________________
१५. ३.१३] हिन्दी अनुवाद
३३१ गृह खड़े कर दिये गये । दोनों ओर उत्कीर्ण काष्ठोंसे युक्त अश्वशाला ऐसी मालूम होती थी मानो सुमुण्डित घटदासी हो। मणिमय मण्डपोंके घर स्थापित कर दिये गये, और भी दूसरे घर निर्मित कर दिये गये । दुर्वार वैरियोंके मदपर प्रहार करनेवाले अस्त्रोंको अधिष्ठित और भूषित कर दिया गया। अपने चन्द्रमारूपी चूड़ामणिको दिखानेवाली रात्रिमें उपवास स्वीकार कर स्वयं भरत कुशासन पर सो गया। सवेरे आकाशमें नक्षत्रोंको ढकनेवाला दिनाधिप उग आया। राजाने धनुष अपने हाथमें ले लिया, मण्डल राणाने खूब क्रीड़ा की। रथके अग्रभागपर चढ़ते हुए उसने शंका नहीं की। उसने स्वयं वैशाख-स्थान किया।' जो लोहवन्त ( लोभ और लोहेसे युक्त) ऐसे उस मग्गण ( बाण और याचक ) को गुणि ( डोरी | गुणी व्यक्ति ) पर रख दिया गया। क्या वह रहता है, नहीं केवल वह ऊपर गया मानो हिमवन्त कुमारके पास गया हो।
पत्ता-अपने आंगनमें पड़े हुए पुंख सहित बाणको उसने देखा और अपने मन में विचार किया यह कौन है जिसे कालने प्रेरित किया है ? ॥२॥
क्या उसने नागमणिके लिए हाथ फैलाया है, या आकाशमें कड़कती हुई बिजलीके लिए? दीर्घ ज्वालमालाओंसे प्रज्वलित प्रलयाग्निको किसने छेड़ा है ? सिंहकी अयालको किसने उखाड़ा है ? कालानलको किसने क्षुब्ध किया है ? किसने गरुड़के पंखोंका अपहरण किया है ? बताओ किसने जमकरणको नष्ट करना चाहा है ? किसने देवेन्द्रका मान चूर-चूर किया है, क्या उसने मन्दराचलके शिखरको उलटाया है ? किसने अपने हाथसे समुद्रका मन्थन किया है, होते हुए भाग्यको किसने प्रतिकूल कर लिया है ? दृष्टि और विषमुख किसने देखा है ? किसने हालाहल विष खाया है ? विश्वमें सूर्यको निस्तेज किसने बनाया ? मुझे किसने क्रोध उत्पन्न किया है ? आकाशतलके पार कोन जा सका है ? अपने बाहुबलके लिए अत्यन्त पर्याप्त कौन है ? क्या वह तलवारसे आहत होकर भी नहीं मरता ? हम नहीं जानते कि क्या वह वज्रमय है ? मुझे किसने यह तीर विसर्जित किया ? किसका क्षयका नगाड़ा बज उठा है ?
पत्ता-जिसने नागेन्द्रके समान अति दीर्घ लम्बा तीर छोड़ा है वह युद्धमें मुझसे मरेगा, भले ही वह देवेन्द्रकी शरणमें चला जाये ? ॥३॥ १. बायें पैर और घुटनेको धरतीपर रखकर, दूसरेके ऊपर उठाना वैशाख स्थान कहलाता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org