________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 10 ] [451 श्रोहसराणा 10, नेरतिताणं देस सराणातो एवं चेव, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 24 // सू० 752 // नेरइया णं दसविधं वेयणं पचणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-सीतं उसिणं खुधं पिवासं कंडु परमं भयं सोगं जरं वाहिं // सू० 753 // दस गणाई छउमत्थे णं सबभावेणं न जाणति ण पासति, तंजहा-धम्मत्थिगातं जाव वातं, अयं जिणे भविस्सति वा ण वा भविस्सति, अयं सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सति वा ण वा करेस्सति, एताणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जाव अयं सव्वदुक्खाणमंतं करेस्सति वा ण वा करेस्सति // सू० 754 // दस दसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कम्मविवा. गदसायो उवासगदसायो अंतगडदसायो अणुत्तरोववायदसायो पायारदसायो पराहावागरणदसायो बंधदसायो दोगिद्धिदसायो दीहदसायो संखेवितदसायो 1 / कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा पन्नात्ता, तजहामियापुत्ते त गोत्तासे, अंडे सगडेति यावरे / माहणे णंदिसेणे त, सोरियत्ति उदुंबरे // 1 // सहसुद्दाहे श्रामलते कुमारे सेच्छती इति // 2 / उवासगदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-पाणंदे कामदेवे श्र, गाहावति चूलणीपिता / सुरादेवे चुल्लसतते, गाहावति कुडकोलिते // 1 // सदालपुत्ते महासतते, णंदिणीपिया सालतियापिता // 3 / अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहा-णमि मातंगे सोमिले रामगुत्ते सुदंसणे चेव / जमाली त भगाली त किंकमे पलतेतिय // 1 // फाले अंबडपुत्ते त, एमेते दस ग्राहिता // 4 / अणुत्तरोववातियदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तंजहाईसिदासे य धरणे त, सुणक्खत्ते य कातिते तिय / सट्टाणे सालिभद्दे त, पाणंदे तेतली तित // 1 // दसन्नभद्दे अतिमुत्ते, एमेते दस श्राहिया // 5 / श्रायारदसाणं दस अज्झयणा पत्नत्ता, तंजहा-वीसंग्रलमाहिट्ठाणा 1 एगवीसं सबला 2 तेतीसं अासायणातो 3 अट्ठविहा गणिसंपया 4 दस चित्तसमाहिट्ठाणा 5 एगारस उवासगपडिमातो 6 बारस भिक्खुपडिमातो 7 पजोसवणा कप्पो