Book Title: Panchsangraha Part 02
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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बंधक-प्ररूपणा अधिकार : गाथा ७
संख्या के साथ गुणा करना चाहिये और उसमें दो तथा जिसके साथ गुणाकार किया है, उस संख्या को मिलाने पर उस पद की. भंगसंख्या प्राप्त होती है।
अब इस सक्षिप्त कथन का विस्तार से विचार करते हैं
जितने गुणस्थान विकल से होते हैं और जिनके एक-अनेक के भेद की संख्या जानना चाहते हैं, असत्कल्पना से उतने बिन्दु रखना चाहिये । यहाँ दूसरा, तीसरा, आठ से बारह तक के पांच और चौदहवां इस प्रकार कुल आठ गुणस्थान विकल्प से होते हैं, इसलिये आठ बिन्दु स्थापित करना चाहिये और प्रत्येक बिन्दु के नीचे इस प्रकार से दो का अंक रखना चाहिए
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२ २ २ २ २ २ २ २ इनमें से प्रत्येक पद के दो भंग इस प्रकार जानना चाहिएएक और अनेक, ये दो भंग पहली बिन्दु पर रखना चाहिए।
दो पद के आठ भंग होते हैं। जो इस प्रकार समझना चाहिये कि पूर्व में कहा है कि जिस पद की भगसंख्या निकालना हो, उससे पूर्व पद की भंगसंख्या के साथ गुणाकार करना चाहिये और उसमें दो मिलाकर जिसके साथ गुणाकार किया है, उस संख्या को मिलाने पर कुल भंगसंख्या प्राप्त होती है।
यहाँ दो पदों की भंगसंख्या निकालनी है, इसलिये उससे पूर्व के एक पद के दो भंग होने से उन दो के साथ दो का गुणा करने पर चार हुए, उनमें दो मिलाये और जो दो के साथ गुणाकार किया है, वह संख्या भी मिलाई । जिससे दो पद के आठ (२४२%४+२+२ = ८) भग हुए। ये आठ भंग दूसरी बिन्दु के ऊपर रखना चाहिये ।
प्रश्न-दो पद के तो चार ही भंग होते हैं। जो इस प्रकार से जानना चाहिए कि १-जब दूसरे और तीसरे गुणस्थान में जीव हों, तब किसी समय एक-एक जीव होता है, २-किसी समय दूसरे पर
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