________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 10 ] , [443 नदीयो दस महानतीयो समप्पेंति, तंजहा-जउणा सरऊ श्रावी कोसी मही सिंधू (सतहु) विवच्छा विभासा एरावती चंद्रभागा 1 / जंबूमंदरउत्तरेणं रत्तारत्तवतीयो महानदीयो दस महानदीयो समति, तंजहा-किराहा महाकिराहा नीला महानीला तीरा महातीरा इंदा जाव महाभोगा 2 / // सू० 717 // जंबुद्दीवे (2) भरहवासे दस रायहाणीयो पन्नत्ताश्रो, तंजहा-चंपा महुरा वाणारसी य सावत्थी तहत सातेतं / हत्थिणउर कंपिल्लं मिहिला कोसंबि रायगिहं // 1 // एयासु णं दसरायहाणीसु दस रायाणो मुंडा भवेत्ता जाव पव्वतिता, तंजहा-भरहे सगरो मघवं सणंकुमारो संती कुंथू अरे महापउमे हरिसेणो जयणामे // सू० 718 // जंबुद्दीवे (2) मंदरे पव्वए दस जोयणसयाइं उव्वेहेणं धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दसजोयणसयाई विक्खंभेणं दसदसाइं जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते // सू० 711 // जंबुद्दीवे (2) मंदरस्स पव्वयस्म बहुमज्झदेसभागे इमीसे रयणप्पभाते पुढवीते उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपतरेसु, एत्थ णमट्ठपतेसिते रुयगे पन्नत्ते, जो णमिमातो दस दिसायो पवहंति, तंजहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा दाहिणा दाहिणपञ्चत्थिमा पचत्थिमा पञ्चत्थिमुत्तरा उतरा उत्तरपुरच्छिमा उद्धा श्रहो 1 / एएसि णं दसराहं दिसाणं दस नामधिज्जा पन्नत्ता, तंजहा-इंदा अग्गीइ जमा णेरती वारुणी य वायव्वा / सोमा ईसाणाविय विमला य तमा य बोद्धव्वा // 1 // 2 / लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साई गोतित्थविरहिते खेत्ते पन्नत्ते, लवणस्स णं समुदस्स दस जोयणसहस्साई उदगमाले पन्नत्ते, 3 / सव्वेऽवि णं महापाताला दसदसाई जोयणसहस्साइमुव्वेहेणं पराणत्ता, मूले दस जोयणसहस्साई विखंभेणं पत्नत्ता, बहुमज्मदेसभागे एगपएसिताते सेढीए दसदसाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पनत्ता, उवरिं मुहमूले दस जोयण