________________ श्रीमत्स्थानाङ्गसूत्रम् :: अध्ययनं 4 ] [ 329 तंजहा--देसविहिकहा देसविकप्पकहा देसच्छंदकहा देसनेवत्थकहा 4 / रायकहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-रन्नो अतिताणकहा रन्नो निजाणकहा रन्नो बलवाहणकहा रन्नो कोसकोट्ठागारकहा चिउब्विहा धम्मकहा पन्नत्ता तंजहाअक्खेवणी विक्खेवणी संवेयणी निव्वेगणी 6 / अक्खेवणी कहा चउविहा पन्नत्ता तंजहा-पायारअक्खेवणी ववहारअक्खेवणी पन्नत्तिश्रक्खेवणी दिट्ठिवातयक्वेवणी 7 विक्खेवणी कहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-ससमयं कहेइ, ससमयं कहिता परसमयं कहेंइ 1, परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावतित्ता भवति 2, सम्मावातं कहेइ सम्मावातं कहेत्ता मिच्छावातं कहेइ 3 मिच्छावातं कहेत्ता सम्मावातं ठावतित्ता भवति ४,८संवेगणी कथा चउब्विहा पन्नत्तातंजहा-- इहलोगसंवेगणी परलोगसंवेगणी घातसरीरसंवेगणी परसरीरसंवेगणी / / णिव्वेगणीकहा चउब्विहा पन्नत्ता तंजहा-इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 1, इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 2, परलोगे दुचिन्ना कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 3, परलोगे दुञ्चिन्ना कम्मा परलोये दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 4, 10 / इहलोगे सुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 1, इहलोगे सुचिन्ना कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति 2 एवं चउभंगो 4, 11 // सू० 282 // तहेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किसे णाममेगे किसे, किसे णाममेगे दढे, दढे णाममेगे किसे, दढे णाममेगे दढे 1 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किसे णाममेगे किससरीरे, किसे णाममेगे दढसरीरे, दढे णाममेगे किससरीरे, दढे णाममेगे दढसरीरे 2 / चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तंजहा-किससरीरस्स नाममेगस्स णाणदंसणे समुप्पजति णो दढसरीरस्स, दढसरीरस्स णाम एगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जति णो किससरीरस्स, एगस्स किससरीरस्सवि णाणदंसणे समुप्पजति दढसरीरस्सवि, एगस्स नो किससरीरस्स णाणदंसणे समुप्पजति