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विषय-सूची
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सन्धि १४
३१२-३२७ (१) शशिशेखर देवका आगमन और निवेदन; भरत द्वारा गुहाद्वार खोलनेका आदेश; दण्डरत्नका प्रक्षेप। (२) गुहाद्वारका उद्घाटन होना; गुहाका वर्णन । (३-४) गुहादेवका पतन; भरतका चक्र भेजना और उसके पीछे सेनाका चलना । (५) गुहामार्गमें सूर्य-चन्द्रका अंकन, विभिन्न जातिके नागों में हलचल। (६) समन्मग्ना और निमग्ना नदियोंके तटपर पहुँचना
और सेतु बाँधना; सैन्यका पानी पार करना । (७) म्लेच्छकुलके राजाओंका पतन । (८) म्लेच्छ राजा द्वारा विषधरकुल नागोंके राजाको बुलाना । (९) म्लेच्छ राजाका प्रत्याक्रमणका आदेश, नागों द्वारा विद्याके द्वारा अनवरत वर्षा । (१०) चर्मरत्नसे रक्षा। (११) सेनाके घिरनेपर भरत द्वारा स्वयं प्रतिकार । (१२) मेघोंका पतन ।
सन्धि १५
३२८-३५१ (१) सिन्धु विजयके बाद राजाका ऋषभनाथके दर्शनके लिए जाना; हिमवन्तके लिए प्रस्थान । (२) हिमवन्तके कूटतलमें सेनाका पड़ाव । (३) भरत पक्षके द्वारा प्रक्षिप्त बाणको देखकर राजा हिमवन्त कुमारको प्रतिक्रिया । (४) बाणमें लिखित अक्षर देखकर उसका समर्पण । (५) भेंट लेकर उसे विदा किया जाना । (६) भरतका वृषभ महीधरके निकट जाना; उसका वर्णन; उस पर्वतके तटपर अनेक राजाओंके नाम खुदे हुए थे; राज्यको निन्दा । (७) भरतकी यह स्वीकृति कि राजा बननेकी आकांक्षा व्यर्थ है, फिर भी अपने नामका अंकन । (८) हिमवन्तसे प्रस्थान और मन्दाकिनीके तटपर ठहरना। (९) गंगाका वर्णन । (१०) गंगा देवी द्वारा भरतका सम्मान । (११) गंगाका उपहार देकर वापस जाना । (१२) सेना और नदीका श्लिष्ट वर्णन । (१३) विजया पर्वतकी पश्चिमी गुहामें प्रवेश । (१४) किवाड़का विघटन । (१५) मन्त्रियों द्वारा वहाँके शासक नमि-विनमिका परिचय । (१६) दोनों भाइयोंके द्वारा अधीनता स्वीकार । (१७) नमि-विनमि द्वारा निवेदन; भरत द्वारा उनकी पुनः स्थापना। (१८) सैन्यका प्रस्थान; गुहाद्वारमें प्रवेश; सूर्य-चन्द्रका अंकन । (१९) पर्वत गुफासे निकलकर कैलास गुफापर पहुँचना । (२०-२१) कैलास पर्वतका वर्णन । (२२) कैलासपर आरोहण । (२३) ऋषभ जिनके दर्शन ।
(२४) ऋषभ जिनकी स्तुति । सन्धि १६
३५२-३७९ (१) साकेतके लिए कूच, सैन्य के चलने की प्रतिक्रिया, अयोध्याके सीमाद्वारपर पहुँचना, स्वागतकी तैयारी। (२) चक्रका नगर सीमामें प्रवेश नहीं करना। (३-४) इस तथ्यका अलंकृत शैलीमें वर्णन; भरतके पूछनेपर राजाका इसका कारण बताना। (५) बाहबलिके बारेमें मन्त्रियोंका कथन । (६) बाहबलिकी अजेयताका वर्णन; भरतकी प्रतिक्रिया। (७) दूतका कुमारगणके पास जाना; कुमारगणकी प्रतिक्रिया । (८) भौतिक पराधीनताकी आलोचना । (९) भौतिक मूल्यों के लिए नैतिक मूल्योंकी उपेक्षा करनेकी निन्दा । (१०) कुमारोंका ऋषभके पास जाना, स्तुति और संन्यास ग्रहण; बाहुबलिको अस्वीकृति । (११) दूतका भरतको यह समाचार देना; भरतका आक्रोश । (१२) भरतका दूतको सख्त आदेश । (१३) दूतका बाहुबलिके आवासपर जाना; पोदनपुरका वर्णन । (१४) दूतकी बाहुबलिसे भेंट । (१५) दूतके द्वारा बाहुबलिकी प्रशंसा; बाहुबलिका भाईके कुशल-क्षेम पूछना । (१६) दूतका उत्तर
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