Book Title: Panchsangraha Part 02
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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(
२७ )
७२
or
गाथा २६
७२-७५ जीवभेदापेक्षा स्पर्शना मिथ्यात्व व सयोगिकेवली गुणस्थान की स्पर्शना
७५ गाथा ३०
मिश्र से लेकर क्षीणमोह पर्यन्त गुणस्थानापेक्षा स्पर्शना-प्ररूपणा गाथा ३१, ३२, ३३
७६-८५ पूर्व गाथोक्त स्पर्शना का स्पष्टीकरण काल-प्ररूपणा की उत्थानिका
८५ गाथा ३४
८५-८६ सात अपर्याप्तक एवं सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक की जघन्य-उत्कृष्ट ८५ तथा बादर एकेन्द्रियादि संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक पर्यन्त की
जघन्य भवस्थिति गाथा ३५
८६-६२ बादर एकेन्द्रियदि संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकों पर्यन्त की उत्कृष्ट भव- ८६
स्थिति, संज्ञी जीवों की चतुर्गति भेदापेक्षा भवस्थिति गाथा ३६
६२-६४ एक जीव की अपेक्षा मिथ्यात्वगुणस्थान का काल गाथा ३७
६४ पुद्गलपरावर्तन के भेदों के नाम और प्रकार
६४ गाथा ३८
६५-६७ द्रव्य पुद्गलपरावर्तन की व्याख्या
६५ गाथा ३६
६८-६६ क्षेत्र पुद्गलपरावर्तन की व्याख्या
६८ गाथा ४०
१००-१०१ काल पुद्गलपरावर्तन का लक्षण
१०० गाथा ४१
१०२-१०४ भाव पुद्गलपरावर्तन-निरूपण
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