SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 440 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः प्रथमो विभागः भविस्संति अजीवा वा जीवा भविस्संती एवंप्पेगा लोगट्टिती पण्णत्ता 4 / ण एवं भूतं (3) जं तमा पाणा वोच्छिजिस्संति थावरा पाणा (भविस्संति थावरा पाणा) वोच्छिजिस्संति तसा पाणा भविस्संति वा एवंप्पेगा लोगद्विती पराणत्ता 5 / ण एवं भूतं (3) जं लोगे अलोगे भविस्सति अलोगे वा लोगे भविस्सति एवंप्पेगा लोगठिती पराणत्ता 6 / ण एवं भूतं वा(३) जं लोए अलोए पविस्सति अलोए वा लाए पविस्सति एवंप्पेगा लोगट्टिती 7 / जाव ताव लोगे ताव ताव जीवा जाव ताव जीवा ताव ताव लोए एवंप्पेगा लोगट्टिती 8 / जाव ताव जीवाण त पोग्गलाण त गतिपरिताते ताव ताव लोए जाव ताव लोगे तार ताव जीवाण य पोग्गलाण त गतिपरिताते एवंप्पेगा लोगद्विती 1 / सव्वेसुवि णं लोगंतेसु अबद्धपासपुट्ठा पोग्गला लुबखत्ताते कजति जेणं जीवा त पोग्गला त नो संचायंति बहिता लोगंता गमणयाते एवंप्पेगा(एवमेगा)लोगट्टिती पराणत्ता 10 ॥सू० 704 // दसविहे सद्दे पन्नत्ते, तंजहा-नीहारि 1 पिंडिमे 2 लुक्खे 3, भिन्ने 4 जजरिते 5 इत / दीहे 6 रहस्से 7 पुहुत्ते = त, काकणी 1 खिंखिणि स्सरे 10 // 1 // सू० 705 // दस इंदियस्थातीता पराणत्ता, तंजहादेसेणवि एगे सदाइं सुणिंसु सव्वेणवि एगे सदाइं सुणिंसु देसेणवि एगे स्वाइं पासिंसु सव्वेणवि एगे रुवाई पासिंस, एवं गंधाइं रसाई फासाइं जाव सव्वेणवि एगे फासाई पडिसंवेदंसु, 1 / दस इंदियत्था पडुप्पन्ना पन्नत्ता, तंजहा-देसेणवि एगे सद्दाइं सुणेति सव्वेणवि एगे सदाइं सुणेति, एवं जाव फासाई, दस 2 / इंदियस्था अणागता पन्नत्ता, तंजहा-देसेणवि एगे सद्दाई सुणिस्संति सव्वेणवि एगे सदाईसुणेस्संति एवं जाव सव्वेणवि एगे फासाइं पडिसंवेदेस्सति॥सू०७०६॥दसहिं अणेहिमच्छिन्ने पोग्गले चलेजा,तंजहा-पाहारिजमाणे वा चलेजा परिणामेजमाणे वा चलेजा उस्ससिजमाणे वा चलेजा निस्ससिजमाणे वा चलेजा वेदेजमाणे वा चलेजा णिजरिजमाणे वा चलेजा
SR No.004362
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy