________________ 282 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः दुविहे कोहे पन्नते तंजहा-यायपइट्ठिते चेव परपइट्ठिए चेव, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव मिच्छादसणसल्ले ।सू० 100 // दुविहा संसारसमावनगा जीवा पन्नत्ता तंजहा-तसा चेव थावरा चेत्र 1 / दुविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तंजहा-सिद्धा चेव प्रसिद्धा चेव 2 / दुविहा सव्वजीवा पराणत्ता तंजहा-- सइंदिया चेव अणिदिया चेव 3 / एवं एसा गाहा फासेतव्या जाव समरीरी चेच असरीरी चेव 4 / 'सिद्धसइंदियकार जोगे वेए कमाय लेसा य। णाणु. वयोगाहारे भासग चरिमे य समरीरी // 1 // ॥सू. 101 // दो मरणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंथाणं णो णिच्चं वन्नियाई णो णिच्चं कित्तियाई णो णिच्वं बुइयाइं (पुइयाई) णो णिच्चं पसत्थाई णो णिच्चं अभणुन्नायाई भवंति, तंजहा-वलायमरणे चेव वसट्टमरणे चेव 1 एवं णियाणमरणे चेव तभवमरणे चेव 2 गिरिपडणे चेत्र तरुपडणे चेव 3 जलप्पवेसे चेव जलगप्पवेसे चेव 4 विसभक्खणे चेव सत्थोवाडणे चेव 5,1 / दो मरणाई जाव णो णिच्चं यभणुनायाइं भवंति, कारणेण पुण थप्पडिकुट्ठाई, तंजहा-वेहाणसे चेव गिद्धप? चे 6, 2 / दो मरणाई समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं निग्गंथाणं णिच्चं वन्नियाइं जाव यभणुन्नाताई भवंति, तंजहा--पायोवगमणे चेव भत्तपच्चक्खाणे चेव 7, 3 / पायोवगमणे दुहि पन्नत्ते तंजहा-णीहारिमे चेव अनीहारिमे चेव णियमं अपडिकमे 8, 4 // भत्तपञ्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते तंजहा--णीहारिमे चेव श्रणीहारिमे चेव, णियमं सपडिकमे 1, 5 // सू० 102 // के अयं लोगे ?, जीवच्चेव अजीवच्चेव, के अणंता लोए ?, जीवच्चेव अजीवच्चेव, के सासया लोगे ?, जीवच्चेव यजीवच्चेव ॥सू० 103 // दुविहा बोधी पनत्ता तंजहा -णाणबोधी चेव दंसणबोधी चेत्र, दुविहा बुद्धा पन्नत्ता तंजहा-णाणबुद्धा चेव देसणबुद्धा चेव, एवं मोहे, मूढा // सू० 104 // गाणावरणिज्जे कम्मे दुविहे पन्नत्ते तंजहा-देसनाणावर