Book Title: Panchsangraha Part 02
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 261
________________ पंचसंग्रह : २ २. एक मत से जघन्य एक समय, उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक अठारह पल्योपम, २२४ ३. एक आदेश से जघन्य एक समय, उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक चौदह पल्योपम, ४. एक आदेश से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक सौ पल्लोपम ५. एक आदेश से जघन्य एक समय और उत्कृष्ट पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक पत्योपमपृथक्त्व होता है । 00 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270