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४.७.८]
हिन्दी अनुवाद गुणीकी संगतिसे स्वर्ग प्राप्त नहीं करता ? गिरती हुई बालको वह चलानेके लिए ले जाता है और अपने समान वय बालकोंको छूने तक नहीं देता। प्रहार-प्रहारमें वह इस प्रकार जाता है, जिस प्रकार दिशाकी मर्यादा
पत्ता-मानो पुरुषका रूप बनानेके लिए विधाताने प्रतिबिम्ब संग्रहीत किया था। जब वह नवयौवनको प्राप्त हुए तो नाग, नर और देवोंके द्वारा पूजे गये ॥५॥
स्वर्णकी तरह गोरे, समर्थ और ज्ञानरत, प्रजाको रक्षा करनेवाले, और राजाओंके द्वारा वन्दित चरण। लक्ष्मीरूपी सुन्दरीके रमणके लिए विस्तीणं रंगभूमि, धरणेन्द्रकी गोदमें अपना शरीर रखते हुए, वरुणके ऊपर पैर स्थापित करते हुए, पवनदेवपर हथेली डालते हुए, प्रणाम करती हुई इन्द्राणीपर दृष्टि देते हुए, उवंशीका सरस नाटक देखते हुए, कुबेरके चमरोंसे हवा किये जाते हुए, समभावसे कामदेवको त्रस्त करते हुए, नागेन्द्ररूपी प्रतिहारसे अवरुद्ध द्वारवाले, और देवताओंके स्थानसारको देखनेवाले प्रभु सिंहासनपर बैठे हुए ऐसे लगते थे, मानो पूर्णचन्द्र महान् उदयाचलपर
ब कुलकर नाभिराज वहाँ आकर इस प्रकार कहते हैं-'हे देवाधिदेव सुनिए, सुनिए, क्या कीचड़में कमलसमूह नहीं होता ? क्या पत्थरोंके समूहमें नवस्वर्णपिण्ड नहीं होता? दिशाके मुखमें महान् किरणोंवाला सूर्य, विमल सीप-सम्पुटमें मोती-समूह, नहीं होता ? मैं पिता, तुम पुत्र, यह कैसा अभिमान ? तीनों लोकोंमें ज्ञान ही मुख्य है। आकाश मार्गसे बड़ा कौन है ? तुम्हारे आगे बुद्धिमान कौन है ? अपने स्नेहसे अथवा जड़तासे धृष्टतापूर्वक मैं कुछ कहता हूँ।
पत्ता-यद्यपि तुम्हारा बचपन दूर छूट गया है तब भी तुम्हारी मति स्त्रियोंके ऊपर नहीं है। हे सुकुमार, विवाह कीजिए जिससे लोककी गति बढ़ सके" ॥६॥
तब प्रबल बोधवाले, मोहके विरोधी, समाधि प्राप्त करनेवाले और मनके दपंको दूर करनेवाले प्रभु बोले, "हे तात, कामका समर्थन करनेवाले ये शब्द युक्त नहीं हैं । संसारके बढ़ानेवाले मोहान्धकारसे युक्त, हड्डियोंसे कसा हुआ, कृमिकुलसे पूर्ण, प्रगलित मूत्रवाला, मांससे लिपटा,
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