Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 456
________________ १५ ५ १० १५ ३७० महापुराण घत्ता - दुक्की मंदाइणि कलसकर लोएं" दीसइ केही ॥ थिय न्हाणकरणमणणिवणियडि मज्जणवालिणि जेही ||१७|| Jain Education International १८ जं मालि साहि मालायरु असमु वइरु किं तेण समाणडं पिंछकमंडलुमंडियहत्थहु चक्कट्टि गुणमणिरयणायरु मा पज्जल तासु कोवाणलु हामा दुररएहिं विहिज्जे उ मा उच्छल छइयादिस मेरउ मा धातु महंत महारह काउ कंदलाव लिहि म विरसउ देह agreg हप्पिणु तं णिसुणेपिणु बाहुबली सें घत्ता - कंदपु अदप्पु ण होमि हउं दूययकरउ निवारिउ || सो महु केरण पहु डज्झिहइ णिरारिउ || १८ || आरणालं - जस्सायासग्रामिणो खयरसामिणो विहियेहिययसल्ला । मिविणमी सणामया णिरह णिम्मया जायया वसिल्ला ॥१॥ पुणु वेढहु कुलिसें ताडिउ पुव्वैकवाडु जेण उग्घाडिउ । जुइ पाडणं पायडणरु । 'माणुसु रित्तर उत्ताणडं । रोज तं मुणिवरसत्थहु | आउ जहुँ अवलोयहि भायरु । मा हिउ तुहारउ भुयबलु । पोयणपुर पायारु दलिज्जउ । हँरिखुरखयखोणीधूलीरउ । मा पिसुहं पूरंतु मणोरह | पलयकालु सोणिउँ मा र्करिसउ । पेक्खु भरहु भावें पणवेष्पिणु । पडिजंपिउं भूभंगविहीसें । १९ आरणालं - जं 'दिण्णं महेसिणा दुरियणासिणा णयरसमेत्तं । तं मे लिहियसासणं कुलविहूसणं हरइ को पहुतं ॥१॥ केसरिकेसरु वरसइथणयलु सुहहु सर मज्झ धरणीयलु । जो हत्थेण छिवइ सो केहउ किं कथंतु कालाणलु जेहउ । महिखंडेण कवण परमुण्णइ । किं मंदरगिरिसिहरि समचिउ । सिरिसरणिय किं रोमं चिउ । महु पुणु णं कुंभार केरउ । सो पर्णेमि को सो भण्णइ किं जम्मणि देवहिं अहिसिंचिउ किंत अग्गइ सुरवइ णञ्चि चक्कु दंडु तं तासु जि सारउ [ १६. १७.१५ ५. M records at राएं for लोएं । १८. १. MB विहयं । २. M पुव्विकवाडु । ३. MP णं माणसु B माणुसु । ४. MBP 'कमंडल' । ५. MBP णिद्दलउ । ६. B वहिज्जउ । ७. BP हयखुर । ८. MBP वरिसउ । ९. MBP णियदप्पु हरेपणु । १९. १. MBP दिण्णउं । २. Bomits तं मह लिहियसासणं । ३. M वरहइ, but records a b वरसई । ४. MBP पणवउं । ५. MBP सइरिणियइ सो रोमंचिउ । ६. BP add after this : हरिगद्दहकिंकरछेलयहि | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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