Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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३८८
महापुराण
[१७.७.८ छुडु चक्कई हत्थुग्गामियाई छुडु सेल्लई भिच्चहिं भामियाई । छुडु कोंतई धरियई संमुहाई घूमंधई जायई दिम्मुहाई।। छुडु मुट्ठिणिवेसिर्यं लउडिदंड
छुडु पुंखुज्जल गुणि णिहिये' कंड। छुडु गय कायर थरहरियप्राण" छुडु ढोइय" संदण णं विमाण । छुडु' मेंठचरणचोइयमयंग । छुडु आसवारवाहियतुरंग। पत्ता-छुडु छुडु कारणि वसुमइहि सेण्णइं जाम हणंति परोप्परु ॥
अंतरि ताम पइट्ट तहिं मंति चवंति समुब्भिवि णियकरु ॥७॥
बिहिं बलहं मज्झि जो मुबइ बाण तहु होसइ रिसहहु तणिय आण। तं णिसुणिवि सेण्णई सारियाई चडियई चावई उत्तारियाई । तं णिसुणि वि रहसाऊरियाई वज्जंतई तूरइं वारियाई । तं णिसुणिवि धारापहसियाई __ करवालई कोसि णिवेसियाई। तं णिसुणिवि णिद्धंगैई घणाई णिम्मुक्कई कवयणिबंधणाई । तं णिसुणिवि मय मायंग रुद्ध पडिगयवरगंधालुद्ध कुद्ध । तं णिसुणिवि मच्छरभावभरिय हरि फुरुहुरंत धावंत धरिय । रह खंचिय कड्डिय पग्गहोह वारिय विंधत अणेय जोह । घत्ता-परिसेसियरणपरियरई गुरुयणचरणसवहसंणिहियई ॥
सेण्णई उज्झियकलयलई थक्कइं कुँड्डि णाई आलिहियई ॥८॥
पणमियसिरेहिं मउलियकरेहिं उग्गमियरोसपसमंतएहिं तुम्हेई विणि वि जण चरमदेह तुम्हई बिण्णि वि अखलियपयाव तुम्हई बिणि वि जगधरणथाम तुम्हई बिण्णि वि सुरहं मि पयंड
बाहुबलि भरहु महुरक्खरेहिं । बिणि वि विण्णविय महंतएहिं । तुम्हई बिण्णि वि जयलच्छिगेह । तुम्हई बिण्णि वि गंभीरराव । तुम्हई बिण्णि वि रामाहिराम । महिमहिलहि केरा बाहुदंड ।
७. MB धृवंधई। ८. M°णिवेसिउ। ९.Mदंडु । १०. MBP पंखुज्जलु । ११. M णिहिउ । १२. M कंडु। १३. MBP°पाण। १४. P ढोयइ । १५. MBP मेट्ठ। १६. M वररकरु; BP
वरकरु । ८. १. MBP मुवइ । २. MBP खग्गइं पडियारि । ३. MBP णद्धंगईं; T गिद्धंगई दीप्राणि णद्धंगई वां
श्रद्धानि । ४. MB मच्छरभावरहिय; P मच्छरभारभरिय । ५. MB फुरफुरंत । ६. MB अणंत । ७, M चरण
सवहसल्लिहियइं; B°चरणवसहसंणिहियइं; T सवहसंणिहियई। ८. P कोड्डि । ९. १. MBP उग्गमिउ रोसु। २. MBP read: तुम्हई बिण्णि वि जयलच्छिगेह, तुम्हई बिण्णि वि जण
चरमदेह । ३. MB महियल केरा।
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