Book Title: Sumanmuni Padmamaharshi Granth
Author(s): Bhadreshkumar Jain
Publisher: Sumanmuni Diksha Swarna Jayanti Samaroh Samiti Chennai
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साधना का महायात्री : श्री सुमन मुनि
सन्त जीवन में जिन गुणों की अनिवार्य/आवश्यकता | सम्मेलन में शान्तिरक्षक के रूप में आपका महत्त्वपूर्ण है उसमें विनम्रता भी प्रमुख गुण है। विनय को धर्म का | योगदान रहा है, औरंगाबाद आदि स्थलों पर भी परम मूल कहा है तो अहंकार को पाप का मूल बताया है। । पूज्य आचार्य देव के संग आप श्री का मधुर मिलन रहा जिस साधन को अहं का काला नाग डस लेता है, वह है जो आज भी स्मृति पटल पर अंकित है। दीक्षा-स्वर्णसाधना की सुधा पी नहीं सकता।
जयन्ति के पावन अवसर पर हृदय की अनन्त आस्था के __ आपका जीवन विनम्र है, आप श्रमण संघ के वरिष्ठ |
साथ वन्दन-अभिनन्दन करता हूँ। आपका वरद हस्त हम सन्त हैं।
पर बना रहे, इसी शुभ भावनाओं के साथ जीवन में शिक्षा का भी वही महत्त्व है जो शरीर में
0 उप प्रवर्तक डॉ. राजेन्द्रमुनि प्राण का है। शिक्षा के अभाव में जीवन में चमक-दमक
(आचार्य सम्राट् श्री देवेन्द्र मुनि जी के शिष्य) पैदा नहीं हो सकती। दीक्षा के साथ-साथ शिक्षा की भी अनिवार्यता है। यही कारण है कि आपने स्थान-स्थान पर ज्योतिर्मय व्यक्तित्व के प्रतीक आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया है। इसी तरह साहित्य की दृष्टि से भी आपश्री ने स्तुत्य
यह जानकर अति प्रसन्नता हुई है कि श्रमण संघीय
सलाहकार मंत्री पं. रल मुनि श्री सुमन कुमार जी म.सा. कार्य किया है। प्रवचन-साहित्य आदि के माध्यम से भी
दीक्षा के ५० वें वर्ष में यशस्वी रूप से प्रवेश कर रहे हैं। आपकी अपूर्व देन रही है। आप वाणी के जादूगार हैं।
इस उपलक्ष्य में अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा आप श्री जब बोलना प्रारम्भ करते हैं तब समस्त सभा
है। अभिनन्दन ग्रन्थ एक प्रकार से धर्म-दर्शक साहित्य मन्त्र मुग्ध हो जाती है, आपकी वाणी में हास्य, करुण,
और संस्कृति के ऐसे अक्षय कोष होते हैं जिन की तुलना शान्त आदि रसों की अभिव्यक्ति सहज रूप से होती है।
करना कठिन है। उसमें मूर्धन्य मनीषियों के विचारों का मधुरता, सहज, सुन्दरता भावों को लड़ी, भाषा की झड़ी
नवनीत होता है। और तर्कों की कड़ी का ऐसा सुमेल होता है, कि प्रवचन श्रवण करते समय श्रोता झूम उठते हैं। लेश्या, आत्मा,
पं. रल श्री सुमन मुनि जी म.सा. ने अपने जीवनपरमात्मा, सम्यग्दर्शन, तत्त्व जैसे गम्भीर विषयों को भी स्वर्ण को संयम में तपा कर कुन्दन बनाया है। प्रज्ञा की सहज रूप से प्रस्तुत करते हैं। श्रोता ऊबता नहीं, थकता
प्रखरता, विद्वत्ता से मण्डित आपने अनेकों कृतियों का नहीं। आपका प्रवचन सुलझा हुआ है। आपके प्रवचनों प्रणयन किया है। में नदी की धारा की तरह गति है। जब कि आपकी मधुर
पूना सम्मेलन के सुनहरे अवसर पर आप को व जादूभरी भाषा से सामान्य जन को ही नहीं किन्तु साक्षर "शान्तिरक्षक" के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। आप के व्यक्ति भी पूर्ण रूप से प्रभावित होते हैं। आपमें विचारों जीवन में अध्यात्म ज्योत्स्ना, साधना की यात्रा और ज्ञान की अभिव्यक्ति की कला गजब की है। ओज-तोज से
की ज्योति सर्वत्र अनुस्यूत है। आप की चिन्तन-धारा परिपूर्ण आपकी वाणी है।
सत्योन्मुखी है। आपकी सरलता, स्पष्टता, निष्पक्षता योग्यता आप के जीवन की कई विशेषताएं है जो यहाँ | आदि सद्गुणों को अवलोकित कर सभी प्रभावित हुए, विस्तार भय से उल्लिखित नहीं की जा सकती। पूना साधु | यही कारण है कि सलाहकार मंत्री के रूप में आप लोकप्रिय
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