Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 542
________________ MAHAPURANA [ XVIII. 10-11 1. दवदवचारी - दुयं दुयं वच्चन्तो इहेव अप्पाणं पवडणारणा अन्ने य सत्ते वावायणाइणा असमाहीए जोय, परलोगे य अप्पयं सत्तवहजणियकम्मुणा असमाहीए जोयइ. 2. अपमज्जिए ठाण निसीयणाइ करेइ. 3. दुप्पमज्जिए ठाणनिसीयणाइ करेइ. 4. अइरित्ताए सेनाए आसणे वा निवसइ. 5. राइणिए परिभवइ. 6. थेरोवघाई-सीलाइदोसेहि थेरे उवहणइ तिं वृत्तं भवइ. 7. भूओवधाई - अणट्ठाए एगिन्दियाइए उवहणइ त्ति वृत्तं भवइ. 456 8. मुहुत्ते मुहुत्ते संजलइ. 9. सई कुद्धो य अच्चन्तकुद्धो हवइ. 10. पिट्टि मंसिए हवइ. 11. अभिक्खणमोहारिणि भासइ जहा दासो तुमं चोरो वत्ति. 12. नवाई अहिगरणाई करेइ. 13. उवसन्ताणि य उईरेइ. 14. ससरक्खपाए अथंडिलाओ थण्डिलं संकमइ, ससरक्खेहि वा हत्थेहि भिक्खं गेहइ. 15. अकाले सज्झायं करेइ. 16. असंखडसद्दं करेइ राईए वा महया सद्देण उल्लवइ. 17. कलहं करेइ, तं वा करइ जेण कलहो हवइ. 18. वारिस करेह भासइ वा जेण सव्वो गणो झञ्झवियो अच्छ 19. सूरोदयाओ अत्थमणं जाव भुञ्जइ. 20. एसणासमिदं न पालेइ. T. also gives a similar list of twenty causes, but the text is very corrupt. ( 21 ) एक्कवीस सवल वि, ie twentyone impurities or impure and sinful acts ( शबल ). They are given by Devendra as : Jain Education International तं जह उ (१) हत्थकम्मं कुव्वन्ते (२) मेहुणं हु सेवन्ते । (३) राई च भुञ्जमाणे (४) आहाकम्मं च भुञ्जन्ते ॥१॥ (५) तत्तो य रायपिण्डं (६) कीयं (७) पामिच्च (८) अभिहड ( ९ ) अछेज्जं । (१०) भुञ्जन्ते सबले ऊ पञ्चक्खियऽभिक्ख भुञ्जन्ते ॥२॥ (११) छम्मासन्भन्तरओ गणा गणं संकर्म करिन्ते य । (१२) मासन्भन्तर तिण्णि य दगलेवा ऊ करेमाणे ॥३॥ मासन्भन्तरओ च्चिय माइट्ठाणाई तिष्णि कुणमाणे । (१३) पाणा इवाया उट्टै कुव्वन्ते (१४) मुसं वयन्ते य ॥४॥ (१५) गिण्हन्ते य अदिनं (१६) आउट्टि तह अणन्तरहियाए । पुढवीए ठाण सेज्जा निसीहियं वा वि चेएइ ॥ ५ ॥ (१७) एवं ससिद्धिए ससरवखाए चित्तमन्तसिललेलू । कोलावास पट्टा कोलघुणा तेसि आवासो ॥६॥ (१८) सण्डस पाणसवीए जाव उ संताणए भवे तहियं । ठाणाइ चेयमाणे सबले आउट्टियाए उ ॥७॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560