________________ 404 ] [ श्रीमदागमसूधासिन्धुः : प्रथमो बिभागः सतसराणं सत्त सरलक्खणा पन्नत्ता, तंजहा-“सज्जेण लभति वित्ति, कतं च ण विणस्सति / गावो मित्ता य पुत्ता य, णारीणं चेव वल्लभो // 8 // रिसभेण उ एसज्ज, सेणावच्चं धणाणि य। वत्थगंधमलंकारं, इथियो सयणाणि व // 1 // गंधारे गीतजुत्तिराणा, वजवित्ती कलाहिता / भवंति कतिगो पन्ना, जे अन्ने सत्यपारगा // 10 // मज्झिमसरसंपन्ना, भवंति सुहजीविणो / खायती पीयती देती, मज्झिमं सरमस्सितो // 11 // पंचमसरसंपन्ना, भवंति पुढवीपती। सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणणातगा // 12 // रेवतसरसंपन्ना, भवंति कलहप्पिया / साउणिता वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य // 13 // चंडाला मुट्ठिया सेवे)या, जे अन्ने पावकम्मिणो। गोघातगा य जे चोरा, णिसायं सरमस्सिता // 14 // एतेसिं सत्तरहं सराणं तो गामा पराणत्ता, तंजहा-सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सजगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पत्नत्तायो, तंजहा-मंगी कोरबीया हरी य रयतणी य सारकंता य / छट्ठी य सारसी णाम सुद्धसजा य सत्तमा // 15 // मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पन्नत्तानो,तंजहा-उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा / श्रासोकंता य सोवीरा, अभिरु हवति सत्तमा // 16 // गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पन्नत्तायो, तंजहा-गदि त खुदिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा / उत्तरगंधारावित, पंचमिता हवति मुच्छा उ // 17 // सुटुतरमायामा सा छट्ठी णियमसो उ णायव्वा / श्रह उत्तरायता कोडीमातसा सत्तमी मुच्छा // 18 // सत्त सरायो को संभवंति? गेयस्स का भवंति जोणी ? कतिसमता उस्सासा? कति वा गेयस्स श्रागारा ? // 11 // सत्त सराणाभीतो भवंति गीतं च रुय(रुराण)नोणीतं / पादसमा ऊसासा तिनि य गीयस्स आगारा // 20 // श्राइमिउ श्रारभंता समुबहता य मझगारंमि / अवसाणे तज्जवितो तिनि य गेयस्स आगारा // 21 // छद्दोसे अहगुणे तिन्नि य वित्ताइं दो य भणि