Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 537
________________ XVIII. 10-11] NOTES :451 पच्छा गच्छमईई एव दुमासी विमासि जा सत्त । नवरं दत्तीवुड्ढी जा सत्तर सत्तमासीए ॥७॥ तत्तो य अट्ठमीया भवई हु पढम सत्तराइंदी। तीइ चउत्यचउत्थेणऽपाणएणं अह विसेसो ॥८॥ दोच्चा वि एरिस च्चिय बहिया गामाइयाण नवरं तु । उक्कुड लंगडसाई दण्डायय उड्ड ठाइत्ता ॥९॥ तच्चाए वी एवं नवरं ठाणं तु तस्स गोदोही। . वीरासणमहवा वी ठाएज्जा अंबखुज्जो ह ॥१०॥ एमेव अहोराई छद्रं भत्तं अपाणयं नवरं। गामनगराण बहिया वग्घारियपाणिए ठाणं ॥११॥ एमेव एगराई अट्ठमभत्तेण ठाण बाहिरओ । ईसीपब्भारगए अणिमिसनयणेगदिट्ठा य ॥१२॥ (13) (a) तेरह किरियाठाणई मुणियइं, he understood the thirteen क्रियास्थान, which are enumerated below : अट्ठाणट्ठा हिंसाऽकम्हा दिछी य मोसऽदिन्ने या । अज्झत्थ माण मेत्ती माया लोभेरियावहिया ॥१॥ For details of these see सूयगड II. 2. (b) तेरहभेय चरित्तई गणियई, he also counted upon the thirteen types of good conduct, viz., पञ्चानवसंवर, पञ्चसमिति and गुप्तित्रय. (14) (a) चोदह गंथ, he avoided the fourteen knots which are enumerated in T. as follows : मिच्छत्तवेदरागा तहासादिया (?) य दीसा । चत्तारि तह कसाया चोदह मन्भन्तरा गन्था ॥१॥ (b)(चोदह ) मला वि समुज्झिय, he avoided the fourteen impurities enumerated in T. as follows: नहरोमजन्तुअट्ठी कणकोंडयपूचम्ममंसरुहिराणि । बीय फलकन्दमूलानि मला चोइसा होन्ति ॥१॥ (0) चोदह भूयगाम सई बुज्झिय, he understood fourteen groups of creatures. These fourteen groups are enumerated in T. as follows :एकेन्द्रियाः सूक्ष्मबादरपर्याप्तापर्याप्तभेदाच्चत्वारः, द्वित्रिचतुरिन्द्रियाः पर्याप्तापर्याप्तभेदात् षट्, पञ्चेन्द्रियाः संश्यसंज्ञिपर्याप्तापर्याप्तभेदाच्चत्वारः इति चतुर्दशविधो भूतग्रामः । बादरसुहमे इन्दियदुतिचतुरिन्दियसन्नीया । पज्जत्तापज्जत्ता....चतुदस भूदसंगामा ॥१॥ (15) (a)पण्णारह पमाय मेल्लतें abandoning the fifteen प्रमादs or flaws, enumerated in T. as follows: विकहा तह य कसाया इन्दिय निहा य पणयो य । चर चर पण एरो होन्ति पमाया हु पण्णरसा ॥१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560