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१८.१६.१४] हिन्दी अनुवाद
४१५ कौन-सा सुकवित्व है ? चक्रवर्तीकी प्रभुताका वर्णन कोन कर सकता है ? स्त्रीरूपी रत्नत्वके लिए विख्यात, विद्याधर कुलमें उत्पन्न आश्चर्यके रूपमें उत्पन्न जनमनका मर्दन करनेवाली सुभद्राके साथ रूप, सौभाग्य, लावण्य एवं और कामके नैपुण्यको रचनाके द्वारा सुख भोगता हुआ
पत्ता-जिसका वक्षःस्थल लक्ष्मीरूपी रमणीके श्रेष्ठ सघन स्तनयुगलके शिखरोंसे पीड़ित है ऐसा भरत अयोध्यामें रहने लगा ॥१६॥
इस प्रकार त्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंसे युक्त महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा रचित और महाभव्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्यका भरत-विलास
वर्णन नामवाला अठारहवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ ॥१८॥
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