Book Title: Panchsangraha Part 02
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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१०४-१०६ १०४
१०६-१०८
१०६
१०८-११०
१११-११३ १११
११३-११५ ११४ ११५-११६
( २८ ) गाथा ४२
सासादन, मिश्र गुणस्थान, सम्यक्त्वद्विक का काल गाथा ४३
अविरत, देशविरत गुणस्थान का काल गाथा ४४
प्रमत्त, अप्रमत्त संयत गुणस्थान का काल गाथा ४५
अपूर्वकरणादि गुणस्थानों का काल गाथा ४६
एकेन्द्रियादि की कायस्थिति गाथा ४७
मनुष्य और तिर्यंच की कायस्थिति का उत्कृष्ट प्रमाण गाथा ४८
पुरुषवेद, संज्ञित्व की कायस्थिति
स्त्रीवेद, नपुंसकवेद की कायस्थिति गाथा ४६
बादर पर्याप्त एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रियों की कायस्थिति
अपर्याप्त, सूक्ष्म, साधारण की कायस्थिति गाथा ५०
बादर, बादर वनस्पतिकाय की कायस्थिति गाथा ५१
बादर सूक्ष्म पृथ्वीकायादि की कायस्थिति गाथा ५२, ५३
अनेक जीवापेक्षा गुणस्थानों का काल गाथा ५४
अनेक जीवापेक्षा एकेन्द्रियादि में निरंतर उत्पत्तिकाल
११७-१२०
११६ १२०-१२२ १२० १२१ १२२-१२४ १२२ १२४-१२६ १२४
१२६-१२६ १२७ १२६-१३१ १२६
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