव 31 / श्राणयपाणतारणचुतेसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नत्ता तंजहा-पाणते चेव अच्चुते चेव 32 / महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवराणा पन्नत्ता तंजहा-हालिदा चेव सुकिला चेव 33 / गेविजगाणं देवा णं दो रयणीयो उड्डमुच्चत्तेणं पनत्ता 34 ॥सू०१४|| // इति द्वितीयस्थाने तृतीयोद्देशकः समाप्तः / / 2-3 //