Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 494
________________ ४०८ महापुराण [१८. ११.४ सोलह विह कसाय पसमंतें सोलहविहवंयणेसु रमतें। अवि य असंजमोह सत्तारह जाणिवि संपराय अट्ठारह । इउणवीस वि णाहज्झयणई वीसविहई असमाहीठाणई। एकवीस सवल विणिरुणीसहं सहिवि द्वीस दुसज्झ परीसह । तेतीस वि सुत्तयडइं सुत्तई चउवीस वि जिणतित्थई होतई । पंचवीस भावणउ धरते छव्वीस वि पुहवीउ णियंतें। सत्तवीस जइगुण सुमरते । अढवीस णियचित्ति समप्पिवि पव॑रायारकप्प पवियप्पिवि । एउणतीस वि दुक्कियसुत्तई तीस मोहठाणइं बलवंतई । एक्कतीस मलवाय धुणंत जिणुवएस बत्तीस मुणंते । घत्ता-थिरु सुक्कझाणु आऊरियउ घाइचउक्कु पण?उ ।। ___ उप्पाइउ केवल मणिवरेण लोयोलोउ वि दिदउ ॥११॥ १२ ता सुर चल्लिय समउ सुरिंदै तारायणु चल्लिउ सहुं चंदें। णरवइ धाइय समउ गरिंद उरय समागय सहुँ धरणिंदें। तेहिं कसाय विसायवियारउ . संथुउ सिरिबाहुबलि भडारउ । रायचक्कु पई तणु परिगणियउं कम्मचक्कु झाणाणलि हुणियउं । देवचक्कु तुह अग्गइ धावइ चक्कु वि चक्किहि रेमणु ण भावइ । उ ण वड्ढइ पई मएवि को णरयह कडढइ । जीवरासि णिभैरु विहडंती विहुरंभोहि विवरि णिवेडंती। भोयासत्तएण पुर्ह ईसरु दिक्ख लेवि णिज्जउ वम्मीसरु । को किर भण्णइ तुज्झ समाणउ तुहुँ जि मुंडकेव लिहिं पहाणउ । एम थुणंतें बुद्धिसमिद्धे इंदे वेउव्वियउ खणखें। घत्ता-पंउमासणु चवलु चमरजुयलु एक्कु जि छत्तु मणोहरु । दीसइ पप्फुल्लिउ पंडुरउ णं तवसरि इंदीवरु ॥१२॥ १० २. MBP वयणे सुमरतें । ३. P दुसज्झ दुवोस । ४. MBP संतई। ५. P सुअरंतें । ६. MBP add after this : पुणु वि तेण मुणिणा भयवंतें । ७. P एम ण यारकप्प । ८. MBP जिणउवएस । ९. P लोयालोय । १२. १ MBP read the first two lines as : ता सुर चल्लिय समउ सुरिंदें, उरय समागय सहं धरणिदें; णरवइ धाइय समउं परिंदें, तारायणु चल्लिउ सह चंदें। २. MB वयणु; P रयणु; T रमणु रमणीयम् । ३. MBP सिरिराउ । ४. MBP णिरु भवि हिंडती। ५. MBK विवडती। ६. P सूहईसरु । ७. BPK णिज्जिउ । ८. K भण्णउं and gloss भणामि । ९. MBP हरियासणु धवलु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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