Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 480
________________ ३९४ महापुराण [१७.१४.१ १४ जलभरियसुणासावंसएण वढिपडिभडबलसंसएण । वैज्जियमंडलियकुरंगएण परिहच्छे सरतीरंगएण। रोसारुणच्छिरंजियदिसेण सप्पेण व अइआसीविसेण । सीहेण व उधुयकेसरेण णिब्भच्छिउ भाइ गरेसरेण । पीलिज्जइ तेरउ उच्छुचाउ रसु पिज्जइ खज्जइ गुलु सुसाउ । फुल्लसर वि कयधेम्मेल्लसोह पई जेहा कहिं लब्भंति जोह । अवियाणियखत्तियधम्मसार महिलाण गोहहो मोट्टियार । किं किरै वयणेण पलोइएण जीवंतहं सलिले ढोइएण। ए एहि देहि भुर्यंजुज्झु तेम अज्जु जि एयंतरु होइ जेम । ता भणइ जइणि णिप्फलु जि भसहि धणुबाण महारा काई हसहि । जाणंतु वि देवि णिरत्थु भणहि पियविरहुन्वेइउ किं कणहि । महिलाण गोहुँ हउं सयणमन्गि गोहाण गोहु कढियइ खग्गि । पत्ता-जइ सयणत्तणु मण्णियउं तो किं मग्गहि पुहइ भडारा ॥ णियधणकर्णमयकयविवस पत्थिव सयल होति विवरेरा ॥१४॥ तओ मुयमंडणि भायर लग्ग रिंदसिरोमणि घंटुपयग्ग। कुलीण कुकारणि माणमहल्ल पहाण महाबल बिण्णि वि मल्ल । सुकंचणकुंडलमंडियगंड पसारियबाह सरोस पयंड । चिराउस चंदचडावियणाम सुविक्कमवंत णराहिवकाम । समत्थ सिरीण रईण णिकेय महारह भारह भक्खरतेय । असंक खगंक झसंक विपंक जसंसुपसाहियपुण्णससंक। मिलंति मिलेप्पिणु हत्थि धरंति घरेप्पिणु देह घेडेवि पडंति । पडत जि गाहणिबंधणु देति कडीयलु कंठु णिरंभिवि ठंति । विरुद्ध विगाह बलेण मुयंति मुएप्पिणु उडिवि हत्ति वलंति । अलंभुयजुज्झविहाणसयाई पर्चप्पणकड्डणवेढणयाई। करंति वि धीर अविद्दवियंग णिरंकुस णाई मयंध मयंग। पयाणभरस्स धरित्ति ण तिण्ण विमुक्त रवेण दिसाकरि वुण्ण । फलोणयपायवपिट्ठ व छुण्ण णहे गय पक्खि वणेयर रुण्ण । ण चल्लिय कुंचिय कूर फणिंद दरीकुहरेसु णिलीण पुलिंद । तओ हयमाणिणिमाणमएण णरामरसंगरलद्धजएण। १४. १. MBPK तज्जियं । २. MBP°धम्मिल्ल । ३. MB किंकरवयणेण । ४. P भुयजुयलु । ५. BK देव । ६. MBP कुणइ । ७. M मोह, but records ap गोह। ८. P कणयमय । १५. १. K°घुट्ट and gloss घृष्ट । २. P सकंचण । ३. MBP बारहभक्खर । ४. MBP घडेणं । ५. MRP पडंति जि गाढ । ६. MBP णिरुद्ध वि बाह; Kणिरुद्ध वि गाह। ७. MBP जंति । ८. MBP पचंपणं । ९. PK चुण्ण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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