Book Title: Mahapurana Part 1
Author(s): Pushpadant, P L Vaidya
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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३६२
[१६.९.१३
महापुराण घत्ता-केलासहु जाइवि तवयरणु ताएं भासिउ किजइ ॥
जेणेह सुदूसहतावयरि संसारिणि तिस छिज्जइ ॥९॥
१०
आरणालं-इय भणियं कुमारया मारमारया समरमा पसण्णा ।
दरिवियरियवराहयं सवरराहयं काणणं पवण्णा ॥१॥ दिट्ट तेहिं केलाँसि जिणेसरु संथुउ रिसहणाहु परमेसरु । जय रिसिणाह वसह वसहद्धय जय तियसिंदमउलिलालियपय । जय जाणियपरमक्खरकारण जय जिण मोहमहातरुवारण । जय सुहवास दुरासावारण जय ससहरसियवारिणिवारण । पुणु वि पंच परमेहि णवेप्पिणु पंचमुहि सिरि लोउ करेप्पिणु । पंचमहारिसिवयई लएप्पिणु पंचासवदाराई पिहेप्पिणु। पंचिंदियपमाउ वजेप्पिणु पंच वि सर मयणहु तज्जेप्पिणु । पंचायारसारु पावेप्पिणु पंचपंचविहु धम्मु धरेप्पिणु। घत्ता-दढगुणि मणमग्गणु संणिहिउ मोक्खहु संमुहं पेसिउँ॥
संतहिं अरहंतहु तणुरुहहिं अप्पउ चरिएं भूसिउँ ॥१०॥
आरणालं-ता पत्तो चरो पुरं णिवइणो घेरं मणइ सुणसु राया।
इसिणो तुह सहोयरा सीलसायरा अज्जु देव जाया ॥१॥ एक्कु जि पर बाहुबलि सुदुम्मई णउ तउ करइ ण तुम्हहं पणवइ । तं णिसुणेवि पुरोहें उत्त
भडसामंतमंतिसंजुत्तउं । कोसु देखें परियेणु पयभत्तउ मणहरु अंतेउरु अणुरत्तर । कुलु छलु बलु सामत्थु सुइत्तणु णिहिलजणाणुराउ जसकित्तणु । विणउ वियारहारि ब्रुहसंगमु पोरिसु बुद्धि रिद्धि दइवुज्जमु । . कुंजर णावइ महिहर जंगमु अस्थि तासु रह करह तुरंगमु । अत्थसत्थु जावज वि ण सरइ जाम सहायसहासई ण करइ। जाम ण लग्गइ खलसंसग्गे खत्तधम्मणिम्महणुम्मग्गे। . घत्ता-जावज्ज वि चाउ ण करि धरइ तोणाजुयलु ण बंधइ॥
णिमजिए भालसेयलवहि जाम ण गुणि सरु संधइ ॥११॥
१०. १. MBP भणिओ। २. MBP समरमापवण्णा and gloss in MP उपशमलक्ष्मी प्राप्ताः । ३.
MP सवररायह, but T सवरराहये शबराणां भासो भा यत्र । ४. MP केलास । ५. B लहेप्पिण ।
६ Bदारइं रुंभेप्पिणु । ७. MBP पेसियउ । ८. MBP भूसियउ । ११. १. MBP हरं । २. MBP स दुम्मइ । ३. MBP वुत्तउं । ४. MBP दोसु । ५. MB परयणु ।
६. MBP बुह । ७. M रिद्धि बुद्धि दइउज्जमु । ८. MBP णिम्मज्जियं ।
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