________________ श्रीमत्स्थानाङ्गस्त्रम् :: अध्ययनं 9 ] [ 433 एवं चेव जाव सलिलावतिमि दीहवेयड्डे, एवं वप्पे दीहवेयड्ड एवं जाव गंधिलावतिमि दीहवेयड्ढे नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 गंधिल 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ढ 5 पुन 6 तिमिसगुहा 7 / गंधिलावति 8 वेसमण 1 कूडाणं होंति णामाई // 1 // एवं सव्वेसु दीहवेयड्ढसु दो कूडा सरिसणामगा सेसा ते चेव, जंबूमंदरेणं उत्तरेणं नेलवंते वासहरपवते णव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 निलवंत 2 विदेह 3 सीता 4 कित्ती त 5 नारिकता 6 य / अवरविदेहे रम्मगकूडे 8 उवदंसणे 1 चेव // 1 // जंबूमंदरउत्तरेणं एरवते दीहवेतड्ढे नव कूडा पन्नत्ता, तंजहा-सिद्धे 1 रयणे 2 खंडग 3 माणी 4 वेयड्ड 5 पुराण 6 तिमिसगुहा 7 / एरवते 8 वेसमणे 1 एरवते कूडणामाइं // 1 // सू० 681 // पासे णं अरहा पुरिसादाणिए वज्जरिसहणारातसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते नव रयणीयो उड्ड उच्चत्तेणं हुत्था // सू० 610 // समणस्स णं भगवतो महावीरस्स तित्थंसि णवहिं जीवेहिं तित्थगरणामगोत्ते कम्मे णिब्बतिते,सेणितेणं सुपासेणं उदातिणा पोट्टिलेणं श्रणगारेणं दढाउणा संखेणं सततेणं सुलसाए साविताते रेवतीते 1 // सू० 611 // एस णं अजो! कणहे वासुदेवे 1 रामे बलदेवे 2 उदये पेढोलपुत्ते 3 पुट्टिले 4 सतते गाहावती 5 दारुते नितंठे 6 सच्चती नितंठीपुत्ते७ सावितबुद्धे अम्बडे परिवायते 8 अजाविणं सुपासा पासावचिज्जा 1 श्रागमेस्साते उस्सप्पिणीते चाउजामं धम्म पन्नवतित्ता सिज्झिहिन्ति जाव अंतं काहिति // सू० 612 // एस णं अजो! सेणिए राया भिंभिसारे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीते सीमंतते नरए चउरासीतिवाससहस्सट्टितीयंसि निरयसि ओरइयत्ताए उववजिहिति, से णं तत्थ ोरइए भविस्सति काले कालोभासे जाव परमकिराहे वन्नेणं, से णं तत्थ वेयणं वेदिहिती उज्जलं (विउल) जाव दुरहियासं 1 / से णं ततो नरतातो उवढेत्ता श्राग