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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/26 सुसंगठित सामाजिक जीवन का विकास हुआ था और ईसा की पांचवीं शताब्दी में मुख्य रूप से ऐथेन्स में अपनी उच्चता के शिखर पर पहुंच चुका था। उस सामाजिक जीवन में प्रशंसा और निंदा को ऐसे गुणों से संबंधित माना गया, जिनमें स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्ति की पूर्णता और विवेक की सूक्ष्मता हो। मानवीय अच्छाइयों में सद्गुण और नैतिक अच्छाई को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया था, यद्यपि उन्हें बुद्धि-कौशल और प्रतिभा तथा सामाजिक व्यवहार की शिष्टता से स्पष्टतया अलग नहीं किया गया था। कोई भी सभ्य ग्रीक नागरिक अथवा न्यायी एवं सदाचारी व्यक्ति इसमें संदेह नहीं करेगा कि मानवीय कल्याण या अच्छाइयों के विभिन्न घटक या तो ऐसे गुण है, जो वांछनीय है, अथवा वे विषय हैं, जिन्हें प्राप्त करना मानव जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। यह सम्भव है कि व्यक्ति को शुभ एवं वांछनीय के वर्ग में उनकी तरतमता या स्थिति का निश्चित बोध नहीं हो अथवा उसे सदाचरण और सुख, सम्पत्ति एवं शक्ति की प्राप्ति के बीच समय-समय पर परिलक्षित होने वाले आभासी विरोध के कारण थोड़ी बहुत परेशानी हो उसे इस सम्बंध में भी संशय हो सकता है, कि शुभ और वांछनीय माने जाने वाले सद्गुण किसी सीमा तक सदैव ही अन्य हितों की अपेक्षा अधिक मूल्यवान हों, किंतु ऐसे संदेह थोड़े से व्यक्तियों को कभी-कभी होते हैं और वे भी अस्थाई होते हैं। एक निष्पक्ष व्यक्ति की दृष्टि में विषयों की ओर निर्दिष्ट मोहक इच्छाओं पर विजय पाने में ही व्यक्ति के सद्गुणों का सौंदर्य निखरता है। इस प्रकार एक सामान्य सुशिक्षित ऐथेसवासी मात्र इसी बात से पूर्णतया आश्वस्त था कि मनुष्य के लिए सद्गुणी होना अच्छा (शुभ) है और अधिक सद्गुणी होना अधिक अच्छा है। उसके लिए सद्गुणी होना ठीक उसी प्रकार अच्छा है, जिस प्रकार कि बुद्धिमान्, स्वस्थ, सुंदर और समृद्धिशाली होना अच्छा है।
इसीलिए जब प्रोटागोरस अथवा अन्य सोफि स्ट विचारक सद्गुण या श्रेष्ठ आचरण का उपदेश देते हैं, तो वे अपने श्रोताओं में सद्गुण और विवेकयुक्त स्वहित के बीच किसी संभावित विरोध की सामान्य धारणा को नहीं पाते हैं। अच्छा जीवन किस प्रकार जीना चाहिए या अपने कार्यों को किस प्रकार ठीक ढंग से सम्पादित करना चाहिए यह सिखाने में वे एक ही साथ सद्गुण और स्वहित के इन दोनों ही दृष्टिकोणों से सम्यक जीवन जीने के सम्बंध में मार्गदर्शन देने का दावा प्रस्तुत करते हैं। यद्यपि यह प्रश्न पूछा जा सकता है कि इस मार्गदर्शन की उपयोगिता या आवश्यकता को सर्वसाधारण