Book Title: Panchsangraha Part 02
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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बंधक-प्ररूपणा अधिकार : परिशिष्ट
२०१ १२. दाहिणिल्ले हितो पंकप्पभापुढविनेरइएहितो तइयाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा।
१३. दाहिणिल्ले हिंतो वालुयप्पभापुढविनेरइएहितो दुइयाए सक्करप्पभाए पुढवीए णेरड्या पुरत्थिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखिज्जगुणा, दाहिणणं असं खिज्जगुणा।
१४. दाहिणिल्लेहितो सक्करप्पभापुढविनेरइएहितो इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरथिम-पच्चत्थिम-उत्तरेणं असंखेज्जगुणा, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा।
-प्रज्ञापना सूत्र (बहुवक्तव्यता पद)
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