________________ भीमत्स्थानाजस्त्रम् : अध्ययनं 4] [ 363 नाम एगे महुपिहाणे विसकुभे णाममेगे विसपिहाणे, 13 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-महुकुंभे नाम एगे मधुपिहाणे ४-'हिययमपावमकलुसं जीहाऽविष्य कडुयभासिणो निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से मधुकुभे मधुपिहाणे // 1 // हिययमपावमकलुसं जीहावि य कडयभासिणी निच्चं / जमि पुरिसंमि विजति से मधुकुभे विसपिहाणे // 2 // जं हिययं कलुसमयं जीहाउवि य मधुरभासिणी निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से विसकुंभे महुपिहाणे // 3 // जं हिययं कलुसमयं जीहाउवि य कडुयभासिणी निच्चं। जंमि पुरिसंमि विजति से विसकुभे विसपिहाणे // 4 // सू० 360 // चउब्विहा उवसग्गा पन्नत्ता तंजहा-दिव्वा माणुसा तिरिक्खजोणिया श्रायसंचेयणिज्जाश दिवा उवसग्गा चउव्विहा पन्नत्ता तंजहा-हासा पाश्रोसा वीमंसा पुढोवेमात्ता 2 / माणुस्सा उवसग्गा चउविधा पन्नत्ता तंजहा-हासा पाश्रोसा वीमंसा कुसीलपडिसेवणया 3 / तिरिक्खजोणिया उवसग्गा चउबिहा पन्नत्ता तंजहा-भता पदोसा थाहारहेउं श्रवचलेणसारक्खणया 4) श्रातसंचेयणिजा उवसग्गा चउविहा पन्नत्ता तंजहा-घट्टणता पवडणता थंभणता लेसणता 5 // सू० 361 // चउब्विहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-सुभे नाममेगे सुभे सुभे नाममेगे असुभे असुभे नाम 4, 1 / चउविहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-सुभे नाममेगे सुभविवागे सुभे णाममेगे असुभविवागे असुभे नाममेगे सुभविवागे असुभे नाममेगे असुभविवागे 1, 2 / चउबिहे कम्मे पन्नत्ते तंजहा-पगडीकम्मे ठितीकम्मे अणुभावकम्मे पदेसकम्मे 4, 3 // सू० 362 // चउविहे संघे पन्नत्ते तंजहा-समणा समणीयो सावगा सावियायो। सू० 363 // चउब्विहा बुद्धि पन्नत्ता तंजहा-उप्पत्तिता वेणतिता कम्मिया पारिणामिया, चउविधा मई पन्नत्ता तंजहा-उग्गहमती ईहामती अवायमई धारणामती, अथवा चउब्विहा मती पनत्ता तंजहा-अरंजरोदगसमाणा वियरोदयसमाणा सरोदगसमाणा सागरोदगसमाणा // सू० 364 //