Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 472
________________ २८६ महापुराण [१७. ५.९ भडु को वि भणइ पर हँणमि अजु णिकंटउ सामिहि देमि रज्जु । पहु तुच्छु पउर रिउ हउं वि धीर भणु सुंदरि किं कीरइ वियारु । अवरुंडहि लहु दे देहि हत्थु को जाणइ पुणु संजोउ केत्थु । आयड्ढिउ पहुहि पसाउ जेहिं रणि जुज्झमि अज्जु मुएहिं तेहिं । घत्ता-भासइ को वि महासुहडु मुइ मुइ कति ण एवहिं 'मज्झमि । णिग्गवि रायहु तणउ रिणु अज्जु सीसदाणेण विसुज्झमि ।।५।। ८ भडु को वि भणइ कयवणमुहेहिं जा भिजइ उरु करिमुहरुहेहिं । जइ खज्जइ आमिसु रक्खसेहिं जइ पिज्जइ सोणिउं वायसेहिं । जइ अंतई गिद्धई लइवि जंति - तो मरणमणोरह महु सरंति । भडु को वि भणइ हलि हत्थु देमि । गयदंतमुसलु कड्ढेवि लेमि । कंडवि णरकण अवर वि करेणु उड्डावमि अयसतुसोहरेणु । भडु को वि भणइ हुइ खंडखंडि महु करु पेक्खे सु पक्खितोडि । सुंदरि गयणंगणि लंबमाणु अविमुक्कवेरि दावियकिवाणु । अह धरणिधुलिउ लइ रिउ विहत्तु तुह मंगलंसुकन्जलविलित्तु । जं पेच्छहि बहुरुहिरें किलिण्णु पैरिमुक्कदीहणारायभिण्णु । वच्छयलु महारउ तं जि लेहि _सघुसिणु करयलु अहिणाणु देहि । हलि सामलंगि उप्फुल्लवयणु जेइ णिवडिउं पेच्छहि तंबणयणु । घत्ता-तो मेरउ सिरु तरुणि तुहुं चित्ततुलारोहेण विवेयहि ।। सहुँ पत्थिवपरिवालिएण सरिसउ किं व ण सरिसउ जोयहि ॥६।। ७ छुडु गजिय गुरु संगामभेरिणं मुक्खिय तिहुयणु गिलिवि मारि । छुडु णिग्गउ भुयबलि साहिमाणि छुडु एत्तहि पत्तउ चक्कपाणि । छुडु काले णीणिय दीह जीह पसरिय माणुसमंसोसणीह । थिय लोयवाल जीवियणिरीह डोल्लिय गिरि रंजिय गेहणि सीह । छुडु भडभारें ढलैह लिय धरणि छुडु पहरणफुरणे हसिउ तरणि । छुडु चंदैबलाई पलोइयाई छुडु उहयबलाई पधावियाई। छुडु मच्छरचैरियई वड्डियाई छुडु कोसहु खग्गई कड्डियाई । ८. K हणिवि । ९. MBP करमि । १०. MBP मुज्झमि and gloss in MP मोहं करोमि; K मज्झमि but मुज्झमि in second hand. ६. १. MBP गिद्ध । २. B मय । ३. K°मुसल । ४. M पेक्खिज्जहि । ५. MBP पक्खितुंडि । ६. MBP परमुक्क; M records a P सरु मुक्कं । ७. M अहिणाहु । ८. MBP ओफुल्ल । ९. M जं णियडउ; BP जं णियडिउं । १०. MBP सो। ११. MBP परिणपालिए । ७. १. MB°मंसाण सीह । २. MBP गहणसीह । ३. MBP ढलढलिय । ४. MBP चंड। ५. MBP उभय । ६. MBP चडियई। Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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