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________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4] [356 13 // एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-असिपत्तसमाणे जाव कलंबचीरितापत्तसमाणे, 14 / चत्तारि कडा पन्नत्ता तंजहा-सुबकडे विदलकडे चम्मकडे कंबलकडे, 15 / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहासुबकडसमाणे, जाव कंबलकडसमाणे 16 ॥सू. 349 // चउबिहा चउप्पया पन्नत्ता तंजहा-एगखुरो दुखुरा गंडीपदा सणप्फदा, 1 / चउविहा पक्खी पन्नत्ता तंजहा- चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी 2 / चउबिहा खुड्डपाणा पन्नत्ता तंजहा-बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोगिया 3 // सू० 350 // चत्तारि पक्खी पन्नत्ता तंजहा-णिवतित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता परिवइत्ता नाम एगे नो निवइत्ता एगे निवतित्तावि परिवतित्तावि एगे नो निवतित्ता नो परिवतित्ता 1 / एवामेव चत्तारि भिक्खागा पन्नत्ता तंजहा-णिवतित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता 4, 2 ॥सू. 351 // चत्तारि पुरिजाया पन्नत्ता तंजहाणिकटठे णाममेगे णिकठे निकट्ठे. नाममेगे अणिकठे 4, 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-णिकटठे नाममेगे णिकट्टप्पा णिकठे नाममेगे अणिकट्टप्पा 4, 2 / चत्तारि पुरिंसजाया पन्नत्ता तंजहा-बुहे नाममेगे बुहे बुहे नाममेगे अबुहे 4, 3 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-बुधे नाममेगे / बुधहियए 4, 4 / चत्तारि पुरिसजाया पनत्ता तंजहा-बायाणुकंपते णाममेगे नो पराणुकंपते 4, 5 // 352 // चविहे संवासे पन्नत्ते तंजहादिव्वे श्रासुरे रक्खसे माणुसे 1 / चउब्विधे संवासे पन्नत्ने तंजहा-देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे असुरिए सद्धिं संवासं गच्छति असुरे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छइ असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति 2 / चउविधे संवासे पनत्ते तंजहा-देवे नाममंगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे
SR No.004362
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 03 of 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size22 MB
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