Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
४०६
महापुराण
[१८.९.४ पई बाले अबालगइ जोइय पई अपरेण वि पेरि मइ ढोइय । पई णियभुयबलेण हउं जोक्खिउ पई जि पुणु वि कारुण्णे रक्खिउ । पई महु दिण्णी पुहइ संहत्थे तुहं परमेसरु जगि परमत्थे । परउवयारि धीर दमवंता महि मुवि णियमेणुवसंता। पई जेहा जगगुरुणा जेहा
एक्कु दोणि जइ तिहुयणि तेहा। अस्थि रसणफंसणरसलालस अम्हारिस घरि घरि जि कुमाणुस । रोसवंत हियपर विस्संभर पावबहुल परवस अप्पंभर । घत्ता हा मइं बहुकम्मपरव्वसेण विसयबलाई ण महियई ।।
एकहो णियजीवहु कारणिण जीवसयाई वि वहियई ।।२।।
१०
इंदचंदवंदारयवंदें
तहिं अवसरि बाहुबलिमुणिंदें। एकहु जीवहु गुण मणि भाविय राय रोस दोण्णि वि उड्डाविय । तिण्णि वि सल्लई हियउद्धरियई तिण्णि वि रयणई लहु संभवियई। तिणि वि डंभ मुक्क संखेवें गारव तिण्णि विवजिय देवें । चउगइकम्मणिबंधणरमियँउ सण्णउ चत्तारि वि उवसमियउ । पंचमहत्वयाई अविहंडइ पंचासवदारई णिच्छडेइ। पंचिंदियई कयाई णिरत्थई पंच वि णाणावरणई गंथई । छावासयउज्जमु सँविसेसिउ छज्जीवहं दयभाउ पयासिउ । छह लेसहं परिणामु इट्टई छ वि दवइं पञ्चक्खई दिदुई। सत्त भयाइं हयाई गहीरें
सत्त यि तच्चई णायई धीरें। अट्ठ वि मय णिट्ठविय अदु? अट्ठ सिद्धगुण भरिय वरिट्ठ। णव विहु बंभचेरु परिपालिउ ___णवपयत्थपरिमाणु णिहालिउ । घत्ता-दसविहु जिणधम्मु 'वियाणियउ एयारह हयजडिमउ ।।
"अवियारहं धीरहं सावयहं बारह भिक्खुहुं पडिमउ ॥१०॥
१०
तेरह किरियाठाणइं मुणियई तेरहभेय चरित्तइं गणियइं । चोदह गंथमला वि समुज्झिय चोइंह भूयगाम सईबुज्झिय । पण्णारह पमाय मेल्लंत
पुण्णपावभूमिउ जाणंत । २. B सरे मइ। ३. M समत्थे, but records ap सहत्थें । ४. MB परमेसर । ५. MBP
°उवयार। १०. १. BP राय दोस । २. MBP संभरियइं; K संभवियई but corrects it to संभरियई।
३. MBP वेय। ४. P रसियउ। ५. BP णिच्छंडइ। ६. B छावासउ । ७. PK सुविसेसिउ । ८. B उवटइ। ९. MBP परिणाम । १०. MB दहविह। ११. MP वियारियउ। १२. M अवि
बारह, but records ap अवियारहं । ११. १. B चउदह।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560