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२.७.९] हिन्दी अनुवाद
२९ अड़तालीस लव होते हैं। दो घड़ियोंसे मुहूर्तका अवसर बनता है और तीस मुहूर्तोका दिनरात होता है। दिनोंसे मास बनता है ऐसा, महाऋषि-नाथके द्वारा कहा गया है। दो माहोंसे ऋतुमान बनता है, तीन ऋतुमानोंसे फिर अयन प्रसिद्ध होता है। दो अयनोंसे एक वर्ष बनता है और पांच वर्षोंका यग कहा जाता है। और दो यगोंसे दस वर्ष बनते हैं। उनमें दसका गणा करनेपर सौ साल होते हैं । जब १०० में दसका गुणा किया जाता है तो एक हजार वर्ष होते हैं।
पत्ता-दससे आहत होनेपर वह हजार दस हजार होता है, थोड़ेमें मैंने ऐसा गुना है। उन दस हजारका भी जब दससे गुणा किया जाये तो एक लाख उत्पन्न होते हैं ॥५॥
संख्याज्ञानियों ( गणितज्ञों) ने यह अच्छी तरह जाना है कि चौरासी लाख वर्षोंका एक पूर्वांग होता है । कथन मात्रसे यह जान लिया जाता है कि सो लाखका एक करोड़ कहा जाता है । जब पूर्वांगसे पूर्वांगका गुणा किया जाये तो और भी संख्या जानी जाती है, सत्तर करोड़ एक लाख छप्पन हजार वर्षाका एक सह संख्य होता है। परमागम में देव ( जिनेन्द्र ) ने जैसा निबद्ध किया है, उस पूर्वके प्रमाणको यहाँ जान लिया। पूर्व नियुत कुमुद, पद्म, नलिन, संख सहित तुट्य, अट्ट, अमंग, ऊहांग और ऊहाको उसी प्रकार जानो कि जिस प्रकार जिन भगवान्ने कहा है। और भी मृदुलता, लता, महालतांग और फिर महालता नामका प्रसंग आता है। शिरःप्रकम्पित, हस्तप्रहेलिका और अचल काल हैं, उसे महावीर प्रभुने प्रकाशित किया है। इस प्रकार नाना नाम और प्रमाणोंसे विभाजित इतना संख्यात काल होता है।
पत्ता-यदि आठ परमाणुओंको मिला दिया जाये, तो एक त्रसरेणु उत्पन्न होता है और आठ त्रसरेणुओंके मिलनेपर एक रथरेणुकी उत्पत्ति होती है ॥६॥
आठ रथरेणुओंके मिलनेपर एक बालाग्र बनता है, आठ बालानोंकी एक लीख कही जाती है। आठ लीखोंसे एक सफेद सरसों बनता है, ऐसा महामुनियोंने कहा है। आठ सरसोंको इकट्ठा करनेपर एक जौका आकार बनता है ऐसा जिनागममें कहा गया है। परमपदमें स्थित लोगोंके द्वारा जो देखा जाता है उसमें कौन दोष लगा सकता है ? मुनि लोग संक्षेपमें आठ जौका एक अंगुल बताते हैं। छह अंगुलोंका एक पाद होता है, दो पादकी एक वितस्ति, दो वितस्तियोंका एक रत्नी, चार रत्नियोंका एक दण्ड मनमें भाता है। हजार दण्डोंका एक योजन होता है, उस योजनको आठ हजारसे गुणित किया जाये और फिर उसे भी पांच सौसे गुणा किया जाये, और फिर लोकको दिखाया जाये । इस प्रकार महायोजन कहा जाता है और जिसे जगको मापनेका आधार समझा जाता है । उसके प्रमाणसे धरती खोदी जाये, अपनी परिधिसे तीन गुनी अधिक गोल-गोल ।
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