________________ 366 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : प्रथमो विभागः सणंकुमारमाहिंदे सुणं कप्पेसु विमाणा चउवन्ना पनत्ता तंजहा- गीसा लोहिता हालिदा सुकिला, महासुकसहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उकोसेणं चत्तारि रयणीयो उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता // सू० 375 // चत्तारि उदकगमा पन्नत्ता तंजहा-उस्सा महिया सीता उसिणा, चतारि उदकंगभा पन्नत्ता तंजहा-हेमगा अब्भसंथडा सीतोसिणा पंचरूविता,-माहे उ हेमगा गब्भा, फग्गुणे अब्भसंथडा। सीतोसिणा उ चित्ते, वतिसाहे पंचरूविता 1 // सू० 376 // चत्तारि माणुस्सीगभा पन्नत्ता तंजहा-इत्थित्ताए पुरिसत्ताए णपुंसगत्ताते विवत्ताए, अप्पं सुक्कं वहुँ श्रोयं, इत्थी तत्थ पजातति / अप्पं श्रोयं बहुँ सुक्क, पुरिसो तत्थ पजातति // 1 // दोराहपि रत्तसुकाणं, तुल्लभावे णपुंसयो / इत्थीतोतसमायोगे, बिंबं तत्थ पजायति // 2 // सू० 377 // उप्पायपुवस्स णं चत्तारि मूलवत्थू पन्नत्ता // मू० 378 // चउविहे कव्वे पन्नत्ते तंज़हा-गज्जे पज्जे कत्थे गेए // सू० 376 // णेरतिताणं चत्तारि समुग्धाता पन्नत्ता तनहा-वेयणासमुग्घाते कसायसमुग्घाते मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए, एवं वाउकाइयाणवि // सू० 380 // अरिहतो णं अरिट्टनेमिस्स चत्तारि सया चोदसपुवीणमजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जिणो इव अवितथवागरमाणाणं उक्कोसिता चउद्दसपुब्धिसंपया हुत्था / सू० 381 / समणस्स णं भगवो महावीरस्स चत्तारि सया वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसते अपराजियाणं उकोसिता वातिसंपमा हुत्था // सू० 382 // हेछिल्ला चत्तारि कप्पा पद्धचंदमंठाग संठिया पन्नत्ता, तंजहा-सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिंदे, 1 / मझिला चत्तारि कप्पा पडिपुन्नचंदसंठाणसंठिया पन्नत्ता, तंजहा-बंभलोगे लंतते महासुके सहस्सारे, 2 / उवरिला चत्तारि कप्पा श्रद्धचंदसंगणसंठिता पन्नत्ता, तंजहायाण,ते पाणते पारणे अच्चुते 3 // सू० 383 // चत्तारि समुद्दा पत्यरसा