________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् : श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 4 ] [ 321 2, एगे अावातभहते वि संवासभइतेऽवि 3 एगे णो आवायभद्दते नो वा संवासभदए 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अप्पणो नाममेगे वज्जं पासति णो परस्स, परस्स णाममेगे वज्जं पासति 4, 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-यप्पणो णाममेगे वज्जं उदीरेइ णो परस्स 4, 3 // अप्पणो नाममेगे वज्ज उवमामेति णो परस्स 4, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता नहा-यमुठेइ नाममेगे णो अब्भुटावेति, 4, 5 / एवं वंदति णाममेगे णो वंदावेइ 4, 6 / एवं सकारेइ 7 सम्माणेति 8 / पूएइ 1 / वाएइ 10 / पडिपुच्छति (पडिच्छइ) 11 // पुच्छइ 12 / वागरेति, 13 / सुत्तधरे णाममेगे णो अत्यधरे, पत्थवरे नाममेगे णा सुत्तधरे 4, 14 ॥सू० 255 // चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो चत्तारि लोगयाला पन्नत्ता तंजहा-- सोमे जमे वरुणे वेममणे 1 / एवं बलिस्सवि सोमे जमे वेसमणे वरुणे 2 / धरणस्स कालपाले कोलपाले सेलपाले संखपाले 3 / एवं भूयाणंदस्स चत्तारि कालपाले कोलपाले संखपाले सेलपाले 4 / वेणुदेवस्स चित्ते विचित्ते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे 5 / वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपक्खे चित्तपक्खे 6 / हरिकंतस्म पभे सुप्पभे पभकते सुप्पभकते 7) हरिम्सहस्स पभे सुप्पभे सुपभकते परकते 8 / अग्गिसिहस्स तेऊ तेउसिहे तेउकते तेउप्पभे / अग्गि मा गवस तेऊ तेऊसिहे तेउपभे तेउकते 10 / पुनस्स रुए रूयंसे रूदकते रूद* पभे 1 / / एवं प्रिसिद्धस्म रुते रूतंसे रूतप्पभे रूयकते 12 / जलकंतस्स जले जनइते जलकते जलप्पभे 13 / जलप्पहस्स जले जलरते जलप्पहे जलकते * 11 // अमितगतिस्तु तुरियगती खिप्पगती सीहगती सीहविक्कमगती 15 // अमितवाहणस तुरियगती खिप्पगती सीहविकमगती सीहगती 16 / वेलंबस्स काले महाकाले अंजणे रिटठे 171 पभंजणस्स काले महाकाले रिट्ठे अंजणे 18 घांसस्म श्रावते वियावत्ते णंदियावते महाणंदियावत्ते 19 / महाघोसस्स श्रावते वियावत्ते महाणंदियात्ते णदियावत्ते 20 / सकस्स सोमे जमे वरुणे